प्रारंभिक परीक्षा
भारत स्टेज उत्सर्जन मानदंड
बढ़ती वायु गुणवत्ता की समस्या के बीच, दिल्ली सरकार ने वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण को सख्त किया है, जिसके तहत दिल्ली के बाहर पंजीकृत नॉन-भारत स्टेज VI निजी वाहन और वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUCC) के बिना वाहन राजधानी में प्रवेश नहीं कर सकते।
भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानक क्या है?
- परिचय: भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानक भारत के कानूनी रूप से लागू किये गए मानक हैं, जो वाहनों द्वारा उत्सर्जित वायु प्रदूषकों की मात्रा को नियंत्रित करके वाहन प्रदूषण को कम करने का काम करते हैं।
- यह मानक पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा तैयार किये गए हैं और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा लागू किये जाते हैं। इन्हें यूरो (Euro) उत्सर्जन मानकों के अनुरूप बनाया गया है।
- ये मानक कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), हाइड्रोकार्बन (HC), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) और पार्टिकुलेट मैटर (PM) पर क्रमिक रूप से कड़े सीमाएँ तय करते हैं, जिससे वाहनों में साफ़ ईंधन, बेहतर इंजन डिज़ाइन और उन्नत उत्सर्जन-निवारक तकनीक अपनाना आवश्यक हो जाता है।
- माशेलकर समिति (2002) ने यूरो-समकक्ष उत्सर्जन मानकों (भारत स्टेज मानक) को चरणबद्ध तरीके से लागू करने और धीरे-धीरे पूरे देश में विस्तार करने के लिये विस्तृत रोडमैप की सिफारिश की थी।
- BS उत्सर्जन मानकों का विकास: वर्ष 1999 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि भारत के सभी वाहनों को यूरो I या BS I (जिसे इंडिया 2000 मानक भी कहा जाता है) का पालन करना अनिवार्य है।
- भारत ने BS I (2000) से BS IV (2017) तक विकास किया और एक बड़े कदम में BS V को छोड़कर अप्रैल 2020 में BS VI लागू किया, जिससे वाहन उत्सर्जन मानकों को कड़े रूप से सख्त किया गया।
- BS VI फेज- II मानक, जो अप्रैल 2023 से लागू हुए, वास्तविक ड्राइविंग उत्सर्जन (RDE) परीक्षण को अनिवार्य करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वाहन वास्तविक सड़क परिस्थितियों में उत्सर्जन मानकों का पालन करना।
- प्रत्येक नए चरण में सीमाएँ कड़ी होती हैं, जिससे साफ ईंधन और बेहतर इंजन व उत्सर्जन तकनीकों का उपयोग अनिवार्य हो जाता है।
- भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने के लिये, सरकार वर्ष 2026-27 तक BS VII उत्सर्जन मानक लागू करने की योजना बना रही है।
- दिल्ली में मिश्रित भारत स्टेज (BS) वाहन बेड़ा (Vehicle Fleet) है क्योंकि यहाँ कड़े उत्सर्जन मानक बाकी भारत की तुलना में पहले अपनाए गए थे। गंभीर वायु प्रदूषण के जवाब में दिल्ली ने BS II को वर्ष 2001 में BS III को वर्ष 2005 में और BS IV को वर्ष 2010 में लागू किया।
- भारत ने BS I (2000) से BS IV (2017) तक विकास किया और एक बड़े कदम में BS V को छोड़कर अप्रैल 2020 में BS VI लागू किया, जिससे वाहन उत्सर्जन मानकों को कड़े रूप से सख्त किया गया।
- BS VI मानक: BS-VI उत्सर्जन मानकों के तहत पेट्रोल वाहनों को NOx उत्सर्जन में 25% की कमी करनी होगी, जबकि डीजल वाहनों को HC+NOx में 43%, NOx में 68% और पार्टिकुलेट मैटर में 82% की कमी करनी आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त ईंधन में सल्फर की मात्रा को BS-IV के 50 mg/kg से घटाकर BS-VI में 10 mg/kg कर दिया गया है, जिससे उन्नत उत्सर्जन-नियंत्रण तकनीकों को अपनाना संभव हुआ है।
पुराने वाहन अधिक प्रदूषण क्यों करते हैं?
