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ध्यान दें:

प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 10 Nov, 2021
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

यमुना में झाग

हाल ही में यमुना नदी के कुछ हिस्सों पर झाग की एक परत तैरती हुई देखी गई जो अब दिल्ली में एक बार-बार होने वाली घटना बन गई है।

Delhi-Yamuna

प्रमुख बिंदु: 

  • झाग बनने को रोकने हेतु उठाए गए कदम:
    • दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (Delhi Pollution Control Committee- DPCC) ने  भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards- BIS) द्वारा निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप निर्मित नहीं होने वाले साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री, भंडारण तथा परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
    • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal- NGT) द्वारा नियुक्त ‘यमुना मॉनिटरिंग कमेटी’ की पांँचवीं रिपोर्ट में कहा गया है कि डिटर्जेंट के लिये  BIS के मानकों में सुधार किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ये मानक वास्तव में लागू होंगे या नहीं।
      • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB), डीपीसीसी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Boards- PCBs) जैसे नियामक निकायों की भूमिका आमतौर पर निर्वहन/प्रवाह मानकों को लागू करने तक ही सीमित है।

यमुना

  • उद्गम: यह गंगा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में समुद्र तल से लगभग 6387 मीटर की ऊंँचाई पर निम्न हिमालय की मसूरी रेंज से बंदरपूंँछ चोटियों (Bandarpoonch Peaks) के पास यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
  • बेसिन: यह उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली से बहने के बाद प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में संगम (जहांँ कुंभ मेला आयोजित किया जाता है) में गंगा नदी से मिलती है।
  • लंबाई: 1376 किमी.
  • महत्त्वपूर्ण बांध: लखवाड़-व्यासी बांध  (उत्तराखंड), ताज़ेवाला बैराज बांध  (हरियाणा) आदि।
  • महत्त्वपूर्ण सहायक नदियाँ: चंबल, सिंध, बेतवा और केन

Yamuna


प्रारंभिक परीक्षा

श्रीनगर: यूनेस्को रचनात्मक शहरों का नेटवर्क

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization- UNESCO) ने श्रीनगर को रचनात्मक शहरों का नेटवर्क (UNESCO Creative Cities Network- UCCN) के एक भाग के रूप में नामित किया है।

  • मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, वाराणसी और जयपुर के बाद श्रीनगर यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत का छठा शहर है।

प्रमुख बिंदु 

  • श्रीनगर के बारे में:
    • श्रीनगर शहर को शिल्प और लोक कला के क्षेत्र में रचनात्मक शहर के रूप में नामित किया गया है। जयपुर के बाद इस श्रेणी में भारत का यह दूसरा शहर है।
    • यह न केवल श्रीनगर शहर को वैश्विक पहचान देगा बल्कि अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग, शिल्प विश्वविद्यालयों के साथ सहयोग और उत्पाद प्रोत्साहन के रूप में ‘पिचिंग क्राफ्ट’ (Pitching Craft) में भी मदद करेगा।
    • इसके साथ ही जम्मू और कश्मीर की राजधानी (श्रीनगर) विश्व के 295 ‘रचनात्मक शहरों के नेटवर्क’ क्लब में शामिल हो गई है।
    • यूनेस्को द्वारा हर वर्ष विश्व के विभिन्न शहरों को अपनी ‘यूसीसीएन’ परियोजना (UCCN Project) में शामिल करने हेतु आवेदन मांगे जाते हैं। भारत में यह आवेदन संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से भेजे जाते हैं।
  • यूनेस्को का रचनात्मक शहरों का नेटवर्क (UCCN):
    • इसे वर्ष 2004 में प्रारंभ किया गया था।
    • इसका उद्देश्य "उन शहरों के मध्य सहयोग को बढ़ावा देना है जो रचनात्मकता को अपने शहरी विकास में एक रणनीतिक कारक के रूप में पहचानते हैं।"
    • नेटवर्क में सात रचनात्मक क्षेत्र शिल्प एवं लोक कला, मीडिया कला, फिल्म, डिज़ाइन, गैस्ट्रोनॉमी, साहित्य और संगीत शामिल हैं।
  • UCCN में शामिल भारत के शहर:
    • श्रीनगर - शिल्प और लोक कला (2021)
    • मुंबई - फिल्म (2019)।
    • हैदराबाद - गैस्ट्रोनॉमी (2019)।
    • चेन्नई- संगीत का रचनात्मक शहर (2017)।
    • जयपुर- शिल्प और लोक कला (2015)।
    • वाराणसी- संगीत का रचनात्मक शहर (2015)।

यूनेस्को


प्रारंभिक परीक्षा

आईएनएस ‘वेला’

हाल ही में ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत निर्मित चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन 'आईएनएस वेला' भारतीय नौसेना को प्रदान की गई है।

