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डेली न्यूज़

  • 20 Nov, 2018
  • 36 min read
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चिन्नार वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में दुर्लभ पक्षी प्रजाति

चर्चा में क्यों?

केरल के चिन्नार वाइल्डलाइफ सेंक्चुरी में श्रीलंकन प्रॉगमाउथ (Srilankan Frogmouth) नामक एक दुर्लभ पक्षी देखा गया है जिसके बाद से यह पक्षी विज्ञानियों की रुचि का विषय बना हुआ है। पहली बार इसे पश्चिमी घाट के पूर्वी इलाके में देखा गया है।

श्रीलंकन प्रॉगमाउथ

  • यह पक्षी बाट्राकॉस्टोमस मॉनीलिजर प्रजाति (Batrachostomus Moniliger Species) से संबंधित है जिसे चिन्नार सेंक्चुरी में देखा गया है।
  • इसका आवास सामान्यत: पश्चिमी घाट के जंगलों के पश्चिमी भाग तक ही सीमित रहता है।
  • यह यूरोप एवं शीतोष्ण एशिया में प्रजनन करने वाले सायंकालीन और रात्रिचर (Nocturnal) पक्षी, नाइटजार (Nightjar) का संबंधी माना जाता है।
  • इसका पंसदीदा आवास वैसे शुष्क एवं खुले क्षेत्र होते हैं जहाँ कुछ मात्रा में छोटे वृक्ष या झाड़ियाँ पाई जाती हैं।
  • श्रीलंकन प्रॉगमाउथ सामान्यतया दिन के समय छोटे वृक्ष की शाखाओं पर आराम करते हैं। इनकी शांतिपूर्ण उपस्थिति के कारण इन पर गौर करना मुश्किल हो जाता है।
  • नाइटजार पक्षी की तरह यह पक्षी भी कीड़ों को खाता है एवं मुख्यत: रात के समय ही शिकार की तलाश करता है।
  • इस पक्षी की मुख्य विशेषता यह है कि अप्रैल-मई के मेटिंग सीज़न के बाद यह एक साल में एक ही अंडा देता है।
  • इसका घोंसला मॉस, लाइकेन और मुलायम पौधों की पत्तियों तथा पेड़ की छाल की मदद से तैयार होता है।
  • जन्म के कुछ समय बाद नर पक्षी घोंसले को तोड़कर नवजात पक्षी के साथ उड़ जाता है।
  • पक्षी विज्ञानियों के अनुसार, श्रीलंका में इस पक्षी का अनूठा आवास पाया जाता है और साथ ही यह मत भी है कि ये थट्टेकड बर्ड सेंक्चुरी में भी पाए जाते हैं।

थट्टेकड बर्ड सेंक्चुरी, केरल

  1. ‘सलीम अली बर्ड सेंक्चूरी’ को ही थट्टेकड बर्ड सेंक्चुरी के नाम से भी जाना जाता है।
  2. यह पेरियार नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित ऐर्नाकुलम ज़िले के कोठामंगलम तालुक में अवस्थित है।
  3. ‘बर्डमैन ऑफ इंडिया’ डॉ. सलीम अली की अनुशांसाओं के आधार पर 1983 में इस सेंक्चुरी को अधिसूचित किया गया था।
  4. काफी समय से इसकी उपस्थिति दर्ज नहीं किये जाने के कारण इस प्रजाति को राज्य से विलुप्त माना जाने लगा था। परंतु 1976 में थट्टेकड में इसे पुन: देखा गया था।
  5. केरल में थट्टेकड बर्ड सेंक्चुरी के अतिरिक्त नेलियामपैथी, चिम्मिनी, परंम्बकुलम, थेनमाला एवं वायनाड में भी इसे देखे जाने की रिपोर्ट पहले आ चुकी है।
  6. यह पक्षी कर्नाटक, गोवा एवं महाराष्ट्र में भी पाया जाता है।

