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डेली न्यूज़

कृषि

न्यूनतम समर्थन मूल्य: सुरक्षा कवच से आत्मनिर्भरता तक

प्रीलिम्स के लिये: दलहन, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), अल नीनो, दलहन में आत्मनिर्भरता के लिये मिशन, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना

मुख्य परीक्षा के लिए: भारत में दलहन के उत्पादन और आयात में रुझान, भारत में दलहन के उत्पादन और आयात से संबंधित मुद्दे, दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये आवश्यक उपाय।

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने रबी विपणन मौसम (Rabi Marketing Season- RMS) 2026-27 के लिये 297 लाख मीट्रिक टन (Lakh Metric Tonnes- LMT) की अनुमानित खरीद के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices- MSP) को मंज़ूरी दे दी है। यह MSP नीति में मात्र मूल्य समर्थन से हटकर, विशेष रूप से दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में बदलाव का प्रतीक है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

  • परिभाषा: MSP वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से सीधे फसल खरीदती है, जिससे उन्हें सुनिश्चित आय और बाज़ार की अस्थिरता से सुरक्षा मिलती है।
  • प्रतिबद्धता
    • MSP की सिफारिश कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा की जाती है - जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक संलग्न कार्यालय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी।
    • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) अंतिम मंज़ूरी देती है।
  • विचारित मानदंड:
    • उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति गतिशीलता, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियाँ, अंतर-फसल मूल्य समता तथा कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें।
    • वर्ष 2018-19 से MSP को उत्पादन लागत का 1.5 गुना तय किया गया है, जिससे किसानों के लिये न्यूनतम 50% लाभ मार्जिन सुनिश्चित हो गया है।
  • कवर की गई फसलें:
    • MSP 22 अनिवार्य फसलों हेतु घोषित की जाती है, जिसमें 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और 2 वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं, साथ ही गन्ने के लिये उचित तथा लाभकारी मूल्य (FRP) भी शामिल है।
  • खरीद प्रक्रिया की रूपरेखा
    • अनाज एवं मोटे अनाज: भारतीय खाद्य निगम (FCI) एवं राज्य एजेंसियों द्वारा खरीदे जाते हैं।
    • दलहन, तिलहन, खोपरा: NAFED और NCCF के माध्यम से PM-AASHA की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के अंतर्गत खरीदा गया।
    • कपास एवं जूट: भारतीय कपास निगम (CCI) और भारतीय जूट निगम (JCI) के माध्यम से MSP पर खरीद की जाती है।
    • जूट और कपास के लिये कोई अधिकतम खरीद सीमा नहीं।

भारत के कृषि विकास को समर्थन देने के लिये MSP नीति किस प्रकार विकसित हुई है?

  • सुरक्षा कवच के रूप में MSP: MSP किसानों के लिये एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिले, विशेषकर तब जब बाज़ार मूल्य में उतार-चढ़ाव हो या उत्पादन लागत से नीचे गिर जाता है।
    • न्यूनतम मूल्य की गारंटी देकर, MSP किसानों को संकटकालीन बिक्री से बचाता है तथा बाज़ार की अस्थिरता के समय उन्हें नुकसान उठाने से बचाता है।
  • फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना: यह नीति पोषक अनाजों और तिलहनों को बढ़ावा देती है तथा कृषि को खाद्य सुरक्षा (PDS के माध्यम से) और जलवायु लचीलेपन जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ती है।
    • रागी, नाइजरसीड और सरसों जैसी फसलों के लिये उच्च MSP का उद्देश्य जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना है, जिससे धान जैसी अधिक जल खपत वाली फसलों पर निर्भरता कम हो सके।
  • किसानों के लाभार्थियों में वृद्धि: MSP भुगतान से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या वर्ष 2024-25 की अवधि तक बढ़कर 1.84 करोड़ हो गई है, जो MSP योजना की मापनीयता और ग्रामीण भारत में इसकी व्यापक पहुँच को दर्शाता है।
    • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना, जो दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद की गारंटी देती है, के वित्तीय समर्थन में वृद्धि हुई है, जो 45,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे किसानों की आय को और अधिक समर्थन मिला है।
  • MSP खरीद का विस्तार:र्ष 2014-15 और वर्ष 2024-25 के बीच, MSP के तहत खरीदे गए खाद्यान्न की मात्रा 761 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 1,175 लाख मीट्रिक टन हो गई।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2027 तक दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है तथा सरकार वर्ष 2028-29 तक प्रमुख दाल उत्पादन का 100% हिस्सा खरीदने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • डिजिटल पारदर्शिता: ई-समृद्धि, ई-संयुक्ति और कपास किसान ऐप जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन पंजीकरण, गुणवत्ता मूल्यांकन और प्रत्यक्ष भुगतान को सक्षम बनाते हैं, जिससे देरी और बिचौलियों में कमी आती है।