INS-Vela

प्रमुख बिंदु

  • स्कॉर्पीन श्रेणी की सबमरीन:
    • ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत शामिल स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ ‘डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम’ द्वारा संचालित होती हैं।
    • स्कॉर्पीन सर्वाधिक परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वॉरफेयर, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खदान बिछाने और क्षेत्र-विशिष्ट की निगरानी सहित कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है।
    • ‘स्कॉर्पीन’ श्रेणी जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए ‘आईएनएस सिंधुशास्त्र’ के बाद लगभग दो दशकों में नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है।
  • प्रोजेक्ट-75
    • यह भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसमें छह स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण शामिल है।
      • कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का डिज़ाइन ‘फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी’ की पनडुब्बियों पर आधारित है।
    • इसे निर्माण के विभिन्न चरणों के दौरान रक्षा उत्पादन विभाग (रक्षा मंत्रालय) और भारतीय नौसेना द्वारा समर्थन किया जाता है।
    • मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) अक्तूबर, 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत फ्राँस के नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी सहायता प्राप्त करने के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है।
      • ‘मझगाँव डॉक लिमिटेड’ शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
    • परियोजना-75 के तहत अन्य सबमरीन:
      • दो पनडुब्बियों- कलवरी और खांदेरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।
      • स्कॉर्पीन 'वागीर' का परीक्षण चल रहा है।
      • छठी पनडुब्बी- आईएनएस ‘वाग्शीर’ निर्माणाधीन है।

प्रारंभिक परीक्षा

कार्मिकों को तनावमुक्त करने के लिये CRPF ने लॉन्च किया चौपाल

हाल ही में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) ने अपने कर्मियों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिये ‘चौपाल' जैसे गेट-टुगेदर कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है।

  • चौपाल, ग्रामीण क्षेत्रों में एक लोकप्रिय बैठक/समागम जैसी गतिविधि है।

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • सप्ताह में एक या दो बार, 18-20 कर्मचारी बाहर (संभवतः एक पेड़ के नीचे) एक घेरे में कुर्सियों पर बैठेंगे। चौपाल, जिसकी योजना पहले से ही निर्धारित होगी, में सभी रैंक के कर्मी शामिल होंगे और ये सभी सिविल ड्रेस में होंगे न कि वर्दी में।
      • कंपनी, प्लाटून या सेक्शन कमांडरों को अनिवार्य रूप से चौपाल "ग्रुप शेयरिंग अभ्यास" का हिस्सा होना होगा।
    • वरिष्ठ अधिकारी सैनिकों की कठिनाइयों और अन्य मुद्दों (जो मानसिक तनाव का कारण बन सकते हैं) को जानने के लिये उनके साथ बातचीत करेंगे
      • इन कार्मिकों की प्रणाली में नियमित योग कक्षाएँ, दैनिक व्यायाम, परामर्श और अन्य उपचारात्मक उपाय पहले से शामिल हैं, लेकिन मानसिक तनाव तथा इन बलों की थकान को दूर करने के लिये कुछ और करने की आवश्यकता है।
  • आत्महत्या की घटनाएँ
    • वर्ष 2020 से सितंबर 2021 तक सबसे बड़े अर्द्ध-सैनिक बल में आत्महत्या के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। वर्ष 2021 में सबसे अधिक भ्रातृहत्याएँ (Fratricides) की गईं।
    • वर्ष 2017, वर्ष 2018, वर्ष 2019 और वर्ष 2020 में केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल में आत्महत्या करने वालों की संख्या क्रमशः 38, 38, 43 और 60 थी।
  • आत्महत्या के कारण
    • घरेलू समस्याएँ, बीमारी, वित्तीय समस्याएँ, जवानों को छुट्टी की नमंज़ूरी और कभी-कभी सख्त पोस्टिंग आत्महत्या के कुछ प्रमुख कारक हैं।

केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल

(Central Reserve Police Force-CRPF)

  • CRPF 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव पुलिस ( Crown Representative’s Police) के रूप में अस्तित्व में आया। यह 28 दिसंबर, 1949 को CRPF अधिनियम के अधिनियमित होने पर केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल बन गया।
  • CRPF का मिशन सरकार को कानून, सार्वजनिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के शासन को प्रभावी ढंग से और कुशलता से बनाए रखने में सक्षम बनाना है, ताकि संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखते हुए राष्ट्रीय अखंडता को बनाए रखा जा सके और सामाजिक सद्भाव तथा विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
  • यह भारत के प्रमुख केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (गृह मंत्रालय के तहत) में से एक है।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 नवंबर, 2021

वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार

सरकार ने वाइस एडमिरल ‘आर. हरि कुमार’ को नौसेना स्टाफ का नया प्रमुख नियुक्त किया गया है। मौजूद नौसेना प्रमुख एडमिरल ‘करमबीर सिंह’ 30 नवंबर, 2021 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। 12 अप्रैल, 1962 को जन्मे वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार को 1 जनवरी, 1983 को भारतीय नौसेना की कार्यकारी शाखा में नियुक्त किया गया था। लगभग 39 वर्षों की अपनी लंबी और विशिष्ट सेवा के दौरान, उन्होंने विभिन्न कमांड, स्टाफ और निर्देशात्मक नियुक्तियों पर काम किया है। वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार ने आईएनएस निशंक, मिसाइल कार्वेट, आईएनएस कोरा और गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर आईएनएस रणवीर पर कार्य किया है। साथ ही उन्होंने भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोत आईएनएस विराट पर भी बतौर कमांडर अपनी सेवाएँ प्रदान की हैं। उन्होंने पश्चिमी बेड़े के संचालन अधिकारी के रूप में भी कार्य किया। वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार ने ‘नेवल वॉर कॉलेज’ (अमेरिका), आर्मी वॉर कॉलेज (महू) और रॉयल कॉलेज ऑफ डिफेंस स्टडीज़ (यूके) में अध्ययन किया है। वाइस एडमिरल आर. हरि कुमार को परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया है।

‘लॉजिस्टिक्स ईज़ अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स’ इंडेक्स

सरकार द्वारा जारी हालिया ‘लॉजिस्टिक्स ईज़ अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स’ (LEADS) इंडेक्स के मुताबिक, गुजरात, हरियाणा और पंजाब, ‘माल’ (Goods) की गतिशीलता और रसद शृंखला की दक्षता के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। इसके अलावा शीर्ष पाँच राज्यों की सूची में तमिलनाडु और महाराष्ट्र भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड ने वर्ष 2019 की रैंकिंग की तुलना में उल्लेखनीय सुधार किया है और शीर्ष सुधारकर्त्ता के रूप में उभरे हैं। वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया ‘लॉजिस्टिक्स ईज अक्रॉस डिफरेंट स्टेट्स’ (LEADS) इंडेक्स वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा विकसित किया गया है और यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को माल व्यापार को बढ़ावा देने हेतु प्रदान किये गए लॉजिस्टिक समर्थन के मामले में रैंक प्रदान करता है। यह रैंकिंग अन्य मापदंडों के साथ-साथ मूल्य निर्धारण की प्रतिस्पर्द्धात्मकता, समयबद्धता, बुनियादी अवसंरचना की उपलब्धता और सेवाओं की उपलब्धता जैसे मापदंडों पर आधारित है। इसका उद्देश्य राज्यों को उनके लॉजिस्टिक्स से संबंधित बुनियादी अवसंरचना में सुधार के लिये नीतिगत प्रोत्साहन प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित करना है।

‘4660 नेरेस’ एस्ट्रॉयड 

हाल ही में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन एजेंसी’ (NASA) ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि ‘4660 नेरेस’ नामक एक एस्ट्रॉयड/क्षुद्रग्रह पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह एस्ट्रॉयड फुटबॉल पिच के आकार से लगभग तिगुना बड़ा और एफिल टॉवर जितना लंबा है। नासा द्वारा ‘4660 नेरेस’ एस्ट्रॉयड को ‘संभावित रूप से खतरनाक क्षुद्रग्रह’ (PHA) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। नासा के एस्टेरॉयड मॉनिटर के मुताबिक, यह 11 दिसंबर के आसपास पृथ्वी के करीब पहुँचेगा। रिपोर्ट के मुताबिक, पृथ्वी से क्षुद्रग्रह की दूरी 3.9 मिलियन किलोमीटर यानी पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से 10 गुना होगी। यह क्षुद्रग्रह 330 मीटर लंबा है। वर्ष 1982 में अमेरिकी खगोलशास्त्री’ एलेनोर एफ. हेलिन’ द्वारा खोजा गया यह उपग्रह कथित तौर पर क्षुद्रग्रहों के ‘अपोलो समूह’ का सदस्य है, जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। यह क्षुद्रग्रह मार्च 2031 और नवंबर 2050 में भी पृथ्वी के करीब से गुज़रेगा।

श्रमिक मित्र योजना

दिल्ली सरकार ने निर्माण कार्यों में लगे श्रमिकों की सहायता के लिये हाल ही में 'श्रमिक मित्र' योजना शुरू की है। यह योजना सुनिश्चित करेगी कि सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों का लाभ राष्ट्रीय राजधानी में निर्माण श्रमिकों तक पहुँचे। ध्यातव्य है कि श्रमिकों के लाभ के लिये सरकार द्वारा कई योजनाएँ विकसित की जाती हैं, लेकिन अधिकांश श्रमिकों को इनके विषय में ज्ञान ही नहीं होता है। ऐसे में इस कार्यक्रम का उद्देश्य श्रमिकों को इन योजनाओं के लाभों से अवगत कराना है। ‘श्रमिक मित्र’ योजना के तहत सरकार निर्माण श्रमिकों तक पहुँचकर उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देगी। इस कार्य के लिये कुल 800 'श्रमिक मित्रों' की नियुक्ति की जाएगी।


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