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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 24 Sep, 2020
  • 21 min read
प्रारंभिक परीक्षा

प्रिलिम्स फैक्ट्स: 24 सितंबर, 2020

ब्रुसेला एबोर्टस S19 प्रति वैक्सीन

Brucella Abortus S19 Per Vaccine

22 सितंबर, 2020 को आभासी मंच के माध्यम से आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (Indian Veterinary Research Institute-IVRI) द्वारा विकसित ‘ब्रुसेला अबाॅर्टस एस19 प्रति वैक्सीन’ (Brucella Abortus S19 Per Vaccine) पर एक प्रौद्योगिकी लाइसेंस समझौता (Technology License Agreement- TLA) समारोह आयोजित किया गया। 

ब्रुसेलोसिस (Brucellosis):

  • ब्रुसेलोसिस दुनिया भर में सबसे महत्त्वपूर्ण ज़ूनोटिक रोगों में से एक है और यह बीमारी भारत में भी स्थानिक है। 

ज़ूनोटिक रोग:

  • ऐसे रोग जो पशुओं के माध्यम से मनुष्यों में फैलते है उन्हें ज़ूनोसिस या ज़ूनोटिक रोग कहा जाता है।
  • ज़ूनोटिक संक्रमण प्रकृति या मनुष्यों में जानवरों के अलावा बैक्टीरिया, वायरस  या परजीवी के माध्यम से फैलता है।
  • एचआईवी-एड्स, इबोला, मलेरिया, रेबीज़ तथा वर्तमान कोरोनावायरस रोग (COVID-19) ज़ूनोटिक संक्रमण के कारण फैलने वाले रोग हैं।
  • इससे बांझपन, गर्भपात, पशु के कमज़ोर बच्चे का जन्म और कम उत्पादकता के कारण डेयरी उद्योग को आर्थिक नुकसान पहुँचता है।
  • भारत में ब्रुसेलोसिस रोग के नियंत्रण के लिये काफ-हूड (Calf-hood) टीकाकरण के रूप में ब्रुसेला अबाॅर्टस एस19 स्ट्रेन (Brucella abortus S19 strain) का उपयोग किया जाता है।
    • ब्रुसेला अबाॅर्टस एस19 स्ट्रेन एक बहुत मज़बूत प्रतिरक्षाजन (Immunogen) है जो पशु को आजीवन प्रतिरक्षा प्रदान करता है।

‘ब्रुसेला अबाॅर्टस एस-19 स्ट्रेन’ में कमियाँ:

  • हालाँकि, इस वैक्सीन के स्ट्रेन में कई कमियाँ हैं जैसे-
    • मानव एवं पशुओं में अवशिष्ट वायरल के प्रसार का खतरा बना रहता है। 
    • वयस्क पशुओं के लिये यह टीकाकरण उपयुक्त नहीं है।
    • गर्भधारित पशुओं में इस टीके के इस्तेमाल होने पर गर्भपात का खतरा बना रहता है। 
    • इस टीके से नैदानिक ​​संक्रमण के सीरो-निदान में भी हस्तक्षेप होता है।

‘ब्रुसेला अबाॅर्टस एस-19’ का एक संशोधित स्ट्रेन: 

  • उपर्युक्त में से कुछ कमियों को दूर करने के लिये आईसीएआर-भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा ब्रुसेला अबाॅर्टस एस-19 का एक संशोधित स्ट्रेन विकसित किया गया है।

ब्रुसेलोसिस नेटवर्क प्रोग्राम

(Brucellosis Network Program):

  • ब्रुसेला अबाॅर्टस एस-19 के इस संशोधित स्ट्रेन को भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषित ‘ब्रुसेलोसिस नेटवर्क प्रोग्राम’ के तहत विकसित किया गया था।
  • ‘ब्रुसेला अबाॅर्टस एस19 स्ट्रेन’ को संशोधित करने की प्रक्रिया में जीव के लिपोपॉलेसेकेराइड (Lipopolysaccharide- LPS) संरचना को विलोपन उत्परिवर्तन (Deletion Mutation) के माध्यम से बदल दिया गया था।
  • नए विकसित स्ट्रेन को ‘ब्रुसेला अबाॅर्टस एस19 (Brucella abortus S19Δper) नाम दिया गया।
    • इस वैक्सीन क्षमता का मूल्यांकन प्रायोगिक आधार पर छोटे पशुओं में और भैंस के बछड़ों में भी किया गया है।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान

(Indian Veterinary Research Institute-IVRI):

  • यह उत्तर प्रदेश के इज़्ज़तनगर (Izatnagar), बरेली में अवस्थित है।
  • यह पशु चिकित्सा एवं संबद्ध शाखाओं के क्षेत्र में भारत की प्रमुख उन्नत अनुसंधान सुविधा प्रदान करता है।
  • इस संस्थान का प्रशासनिक नियंत्रण वर्तमान में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली के अधीन है।


प्लास्टिक पार्क

Plastic Park

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री ने राज्यसभा में बताया कि ‘डोमेस्टिक डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योग’ (Domestic Downstream Plastic Processing Industry) की क्षमताओं को समेकित एवं समन्वित करने के लिये भारत सरकार क्लस्टर विकास के दृष्टिकोण के साथ अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे के विकास हेतु प्लास्टिक पार्कों (Plastic Parks) की स्थापना की योजना लेकर आई है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस योजना के तहत भारत सरकार परियोजना लागत का 50% तक अनुदान प्रदान करती है जो प्रति प्रोजेक्ट 40 करोड़ रुपए होता है। शेष परियोजना लागत को राज्य सरकार, लाभार्थी उद्योगों एवं वित्तीय संस्थानों से लिये गए ऋण द्वारा वित्त पोषित किया जाता है।
  • रसायन एवं पेट्रोकेमिकल्स विभाग ने देश में 10 प्लास्टिक पार्क स्थापित करने की मंज़ूरी दी है जिसमें से 6 पार्कों को अंतिम मंज़ूरी दी चुकी है जो असम, मध्य प्रदेश (दो पार्क), ओडिशा, तमिलनाडु एवं झारखंड में स्थापित किये जाएंगे।  

कौशल एवं तकनीकी सहायता केंद्र

(Centre for Skilling and Technical Support- CSTS):

  • ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET) ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में कौशल एवं तकनीकी सहायता केंद्र (Centre for Skilling and Technical Support- CSTS) की स्थापना की है जो प्लास्टिक इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में डिप्लोमा एवं पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रोग्राम और कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम भी प्रदान करता है।

‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET):

CIPET

  • हाल ही में ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET) का नाम बदलकर ‘सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी’ (CIPET) कर दिया गया है।
  • परिवर्तित नाम तमिलनाडु सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1975 (Tamil Nadu Societies Registration Act, 1975) के तहत पंजीकृत किया गया है।
  • CIPET, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत एक प्रमुख राष्ट्रीय संस्थान है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1968 में भारत सरकार ने चेन्नई (तमिलनाडु) में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की सहायता से की थी।
  • CIPET का प्राथमिक उद्देश्य शिक्षा एवं अनुसंधान के संयुक्त कार्यक्रम के माध्यम से प्लास्टिक उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है।


व्हेल

Whale

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में 450 से अधिक व्हेलों (Whales) की मृत्यु हो गई जिसे ऑस्ट्रेलिया में व्हेलों का सबसे बड़ा स्थानीय अंतर्पणन (Biggest Stranding of Whales) कहा जा रहा है।

whale

प्रमुख बिंदु:

  • अपने विशाल आकार के कारण व्हेल दुनिया भर में समुद्र तटों पर फंस जाने वाली मछली के रूप में जानी जाती है, ऐसी घटना उनके साथ व्यक्तिगत या सामूहिक आधार पर होती है। 
    • हालाँकि व्हेल का व्यक्तिगत स्थानीय अंतर्पणन (Individual Strandings) ज्यादातर चोट या बीमारी के कारण होता है किंतु यह स्पष्ट नहीं है कि समुद्र तटों पर सामूहिक स्थानीय अंतरपणन की घटना क्यों होती है।

व्हेलों के सामूहिक स्थानीय अंतरपणन का कारण: 

  • माना जाता है कि कुछ व्हेल मछलियाँ शिकार को पकड़ने के लिये उथले जल में उनको फॉलो करती हैं जिसके कारण ये भटकाव का शिकार हो जाती है परिणामस्वरूप ये समुद्र तटों में फंस जाती हैं।
  • स्पर्म व्हेल, किलर व्हेल (Killer Whales) या शार्क (Sharks) मछलियों से बचने के कारण ये समुद्र तटों में फंस जाती हैं। 
    • उपरोक्त कारणों के अलावा, व्हेलों के सामूहिक स्थानीय अंतर्पणन में समुद्र तट एवं तट रेखा के आकार की भी भूमिका हो सकती है। उदाहरण के लिये यदि समुद्र तट में मंद ढलान है तो व्हेल जो नेवीगेशन के लिये इकोलोकेशन (Echolocation) पर निर्भर होती हैं, अपने मार्ग से भटक सकती है।