भारत में MSP से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं और उनसे निपटने के उपाय सुझाएँ?

चुनौतियाँ (Mnemonic: COSTI)

आगे की राह (Mnemonic: GROWTH)

C - Costly Procurement (महॅंगा क्रय): क्रय, भंडारण और सब्सिडी की ऊँची लागत सरकार पर वित्तीय बोझ डालती है जिससे भारतीय खाद्य निगम (FCI) पर दबाव पड़ता है।

G - Greater Coverage (विस्तृत कवरेज़): एमएसपी (MSP) क्रय को दालों, तिलहनों, मोटे अनाजों (मिलेट्स) और अन्य फसलों तक विस्तारित करना ताकि अधिक किसानों को मूल्य सुरक्षा और समावेशन प्राप्त हो सके।

O - Over-reliance on Wheat & Rice (गेहूँ और चावल पर अत्यधिक निर्भरता): चावल और गेहूँ पर केंद्रित नीति एकरूपी खेती (monocropping) को बढ़ावा देती है, जिससे विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी राज्यों में भूजल का दोहन और मृदा क्षरण होता है।

R - Reform Procurement Systems (क्रय प्रणाली में सुधार): स्थानीय क्रय अवसंरचना को सुदृढ़ करना, भंडारण और आपूर्ति शृंखला की दक्षता बढ़ाना, तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना, ताकि वित्तीय दबाव कम हो सके।

S - Skewed Benefits (असमान लाभ वितरण): एमएसपी का लाभ कुछ ही राज्यों और फसलों तक सीमित है, जिससे अधिकांश किसान इससे वंचित रह जाते हैं।

O - Outreach & Awareness (प्रचार और जागरूकता): किसानों में जागरूकता बढ़ाना और पंजीकरण, निगरानी तथा प्रत्यक्ष नकद अंतरण के लिये डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करना ताकि पारदर्शिता और दक्षता बढ़े।

T - Transparency Issues (पारदर्शिता की समस्याएँ): जागरूकता की कमी, कमज़ोर क्रय अवसंरचना और एमएसपी केंद्रों तक सीमित पहुँच के कारण कई किसान एमएसपी लाभ से वंचित रहते हैं।

W - Wider Crop Diversification (व्यापक फसल विविधीकरण): एमएसपी प्रोत्साहनों को सतत्  फसल प्रणालियों के अनुरूप बनाते हुए मिलेट्स, दालें और तिलहन जैसी फसलों की ओर विविधीकरण को बढ़ावा देना ताकि एकरूपी खेती से पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सके।

I - Inefficient Implementation (अप्रभावी कार्यान्वयन): शांता कुमार समिति (2015) की रिपोर्ट के अनुसार केवल 6% किसान ही एमएसपी से लाभान्वित होते हैं, जबकि 94% किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता।

T - Timely Enforcement (समय पर प्रवर्तन): MSP दिशा-निर्देशों की सख्त निगरानी सुनिश्चित करना, नियामक ढाँचे को मज़बूत करना और स्थानीय स्तर पर प्रवर्तन में सुधार लाना।

