मुख्य परीक्षा
भारत में नदियों के प्रदूषण पर नियंत्रण
- 23 Sep 2025
- 52 min read
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अध्ययन से पता चलता है कि भारत में अस्वच्छ और अत्यधिक प्रदूषित नदी खंडों (PRS) में थोड़ी कमी आई है। हालाँकि, रिपोर्ट में लगातार जारी चुनौतियों को रेखांकित किया गया है और कई PRS को अभी भी तात्कालिक सुधार की आवश्यकता है।
- निरंतर अनुक्रम में प्रदूषित क्षेत्रों को PRS के रूप में परिभाषित किया गया है।
प्रदूषित नदी खंडों पर CPCB के प्रमुख निष्कर्ष क्या हैं?
- सामान्यतः मामूली सुधार: स्नान के लिये अस्वच्छ नदी स्थलों की संख्या 815 (2022) से घटकर 807 (2023) हो गई और प्रदूषित नदी खंडों (PRS) की संख्या 311 से घटकर 296 हो गई।
- बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) 3 mg/L से अधिक होने पर प्रदूषण बढ़ता हुआ माना जाता है और इसे स्नान के लिये अनुपयुक्त माना जाता है।
- BOD पानी में जैविक पदार्थ की मात्रा को मापता है; कम BOD स्वस्थ नदी को दर्शाता है।
- राज्यवार नदी प्रदूषण: महाराष्ट्र 54 PRS के साथ सबसे आगे है, इसके बाद केरल (31), मध्य प्रदेश और मणिपुर (प्रत्येक 18) और कर्नाटक (14) हैं।
- सबसे अधिक प्राथमिकता 1 (सर्वोच्च तात्कालिकता) PRS वाले राज्य तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (प्रत्येक 5) हैं।
- प्राथमिकता 1 वाली नदियों का BOD स्तर 30 mg/L से अधिक होता है और तत्काल सुधार की आवश्यकता होती है।
- सबसे अधिक प्राथमिकता 1 (सर्वोच्च तात्कालिकता) PRS वाले राज्य तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड (प्रत्येक 5) हैं।
- नदी सफाई में रुझान: वर्ष 2022 से ‘प्राथमिकता 4’ खंड 72 से घटकर 45 हो गए, जबकि ‘प्राथमिकता 2’ और ‘प्राथमिकता 3’ खंडों की संख्या बढ़ी।
- नदी-स्वच्छता कार्यक्रमों की सफलता को प्राथमिकता 1 से 2, 2 से 3 और इसी तरह प्राथमिकता 5 तक बढ़ने से मापा जाता है, जिसमें सबसे कम हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
भारत में नदी प्रदूषण में योगदान देने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?
स्मरण सूत्र (Mnemonic): RIVER
- R-Ritualistic Pollution (अनुष्ठान प्रदूषण): धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों, मूर्ति विसर्जन और दाह संस्कार से प्लास्टर ऑफ पेरिस, जहरीले पेंट, प्लास्टिक व पुष्प अपशिष्ट जैसे प्रदूषक निकलते हैं, जो नदियों पर गंभीर प्रभाव डालते हैं।
- I-Industrial Effluents (औद्योगिक अपशिष्ट): वस्त्र, चमड़ा और रसायन उद्योग नदियों को सीसा, पारा, आर्सेनिक जैसे विषैले धातुओं से प्रदूषित करते हैं। उल्लेखनीय उदाहरण हैं- कानपुर में गंगा, दिल्ली में यमुना और झारखंड में दामोदर। कई उद्योग उपचार मानकों से बचकर अपशिष्टों को बायपास या पतला कर देते हैं।
- V-Vast Agricultural Contamination (विशाल कृषि प्रदूषण): अत्यधिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से नाइट्रेट तथा फॉस्फेट युक्त कृषि अपवाह नदियों में पहुँचता है, जिससे यूट्रॉफिकेशन होता है और जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है, जैसे पंजाब की सतलुज नदी में।
- पंजाब और हरियाणा में पराली दहन से राख व अवशेष भी नदियों में पहुँचकर प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं।
- E-Environmental and Thermal Stress (पर्यावरणीय और तापीय दबाव): फरक्का और अन्य NTPC संयंत्रों जैसे विद्युत संयंत्रों से गर्म पानी निकलता है, जिससे तापीय प्रदूषण होता है, जो जलीय जीवन को नुकसान पहुँचाता है।
- R-Reckless Solid Waste (रेकलेस सॉलिड वेस्ट): विश्व में सबसे बड़े प्लास्टिक उत्सर्जक के रूप में भारत की मुंबई की मीठी जैसी नदियाँ प्लास्टिक अपशिष्ट से अवरुद्ध हो जाती हैं, जबकि दिल्ली के गाज़ीपुर जैसे अनियमित लैंडफिल नदियों और भूजल में विषाक्त पदार्थ उत्सर्जित कर रहे हैं।
भारत में नदी सफाई से संबंधित भारत की पहल
- नमामि गंगे कार्यक्रम (NGP)
- गंगा एक्शन प्लान
- राष्ट्रीय नदी गंगा बेसिन प्राधिकरण (NRGBA)
- स्वच्छ गंगा निधि
- भुवन-गंगा वेब ऐप
- अपशिष्ट निपटान पर प्रतिबंध
भारत में नदी प्रदूषण के प्रभावी शमन के लिये कौन-से रणनीतिक हस्तक्षेप आवश्यक हैं?
