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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

भारत में नवाचार को बढ़ावा देने के प्रयास

  • 23 Oct 2020
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च, बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट, फ्यूचर स्किल प्राइम

मेन्स के लिये:

भारत में नवाचार की संभावना 

चर्चा में क्यों?

‘शून्य के क्षेत्र’ में भारत के मौलिक ज्ञान ने नवाचार के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज करवाई थी। COVID-19 महामारी, भारत को नवाचार के क्षेत्र में फिर से स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत सरकार देश में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये इस क्षेत्र में सहयोग, सुविधा और विनियमन के लिये एक ढाँचे को स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

नवाचार की संभावना:

  • भारत इंटरनेट उपयोगकर्त्ताओं के मामले में सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाला देश है। वर्तमान में देश में 700 मिलियन से अधिक उपयोगकर्त्ता हैं और वर्ष 2025 तक यह संख्या बढ़कर 974 मिलियन होने का अनुमान है।
  • जैम ट्रिनिटी ( जन धन, आधार, मोबाइल) के तहत 404 मिलियन जन धन बैंक खाते हैं।
  • एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत कृत्रिम बुद्धिमता की मदद से वर्ष 2035 तक अपनी जीडीपी में लगभग 957 बिलियन डॉलर की वृद्धि कर सकता है।

नवाचारी ढाँचे की संरचना:

  • नवाचार के क्षेत्र में संरचनात्मक ढाँचे को सहयोग (Collaboration), सुविधा (Facilitation) और विनियमन (Regulation) के ट्रायड/त्रय के रूप संरचित किया जा रहा है।
    • सहयोग (Collaboration): सरकार द्वारा बहु-अनुशासनात्मक सहयोग पर बल दिया जा रहा है।
    • नियमन: नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नियामक प्रथाओं को उदारीकृत किया जा रहा है।
    • सुविधा (Facilitation): नवाचार के मानकों और सिद्धांतों के पालन के लिये रचनात्मकता पर बल दिया जा रहा है। जोखिम लेने की क्षमता को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार सक्रिय सुविधा प्रदायक की भूमिका निभा रही है। 

नवाचार की दिशा में प्रमुख योजनाएँ:

  • इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च’ (INSPIRE): इस कार्यक्रम के तहत विज्ञान में प्रतिभावान छात्रों को अवसर प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
  • रामानुजन फैलोशिप (Ramanujan Fellowship): यह अध्येतावृत्ति/ फैलोशिप विदेशों में रह रहे क्षमतावान भारतीय शोधकर्त्ताओं को भारतीय संस्थानों/विश्वविद्यालयों में काम करने के लिये विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा के सभी क्षेत्रों में आकर्षक विकल्प‍ और अवसर प्रदान करती है।
  • किरण योजना: किरण (KIRAN) योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लैंगिक समानता से संबंधित विभिन्न मुद्दों/चुनौतियों का समाधान कर रही है।
  • स्मार्ट इंडिया हैकथॉन (SIH): इसे डिजिटल भारत के सपने को साकार करने और युवाओं को राष्ट्र निर्माण के कार्य से प्रत्यक्ष रूप से जोड़ने के लिये किया जा रहा है।
  • अटल नवाचार मिशन (AIM): इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य देश के कम विकसित क्षेत्रों में सामुदायिक नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
  • बायोटेक्नोलॉजी इग्निशन ग्रांट (BIG) योजना: यह स्टार्ट-अप के वित्तपोषण से संबंधित एक कार्यक्रम है।
  • फ्यूचर स्किल प्राइम (PRIME): यह सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रोज़गार के रिस्किलिंग और अपस्किलिंग के लिये एक कार्यक्रम है। यह NASSCOM तथा इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की एक पहल है। 
  • STARS प्रोजेक्ट: STARS प्रोजेक्ट को शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के तहत एक नवीन केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
  • स्पार्क (SPARC) पहल: ‘स्‍पार्क’ पहल का लक्ष्‍य भारतीय संस्‍थानों और विश्‍व के सर्वोत्‍तम संस्‍थानों के बीच अकादमिक एवं अनुसंधान सहयोग को सुगम बनाकर भारत के उच्‍च शिक्षण संस्‍थानों में अनुसंधान परिदृश्‍य को बेहतर बनाना है।
  • IMPRESS कार्यक्रम: इस योजना के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का समर्थन करने और नीति बनाने के लिये अनुसंधान प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे।
  • बहु-विषयक साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS): साइबर-फिज़िकल प्रणालियों में प्रौद्योगिकी विकास, विनियोग विकास, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, उद्यमशीलता और स्टार्टअप विकास तथा संबंधित प्रौद्योगिकियों के मुद्दों को हल किया जाएगा।

आगे की राह:

  • भारत को शिक्षा, अनुसंधान और विकास पर व्यय बढ़ाना चाहिये जिससे नीतियों के लिये बेहतर वातावरण एवं अवसंरचना का विकास किया जा सके।
  • नीति आयोग का 'भारत नवाचार सूचकांक' देश में नवाचार के वातावरण में सुधार करने हेतु इनपुट और आउटपुट दोनों घटकों पर ध्यान केंद्रित करता है। अत: इसे आर्थिक प्रोत्साहन के साथ जोड़ा जाना चाहिये।

स्रोत: द हिंदू 

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