विविध

भ्रष्टाचार नहीं है भारत में व्यवसाय करने हेतु प्रमुख बाधा

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जारी की गई यूके इंडिया बिज़नेस काउंसिल की व्यापार में सुगमता रिपोर्ट के नवीनतम संस्करण के अनुसार, यू.के. के व्यवसायियों के बीच यह धारणा कि भ्रष्टाचार, भारत में व्यवसाय करने में एक बड़ी बाधा है, ऐसा मानने वाले लोगों की संख्या में 2015 की रिपोर्ट की तुलना में आधे की कमी आई है।

प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि “जब पहली रिपोर्ट जारी की गई थी, तब से लेकर अब तक 'भ्रष्टाचार' को एक प्रमुख बाधा के रूप में देखने वाली कंपनियों की संख्या में साल दर साल गिरावट देखी गई है।”
  • वर्ष 2015 में भ्रष्टाचार को प्रमुख बाधा मानने वाली कंपनियाँ जहाँ 51% थीं, वहीं 2016 में 34% तथा 2017 में लगभग आधी या 25% रह गई हैं।
  • यह गिरावट एक बड़े सुधार को दर्शाती है, जो इस बात का संकेत है कि वर्तमान सरकार के भ्रष्टाचार को कम करने के प्रयास मूर्त और अधिक वांछित परिणाम देने वाले प्रतीत हो रहे हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि "इस सर्वेक्षण के चार साल की अवधि के दौरान वर्तमान में भारत में व्यवसाय करने वाले लोगों के बीच उन लोगों की तुलना में जो कि वर्तमान में भारत में सक्रिय नहीं हैं, एक बड़े बाधा के रूप में 'भ्रष्टाचार' की पहचान करने वालों में नाटकीय रूप से गिरावट आई है [पिछले दो वर्षों में 27% की गिरावट], जहाँ इसे अब शीर्ष तीन बाधाओं के रूप में नहीं देखा जाता।"
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि आधार, सरकारी दस्तावेज़ों के इलेक्ट्रॉनिक सबमिशन, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की स्वीकृति और करों को ऑनलाइन फाइल करने पर ज़ोर जैसी सभी पहलों ने आमने-सामने की परस्पर क्रियाओं को कम किया है, जहाँ भ्रष्टाचार की सर्वाधिक संभावना होती है।
  • डिजिटलीकरण का विस्तार यद्यपि विभिन्न क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से भिन्न है किंतु बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में शामिल लोग अभी भी भ्रष्टाचार से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों की शिकायत करते हैं।
  • रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रमशः 36% उत्तरदाताओं द्वारा कराधान के मुद्दों और 29% द्वारा 'मूल्य बिंदु' को प्रमुख बाधाओं के रूप में चिह्नित किया गया है तथा इन दोनों बाधाओं ने भ्रष्टाचार को पीछे छोड़ दिया है।
  • हालाँकि, 'कराधान मुद्दों' की पहचान करने वाले उत्तरदाताओं का अनुपात 2017 की तुलना में 2018 में 3% कम था, जो बताता है कि व्यवसाय जीएसटी को समायोजित करने का कार्य शुरू कर सकते हैं।
  • वर्तमान में भारत में व्यवसाय करने वाले लोग लगातार बाधा के रूप में 'कराधान मुद्दों' का हवाला देते हैं, जबकि भारतीय बाज़ार में प्रवेश के इच्छुक लोग 2017 से 2018 तक 'कानूनी और नियामक बाधाओं' की शिकायतों में काफी गिरावट आने के बाद 'उपयुक्त भागीदार की पहचान' को अपने सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दे के रूप में मानते हैं।
  • उन लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण मुद्दा भारत के बाहर अपने उत्पादों और सेवाओं हेतु तेज़ी से बाज़ार की मांग के सापेक्ष सरकारी और नौकरशाही से संबंधित बाधाएँ हैं।
  • हालाँकि अधिकांश उत्तरदाताओं ने सहमति व्यक्त की कि तेज़ी से मंज़ूरी के लिये शुरू की गई सरकार की 'ई-बिज़' पहल कारोबारी माहौल में सुधार करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार अनुमोदन के संबंध में पारदर्शिता की कमी से जुड़ी महत्त्वपूर्ण शिकायतें, विशेषकर निवेश के लिये सांविधिक मंज़ूरी के मामले में बनी हुई हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था

विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) नीति अध्ययन रिपोर्ट

भारत की वर्तमान विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone-SEZ) नीति अध्‍ययन रिपोर्ट केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग और नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु को सौंपी गई। इस नीति अध्‍ययन रिपोर्ट को तैयार करने के लिये देश के प्रसिद्ध उद्योगपति भारत फोर्ज लिमिटेड के चेयरमैन बाबा कल्‍याणी की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी। इस समिति को सेज़ नीति का आकलन करने और इसे विश्‍व व्‍यापार संगठन (World Trade Organisation-WTO) के मानकों के अनुरूप बनाने के लिये सुझाव देने को कहा गया था

इसके अलावा सेज़ की खाली पड़ी भूमि का अधिकतम उपयोग सुनिश्‍चित करने के उपाय सुझाने और अंतर्राष्‍ट्रीय अनुभवों के आधार पर सेज़ नीति में आवश्‍यक बदलाव सुझाने की जिम्मेदारी भी इस समिति को दी गई थी। इनके साथ ही तटीय आर्थिक ज़ोन (Coastal Economic Zone), दिल्‍ली-मुंबई इकोनॉमिक कॉरीडोर, राष्‍ट्रीय औद्योगिक विनिर्माण ज़ोन और टेक्‍सटाइल पार्कों जैसी अन्‍य सरकारी योजनाओं के साथ सेज़ नीति का विलय करने के बारे में सुझाव देने की जिम्‍मेदारी भी इस समिति को सौंपी गई थी।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत को वर्ष 2025 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्‍यवस्‍था में तब्‍दील होना है तो विनिर्माण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी क्षमता के साथ-साथ सेवाओं से जुड़े मौजूदा परिवेश में भी बुनियादी बदलाव सुनिश्‍चित करने होंगे। साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी और इससे जुड़ी सेवाओं के क्षेत्र में मिली कामयाबी को स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं, वित्‍तीय सेवाओंकानूनीमरम्‍मत और डिजाइन सेवाओं जैसे अन्‍य सेवा क्षेत्रों/सेक्‍टरों में भी सुनिश्‍चित करना होगा।  

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण क्षेत्र में विकास की गति तेज करने के लिये मौजूदा नीतिगत रूपरेखाओं का आकलन करने की ज़रूरत है। इसके साथ ही संबंधित नीति को WTO के प्रासंगिक नियम-कायदों के अनुरूप बनाने की भी ज़रूरत है।

क्या है सेज़ (Special Economic Zone)?

विशेष आर्थिक क्षेत्र अथवा सेज़ (SEZ) विशेष रूप से पारिभाषित उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं, जहाँ से व्यापार, आर्थिक क्रियाकलाप, उत्पादन तथा अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को संचालित किया जाता है। ये क्षेत्र देश की सीमा के भीतर विशेष आर्थिक नियम-कायदों को ध्यान में रखकर व्यावसायिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित किये जाते हैं। भारत उन शीर्ष देशों में से एक है, जिन्होंने उद्योग तथा व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये विशेष रूप से ऐसी भौगोलिक इकाइयों को स्थापित किया। भारत पहला एशियाई देश है, जिसने निर्यात को बढ़ाने के लिये 1965 में कांडला में एक विशेष क्षेत्र की स्थापना की थी। इसे एक्सपोर्ट प्रोसेसिंग ज़ोन (EPZ) नाम दिया गया था।


विविध

ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट

चर्चा में क्यों?

बर्लिन में यूनेस्को (UNESCO) की 2019 ग्लोबल एजुकेशन मॉनीटरिंग रिपोर्ट, प्रवासन, विस्थापन और एजुकेशन (Global Monitoring Report, Migration, Displacement and Education) जारी की गई। यूनेस्को द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया में वर्ष 2000 के बाद आप्रवासी तथा स्कूल जाने की उम्र वाले शरणार्थी बच्चों की संख्या में 26% की वृद्धि हुई है।

