प्रारंभिक परीक्षा
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति
स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स
भारत सरकार ने संशोधित आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025 के तहत राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) को वैधानिक मान्यता प्रदान की है, जिससे यह राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया समन्वय के लिये सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था बन गई है।
राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?
- संविधान: यह समिति औपचारिक रूप से गृह मंत्रालय द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 8A(2) के तहत गठित की गई है। इससे पहले यह बिना किसी औपचारिक वैधानिक मान्यता के अस्तित्व में थी।
- संरचना: NCMC की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं। इसके सदस्यों में केंद्रीय गृह सचिव, रक्षा सचिव, सचिव (समन्वय), कैबिनेट सचिवालय के सदस्य एवं प्रमुख और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य व विभाग प्रमुख शामिल होते हैं।
- NCMC के अध्यक्ष संकट की प्रकृति के अनुसार केंद्र/राज्य सरकारों या किसी भी संगठन से विशेषज्ञों या अधिकारियों को नामित कर सकते हैं।
- मुख्य कार्य: NCMC देश की आपदा तैयारी का आकलन करता है और उसे मज़बूत करने के लिये दिशा-निर्देश जारी करता है।
- यह केंद्र एवं राज्य सरकारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और अन्य एजेंसियों के प्रतिक्रिया प्रयासों का समन्वय तथा निगरानी करता है, ताकि पूरे देश में सुचारु व एकीकृत आपदा प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025
- आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों तथा समितियों के बीच स्पष्टता एवं समन्वय स्थापित करना है।
- यह अधिनियम पहले से मौजूद प्रमुख निकायों जैसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) और उच्च स्तरीय समिति को वैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- यह अधिनियम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMA) को सीधे राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा योजनाएँ तैयार करने का अधिकार देता है, जो पहले राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC) तथा राज्य कार्यकारी समितियों (SEC) द्वारा की जाती थीं।
- यह अधिनियम राज्य की राजधानियों और बड़े नगरपालिक शहरों में शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) की स्थापना का प्रावधान करता है तथा राज्यों को अपनी राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) गठित करने का अधिकार देता है, जिससे बढ़ती शहरी आपदा संवेदनशीलताओं का समाधान किया जा सके।
रैपिड फायर
वित्तीय स्थिति सूचकांक
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने नीति निर्माताओं और विश्लेषकों की सहायता के लिये भारत के वित्तीय बाज़ार की स्थिति का वास्तविक समय में आकलन करने हेतु प्रतिदिन अद्यतन होने वाला वित्तीय स्थिति सूचकांक (Financial Conditions Index - FCI) प्रस्तावित किया है।
- उद्देश्य: यह FCI एक समग्र सूचकांक के रूप में कार्य करेगा, जो वर्ष 2012 से अब तक के ऐतिहासिक औसत के सापेक्ष सख्त या सहज वित्तीय परिस्थितियों को मापेगा।
- घटक: FCI मुद्रा बाज़ार, सरकारी प्रतिभूतियाँ (G-Secs), कॉर्पोरेट बॉण्ड, इक्विटी और विदेशी मुद्रा बाज़ार सहित 20 वित्तीय संकेतकों पर निगरानी रखेगा।
- FCI के मानकीकृत सकारात्मक मान अधिक सख्त वित्तीय परिस्थितियों का संकेत देते हैं, जबकि नकारात्मक मान सहज या आसान वित्तीय परिस्थितियों को दर्शाते हैं।
- रुझान: RBI की नमूना अवधि के दौरान सबसे सख्त वित्तीय परिस्थितियाँ जुलाई 2013 में दर्ज की गईं (जब "टेपर टैंट्रम" की स्थिति उत्पन्न हुई थी, उस समय FCI का मान 2.826 था), जो बॉण्ड और विदेशी मुद्रा बाज़ार के तनाव के कारण थी। वहीं, सबसे सहज वित्तीय परिस्थितियाँ जून 2021 में देखने को मिलीं (कोविड के बाद), जब RBI की तरलता उपायों के चलते FCI का मान -2.197 था।
