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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 31 May, 2023
  • 18 min read
प्रारंभिक परीक्षा

भारत में शतरंज की बढ़ती लोकप्रियता

शतरंज, जिसे कभी एक आला खेल माना जाता था, उत्साही प्रशंसकों एवं असाधारण खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या के चलते अब भारत में अपार लोकप्रियता के साथ ही खेल वैश्विक मंच पर प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। 

  • हाल ही में जी. एम. अर्जुन एरिगैसी (G.M. Arjun Erigaisi) ने शारजाह मास्टर्स अंतर्राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप (Sharjah Master's International Chess Championship) 2023 जीत दर्ज की है। 

नोट: 

  • शारजाह मास्टर्स अंतर्राष्ट्रीय शतरंज चैंपियनशिप एक वार्षिक शतरंज प्रतियोगिता है जो शारजाह, संयुक्त अरब अमीरात में शारजाह सांस्कृतिक एवं शतरंज क्लब में आयोजित किया जाता है। 
  • इसका उद्देश्य शारजाह एवं क्षेत्र में शतरंज को एक खेल तथा सांस्कृतिक गतिविधि के रूप में प्रोत्साहित करना तथा शतरंज खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्द्धा करने एवं अपने कौशल में सुधार करने का अवसर प्रदान करना है।

भारत में शतरंज की लोकप्रियता में वृद्धि के कारक:

  • असाधारण भारतीय खिलाड़ी:
    • डी. गुकेश (वैश्विक रैंकिंग 18), अर्जुन एरिगैसी (वैश्विक रैंकिंग 37), आर प्रागनानंदा (वैश्विक रैंकिंग 47) और निहाल सरीन (वैश्विक रैंकिंग 64) भारत के अत्यधिक प्रतिभा संपन्न युवा शतरंज खिलाड़ी हैं। 
    • अंतर्राष्ट्रीय शतरंज में भारत की दूसरी रैंक है, जो शतरंज  में देश की मज़बूत उपस्थिति को दर्शाता है। 
    • पाँच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद अगली पीढ़ी के भारतीय खिलाड़ियों के लिये परामर्शदाता (मेंटर) के रूप में कार्यरत हैं।
  • वैश्विक मंच पर सफलता: 
    • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शतरंज खिलाड़ियों के प्रभावशाली प्रदर्शन ने देश में खेल की लोकप्रियता में योगदान दिया है।
    • प्रतिभाशाली किशोरों की उपस्थिति और प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के उभरने से खेल में रुचि और अधिक बढ़ी है।
    • 44वाँ शतरंज ओलंपियाड वर्ष 2022 में चेन्नई में आयोजित किया गया था। वर्ष 1927 से आयोजित इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता की मेज़बानी पहली बार भारत में और 30 साल बाद एशिया में हो रही है। 
  • शतरंज अकादमियों का विकास:
    • युवा प्रतिभाओं को प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन प्रदान करने में वेस्टब्रिज आनंद शतरंज अकादमी ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को सलाह देने में विश्वनाथन आनंद की भागीदारी ने भारतीय शतरंज के मानकों को नई ऊँचाई प्रदान की है।
    • शतरंज अकादमियों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने युवाओं को अपने कौशल को सुधारने के अवसर प्रदान किये हैं।
  • मीडिया कवरेज और दर्शकों की रुचि को बढ़ाना: 
    • शतरंज ओलंपियाड और टाटा स्टील चेस इंडिया जैसी प्रमुख शतरंज प्रतियोगिताओं ने हाल के दिनों में मीडिया का ध्यान आकर्षित किया है।
    • लाइव शतरंज टूर्नामेंट को देखने वाले हज़ारों लोगों के साथ दर्शकों और प्रशंसकों की भागीदारी में व्यापक वृद्धि हुई है।
    • उन्नत मीडिया कवरेज और ऑनलाइन स्ट्रीमिंग ने दर्शकों के लिये शतरंज को अधिक सुलभ बना दिया है।
  • अखिल भारतीय शतरंज संघ (AICF): 
    • यह वर्ष 1951 में स्थापित किया गया था और शतरंज के लिये विश्व निकाय Fédération Internationale des Échecs (FIDE) से संबद्ध है।
    • AICF की भूमिका: 
      • राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट का आयोजन करना।
      • खिलाड़ी के विकास और प्रशिक्षण का समर्थन करना।
      • अंतर्राष्ट्रीय शतरंज संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व करना।
      • युवा प्रतिभाओं की पहचान और उनका पोषण करना।
      • अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी को सुगम बनाना। 
      • शतरंज को विद्यालयी पाठ्यक्रमों में शामिल करने का प्रयास करना। 