- उन्नत उत्सर्जन नियंत्रण प्रणालियों का अभाव: BS-IV से पूर्व के वाहनों में डीज़ल पार्टिकुलेट फिल्टर (DPF) और सेलेक्टिव कैटेलिटिक रिडक्शन (SCR) जैसी आधुनिक एग्जॉस्ट पश्च-उपचार प्रणालियाँ नहीं होतीं।
- कमज़ोर एग्जॉस्ट तकनीक: BS-IV वाहन मुख्यतः साधारण ऑक्सीडेशन कैटेलिस्ट पर निर्भर रहते हैं, जो सूक्ष्म कणीय पदार्थ (PM) और NOx उत्सर्जन को सीमित रूप से ही नियंत्रित कर पाते हैं।
- इंजन का पुराना होना और यांत्रिक क्षरण: समय के साथ इंजन की ईंधन–वायु मिश्रण क्षमता प्रभावित होती है, प्रज्वलन प्रणाली कमज़ोर पड़ती है और यांत्रिक घिसाव बढ़ने से दहन अपूर्ण रह जाता है।
- वास्तविक परिस्थितियों में अधिक उत्सर्जन: अध्ययनों से पता चलता है कि वाहन के पुराने होने के साथ-साथ टेलपाइप उत्सर्जन, विशेष रूप से कार्बन मोनोऑक्साइड और कण पदार्थ में तीव्र वृद्धि होती है।
- रखरखाव की समस्याएँ: अधिक माइलेज और कमज़ोर रखरखाव प्रथाओं के कारण पुराने वाहन नए BS-VI वाहनों की तुलना में असमान रूप से अधिक प्रदूषण फैलाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानक क्या हैं?
ये भारत में कानूनी रूप से लागू वाहन उत्सर्जन मानक हैं, जो CO, HC, NOx और PM जैसे प्रदूषकों को नियंत्रित करते हैं। इन्हें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा निर्धारित किया जाता है तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा लागू किया जाता है।
2. BS VI, BS IV की तुलना में अधिक सख्त कैसे हैं?
BS VI में NOx और कणीय पदार्थ (PM) के उत्सर्जन की सीमा को काफी कम किया गया है, कम-सल्फर वाले स्वच्छ ईंधन का उपयोग अनिवार्य किया गया है तथा वास्तविक ड्राइविंग परिस्थितियों के अधिक निकट परीक्षण व्यवस्था लागू की गई है।
3. पुराने वाहन अधिक प्रदूषण क्यों करते हैं?
पुराने वाहनों में आधुनिक एग्जॉस्ट-शोधन प्रणालियों का अभाव होता है, इंजन के पुराने होने और खराब रखरखाव की समस्या होती है तथा वे BS-VI वाहनों की तुलना में वास्तविक परिस्थितियों में अधिक प्रदूषक उत्सर्जित करते हैं।
रैपिड फायर
गोवा मुक्ति दिवस
केंद्रीय गृह मंत्री ने गोवा मुक्ति दिवस (19 दिसंबर) के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं और गोवा मुक्ति आंदोलन से जुड़े प्रभाकर वैद्य, बाला राया मापारी, नानाजी देशमुख जी तथा जगन्नाथ राव जोशी जी जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
गोवा मुक्ति आंदोलन
- पुर्तगाली शासन (1510–1961): वर्ष 1510 में अफोंसो डी अल्बुकर्क द्वारा बीजापुर के यूसुफ आदिल शाह को पराजित किये जाने के बाद गोवा पुर्तगालियों का उपनिवेश बना, जिससे वहाँ 451 वर्षों तक औपनिवेशिक शासन रहा।
- प्रारंभिक राष्ट्रवाद: गोवा में उपनिवेश-विरोधी भावना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ विकसित हुई। इसके प्रमुख पड़ावों में 1928 में कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान ट्रिस्टा-डी-ब्रगांका कुन्हा द्वारा गोवा नेशनल कांग्रेस की स्थापना शामिल है।
- रणनीतिक द्वंद्व: गोवा मुक्ति आंदोलन सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) और आज़ाद गोमंतक दल (AGD) जैसे समूहों द्वारा सशस्त्र संघर्ष के समर्थन के बीच बँटा हुआ था, जिससे एकजुट कार्रवाई में देरी हुई।
- वर्ष 1946 में समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने नागरिक अधिकारों, आज़ादी और भारत के साथ एकीकरण का समर्थन करते हुए गोवा में एक ऐतिहासिक रैली का नेतृत्व किया।
- भारत के साथ गोवा का एकीकरण: स्वतंत्रता के बाद भारत ने प्रारंभ में शांतिपूर्ण छवि बनाए रखने की इच्छा और पुर्तगाल की NATO सदस्यता के कारण बलपूर्वक कार्रवाई करने में संकोच किया।