- टेपर टैंट्रम उस स्थिति को कहा जाता है जब ब्याज दरों में अचानक तेज़ वृद्धि हो जाती है, जो इस आशंका के कारण होती है कि केंद्रीय बैंक अपने बॉण्ड खरीद कार्यक्रम (मात्रात्मक आसान नीति या क्वांटिटेटिव ईज़िंग) को धीरे-धीरे समाप्त करना शुरू कर सकता है।
- महत्त्व: यह पहल भारत की स्वदेशी समष्टि-वित्तीय अनुसंधान और वास्तविक समय में नीति-निर्धारण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रैपिड फायर
शून्य खुराक बच्चों की संख्या में 43% की कमी
स्रोत: DD
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने वर्ष 2023 में 16 लाख शून्य-खुराक (Zero-Dose) बच्चों की संख्या को घटाकर वर्ष 2024 में 9 लाख कर दिया है। यह प्रगति दक्षिण एशिया में अब तक की सबसे उच्च टीकाकरण कवरेज हासिल करने में भारत की प्रमुख भूमिका को दर्शाती है।
- शून्य खुराक वाले बच्चे वे हैं जिन्हें DTP (डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस) टीके की पहली खुराक भी नहीं मिली है, जिसका अर्थ है कि ये बच्चे नियमित टीकाकरण सेवाओं की पहुँच से पूरी तरह बाहर रह जाते हैं।
- वर्ष 2024 में दक्षिण एशिया में 92% शिशुओं ने डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस (DTP) वैक्सीन की तीसरी खुराक प्राप्त की, जो अब तक का सबसे उच्चतम स्तर है और वर्ष 2023 की तुलना में 2% अधिक है। फिर भी क्षेत्र में अब भी 29 मिलियन से अधिक बच्चे ऐसे हैं जो या तो पूरी तरह से टीकाकरण से वंचित हैं या आंशिक रूप से टीकाकृत हैं।
- भारत का टीकाकरण अभियान: भारत को वर्ष 2024 में उसके उत्कृष्ट टीकाकरण नेतृत्व के लिये खसरा और रूबेला चैंपियन अवार्ड (Measles and Rubella Champion Award) से सम्मानित किया गया।
- शून्य-खुराक कार्यान्वयन योजना 2024 (Zero Dose Implementation Plan 2024) का उद्देश्य ऐसे बच्चों का टीकाकरण करना है जो अब तक किसी भी प्रकार की टीका-खुराक से वंचित रहे हैं। इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप भारत में शून्य-खुराक बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है वर्ष 2023 में यह आँकड़ा 0.11% था, जो वर्ष 2024 में घटकर 0.06% रह गया है।
- मिशन इन्द्रधनुष (2014 से) के तहत 5.46 करोड़ बच्चों और 1.32 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा चुका है, जो पहले टीकाकरण से वंचित थीं या जिनका टीकाकरण कम हुआ था।
- Through National Vaccination Day (16th March), India has maintained polio-free status since 2014.
- राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस (16 मार्च) तक भारत ने वर्ष 2014 से पोलियो-मुक्त स्थिति बनाए रखी है।
और पढ़ें: विश्व टीकाकरण दिवस 2024
रैपिड फायर
युद्धाभ्यास बोल्ड कुरुक्षेत्र 2025
स्रोत: पी.आई.बी.
भारत और सिंगापुर के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास बोल्ड कुरुक्षेत्र का 14वाँ संस्करण 28 जुलाई, 2025 को जोधपुर में शुरू हुआ।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य यंत्रीकृत युद्ध के लिये संचालन प्रक्रियाओं को सुदृढ करना और संयुक्त राष्ट्र के अधिदेश के तहत दोनों सेनाओं की अंतर-संचालन क्षमता एवं संयुक्त प्रशिक्षण क्षमताओं में वृद्धि करना है।
- संयुक्त भागीदार: इसमें भारत की मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री रेजिमेंट और सिंगापुर की 4 सिंगापुर आर्मर्ड ब्रिगेड की 42 सिंगापुर आर्मर्ड रेजिमेंट शामिल हैं।
- वर्ष 2005 में पहली बार शुरू किया गया वार्षिक बोल्ड कुरुक्षेत्र अभ्यास भारत और सिंगापुर के बीच गहरे सैन्य संबंधों को दर्शाता है।
- संयुक्त राष्ट्र अध्याय VII (UN Chapter VII) अंतर्राष्ट्रीय शांति प्रवर्तन के लिये सैन्य/गैर-सैन्य कार्रवाइयों (प्रतिबंध, नाकाबंदी, सैन्य तैनाती) को अधिकृत करता है।
और पढ़ें: भारत-सिंगापुर संबंध