वैश्विक परिदृश्य

  • यह रिपोर्ट आप्रवासी तथा शरणार्थी बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा का लाभ प्राप्त करने के अधिकार (एक ऐसा अधिकार जो शिक्षार्थी तथा समुदाय जिसमें वे रहते हैं, के हित में कार्य करता है) क्षेत्र में देशों की उपलब्धियों तथा त्रुटियों को प्रमुखता से दर्शाती है।
  • इन बच्चों के लिये गुणवत्तापरक शिक्षा के अधिकार को प्रतिदिन कक्षाओं और स्कूलों के प्रांगण में चुनौती दी जाती है तथा कुछ देशों की सरकारों द्वारा यह अधिकार प्रदान करने से इनकार भी किया जाता है।
  • इसके बावजूद शरणार्थियों को आश्रय प्रदान करने वाले शीर्ष 10 देशों में से 8 में राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में शरणार्थी बच्चों को शामिल करने की दर में वृद्धि हुई है। शरणार्थियों की हिमायत करने वाले इन देशों में चाड, इथियोपिया और युगांडा जैसे निम्न आय वाले देश शामिल हैं। कनाडा और आयरलैंड आप्रवासियों के लिये समावेशी शिक्षा नीतियों को लागू करने में सबसे आगे हैं।

शरणार्थियों के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट?

  • पूरी दुनिया में विस्थापित लोगों की संख्या में आधे से अधिक 18 वर्ष तक की आयु वाले हैं फिर भी बहुत से देश ऐसे हैं जो इन शरणार्थियों को अपनी राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली से बाहर रखते हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया, हंगरी, इंडोनेशिया, मलेशिया और मेक्सिको जैसे देशों में यदि शरणार्थी बच्चों की शिक्षा तक पहुँच है भी, तो वह सीमित है।
  • बांग्लादेश में रोहिंग्या (Rohingyas) शरणार्थी, यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ़ तंज़ानिया (United Republic Of Tanzania) में बुरुंडी (Burundian) शरणार्थी, थाईलैंड (Thailand) में करेन (Karen) शरणार्थी और पाकिस्तान में बहुत से अफगान शरणार्थी केवल अलग, गैर-संगठित, समुदाय आधारित या निजी स्कूलों में शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, इनमें से कुछ तो प्रमाणित भी नहीं हैं। उदाहरण के लिये-
  1. केन्या शरणार्थियों को अपनी राष्ट्रीय शैक्षणिक पाठ्यक्रम का लाभ उठाने की अनुमति तो देता है लेकिन पूरी तरह से उन्हें समावेशित नहीं कर पाता है क्योंकि ये शरणार्थी कैंपों में रहते हैं जहाँ वे अपने केन्याई समकक्षों से बातचीत करने में असमर्थ होते हैं।
  2. लेबनॉन और जॉर्डन दोनों ऐसे देश हैं जहाँ प्रति व्यक्ति के हिसाब से शरणार्थियों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन इनके पास शरणार्थियों हेतु और अधिक स्कूलों का निर्माण करने के लिये संसाधनों की कमी है। इसलिये इन देशों ने अपने देश के नागरिकों और शरणार्थियों के लिये मॉर्निंग और इवनिंग शिफ्ट में स्कूलों की व्यवस्था की है जिससे इन दोनों समूहों के बीच सीमित बातचीत होती है।
  • यह रिपोर्ट रवांडा और इस्लामिक गणराज्य ईरान जैसे देशों द्वारा शरणार्थियों तथा नागरिकों को एक साथ शिक्षा उपलब्ध कराने के क्रम में किये गए महत्त्वपूर्ण निवेश को स्वीकार करती है। पूर्वी अफ्रीका के 7 देशों की तरह तुर्की भी वर्ष 2020 तक सभी शरणार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में शामिल करने के लिये प्रतिबद्ध है। युगांडा पहले ही यह वादा पूरा कर चुका है।
  • निम्न तथा माध्यम आय वाले देशों में लगभग 89% शरणार्थी रहते हैं लेकिन इन देशों में शरणार्थियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये धन की कमी है। ऋण दाता देशों को शरणार्थी बच्चों की शिक्षा और लंबी अवधि तक समर्थन को सुनिश्चित करने के लिये अपने व्यय को तीन गुना करने की आवश्यकता है।

आप्रवासियों (Immigrants) के बारे में क्या कहती है रिपोर्ट?