भारत में शतरंज को बढ़ावा देने में चुनौतियाँ:

  • अन्य खेलों की तुलना में सीमित ध्यान
  • विशिष्ट टूर्नामेंटों में कॉर्पोरेट प्रायोजन और निवेश का अभाव
  • शतरंज में महिलाओं की प्रतिभा की पहचान पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।

भारतीयों द्वारा जीते गए विश्व खिताब:

  • विश्वनाथन आनंद:
    • सबसे सफल भारतीय शतरंज खिलाड़ी, उन्होंने वर्ष 2000, वर्ष 2007, वर्ष 2008, वर्ष 2010 और वर्ष 2012 में फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप जीती।
    • उन्होंने वर्ष 2003 और वर्ष 2017 में वर्ल्ड रैपिड शतरंज चैंपियनशिप तथा वर्ष 2000 और वर्ष 2017 में वर्ल्ड ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप भी जीती। वह शतरंज के तीनों प्रारूपों में विश्व खिताब जीतने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं।
  • कोनेरू हम्पी:
    • उच्चतम श्रेणी की भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी, जिसने वर्ष 2019 में महिला विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीती।
    • उन्होंने वर्ष 2019-2020 में महिला ग्रैंड प्रिक्स सीरीज़ भी जीती।
  • हरिका द्रोणावल्ली:
    • दूसरी सबसे बड़ी भारतीय महिला शतरंज खिलाड़ी, जिसने वर्ष 2012, वर्ष 2015 और वर्ष 2017 में महिला विश्व शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। उन्होंने वर्ष 2016 में चेंगदू में फिडे महिला ग्रैंड प्रिक्स इवेंट भी जीता।
  • आर प्रज्ञाननंधा:
    • सबसे कम उम्र के भारतीय ग्रैंडमास्टर और विश्व शतरंज में सबसे होनहार प्रतिभाओं में से एक, जिसने वर्ष 2019 में विश्व युवा शतरंज चैंपियनशिप (अंडर -18) जीती। उन्होंने वर्ष 2021 में एशियाई महाद्वीपीय शतरंज चैंपियनशिप (ओपन) भी जीती।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. 44वें शतरंज ओलंपियाड 2022 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः (2023)

  • यह पहली बार था, जब शतरंज ओलंपियाड भारत में आयोजित किया गया।
  • इसके अधिकृत शुभंकर को ‘तंबि’ नाम दिया गया था।
  • ओपेन सेक्शन में जीतने वाली टीम के लिये ट्रॉफी, वेरा मेनचिक कप होती है।
  • महिला विभाग (सेक्शन) में जीतने वाली टीम के लिये ट्रॉफी, हैमिल्टन-रसेल कप होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितने सही हैं?

