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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मंत्रिमंडल द्वारा बहुविषयक साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन को मंज़ूरी

  • 07 Dec 2018
  • 8 min read

चर्चा में क्यों?


हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल द्वारा बहुविषयक साइबर-फिज़िकल प्रणालियों के राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) को मंज़ूरी दे दी गई। इसे पाँच सालों के लिये 3600 करोड़ रुपए की कुल लागत के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लागू किया जाएगा।


प्रमुख बिंदु

  • NM-ICPS एक समग्र मिशन है जो CPS में प्रौद्योगिकी विकास, विनियोग विकास, मानव संसाधन विकास, कौशल विकास, उद्यमशीलता और स्टार्ट-अप विकास तथा संबंधित प्रौद्योगिकियों के मुद्दों को हल करेगा।
  • मिशन का लक्ष्य 15 प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र (Technology Innovation Hubs-TIH), 6 विनियोग नवाचार केंद्र (Application Innovation Hubs-AIH) और 4 प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान केंद्र (Technology Translation Research Parks-TTRP) बनाना है।
  • ये नवाचार केंद्र (Innovation Hubs) और TTRP देश के प्रतिष्ठित अकादमिक, अनुसंधान एवं विकास तथा अन्य संगठनों में समाधान विकास के संबंध में अकादमिक संस्थानों, उद्योग, केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को आपस में जोड़ेंगे।
  • अकादमिक संस्थानों, उद्योग और सरकार के एक उपयुक्त समूह को शामिल करने के लिये रणनीतिक पहल के संबंध में प्रस्ताव को अपनाया गया है।
  • मिशन के कार्यान्वयन, निगरानी और उसके मार्गदर्शन के लिये मिशन प्रशासनिक बोर्ड तथा अंतर-मंत्रालयी समन्वय समिति, वैज्ञानिक सलाहकार समिति और अन्य उप-समितियों के रूप में मज़बूत संचालन तथा निगरानी प्रणाली तैयार होगी।
  • इन नवाचार केंद्रों और TTRP के चार प्रमुख क्षेत्र हैं जिनके साथ मिशन के कार्यान्वयन का कार्य आगे बढ़ेगा। ये चार क्षेत्र हैं- i) प्रौद्योगिकी विकास ii) मानव संसाधन विकास एवं कौशल विकास iii) नवाचार, उद्यमिता एवं स्टार्ट-अप इको प्रणाली विकास iv) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।

मिशन का उद्देश्य

  • इस मिशन के तहत समाज की बढ़ती प्रौद्योगिकी ज़रूरतों को पूरा किया जाएगा और यह अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के लिये अग्रणी देशों के अंतर्राष्ट्रीय रूझानों तथा रोडमैप का जायजा लेगा।
  • इस मिशन के तहत देश में साइबर-फिज़िकल प्रणालियों (CPS) और संबंधित प्रौद्योगिकियों की पहुँच सुगम हो जाएगी। भारतीय परिस्थितियों के मद्देनज़र राष्ट्रीय/क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिये CPS प्रौद्योगिकियों को अपनाया जाएगा।
  • CPS में अगली पीढ़ी की कुशल श्रमशक्ति का सृजन होगा। प्रौद्योगिकी आधारित नव-अनुसंधान में तेज़ी लाई जाएगी। इस मिशन से CPS में उद्यमिता और स्टार्ट-अप इको प्रणाली के विकास में तेज़ी आएगी।
  • CPS के माध्यम से प्रौद्योगिकी विकास तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग विषयों में उच्च शिक्षा में उन्नत अनुसंधान को तेज़ी प्रदान की जाएगी। इस मिशन के ज़रिये भारत को अन्य उन्नत देशों के समकक्ष लाने का प्रयास किया जाएगा तथा भारत द्वारा कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लाभों को प्राप्त किया जाएगा।

मिशन के संभावित लाभ

  • मिशन समाज के लाभ के लिये CPS प्रौद्यगिकियों के कारगर इस्तेमाल करने के संबंध में केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों, राज्य सरकारों और उद्योगों को अपनी परियोजनाएँ और योजनाएँ चलाने में मदद करेगा।
  • CPS प्रौद्योगिकियों से राष्ट्र की वैज्ञानिक, अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी नवाचार क्षमताओं को नई धार मिलेगी। इसके अलावा वे सरकार के अन्य मिशनों को समर्थन देंगी, औद्योगिक तथा आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा का माहौल पैदा करेंगी और एक वास्तविक रणनीतिक संसाधन के रूप में विकसित होंगी।
  • प्रस्तावित मिशन, विकास का माध्यम बनेगा, जिससे स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, पर्यावरण, कृषि, रणनीति आधारित सुरक्षा और औद्योगिक क्षेत्रों में राष्ट्रीय पहलों को लाभ होगा। इसके अलावा इंडस्ट्री 4.0, स्मार्ट सिटी, सतत् विकास लक्ष्य इत्यादि को भी लाभ होगा।
  • CPS आने वाली प्रौद्योगिकियों की एक समग्र प्रणाली है, जो विकास की दौड़ में अन्य देशों के साथ मिलकर चलने को प्राथमिकता देती है। सीपीएस से समस्त कौशल आवश्यकताओं में आमूल परिवर्तन होगा। उद्योग/समाज की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्नत कौशल और कुशल श्रमशक्ति के सृजन के द्वारा यह मिशन रोज़गार के अवसरों में इजाफा करेगा।
  • नवाचार, उद्यमिता और स्टार्ट-अप इको प्रणाली प्रस्तावित NM-ICPS का अभिन्न हिस्सा है, जिसके मद्देनज़र स्टार्ट-अप से भी CPS तथा संबंधित क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी आधारित रोज़गार अवसर पैदा होंगे। इस तरह अल्पकालिक अवधि में लगभग 40,000 रोज़गार और दीर्घकालिक अवधि में लगभग दो लाख रोज़गार सृजित होंगे।

मिशन की आवश्यकता क्यों?

  • CPS और इससे संबंधित प्रौद्योगिकियाँ, जैसे- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), मशीन लर्निंग (ML), डीप लर्निंग (DP), बिग डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स, क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम कम्युनिकेशन, क्वांटम एन्क्रिप्शन (क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन), डेटा साइंस और भविष्यवाणी विश्लेषिकी, भौतिक आधारभूत संरचना और अन्य बुनियादी ढाँचे के लिये साइबर सुरक्षा, व्यापक रूप से सभी क्षेत्रों में मानव प्रयास के लगभग हर क्षेत्र में एक परिवर्तनीय भूमिका निभा रही है।
  • सरकार और उद्योग के लिये यह आवश्यक हो गया है कि वे प्रतिस्पर्द्धी बने रहने, सामाजिक विकास करने, रोजगार सृजन, आर्थिक विकास में तेजी लाने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने तथा पर्यावरण को कायम रखने के लिये इन उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिये तैयार रहें।

स्रोत : पीआईबी

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