इकोलोकेशन (Echolocation):

  • इकोलोकेशन, ध्वनि तरंगों एवं गूँज का उपयोग यह निर्धारित करने के लिये किया जाता है कि आसपास के क्षेत्र में वस्तुएँ कहाँ अवस्थित हैं।
  • चमगादड़ नेवीगेशन एवं अंधेरे में भोजन खोजने के लिये इकोलोकेशन का उपयोग करते हैं।
  • इससे पहले वर्ष 1935 में तस्मानिया में व्हेलों की सबसे बड़ी स्थानीय अंतरपणन की घटना हुई थी जहाँ 294 व्हेल फंसे हुए थे। इसमें लंबे पंख वाले पायलट व्हेल (Long-finned Pilot Whales) भी शामिल थे। 

तस्मानिया:

  • तस्मानिया, ऑस्ट्रेलिया का एक द्वीपीय राज्य है। 
  • यह आस्ट्रेलियाई मुख्य भूमि के दक्षिण में 240 किमी. की दूरी पर अवस्थित है जो आस्ट्रेलियाई मुख्य भूमि से बास स्ट्रेट (Bass Strait) द्वारा अलग होता है।


न्यू गिनी: दुनिया का सबसे ऊँचा प्लांट डायवर्सिटी हॉटस्पॉट

New Guinea: World’s highest plant diversity hotspot

हाल ही में वनस्पति विज्ञानियों की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने दुनिया के सबसे बड़े उष्णकटिबंधीय द्वीप न्यू गिनी (New Guinea) पर 13,000 से अधिक पौधों की प्रजातियों का दस्तावेज़ीकरण किया।

प्रमुख बिंदु:

  • न्यू गिनी एक जैव विविधता हॉटस्पॉट है। यहाँ पेड़, झाड़ियाँ, जड़ी-बूटियाँ, पाम आदि पौधे पाए जाते हैं।
    • यहाँ पक्षियों की 800 से अधिक प्रजातियाँ, कीटों की लगभग 150,000 ज्ञात प्रजातियाँ और मीठे पानी की मछली की 300 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 
  • न्यू गिनी विश्व के महासागर के सबसे विविध क्षेत्र ‘कोरल त्रिभुज’ (Coral Triangle) के अंतर्गत आता है।

‘कोरल त्रिभुज’ (Coral Triangle):

  • इंडोनेशिया, मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस, सोलोमन द्वीप और तिमोर के ऊपर कोरल त्रिभुज 6 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला समुद्र का एक हिस्सा है।
  • ‘नेचर’ (Nature) पत्रिका में 13,000 से अधिक पौधों की सूची को प्रकाशित किया गया है। 
    • न्यू गिनी द्वीप के अविश्वसनीय पौधों की विविधता को व्यवस्थित तरीके से पेश करने का यह पहला प्रयास है।
    • न्यू गिनी में पौधों की 13,500 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से दो-तिहाई स्थानिक हैं।
  • इस नए अध्ययन के अनुसार, यहाँ (न्यू गिनी द्वीप) दुनिया में किसी भी द्वीप की सबसे बड़ी वनस्पति विविधता विद्यमान है अर्थात् मेडागास्कर से 19% अधिक।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 24 सितंबर, 2020

शिवांगी सिंह

फ्लाइट लेफ्टिनेंट शिवांगी सिंह जल्द ही राफेल लड़ाकू विमान उड़ाने वाली भारत की पहली महिला फाइटर पायलट बनने वाली हैं। हालाँकि अभी इस संबंध में आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। ध्यातव्य है कि इन राफेल विमानों को 10 सितंबर, 2020 को औपचारिक तौर पर भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। शिवांगी सिंह वर्तमान में राफेल उड़ाने के लिये प्रशिक्षण ले रही हैं और जल्द ही वे हरियाणा स्थित अंबाला एयर बेस में नंबर 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरो’ में शामिल हो जाएंगी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी की रहने वाली शिवांगी सिंह वर्ष 2017 में भारतीय वायुसेना में शामिल हुईं थीं और अब तक वे मिग -21 बाइसन विमान उड़ा रहीं थीं। उल्लेखनीय है कि शिवांगी सिंह भारतीय वायु सेना में शामिल 10 महिला फाइटर पायलटों में से एक हैं, वहीं भारतीय वायुसेना में सेवारत महिला अधिकारियों की कुल संख्या 1,875 है। 29 जुलाई, 2020 को 7000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए पाँच राफेल लड़ाकू विमान (Rafale Fighter Jets) फ्रांँस से हरियाणा स्थित अंबाला एयर बेस (Ambala Air Base) पहुँचे थे। ज्ञात हो कि भारत सरकार ने सितंबर 2016 में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद के लिये फ्रांँस के साथ एक अंतर-सरकारी समझौता किया और इस समझौते के तहत सभी 36 राफेल लड़ाकू विमान वर्ष 2021 तक भारत पहुँच जाएँगे। वर्ष 2001 में प्रस्तुत किया गया राफेल (Rafale) फ्रांँस का डबल इंजन वाला और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा डिज़ाइन किया गया है। 