H - Holistic Approach (समग्र दृष्टिकोण): एमएसपी को आय समर्थन योजनाओं और बाज़ार सुधारों के साथ एकीकृत करके दीर्घकालिक किसान कल्याण और कृषि स्थिरता हेतु समग्र समाधान की दिशा में बढ़ना।

निष्कर्ष

नई MSP स्वीकृतियाँ सरकार की किसान कल्याण और मूल्य आश्वासन के प्रति प्रतिबद्धता को और मज़बूत करती हैं। लागत पर 50% से अधिक लाभ सुनिश्चित करके, डिजिटल खरीद प्लेटफार्मों का विस्तार करके और पीएम-आशा ढाँचे को सशक्त बनाकर, भारत दलहनों, तिलहनों तथा पोषक अनाजों में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है, साथ ही कृषि विविधीकरण एवं आय सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर रहा है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि MSP और PM-AASHA कैसे किसानों की आय में सहायता करते हैं और भारत में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

MSP क्या है?
MSP वह सुनिश्चित मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से सीधे फसल की खरीद करती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का उद्देश्य क्या है?
MSP यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिले, संकटग्रस्त बिक्री (डिस्ट्रेस सेल) रोकी जाए और फसलों का विविधीकरण प्रोत्साहित हो।

कौन-सी फसलें MSP के अंतर्गत आती हैं?
MSP 22 अनिवार्य फसलों के लिये घोषित किया जाता है — 14 खरीफ, 6 रबी और 2 वाणिज्यिक फसलें, इसके अलावा गन्ना का मूल्य निष्पक्ष एवं पारदर्शी मूल्य (FRP) के तहत तय किया जाता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रीलिम्स 

प्रश्न. पर्माकल्चर कृषि पारंपरिक रासायनिक कृषि से कैसे अलग है? ( 2021)

  1. पर्माकल्चर कृषि मोनोकल्चर प्रथाओं को हतोत्साहित करती है लेकिन पारंपरिक रासायनिक खेती में मोनोकल्चर प्रथाएँ प्रमुख हैं। 
  2.   पारंपरिक रासायनिक कृषि से मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है लेकिन पर्माकल्चर कृषि में ऐसी घटना नहीं देखी जाती है। 
  3.   अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में पारंपरिक रासायनिक कृषि आसानी से संभव है लेकिन ऐसे क्षेत्रों में पर्माकल्चर कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है। 
  4.   पर्माकल्चर कृषि में मल्चिंग का अभ्यास बहुत महत्त्वपूर्ण है लेकिन पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसा ज़रूरी नहीं है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 4
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. समोच्च बाँध
  2. अनुपद सस्यन
  3. शून्य जुताई

वैश्विक जलवायु षरिवर्तन के संदर्भ में, उपर्युक्त में से कौन-सा/से मृदा में कार्बन प्रच्छादन/संग्रहण में सहायक है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3

(c) 1, 2 और 3

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans: (b)


मेन्स 

प्रश्न. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम० एस० पी०) से आप क्या समझते हैं? न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषकों का निम्न आय फंदे से किस प्रकार बचाव करेगा? (2018)

प्रश्न. सहायिकियां सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? लघु और सीमांत कृषकों के लिये, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है ? (2017)


प्रारंभिक परीक्षा

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP)

स्रोत: PIB

चर्चा में क्यों? 

दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 'खराब' श्रेणी में पहुँचने के कारण वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने वायु गुणवत्ता में और गिरावट को रोकने के लिये राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चरण-I को लागू किया है।

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) क्या है?