- हालाँकि, जब सभी कूटनीतिक प्रयास विफल हो गए, भारत ने ऑपरेशन विजय (1961) शुरू की और 19 दिसंबर, 1961 को गोवा, दमन व दीव को अपने में मिला कर पुर्तगाली शासन समाप्त कर दिया।
- वर्ष 1974 में भारत और पुर्तगाल ने एक संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसमें गोवा, दमन व दीव, दादरा एवं नगर हवेली पर भारत की संप्रभुता को मान्यता दी गई तथा कूटनीतिक संबंधों को पुनः स्थापित किया गया।
- गोवा राज्य का दर्जा: विलय के बाद गोवा, दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और यह भारत का 25वाँ राज्य बना।
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और पढ़ें: फ्राँसीसी और पुर्तगाली क्षेत्रों का विलय |
रैपिड फायर
पामीर-कराकोरम विसंगति
वैज्ञानिक ताजिकिस्तान के कॉन-चुकुर्बाशी आइस कैप से गहरी बर्फ की कोर का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि पामीर–कराकोरम एनॉमली को वैज्ञानिक रूप से समझाया जा सके, जहाँ ग्लेशियर वैश्विक तापमान वृद्धि के बावजूद स्थिर रहे हैं या बढ़े हैं।
पामीर-काराकोरम एनॉमली
- परिचय: पामीर–कराकोरम एनॉमली उस असामान्य स्थिरता या हल्की वृद्धि को दर्शाता है जो कराकोरम और पामीर पर्वत शृंखलाओं के कुछ हिस्सों के ग्लेशियरों में 1900 के अंत से देखी जा रही है, जबकि हिमालय, आल्प्स, एंडीज़ और रॉकी पर्वतों के ग्लेशियर वैश्विक तापमान के कारण सिकुड़ रहे हैं।
- प्रस्तावित कारण:
- सर्दियों में बढ़ी हुई वर्षा: अधिक बर्फबारी ग्लेशियरों को पुनः भरती है, जिससे गर्मियों में पिघलने का प्रभाव संतुलित होता है।
- उच्च और खड़ी भू-आकृति: पर्वत बर्फ को छाया प्रदान करते हैं और उच्च ऊँचाई वाले संचयन क्षेत्रों का निर्माण करते हैं।
- जलवायु परिवर्तन: यहाँ नमी भारतीय मानसून के बजाय पश्चिमी विक्षोभ से अधिक प्रभावित होती है।
- गर्मी में बादलों का आवरण: संभावित रूप से सौर विकिरण और पिघलने को कम करता है।
- सुरक्षात्मक मलबे की परत: नीचे के ग्लेशियर बर्फ को पिघलने से बचाती है।
- भौगोलिक क्षेत्र: मुख्य रूप से कराकोरम रेंज (विशेषकर गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख के कुछ हिस्से)। यह पश्चिमी पामीर पर्वतों (ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान) तक फैला हुआ है।
- हाल की खोज: सैटेलाइट एल्टिमीट्री (जैसे ICESat-2) और गुरुत्वाकर्षण डेटा (GRACE) का उपयोग कर वैज्ञानिक जॉंचों ने दिखाया है कि यह एनॉमली कमज़ोर हुई है। हालाँकि मैदान आधारित बर्फ कोर के सबूतों का विश्लेषण अभी जारी है।
- भारत के लिये महत्त्व: कराकोरम के ग्लेशियर सिंधु नदी और इसकी सहायक नदियों को पोषित करते हैं और उनकी सापेक्ष स्थिरता लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में नदियों के प्रवाह को अधिक विश्वसनीय बनाए रखने में मदद करती है।
कराकोरम रेंज
- परिचय: कराकोरम रेंज एशिया के केंद्र में स्थित है और यह एक जटिल पर्वत प्रणाली का हिस्सा है, जिसमें पश्चिम में हिंदू कुश, उत्तर-पश्चिम में पामीर, उत्तर-पूर्व में कुनलून पर्वत और दक्षिण-पूर्व में हिमालय शामिल हैं।
- भौगोलिक विस्तार: यह रेंज अफगानिस्तान, चीन, भारत, पाकिस्तान और ताजिकिस्तान में फैली हुई है।
- सबसे ऊँचा शिखर: सबसे ऊँचा शिखर K2 (8,611 मीटर, जिसे माउंट गॉडविन-ऑस्टेन भी कहा जाता है) है, जो माउंट एवरेस्ट (8,849 मीटर) के बाद पृथ्वी का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है।
रैपिड फायर
भारत-रूस RELOS समझौता