  • उच्च आय वाले देशों में वर्ष 2005 से 2017 के बीच आप्रवासी पृष्ठभूमि वाले छात्रों की संख्या 15% से बढ़कर 18% हो गई। अब इनकी संख्या 36 मिलियन है जो कि पूरे यूरोप में स्कूल जाने वालों छात्रों की संख्या के बराबर है। यदि इनकी संख्या में इसी दर से वृद्धि होती रही तो वर्ष 2030 तक यह वृद्धि 22% तक हो सकती है।
  • वर्ष 2017 में यूरोपीय संघ में आप्रवासी छात्रों ने स्थानीय छात्रों की तुलना में अधिक पहले स्कूल छोड़ दिया। वर्ष 2015 में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (Organization for Economic Cooperation and Development- OECD) में शामिल देशों में पहली पीढ़ी के आप्रवासी छात्रों की संख्या पढ़ने, गणित और विज्ञान में बुनियादी कौशल हासिल करने में स्थानीय छात्रों की तुलना में 32% कम थी।
  • कनाडा में जहाँ आप्रवासियों की संख्या का प्रतिशत, सात सबसे अधिक समृद्ध देशों के बीच सर्वाधिक है, यह सुनिश्चित करता है कि बच्चे दूसरी कक्षा से ही आप्रवासन के बारे में जानें और इसने अपने संविधान में बहु-संस्कृतिवाद को भी शामिल किया है।
  • आयरलैंड, जहाँ पहली पीढ़ी के आप्रवासियों की संख्या यूरोपीय संघ में सर्वाधिक है, गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद अंतर-सांस्कृतिक शैक्षणिक रणनीति को वित्तपोषित करने में सफल रहा है।

भारत के परिदृश्य में

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2013 में भारत में, 6 से 14 वर्ष के 10.7 मिलियन बच्चे ग्रामीण परिवारों में रहते थे ये ऐसे परिवार हैं जो मौसम के अनुसार प्रवास करते हैं। इन परिवारों में 15 से 19 वर्ष की आयु के 28% युवा या तो अशिक्षित थे या इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा भी पूरी नहीं की थी।
  • सात शहरों में मौसमी प्रवासी बच्चों की कुल संख्या का 80% ऐसा था जिनके कार्यस्थल के पास शिक्षा की व्यवस्था नहीं थी और 40 प्रतिशत संख्या ऐसी थी जिन्हें शिक्षा प्राप्त करने के स्थान पर कार्य का चुनाव करना पड़ा तथा इन बच्चों ने दुर्व्यवहार और शोषण का अनुभव भी किया।
  • रिपोर्ट के अनुसार, निर्माण क्षेत्र में अल्पकालिक प्रवासियों की संख्या बहुत अधिक होती है। 2015-16 में पंजाब राज्य में 3,000 ईंट भट्ठी श्रमिकों पर किये गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि इन श्रमिकों में 60% संख्या अंतर्राज्यीय प्रवासियों की थी। भट्टों में रहने वाले 5 से 14 वर्ष के सभी बच्चों में से 65% से 80% के बीच ऐसे बच्चे थे जो प्रतिदिन 7-9 घंटे काम करते थे। लगभग 77% भट्ठी श्रमिकों ने अपने बच्चों की प्राथमिक शिक्षा तक पहुँच की कमी के बारे में सूचना दी।
  • रिपोर्ट के अनुसार, अंतर्राज्यीय प्रवासन की दर 2001 और 2011 के बीच दोगुनी हो गई है। अनुमानतः 2011 से 2016 तक 9 मिलियन लोगों ने राज्यों के बीच प्रवासन किया।