  • परिचय: GRAP एक पूर्व-निवारक और आपातकालीन ढाँचा है जिसे दिल्ली-NCR क्षेत्र में वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है। 
    • इसे एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ (2016) मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के तहत तैयार किया गया था। 
    • GRAP को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया गया, जो वर्ष 2017 में लागू हुआ और इसे पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और राज्य प्राधिकरणों के समन्वय से वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
    • योजना में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के स्तर के आधार पर प्रदूषण प्रतिक्रिया उपायों को चार चरणों में वर्गीकृत किया गया है।
  • GRAP के चरण:
    • चरण I - खराब (AQI 201-300): बुनियादी प्रदूषण नियंत्रण उपाय जैसे सड़क धूल प्रबंधन और वाहन PUC (प्रदूषण नियंत्रण) मानदंडों को लागू करना।
    • चरण II - बहुत खराब (AQI 301-400): डीजल जनरेटर के उपयोग को सीमित करने और प्रदूषण हॉटस्पॉट में संचालन को नियंत्रित करने जैसी सख्त कार्रवाई।
    • चरण III - गंभीर (AQI 401-450): विशिष्ट वाहनों, निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाता है तथा दूरस्थ शिक्षा के उपायों की अनुमति देता है।
    • चरण IV - गंभीर+ (AQI > 450): भारी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध, स्कूलों को बंद करना और गैर-आवश्यक उद्योगों को बंद करना। 
  • उद्देश्य: GRAP बढ़ते प्रदूषण स्तर पर एक क्रमबद्ध, समन्वित और समयबद्ध प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
    • इसका उद्देश्य प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर सख्त कदम उठाकर वायु गुणवत्ता को खतरनाक स्थिति तक पहुँचने से रोकना है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक

  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत MoEFCC द्वारा लॉन्च किया गया राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लोगों के लिये वायु गुणवत्ता को समझने का एक सरल तरीका प्रदान करता है, जिसे ‘वन नंबर - वन कलर - वन डिस्क्रिप्शन’ के सिद्धांत के माध्यम से समझाया जाता है।
  • यह राष्ट्रीय वायु निगरानी कार्यक्रम (NAMP) के तहत 240 से अधिक शहरों में आठ प्रदूषकों (PM₁₀, PM₂.₅, NO₂, SO₂, CO, O₃, NH₃, और Pb) को ट्रैक करता है।
  • AQI के छह श्रेणीबद्ध स्तर हैं: अच्छा (Good), संतोषजनक (Satisfactory), मध्यम प्रदूषित (Moderately Polluted), खराब वायु गुणवत्ता (Poor), बहुत खराब वायु गुणवत्ता (Very Poor), और गंभीर (Severe); प्रत्येक स्तर से संभावित स्वास्थ्य प्रभाव जुड़े होते हैं।
  • जटिल डेटा को स्पष्ट शब्दों में बदलकर, AQI जनता में जागरूकता बढ़ाने, नीति निर्माण में मार्गदर्शन देने और भारत के पर्यावरण एवं स्वास्थ्य कार्यक्रमों के तहत स्वच्छ वायु पहलों को बढ़ावा देने में सहायता करता है।

AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक)

संभावित स्वास्थ्य प्रभाव

अच्छा (Good)  (0-50)

न्यूनतम प्रभाव

संतोषजनक (Satisfactory)  (51-100)

सामान्य जन स्वास्थ्य पर हल्का प्रभाव

मध्यम प्रदूषित (Moderately Polluted) (101-200)

संवेदनशील लोगों में हल्की श्वसन असुविधा हो सकती है।

खराब (Poor) (201-300)

अस्थमा जैसी फेफड़े की बीमारी वाले लोगों में श्वसन असुविधा हो सकती है, हृदय रोग वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों में भी असुविधा हो सकती है।

बहुत खराब (Very Poor) (301-400)

लंबे समय तक एक्सपोज़र वाले लोगों में श्वसन असुविधा और हृदय रोग वाले लोगों में भी असुविधा हो सकती है।

गंभीर (Severe) (401-500)

स्वस्थ लोगों में भी श्वसन प्रभाव हो सकता है और फेफड़े/हृदय रोग वाले लोगों में गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव। हल्की शारीरिक गतिविधि के दौरान भी ये प्रभाव महसूस हो सकते हैं।

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)