राष्ट्रीय सेवा योजना 

24 सितंबर, 2020 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में वर्चुअल माध्यम से वर्ष 2018-19 के लिये राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) पुरस्कार प्रदान किया है। वर्ष 2018-19 के लिये राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) पुरस्कार 3 विभिन्न श्रेणियों यथा- विश्वविद्यालय/ +2 परिषद, NSS इकाइयाँ और उनके कार्यक्रम अधिकारी और NSS स्वयंसेवक में 42 विजेताओं को दिया गया है। युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के युवा मामलों का विभाग देश में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विश्वविद्यालयों/कॉलेजों, (+2) परिषदों, वरिष्ठ माध्यमिक, NSS इकाइयों/कार्यक्रम अधिकारियों और NSS स्वयंसेवकों द्वारा की गई स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा मे उत्कृष्ट योगदान को पहचानने और उन्हें पुरस्कृत करने के लिये प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय सेवा योजना पुरस्कार प्रदान करता है। ध्यातव्य है कि वर्तमान में NSS के पूरे देश में फैले हुए लगभग 40 लाख स्वयंसेवक हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे वर्ष 1969 में शुरू किया गया था और इसका प्राथमिक उद्देश्य स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्त्व और चरित्र को विकसित करना है। राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) का आदर्श वाक्य ‘स्वयं से पहले आप’ है। ज्ञात हो कि राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के स्वयंसेवक सामाजिक रूप से प्रासंगिक मुद्दों पर कार्य करते हैं।

सऊदी अरब ने लगाया भारत पर यात्रा प्रतिबंध

कोरोना वायरस (COVID-19) के मामलों में वृद्धि के मद्देनज़र सऊदी अरब प्रशासन ने भारत से और भारत को जाने वाली उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस संबंध में सऊदी अरब प्रशासन द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, भारत, ब्राज़ील और अर्जेंटीना से आने और जाने वाली सभी हवाई उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालाँकि इन प्रतिबंधों के तहत आधिकारिक यात्रा पर आने वाले लोगों को छूट प्रदान की गई है। सऊदी अरब सरकार के मौजूदा नियमों के अनुसार, भारत से यात्रा करने वाले प्रत्येक यात्री को यात्रा से 96 घंटे पूर्व RT-PCR परीक्षण का नकारात्मक प्रमाणपत्र लाना आवश्यक है। इसके अलावा हॉन्गकॉन्ग ने भी 3 अक्तूबर, 2020 तक एयर इंडिया की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

सुरेश अंगडी 

केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश अंगड़ी का कोरोना वायरस (COVID-19) के कारण 65 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। 01 जून, 1955 को कर्नाटक के बेलगाम ज़िले में जन्मे सुरेश अंगडी बेलगाम 17वीं लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए थे और उन्हें रेल राज्‍य मंत्री का पदभार सौंपा गया था। कर्नाटक के एक कॉलेज से स्‍नातक करने के बाद उन्होंने राजा लखमगौड़ा लॉ कॉलेज, बेलगाम से कानून की पढ़ाई की थी। वर्ष 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की बेलगाम इकाई के उपाध्यक्ष बने थे और वर्ष 1999 तक वे इसी पद पर रहे। वर्ष 2004 में वे 14वीं लोकसभा के लिये पहली बार निर्वाचित हुए थे और उन्हें खाद्य, उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण संबंधी स्थायी समिति का सदस्य बनाया गया था। इसके बाद वे वर्ष 2009, वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में भी लोकसभा के लिये निर्वाचित हुए।


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