  • यह उन बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव की भी चेतावनी देता है जिनके माता-पिता उन्हें छोड़कर कार्य करने के लिये चले गए।
  • हालाँकि रिपोर्ट में भारत द्वारा इस क्रम में किये गए कुछ प्रयासों की सराहना भी की गई है। जो इस प्रकार हैं-
  • 2009 में शिक्षा का अधिकार कानून के तहत स्थानीय निकायों में प्रवासी बच्चों के प्रवेश को अनिवार्य बनाया जाना।
  • राष्ट्रीय स्तर पर दिशा-निर्देश जारी किये गए जो कि बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया को आसान बनाने, गतिशील (mobile) शिक्षा के समर्थन के लिये परिवहन और स्वयंसेवकों की उपलब्धता, मौसमी प्रवासियों के लिये छात्रावास बनाने और ज़िलों तथा राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने की अनुमति देता है।
  • कुछ राज्यों द्वारा भी प्रवासी बच्चों की शिक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए। हालाँकि ये प्रयास उन प्रवासी लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने की बजाय बच्चों को सामुदायिक गृहों में रखने पर केंद्रित हैं जो पहले से ही सक्रिय हैं।
  • यह रिपोर्ट उस पहल कि असफलता को भी दर्शाती है जिसकी शुरुआत 2010-11 में राजस्थान में ईंट भट्टा साइटों पर ऐसे बच्चों के लिये की गई थी जिन्होंने स्कूल जाना छोड़ दिया था।
  • इन साइटों पर शिक्षकों ने संस्कृति, भाषा, जीवनशैली, सफाई और कपड़ों को उनके और भट्ठी पर काम करने वाले समुदाय के बीच प्रमुख बाधाओं के रूप में उद्धृत किया। शिक्षक और छात्र अनुपस्थिति भी व्यापक रूप से देखी गई।
  • रिपोर्ट के अनुसार, भारत में झोपड़ियों और अनौपचारिक बस्तियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है जहाँ स्कूल होना दुर्लभ ही होता है।

रिपोर्ट में दिए गए सुझाव

  • आप्रवासियों तथा विस्थापित लोगों के लिये शिक्षा का अधिकार सुरक्षित किया जाए।
  • आप्रवासियों तथा शरणार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जाए।
  • आप्रवासियों तथा शरणार्थियों की शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं को समझा जाए तथा उन्हें पूरा करने के लिये योजना बनाई जाए।
  • पूर्वाग्रह को समाप्त करने के लिये शिक्षा में आप्रवासन तथा विस्थापन को सही ढंग से शामिल किया जाए।
  • विभेद तथा मुसीबतों को समाप्त करने के लिये आप्रवासियों तथा शरणार्थियों के लिये शिक्षक तैयार किये जाएँ।
  • प्रवासियों तथा विस्थापित लोगों की सामर्थ्य को उपयोग में लाया जाए।
  • मानवतावादी तथा विकास संबंधी सहायता राशि के माध्यम से आप्रवासियों तथा विस्थापित लोगों की शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं का समर्थन किया जाए।

निष्कर्ष

  • चीन और भारत दोनों ऐसे देश हैं जहाँ की एक बड़ी आबादी आतंरिक रूप से प्रवासन करती है और रिपोर्ट से पता चलता है कि मौसमी प्रवासन का शिक्षा पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • इसलिये, यूनेस्को की रिपोर्ट नीति निर्माताओं से झोपड़ियों में रहने वाले ग्रामीण प्रवासी बच्चों के लिये सार्वजनिक शिक्षा को मज़बूत करने का आग्रह करती है।
  • प्रवासन और विस्थापन दोनों वैश्विक चुनौतियाँ हैं जिन्हें सामान्य रूप से 17 सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) और विशेष रूप से SDG 4 यानी 'विशेष रूप से समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापरक शिक्षा सुनिश्चित करना और सभी के लिये आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना’ है।

प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स : 20 नवंबर, 2018

उत्तर क्षेत्र का राजभाषा सम्मेलन

राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय के तत्‍वावधान में वर्ष 2017-18 के पहले क्षेत्रीय सम्‍मेलन (Official Language Conference of Northern Region) का आयोजन उत्‍तर-1 (North-1) एवं उत्‍तर-2 (North-2) क्षेत्र के क्षेत्रीय कार्यान्‍वयन कार्यालयों द्वारा चंडीगढ़ में आयोजित किया गया।

