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कृषि

चावल की नई किस्मों का विकास

  • 27 Feb 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research-ICAR) के कटक स्थित राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (National Rice Research Institute-NRRI) ने चावल की चार नई किस्में विकसित की हैं जिनमें दो उच्च प्रोटीन युक्त तथा दो जलवायु अनुकूल किस्में हैं।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • संस्थान द्वारा विकसित की गई चावल की किस्में निम्नलिखित हैं –

♦ दो उच्च प्रोटीन युक्त किस्में हैं - CR धान 310 (CR Dhan 310), CR धान 311 (CR Dhan 311)।
♦ दो जलवायु अनुकूल किस्में हैं – CR धान 801 (CR Dhan 801), CR धान 802 (CR Dhan 802)। ये किस्में जलमग्न, सूखा, जैविक भार के लिये सहिष्णु एवं जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं।

  • इस संस्थान ने विभिन्न कृषि पारिस्थितिकी के लिये उच्च उपज वाले 132 चावल की किस्मों को विकसित किया है, जिनमें से कई किस्में विभिन्न राज्यों के किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।
  • देश में अब तक लगभग 13 प्रतिशत चावल की किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ICAR-NRRI) द्वारा जारी की गई हैं।
  • वर्ष 2017-18 के दौरान चावल उत्पादन वाले 43 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रों में से 8 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में NRRI की किस्मों का उत्पादन किया गया हैं जो कुल चावल उपज क्षेत्र का लगभग 18 प्रतिशत है।
  • NRRI पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने की योजना, कार्यान्वयन और निगरानी के लिये नोडल एजेंसी है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद
(Indian Council of Agricultural Research-ICAR)

  • भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद एक स्वायत्तशासी संस्था है।
  • इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
  • बागवानी, मात्स्यिकी और पशु विज्ञान सहित कृषि के क्षेत्र में समन्वयन, मार्गदर्शन और अनुसंधान प्रबंधन एवं शिक्षा के लिये यह परिषद भारत का एक सर्वोच्च निकाय है।
  • पृष्ठभूमि - कृषि पर रॉयल कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अनुसरण करते हुए सोसाइटी रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1860 के तहत इसका पंजीकरण किया गया था जबकि 16 जुलाई, 1929 को इसकी स्थापना की गई।
  • पहले इसका नाम इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (Imperial Council of Agricultural Research) था।

स्रोत – बिज़नेस लाइन (द हिंदू)

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