रैपिड फायर
समुद्री प्रदूषण का समुद्री पक्षियों पर प्रभाव
स्रोत: डाउन टू अर्थ
एक शोध में पता चला है कि समुद्री पक्षियों द्वारा प्लास्टिक निगलने से न केवल उन्हें शारीरिक क्षति होती है, बल्कि यह उनके हार्मोनल तंत्र भी बाधित होता है, जिससे दीर्घकालिक जैविक जोखिम उत्पन्न होते हैं।
- अल्बाट्रॉस, पेट्रेल और शीयरवाटर (प्रोसेलेरिफॉर्मिस समूह के सदस्य) जैसे समुद्री पक्षी अपने भोजन खोजने के व्यवहार और अद्वितीय पाचन तंत्र के कारण प्लास्टिक के अंतर्ग्रहण की उच्च क्षमता रखते हैं।
- निगले गए प्लास्टिक से शारीरिक क्षति हो सकती है (जैसे, रुकावट, छिद्र, कुपोषण) और विषाक्त रसायन का उत्सर्जन हो सकता हैं, जो हार्मोनों को प्रभावित करते हैं।
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण: समुद्री कचरे का 80% प्लास्टिक प्रदूषण है, जिसमें हर साल 8–10 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक समुद्र में पहुँचता है। वर्ष 2050 तक, समुद्र में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक का वजन अधिक हो सकता है।
- वर्तमान में 50-75 ट्रिलियन प्लास्टिक के भाग हमारे महासागरों को प्रदूषित करते हैं, विशाल अपशिष्ट के रूप में एकत्रित होते हैं या सूक्ष्म प्लास्टिक कणों में टूट जाते हैं।
- समुद्री प्रदूषण जैव विविधता को नुकसान पहुँचाता है, समुद्री जल में ऑक्सीजन के स्तर को कम, गहरे समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित, समुद्री खाद्य शृंखला को दूषित करता है तथा मानव स्वास्थ्य एवं तटीय आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक प्रदूषण और समुद्री अपशिष्ट पर वैश्विक साझेदारी (GPML), वर्ष 2012 में स्थापित, वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण का सामना करने के लिये एक बहु-हितधारक मंच है।
- UNEP स्रोत-से-समुद्र प्रदूषण इकाई इसके सचिवालय के रूप में कार्य तथा ज्ञान-साझाकरण और संयुक्त कार्रवाई का समर्थन करती है।
- वर्ष 1972 के लंदन कन्वेंशन और जहाज़ों से प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (MARPOL) का उद्देश्य जहाज़ों और अपशिष्ट डंपिंग के उत्सर्जन से होने वाले समुद्री प्रदूषण को रोकना है।
और पढ़ें: प्लास्टिक समुद्री प्रदूषण
रैपिड फायर
INS तमाल
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
भारतीय नौसेना को रूस से उन्नत स्टील्थ युद्धपोत INS तमाल प्राप्त होने वाला है।
- परिचय: तमाल एक स्टील्थ युद्धपोत है, जिसे वर्ष 2016 में हुए भारत -रूसी समझौते के तहत निर्मित किया गया है, जिसमें दो पोत रूस में और दो भारत में बनाए गए हैं।
- INS तमाल इस शृंखला में रूस द्वारा निर्मित दूसरा फ्रिगेट है, जो INS तुशील (जिसे दिसंबर 2024 में नौसेना में शामिल किया गया था) के बाद आता है।
- उन्नत विशेषताएँ:
- सटीक हमले: यह युद्धपोत प्रति अभियान 30 नॉट की गति और 3,000 किमी की रेंज तक संचालन करने में सक्षम है।
- पनडुब्बी रोधी हथियार: इसमें टॉरपीडो और ब्रह्मोस जैसी रॉकेट प्रणालियाँ लगी हैं।
- ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता लगभग 300–400 कि.मी है और यह मैक 3 के समीप की गति से चलती है, जिससे तीव्र प्रतिक्रिया संभव होती है।
- हेलीकॉप्टर तैनाती: यह युद्धपोत बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर संचालित कर सकता है, जिससे निगरानी और युद्ध क्षमता में वृद्धि होती है।
- स्टील्थ डिज़ाइन: इसका निर्माण इस प्रकार किया गया है कि यह रडार से बच सके, जिससे आधुनिक नौसैनिक युद्ध में इसकी उत्तरजीविता क्षमता बढ़ जाती है।
और पढ़ें: INS तुशील
रैपिड फायर
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेता 'लोक सेवक' घोषित
स्रोत: द हिंदू
भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने दिल्ली उच्च न्यायालय के इस दृष्टिकोण को मान्यता दी कि लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेता भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत 'लोक सेवक' हैं, क्योंकि उनकी भूमिका कानूनी लेन-देन में महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले स्टाम्प पेपर की उपलब्धता सुनिश्चित करने से संबंधित है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने उल्लेख किया कि लाइसेंस प्राप्त स्टाम्प विक्रेताओं को सरकार द्वारा कमीशन या छूट के माध्यम से पारिश्रमिक प्राप्त होता है, जो उन्हें लोक सेवा और राज्य द्वारा प्रदत्त वेतन से जोड़ता है।
- लोक सेवक: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 2(c) के तहत ‘लोक सेवक’ वह व्यक्ति होता है जो सरकार की सेवा में हो या उससे वेतन प्राप्त करता हो।
- इसमें वे व्यक्ति भी शामिल होते हैं जिन्हें किसी सार्वजनिक कर्तव्य के निर्वहन के लिये सरकार द्वारा शुल्क या कमीशन के रूप में पारिश्रमिक दिया जाता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘लोक सेवक’ शब्द की व्याख्या व्यापक और उद्देश्यपरक तरीके से की जानी चाहिये, ताकि भ्रष्टाचार निवारण कानून के उद्देश्यों की रक्षा हो सके।
और पढ़ें: PMLA के तहत लोक सेवकों के विरुद्ध अभियोजन हेतु पूर्व अनुमति
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AI-सक्षम जल एटलस
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
हरियाणा द्वारा हरियाणा जल संसाधन एटलस 2025 लॉन्च किया है, जो एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) संचालित भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म है जो राज्य के तेज़ी से घटते जल भंडार की निगरानी, प्रबंधन और संरक्षण करता है।
AI-सक्षम जल एटलस
- यह मंच भूजल स्तर, सतही जल निकायों, जलभृतों, पुनर्भरण क्षेत्रों, नहर प्रणालियों और फसल प्रतिरूप के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करता है ।
- यह उपग्रह डेटा, GPS सर्वेक्षण, IMD मौसम संबंधी इनपुट और केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB), सिंचाई व कृषि विभागों के डेटा को एकीकृत करके जल संरक्षण, टिकाऊ कृषि और बुनियादी ढाँचे की योजना के लिये वास्तविक समय, डेटा-संचालित समर्थन प्रदान करता है ।
भारत AI की मदद से प्रभावी जल प्रबंधन में कदम बढ़ा रहा है। हाल ही में, IIT खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने पीने के जल में आर्सेनिक प्रदूषण का पता लगाने के लिये एक AI-आधारित भविष्यवाणी मॉडल भी विकसित किया है ।
और पढ़ें: भारत में जल प्रबंधन को प्रभावी बनाना
रैपिड फायर
अमेरिका ने भारत को 'प्रायोरिटी वॉच लिस्ट' में रखा
स्रोत: द हिंदू
संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने वर्ष 2025 की स्पेशल 301 रिपोर्ट के तहत भारत को अपनी 'प्रायोरिटी वॉच लिस्ट' (PWL) में शामिल किया है, यह कहते हुए कि बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) की सुरक्षा और प्रवर्तन में लगातार चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
- यह USTR स्पेशल 301 रिपोर्ट में प्रयुक्त एक वर्गीकरण है, जो उन देशों को चिह्नित करता है, जिनमें IP संरक्षण और प्रवर्तन में बड़ी कमियाँ हैं, जो अमेरिकी नवाचार तथा व्यवसायों के लिये जोखिम उत्पन्न करते हैं।
- संभावित प्रभाव:
- यदि देशों ने महत्त्वपूर्ण सुधारों का प्रदर्शन करने में विफलता जताई, तो USTR औपचारिक व्यापार जाँच प्रारंभ कर सकता है या प्रतिबंध लगा सकता है।
- भारत की प्रायोरिटी वॉच लिस्ट में स्थिति अमेरिकी व्यापार वार्ता पर प्रभाव डाल सकती है, लेकिन भारत का कहना है कि इसके IP कानून WTO, TRIPS अनुपालन के अनुरूप हैं।
और पढ़ें: अमेरिका की प्रायोरिटी वॉच लिस्ट