(a) केवल एक  
(b) केवल दो
(c) केवल तीन
(d) सभी चार

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • वर्ष 1927 में वेस्टमिंस्टर सेंट्रल हॉल में लंदन में आयोजित पहला आधिकारिक ओलंपियाड 'टूर्नामेंट ऑफ नेशंस' के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2022 में शतरंज ओलंपियाड का आयोजन पहली बार शतरंज की जन्मस्थली अर्थात् भारत में किया गया। यह 3 दशकों के बाद पहली बार एशिया में आयोजित हुआ। इसमें भाग लेने वाले देशों एवं टीमों की संख्या सबसे अधिक थी। साथ ही इसमें महिला वर्ग में सबसे अधिक खिलाडियों ने भाग लिया। अतः कथन 1 सही है।
  • 44वें शतरंज ओलंपियाड का आधिकारिक शुभंकर ‘तंबि (Thambi)' था। तमिल भाषा में 'तंबि/थम्बी' शब्द का अर्थ है- छोटा भाई। अतः कथन 2 सही है।
  • ओपन सेक्शन में विजेता टीम को हैमिल्टन-रसेल कप प्रदान किया जाता है, जिसे इंग्लिश मैग्नेट फ्रेडरिक हैमिल्टन-रसेल ने प्रथम ओलंपियाड (लंदन 1927) के लिये पुरस्कार के रूप में पेश किया था। अतः कथन 3 सही नहीं है।
  • पहली महिला विश्व शतरंज चैंपियन के सम्मान में विजेता महिला टीम की ट्रॉफी को वेरा मेनचिक कप के रूप में जाना जाता है। अतः कथन 4 सही नहीं है।

स्रोत: द हिंदू


विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 31 मई, 2023

हिमालय को जलवायु परिवर्तन से बचाने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता

माउंट एवरेस्ट सहित हिंदू-कुश हिमालय (HKH) क्षेत्र को ग्लोबल वार्मिंग (वैश्विक तापन) के कारण अपरिवर्तनीय परिवर्तनों का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ता तापमान पर्यावरण को खतरे में डाल रहा है, इसके कारण आने वाले 70 वर्षों में दो-तिहाई हिमनद पिघल सकते हैं तथा चरम मौसमी घटनाओं में लगातार वृद्धि हो सकती है। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) पेरिस समझौते का सम्मान करने, उत्सर्जन में कटौती करने तथा नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण के लिये तत्काल वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करता है। SaveOurSnow अभियान को जनता के समर्थन की आवश्यकता है। 240 मिलियन लोगों तथा महत्त्वपूर्ण जल संसाधनों पर खतरे को देखते हुए हिमालय के संरक्षण हेतु तत्काल कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता है। ICIMOD एक अंतर-सरकारी ज्ञान एवं शिक्षण केंद्र है जो HKH के आठ क्षेत्रीय सदस्य देशों- अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, चीन, भारत, म्याँमार, नेपाल और पाकिस्तान में लोगों को सशक्त बनाने हेतु अनुसंधान, सूचना तथा नवाचारों को विकसित एवं साझा करता है। अंतर्राष्ट्रीय एवरेस्ट दिवस 29 मई को न्यूज़ीलैंड के एडमंड हिलेरी तथा नेपाल के तेनज़िंग नोर्गे शेरपा की उल्लेखनीय उपलब्धि के सम्मान में मनाया जाता है। बर्फ और तूफानों का सामना करते हुए दोनों 29 मई, 1953 को पृथ्वी के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर तक पहुँचने वाले पहले व्यक्ति बने

और पढ़ें… Hindu Kush Himalaya (HKH) region  

ओडिशा की पलूर नहर में ‘ईल’ की नई प्रजाति की खोज की गई  

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने ओडिशा के गंजम ज़िले के पलूर नहर में ईल की एक नई प्रजाति की पहचान की है। प्राचीन ओडिशा के नाम पर इसे पिसोडोनोफिस कलिंगा नाम दिया गया, यह ईल परिवार ओफिचथिडे और ऑर्डर एंगुइलिफोर्मेस से संबंधित है। यह दिखने में सांप जैसा है और इसकी लंबाई 560 मिलीमीटर से 7 मीटर तक हो सकती है। यह खोज एशिया के सबसे बड़े खारे पानी के लैगून चिल्का लैगून और आसपास के पलूर नहर में की गई। सितंबर से नवंबर तक मानसून के मौसम के दौरान इस क्षेत्र में नई प्रजाति, पिसोडोनोफिस कलिंग प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। डीएनए विश्लेषण ने पहले ग्रहण किये गए पिसोडोनोफिस बोरो (चावल-धान ईल) से इसके भिन्न होने की पुष्टि की। इस खोज से भारतीय जल में पिसोडोनोफिस प्रजातियों की कुल संख्या बढ़कर तीन हो गई है।