  • CAQM एक सांविधिक संस्था है, जिसे NCR और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अधिनियम, 2021 के तहत स्थापित किया गया है, ताकि NCR और आस-पास के क्षेत्रों (पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश) में वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का समन्वय तथा  कार्यान्वयन किया जा सके।
    • आयोग में पूर्णकालिक अध्यक्ष होना अनिवार्य है, जिसके पास पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण में कम से कम 15 वर्षों का अनुभव हो या प्रशासनिक अनुभव में 25 वर्ष का अनुभव हो।
  • आयोग सीधे संसद के प्रति उत्तरदायी है और NCR वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये सर्वोच्च निकाय के रूप में कार्य करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) क्या है?
GRAP एक क्रमबद्ध कार्य योजना है, जिसे वर्ष 2017 में दिल्ली-NCR में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिये अधिसूचित किया गया था। यह एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) के स्तर के आधार पर चरणबद्ध उपायों को लागू करने का ढाँचा प्रदान करता है।

2. दिल्ली-एनसीआर में GRAP को कौन लागू करता है?
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) GRAP को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और राज्य सरकारों के समन्वय में लागू करता है।

3. GRAP के चार चरण कौन से हैं?
चरण I - खराब वायु गुणवत्ता, चरण II - बहुत खराब, चरण III - गंभीर, चरण IV - गंभीर+ साथ ही प्रदूषण नियंत्रण के उपाय क्रमशः सख्त होते जाएंगे।

4. राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) क्या है?
 AQI, जिसे स्वच्छ भारत मिशन के तहत लॉन्च किया गया, ‘वन नंबर - वन कलर - वन डिस्क्रिप्शन’ के सिद्धांत का उपयोग करके जनता के लिये वायु गुणवत्ता डेटा को सरल बनाता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रीलिम्स 

प्रश्न: हमारे देश के शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक के मूल्य की गणना में सामान्यतः निम्नलिखित में से किस वायुमंडलीय गैस को ध्यान में रखा जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2.   कार्बन मोनोऑक्साइड
  3.   नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4.   सल्फर डाइऑक्साइड
  5.   मीथेन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर के सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1,2,3,4 और 5

उत्तर: (b)


आंतरिक सुरक्षा

नक्सल मुक्त भारत और इस क्षेत्र में प्रगति

प्रीलिम्स के लिये: वामपंथी उग्रवाद, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, रेड कॉरिडोर, SAMADHAN सिद्धांत

मेन्स के लिये: वामपंथी उग्रवाद से निपटने में भारत की सफलताएँ, भारत में वामपंथी उग्रवाद के बने रहने के पीछे प्रमुख कारक।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

भारत में माओवादी विद्रोह धीरे-धीरे अपना प्रभाव खो रहा है, जहाँ प्रमुख नेताओं के आत्मसमर्पण करने और अनेक कैडरों के आंदोलन छोड़ने की घटनाएँ सामने आ रही हैं। यह नक्सलवाद के उन्मूलन तथा प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में भारत की निरंतर प्रगति को दर्शाता है।

भारत में माओवाद या वामपंथी उग्रवाद (LWE) की स्थिति क्या है?

  • घटता भौगोलिक विस्तार: वामपंथी उग्रवाद (LWE), जो कभी भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती हुआ करता था, 'रेड कॉरिडोर' के रूप में नेपाल की सीमा से लेकर दक्षिण में आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ था, जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थे।
    • वर्तमान में यह (वामपंथी उग्रवाद) मध्य भारत के कुछ छोटे क्षेत्रों तक सीमित रह गया है, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में, जबकि झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र में इसकी सीमित उपस्थिति है।
  • हिंसा और कैडर संख्या में कमी: वर्ष 2013 में 126 ज़िलों में नक्सली हिंसा की सूचना मिली थी, मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर 18 रह गई, जिनमें से केवल 6 को ही "सबसे अधिक प्रभावित" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
    • 2004-14 और 2014-23 के बीच वामपंथी उग्रवाद (LWE) की घटनाओं में 50% से अधिक की गिरावट आई।
    • भारत में माओवाद क्षेत्रीय और परिचालन दोनों स्तरों पर पीछे हट रहा है तथा सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूर्णतः नक्सल-मुक्त बनाना है।

माओवाद क्या है?