  • इस सम्‍मेलन में दिल्‍ली संघ राज्‍य क्षेत्र, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्‍मू-कश्‍मीर, राजस्‍थान, उत्‍तर प्रदेश एवं उत्‍तराखंड से आए केंद्र सरकार के कार्मिकों ने भाग लिया।
  • इस सम्मलेन का मुख्‍य उद्देश्‍य इन क्षेत्रों में स्‍थित केंद्र सरकार के विभिन्‍न कार्यालयों, बैंकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों एवं नगर राजभाषा कार्यान्‍वयन समितियों के विजेताओं को पुरस्‍कार प्रदान करना था, ताकि संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्‍वयन और प्रचार-प्रसार को बढ़ावा मिल सके।

औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली

  • हाल ही में वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy & Promotion- DIPP) द्वारा ‘औद्योगिक पार्क रेटिंग प्रणाली’ (Industrial Park Rating System- IPRS) पर तैयार की गई रिपोर्ट जारी की गई।
  • औद्योगिक पार्कों की रेटिंग इन 4 बिंदुओं अथवा पैमानों पर की गई है: आंतरिक बुनियादी ढाँचा, बाह्य बुनियादी ढाँचा, कारोबारी सेवाएँ व सुविधाएँ तथा परिवेश और सुरक्षा प्रबंधन।
  • IPRS पर हर साल अमल करने का प्रस्‍ताव है, जिसके तहत देश भर में फैले पार्कों को कवर किया जाएगा। इसका दायरा बढ़ाया जाएगा और इसे अपडेट भी किया जाएगा ताकि गुणात्‍मक आकलन से संबंधित व्‍यापक जानकारियों और विभिन्‍न तकनीकी उपायों को इसमें समाहित किया जा सके।
  • इतना ही नहीं, इसका विकास एक ऐसे साधन के रूप में किया जाएगा जिससे नीति निर्माताओं एवं निवेशकों दोनों को ही मांग एवं आवश्‍यकता आधारित महत्त्वपूर्ण उपाय करने में मदद मिलेगी।

पृष्ठभूमि

  • संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्‍चित करने और विनिर्माण क्षेत्र की दक्षता बढ़ाने के लिये DIPP ने मई, 2017 में औद्योगिक सूचना प्रणाली (Industrial Information System- IIS) लॉन्च की थी, जो देश भर में फैले औद्योगिक क्षेत्रों और क्‍लस्‍टरों के लिये GIS आधारित डेटाबेस है।
  • यह पोर्टल कच्‍चे माल यथा- कृषि, बागवानी, खनिजों एवं प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्‍धता, महत्त्वपूर्ण लॉजिस्‍टिक्स केंद्रों से दूरी, भू-भाग की परतों और शहरी बुनियादी अवसंरचना सहित समस्‍त औद्योगिक सूचनाओं की नि:शुल्‍क एवं आसान पहुँच वाला एकल स्‍थल केंद्र है।

हाथियों को समर्पित देश का पहला अस्पताल

  • मथुरा के चुरमुरा गाँव में पूर्ण रूप से हाथियों को समर्पित देश के पहले अस्पताल की स्थापना की गई है।
  • इस अस्पताल में हाथियों के इलाज के लिये वायरलेस डिजिटल एक्सरे, थर्मल इमेजिंग और अल्ट्रासोनोग्राफी जैसी मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • हाथी संरक्षण और देखभाल केंद्र के निकट स्थित इस अस्पताल को घायल, बीमार या बूढ़े हाथियों के इलाज के लिये डिज़ाइन किया गया है और यहाँ हाथियों को उठाने के लिये चिकित्सा उत्तोलक भी (medical hoist) हैं।

डीयू टीम ने खोजे सींग वाले मेंढक

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University), यूनिवर्सिटी कॉलेज डबलिन (University College Dublin, Ireland) और नेशनल म्यूज़ियम (National Museum-UK) के जीव विज्ञानियों की एक टीम ने पूर्वोत्तर भारत के हिमालयी क्षेत्रों से सींग वाले मेंढकों (horned frogs) की चार नई प्रजातियों की खोज की है।