और पढ़ें… भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI)  
 

मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (MTHL) पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त की और लोगों के लिये "ईजी ऑफ लिविंग" के महत्त्व को बढ़ाने पर बल दिया। MTHL एक उल्लेखनीय बुनियादी ढाँचा परियोजना है जो मुंबई महानगर क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बदलने की क्षमता रखती है जिसे सेवरी-न्हावा शेवा ट्रांस हार्बर लिंक के रूप में भी जाना जाता है। इसके निर्माण के साथ MTHL का लक्ष्य 21.8 किलोमीटर का 6-लेन एक्सेस-कंट्रोल एक्सप्रेसवे ग्रेड रोड ब्रिज बनाना है जिससे यह भारत का सबसे लंबा समुद्री पुल बन जाएगा। MTHL का निर्माण कार्य पूरा होने से यातायात की बारहमासी समस्या दूर हो जाएगी तथा सेवरी और चिर्ले के बीच यात्रा का समय केवल 15 से 20 मिनट का हो जाएगा जिससे यात्रियों को दैनिक जीवन के कार्यों में बहुत राहत होगी। ओपन रोड टोलिंग सिस्टम के साथ MTHL पर बिना वाहनों को रोके या धीमा कर टोल एकत्र करने की विधि अपनाने वाली देश की पहली परियोजना बन गई है। यह नवीन दृष्टिकोण यातायात प्रवाह को व्यवस्थित करता है और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर तथा कैमरों का उपयोग करके पुल की दक्षता बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त MTHL ऑर्थोट्रॉपिक स्टील डेक प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है। यह एक निर्माण विधि है जो पुल की संरचना को ताकत और लचीलापन प्रदान करती है। यह स्टील डेक तकनीक पुल के हल्के ढाँचे को बनाए रखते हुए भारी वाहनों का अधिक भार उठाने की क्षमता प्रदान करती है।

और पढ़ें… भारत की इंफ्रास्ट्रक्चर नीति

भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट 

वित्त वर्ष 2022-23 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह में गिरावट देखी गई, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा इसके वैश्विक कारकों की पहचान की गई है। उदार FDI नीतियों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के बावजूद कठोर ब्याज दरों और बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति के संयुक्त प्रभाव ने देश में निवेश करने के लिये निवेशकों के विश्वास एवं गरीबी में गिरावट की संभावना को कम कर दिया है। पाँच महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों- कंप्यूटर हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, निर्माण, शिक्षा, ऑटोमोबाइल तथा धातुकर्म उद्योगों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई है। पिछले वित्तीय वर्ष में कुल FDI में 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से के संकुचन के पीछे के विशिष्ट कारणों को उजागर करने के लिये एक व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता है। FDI प्रवाह में गिरावट के परिणाम अधिक गंभीर हैं, क्योंकि FDI इक्विटी प्रवाह में 22% की गिरावट आई है जो वित्तीय वर्ष 2022-23 में 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। विशेष रूप से पहली तिमाही जनवरी-मार्च के दौरान निवेश में 40.5% की भारी गिरावट आई, यह कुल 9.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। FDI प्रवाह में इस तरह की गिरावट भारत के आर्थिक विकास, रोज़गार के अवसरों और तकनीकी प्रगति में बढ़ा उत्पन्न करती है। इस स्थिति से निपटने के लिये नीति निर्माताओं और हितधारकों को वैश्विक एवं क्षेत्र-विशिष्ट दोनों चुनौतियों पर विचार करते हुए  FDI प्रवाह को प्रभावित करने वाले कारकों का व्यापक विश्लेषण करना चाहिये।

और पढ़ें… प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)


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