  • माओवाद: माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर अधिकार करने का सिद्धांत है, जिसे राज्य संस्थाओं के विरुद्ध दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं का सहारा मिलता है। 
    • माओ ने इस प्रक्रिया को 'दीर्घकालिक जनयुद्ध' कहा, जिसमें सत्ता पर अधिकार करने के लिये ‘मिलिट्री लाइन' पर ज़ोर दिया जाता है ।
    • नक्सलवाद, जिसे अक्सर वामपंथी उग्रवाद (LWE) के रूप में संदर्भित किया जाता है, माओवादी विचारधारा से प्रेरित एक सशस्त्र विद्रोह है जो हिंसक विद्रोह के माध्यम से भारत सरकार को सत्ता से हटाने का प्रयास करता है।
      • नक्सली शब्द की उत्पत्ति 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में हुए विद्रोह से हुई है, जिसका नेतृत्व CPI(M) के सदस्यों ने किया था। यह उस समूह को संदर्भित करता है जो राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का समर्थन करते हैं।
  • माओवादी विचारधारा: माओवादी विचारधारा का केंद्रीय विषय राज्य सत्ता पर कब्ज़ा  करने के साधन के रूप में हिंसा और सशस्त्र विद्रोह का प्रयोग करना है।
  • भारतीय माओवादी: भारत में सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) है जिसका गठन वर्ष 2004 में हुआ था।
    • CPI (माओवादी) और उसके अग्रणी संगठनों को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।
      • फ्रंट ऑर्गनाइज़ेशन मूल माओवादी पार्टी की शाखाएँ हैं, जो कानूनी उत्तरदायित्व से बचने के लिये अलग अस्तित्व का दावा करती हैं।

LWE

वामपंथी उग्रवाद (LWE) को समाप्त करने के लिये भारत की रणनीति क्या है?

  • नीतिगत ढाँचा: वामपंथी उग्रवाद की समस्या से समग्र रूप से निपटने के लिये भारत ने वर्ष 2015 में एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंज़ूरी दी।
    • इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है।
    • इस नीति को परिचालन रणनीति 'समाधान' द्वारा पूरक बनाया गया है, जिसका उद्देश्य मार्च, 2026 तक नक्सल मुक्त भारत प्राप्त करना और रेड जोन को विकास गलियारों में बदलना है।

  • सुरक्षा उपाय:
    • बलों की तैनाती और संयुक्त अभियान: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), भारत रिज़र्व बटालियन और संयुक्त कार्य बल खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान चलाते हैं, जिनमें ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट (ऑपरेशन कगार) जैसे बड़े अभियान शामिल हैं।
    • किलेबंद पुलिस स्टेशनों की योजना: परिचालन तत्परता को मज़बूत करने के लिये किलेबंद पुलिस स्टेशनों, सुरक्षा शिविरों और रात्रि लैंडिंग हेलीपैडों का निर्माण।
    • सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना: प्रशिक्षण, संचालन, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था, अनुग्रह भुगतान और आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के पुनर्वास में सहायता करती है।
    • वित्तीय एवं खुफिया नियंत्रण: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय वित्तीय संसाधनों में कटौती करने के लिये माओवादी वित्तपोषण को निशाना बनाते हैं।
  • विकास पहल:
    • सड़क संपर्क (RRP-I एवं RCPLWE): सुरक्षा और विकास दोनों उद्देश्यों के लिये पहुँच में सुधार के लिये सड़क नेटवर्क का विस्तार किया जाता है।
    • दूरसंचार कनेक्टिविटी: मोबाइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं और 4G विस्तार का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ना है।
    • वित्तीय समावेशन: दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने के लिये बैंक शाखाएँ, एटीएम, डाकघर और बैंकिंग संवाददाता संचालित किये गए।
    • कौशल विकास एवं शिक्षा: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI), कौशल विकास केंद्र और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जनजातीय क्षेत्रों में मानव पूंजी को मज़बूत करते हैं।
    • विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस) और विशेष केंद्रीय सहायता (SCA): ज़िला स्तरीय सुविधाओं, पुलिस अवसंरचना और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के लिये निधि।
    • धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (2024 लॉन्च): 15,000 से अधिक गाँवों में व्यक्तिगत सुविधाओं, सड़क, मोबाइल और वित्तीय कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना।
  • सशक्तीकरण और सार्वजनिक सहभागिता
    • नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम (CAP): कल्याणकारी गतिविधियों में संलग्न होने के लिये सीएपीएफ को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिससे सुरक्षा बलों और समुदायों के बीच विश्वास बढ़ता है।
    • मीडिया योजना: यह योजना 'पुलिस बलों के आधुनिकीकरण' की अम्ब्रेला योजना के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में क्रियान्वित की जा रही है। 
      • इसमें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम, रेडियो जिंगल, वृत्तचित्र, पर्चे और अन्य आउटरीच सामग्री जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य जागरूकता अभियानों के माध्यम से माओवादी दुष्प्रचार का मुकाबला करना है।
    • कैडरों का पुनर्वास: आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को समाज में पुनः शामिल करने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