  • टीम में डीयू के पर्यावरण अध्ययन विभाग के एस.डी बिजू भी शामिल थे, जिन्हें ‘Frogman of India' के नाम से भी जाना जाता है।
  • सींग वाले मेंढकों का नामकरण कुछ प्रजातियों की ऊपरी पलकों पर माँसपेशियों का सींग के सामान उभार होने के कारण किया गया है और इनकी खोज मेघालय एवं अरुणाचल प्रदेश के जंगलों से की गई है।
  • वैज्ञानिकों ने सींग वाले मेंढक की चार नई भारतीय प्रजातियों को हिमालयन हॉर्न्ड फ्रॉग (Megophrys himalayana), गारो व्हाइट लिप्ड हॉर्न्ड फ्रॉग (Megophrys flavipunctata), और जायंट हिमालयन हॉर्न्ड फ्रॉग (Megophrys periosa) नाम दिया है।


विविध

Rapid Fire करेंट अफेयर्स (20 November)

  • 20 नवंबर: यूनिवर्सल चिल्ड्रेंस डे; संयुक्त राष्ट्र ने 1954 में की थी यूनिवर्सल चिल्ड्रेंस डे मनाने की  शुरुआत; भारत में 14 नवंबर को मनाया जाता है चिल्ड्रेंस डे
  • 19 नवंबर को हुआ अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का आयोजन; 19 नवंबर, 1999 को पहली बार त्रिनिडाड और टोबैगो में आयोजित किया गया था अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस
  • रिज़र्व बैंक और सरकार के बीच 9 घंटे तक चली बैठक;  इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के लिये समिति बनाने और प्राम्प्ट करेक्टिव एक्शन फ्रेमवर्क के मुद्दे पर बनी सहमति
  • कलकत्ता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश असीम कुमार रॉय बने पश्चिम बंगाल के नए लोकायुक्त; 2009 से खाली था लोकायुक्त का पद
  • राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद वियतनाम यात्रा के दौरान हिंदू मंदिर My Son गए; सेंट्रल वियतनाम के Quang Nam प्रांत में चौथी से 14वीं ईस्वी के बीच चंपा राजाओं ने बनवाया था मदिरों का यह समूह
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉकचेन आदि पर आधारित को इनोवेशंस को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री ने लॉन्च किया Ease of Doing Business Grand Challenge
  • भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच नई दिल्ली में आयोजित हुई काउंटर टेररिज्म पर जॉइंट वर्किंग ग्रुप की 12वीं बैठक
  • मालदीव की नई सरकार चीन के साथ हुए फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से बाहर निकलेगी; दोनों देशों के बीच भारी व्यापार असंतुलन को बताया इसका कारण
  • 49वाँ भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह गोवा में शुरू; इज़राइल है फोकस कंट्री; फोकस स्टेट है झारखंड
  • केरल सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में देश का पहला पूर्ण डिजिटल राज्य बनने के लिये शुरू किया KOOL प्रोजेक्ट; दुनियाभर में लोकप्रिय Massive Open Online Course पर आधारित है KOOL
  •  2017-18 का पहला उत्तर क्षेत्र का राजभाषा सम्मेलन चंडीगढ़ में आयोजित; राजभाषा नीति के कार्यान्‍वयन और प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देना था इसका उद्देश्य
  • दुर्घटनाएँ रोकने के उद्देश्य से विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर सरकार ने जारी की सीवर तथा सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिये मानक संचालन प्रक्रिया
  • नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से देश के सभी एलीफेंट्स कॉरीडोर्स को इको सेंसिटिव ज़ोन बनाने पर विचार करने को कहा
  • महाराष्ट्र और गुजरात के बाद राज्यभर में हुक्का बार पर प्रतिबंध लगाने वाला तीसरा राज्य बना पंजाब
  • जर्नलिस्ट शुतप पॉल द्वारा लिखी गई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आत्मकथा Didi: The Untold Mamta Banerjee बाजार में जारी
  • 1971 में लोंगोवाल सेक्टर में हुए युद्ध के नायक ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का निधन; 1971 में मिला था महावीर चक्र; फिल्म ‘बॉर्डर’ में सनी देवल ने निभाया था उनका किरदार 

 

 


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