भारत और रूस रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक्स एग्रीमेंट (RELOS) समझौते को लागू करने जा रहे हैं, जो एक रक्षा लॉजिस्टिक्स व्यवस्था है। यह आधारों और लॉजिस्टिकल सपोर्ट तक पारस्परिक पहुँच की सुविधा देकर सैन्य सहयोग को मज़बूत करता है, जिसमें आर्कटिक और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र भी शामिल हैं।
- भारत–रूस RELOS: यह दोनों देशों के अनुमोदन उपकरणों के औपचारिक आदान-प्रदान के बाद लागू होगा।
- RELOS समझौता भारत और रूस के बीच सैनिकों, युद्धपोतों और सैन्य विमानों की आवाजाही को नियंत्रित करता है, वायुमार्ग के पारस्परिक उपयोग की अनुमति देता है तथा दोनों देशों के नौसैनिक जहाज़ों द्वारा पोर्ट कॉल की सुविधा प्रदान करता है।
- यह मुख्य लॉजिस्टिकल समर्थन जैसे रीफ्यूलिंग, मरम्मत, रखरखाव और आपूर्ति को कवर करता है और संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण तथा मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR) संचालन के दौरान लागू होता है, साथ ही पारस्परिक सहमति से अन्य परिस्थितियों में भी इसका विस्तार किया जा सकता है।
- भारत के लिये रणनीतिक महत्त्व: यह रूसी हवाई और नौसैनिक आधारों तक पहुँच प्रदान करता है, जो व्लादिवोस्तोक (प्रशांत महासागर) से लेकर मुरमांस्क (आर्कटिक क्षेत्र) तक फैले हैं।
- भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति को सुदृढ़ करता है क्योंकि यह रूस के 40 से अधिक सैन्य आधारों के नेटवर्क का उपयोग करके लंबी दूरी की तैनाती की सुविधा प्रदान करता है।
- भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति को सुदृढ़ करता है क्योंकि यह रूस के 40 से अधिक सैन्य आधारों के नेटवर्क का उपयोग करके लंबी दूरी की तैनाती की सुविधा प्रदान करता है।
- रूस के लिये रणनीतिक महत्त्व: यह रूसी बलों को भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे भारतीय महासागर क्षेत्र (IOR) में उनकी उपस्थिति मज़बूत होती है। यह बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में रूस की भूमिका को भी सुदृढ़ करता है।
- RELOS और अमेरिका के समान समझौते: RELOS अमेरिका के साथ मौजूद समझौते जैसे लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) और मूल विनिमय और सहयोग समझौता (BECA) के समान है। हालाँकि इसे भारत-रूस की गतिशीलता के अनुसार अनुकूलित किया गया है।
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रैपिड फायर
भारत टैक्सी
भारत 2027 से दिल्ली में भारत टैक्सी लॉन्च करने जा रहा है, जो देश की पहली सहकारी संचालित टैक्सी (Cooperative-Run Taxi) सेवा होगी। इसे सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड संचालित करेगा । यह उबर और रैपिडो जैसे निजी कैब एग्रीगेटर्स का स्वदेशी विकल्प प्रदान करेगी।
- कमीशन मॉडल: शुरुआत में शून्य-कमीशन मॉडल, जिसमें यात्रा का 100% भुगतान सीधे ड्राइवरों को जाएगा।
- प्रस्तावित 20% सहकारी शुल्क, जिसे बाद में ड्राइवरों को प्रोत्साहन के रूप में पुनः वितरित किया जाएगा, जबकि निजी प्लेटफॉर्म लाभोन्मुख होते रहेंगे।
- सहयोग: भारत टैक्सी एक सहयोगी पहल है, जिसमें नेशनल ई-गवर्नेंस डिवीज़न (NeGD), डिजिटल इंडिया कॉर्पोरेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड शामिल हैं। इसका उद्देश्य डिजिलॉकर, UMANG और API सेतु से एकीकृत राष्ट्रीय टैक्सी प्लेटफॉर्म का निर्माण करना है।
- मूल्य निर्धारण नीति: सामान्य परिस्थितियों में सर्ज प्राइसिंग नहीं, बल्कि डायनामिक प्राइसिंग केवल विशेष परिस्थितियों में।
- BVसुरक्षा सुविधाएँ: इस प्लेटफॉर्म में ड्राइवर सत्यापन, दिल्ली पुलिस के साथ एकीकरण, रियल-टाइम राइड ट्रैकिंग और 24×7 ग्राहक सहायता शामिल हैं।
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