वामपंथी उग्रवाद (LWE) को नियंत्रित करने में भारत के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

  • स्मरण-सूत्र (Mnemonic): “INSURGENT”
  • I – Insufficient State Reach (राज्य की अपर्याप्त पहुँच): दूरस्थ और वनाच्छादित क्षेत्रों में सरकार की सीमित पहुँच के कारण उग्रवादी गतिविधियों की प्रभावी निगरानी और नियंत्रण कठिन हो जाता है।
  • N – Neglect / Lack of Development (उपेक्षा / विकास की कमी): प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक उपेक्षा, बुनियादी ढाँचे का अभाव और न्यूनतम आर्थिक अवसर, विद्रोही प्रभाव के लिये उपजाऊ ज़मीन तैयार करते हैं।
  • S – Socio-economic Grievances (सामाजिक-आर्थिक शिकायतें): व्यापक गरीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक असमानताएँ वंचित समुदायों को माओवादी विचारधारा की ओर आकर्षित करती हैं, जिससे वे बेहतर संसाधनों और अधिकारों की आशा में उसका समर्थन करते हैं।
  • U – Unstable Governance (अस्थिर शासन व्यवस्था): कमज़ोर प्रशासन, स्थानीय भ्रष्टाचार और जवाबदेही का अभाव, वामपंथी उग्रवादी समूहों को दंड से मुक्त होकर काम करने की अनुमति देता है।
  • R – Remote / Difficult Terrain (दूरस्थ / कठिन भौगोलिक क्षेत्र): घने जंगल, पहाड़ी इलाके और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियाँ “रेड कॉरिडोर” में निगरानी और सुरक्षा अभियानों को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
  • G – Guerrilla Tactics & Mobilization (गुरिल्ला रणनीति और लामबंदी): अत्यधिक गतिशील माओवादी इकाइयाँ अभियानों को जारी रखने और पकड़े जाने से बचने के लिये गुरिल्ला युद्ध, हमला और गाँवों में घुसपैठ का इस्तेमाल करती हैं।
  • E – External Support (बाहरी समर्थन): कुछ माओवादी समूहों को बाहरी स्रोतों से रसद, वित्तीय या वैचारिक समर्थन प्राप्त होता है, जिससे उनकी क्षमताएँ और सुदृढ़ होती हैं।
  • N – Narratives / Propaganda (कथाएँ/प्रचार): माओवादी स्थानीय शिकायतों का लाभ उठाकर मीडिया, पैम्फलेट और मौखिक प्रचार के माध्यम से युवाओं की भर्ती करते हैं और वैचारिक प्रभाव बनाए रखते हैं।
  • T – Tribal / Community Influence (जनजातीय / सामुदायिक प्रभाव): स्थानीय या जनजातीय समुदायों से मिलने वाला समर्थन — चाहे साझा शिकायतों के कारण हो या दबाववश — माओवादियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में मदद करता है।

नक्सल मुक्त भारत के लिये भारत भविष्य के लिये क्या उपाय अपना सकता है?