स्मरण सूत्र (Mnemonic) – SACRED
S – Strict Enforcement of Regulatory Measures (सख्त नियामक उपायों का पालन): जल अधिनियम (Water Act, 1974) को कड़ाई से लागू किया जाए, जिससे CPCB/SPCBs जल गुणवत्ता की निगरानी कर सकें और उल्लंघनों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) तेज़ कानूनी तंत्र प्रदान करता है, ताकि नदियों की सफाई और सीवेज अवसंरचना के विकास को सुनिश्चित किया जा सके।
A – Agricultural Chemical Control (कृषि रासायनिक नियंत्रण): कृषि अपवाह को कम करने के लिये जैविक खेती और एकीकृत कीट प्रबंधन (Integrated Pest Management) को बढ़ावा देना, नदी किनारे वनस्पति बफर ज़ोन विकसित करना तथा पर्यावरण-हितैषी इनपुट्स के लिये सब्सिडी प्रदान करना।
C – Community-Led Conservation (समुदाय-नेतृत्व वाला संरक्षण): स्थानीय समुदायों को ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में शामिल करना, जिसमें संग्रहण, स्रोत पर अलगाव और वैज्ञानिक प्रक्रमण शामिल हो। नदी के तट पर डंपिंग को रोकने के लिये बाड़बंदी और पेट्रोलिंग करना। सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागू करना।
R – Rigorous Industrial Regulation (सख्ती से औद्योगिक नियमन): प्रदूषणकारी उद्योगों के लिये ज़ीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) लागू करना, रीयल-टाइम अपशिष्ट उपचार संयंत्र (ETPs) की निगरानी स्थापित करना तथा अवैध डंपिंग और अनुपालन न करने पर सख्त दंड आरोपित करना।
E – Ecological Restoration Measures (पारिस्थितिक पुनरुद्धार उपाय): नदी के संरक्षण हेतु डीसिल्टिंग, जलग्रहण पुनर्नवीनीकरण, वेटलैंड पुनरुद्धार करना। अवैध अतिक्रमण से बाढ़ के मैदानों की सुरक्षा करना, ताकि प्राकृतिक शुद्धीकरण संरक्षित रहे।
D – Digital Monitoring Network (डिजिटल निगरानी नेटवर्क):
- AI, IoT सेंसर, GIS और ड्रोन का उपयोग करके जल गुणवत्ता की सतत् निगरानी तथा अवैध डंपिंग का पता लगाना।
- जल-प्रौद्योगिकी नवाचार का समर्थन करना।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत की नदी-सफाई पहलों की प्रभावशीलता और कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों की जाँच कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी, 'राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण [National Ganga RiverBasin Authority (NGRBA)]' की प्रमुख विशेषताएँ हैं? (2016)
- नदी बेसिन, योजना एवं प्रबंधन की इकाई है।
- यह राष्ट्रीय स्तर पर नदी संरक्षण प्रयासों की अगुवाई करता है।
- NGRBA का अध्यक्ष चक्रानुक्रमिक आधार पर उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से एक होता है, जिनसे होकर गंगा बहती है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (a)
मेन्स
प्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगे, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015)