  • स्मरण-सूत्र (Mnemonic): “REINFORCE”
  • R – Revitalize Local Governance (स्थानीय शासन को पुनर्जीवित करना): जनजातीय और दूरस्थ क्षेत्रों में पंचायतों को सशक्त बनाकर त्वरित शिकायत निवारण सुनिश्चित करना, जिससे चरमपंथी विचारधाराओं का आकर्षण कम हो।
  • E – Employment & Livelihoods (रोज़गार और आजीविका): व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता कार्यक्रमों और सामुदायिक पहल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् रोज़गार सृजित करना, ताकि जनजातीय युवाओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सके ताकि अवैध गतिविधियों पर निर्भरता कम हो सके।
  • I – Infrastructure Development (अवसंरचना विकास): वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, दूरसंचार और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कर अलगाव को समाप्त करना तथा दूरस्थ क्षेत्रों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ना।
  • N – Nurture Culture (संस्कृति का संवर्द्धन): स्थानीय संस्कृति, कला और भाषाओं के संरक्षण के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त बनाना, ताकि उग्रवादी विचारधारा का प्रभाव कम किया जा सके।
  • F – Focus on Social Justice & Land Reforms (सामाजिक न्याय और भूमि सुधार पर ध्यान): वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) का कठोरता से कार्यान्वयन करना, भूमि का पुनर्वितरण करना और वंचित समुदायों के अधिकार सुनिश्चित करना, ताकि ऐतिहासिक असमानताओं से उत्पन्न असंतोष को दूर किया जा सके।
  • O – Organize Community Policing & Trust-building (सामुदायिक पुलिसिंग और विश्वास निर्माण): स्मार्ट (SMART) पुलिसिंग और नागरिक कार्यवाहियों के माध्यम से सुरक्षा बलों और स्थानीय आबादी के बीच भरोसा बढ़ाना, जिससे उग्रवादियों की घुसपैठ कठिन हो जाए।
  • R – Rehabilitate & Counter Extremism (पुनर्वास और उग्रवाद का प्रतिकार): माओवादी प्रचार के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान चलाना और प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना, ताकि समुदायों को शांतिपूर्ण समाधान के मार्ग प्रदान किये जा सकें।
  • C – Cooperatives & Economic Empowerment (सहकारिता और आर्थिक सशक्तीकरण): कृषि, हस्तशिल्प और वन उत्पादों के क्षेत्र में ग्रामीण सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म ऋण और बाज़ार तक पहुँच प्रदान करना, जिससे आत्मनिर्भर स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ विकसित हो सकें।
  • E – Enforcement & Border Security (प्रवर्तन और सीमा सुरक्षा): सीमावर्ती सुरक्षा को मज़बूत करना, हथियारों और धन के प्रवाह पर निगरानी रखना तथा खुफिया एजेंसियों के समन्वय से माओवादी लॉजिस्टिक्स को बाधित करना तथा उनके पुनर्गठन को रोकना।

निष्कर्ष:

सुरक्षा, विकास और अधिकार-आधारित सशक्तीकरण को मिलाकर भारत की बहुआयामी रणनीति ने वामपंथी उग्रवाद को तेज़ी से कमज़ोर किया है, प्रभावित क्षेत्रों को कम किया है तथा शासन व्यवस्था को बहाल किया है। सतत् राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी ने देश को नक्सल-मुक्त भारत के और करीब ला दिया है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: वामपंथी उग्रवाद को कम करने में भारत की बहुआयामी रणनीति की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. माओवाद क्या है?
माओ त्से तुंग की एक साम्यवादी विचारधारा जिसका उद्देश्य सशस्त्र विद्रोह और जन-आंदोलन के माध्यम से राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करना था।

2. भारत का सबसे बड़ा माओवादी समूह कौन-सा है?
वर्ष 2004 में गठित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)।

3. क्या भारत में माओवादी संगठन वैध हैं?
नहीं, सीपीआई (माओवादी) और उसके प्रमुख संगठन यूएपीए, 1967 के तहत प्रतिबंधित हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

मेन्स:

प्रश्न. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015)

प्रश्न. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020)


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