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कृषि

न्यूनतम समर्थन मूल्य: सुरक्षा कवच से आत्मनिर्भरता तक

  • 16 Oct 2025
  • 73 min read

प्रीलिम्स के लिये: दलहन, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP), अल नीनो, दलहन में आत्मनिर्भरता के लिये मिशन, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना

मुख्य परीक्षा के लिए: भारत में दलहन के उत्पादन और आयात में रुझान, भारत में दलहन के उत्पादन और आयात से संबंधित मुद्दे, दलहन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिये आवश्यक उपाय।

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार ने रबी विपणन मौसम (Rabi Marketing Season- RMS) 2026-27 के लिये 297 लाख मीट्रिक टन (Lakh Metric Tonnes- LMT) की अनुमानित खरीद के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (Minimum Support Prices- MSP) को मंज़ूरी दे दी है। यह MSP नीति में मात्र मूल्य समर्थन से हटकर, विशेष रूप से दलहन और तिलहन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में बदलाव का प्रतीक है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)

  • परिभाषा: MSP वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से सीधे फसल खरीदती है, जिससे उन्हें सुनिश्चित आय और बाज़ार की अस्थिरता से सुरक्षा मिलती है।
  • प्रतिबद्धता
    • MSP की सिफारिश कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) द्वारा की जाती है - जो कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत एक संलग्न कार्यालय है, जिसकी स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी।
    • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) अंतिम मंज़ूरी देती है।
  • विचारित मानदंड:
    • उत्पादन लागत, मांग-आपूर्ति गतिशीलता, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियाँ, अंतर-फसल मूल्य समता तथा कृषि और गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तें।
    • वर्ष 2018-19 से MSP को उत्पादन लागत का 1.5 गुना तय किया गया है, जिससे किसानों के लिये न्यूनतम 50% लाभ मार्जिन सुनिश्चित हो गया है।
  • कवर की गई फसलें:
    • MSP 22 अनिवार्य फसलों हेतु घोषित की जाती है, जिसमें 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और 2 वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं, साथ ही गन्ने के लिये उचित तथा लाभकारी मूल्य (FRP) भी शामिल है।
  • खरीद प्रक्रिया की रूपरेखा
    • अनाज एवं मोटे अनाज: भारतीय खाद्य निगम (FCI) एवं राज्य एजेंसियों द्वारा खरीदे जाते हैं।
    • दलहन, तिलहन, खोपरा: NAFED और NCCF के माध्यम से PM-AASHA की मूल्य समर्थन योजना (PSS) के अंतर्गत खरीदा गया।
    • कपास एवं जूट: भारतीय कपास निगम (CCI) और भारतीय जूट निगम (JCI) के माध्यम से MSP पर खरीद की जाती है।
    • जूट और कपास के लिये कोई अधिकतम खरीद सीमा नहीं।

भारत के कृषि विकास को समर्थन देने के लिये MSP नीति किस प्रकार विकसित हुई है?

  • सुरक्षा कवच के रूप में MSP: MSP किसानों के लिये एक महत्त्वपूर्ण सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिले, विशेषकर तब जब बाज़ार मूल्य में उतार-चढ़ाव हो या उत्पादन लागत से नीचे गिर जाता है।
    • न्यूनतम मूल्य की गारंटी देकर, MSP किसानों को संकटकालीन बिक्री से बचाता है तथा बाज़ार की अस्थिरता के समय उन्हें नुकसान उठाने से बचाता है।
  • फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना: यह नीति पोषक अनाजों और तिलहनों को बढ़ावा देती है तथा कृषि को खाद्य सुरक्षा (PDS के माध्यम से) और जलवायु लचीलेपन जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ जोड़ती है।
    • रागी, नाइजरसीड और सरसों जैसी फसलों के लिये उच्च MSP का उद्देश्य जलवायु-अनुकूल कृषि को बढ़ावा देना है, जिससे धान जैसी अधिक जल खपत वाली फसलों पर निर्भरता कम हो सके।
  • किसानों के लाभार्थियों में वृद्धि: MSP भुगतान से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या वर्ष 2024-25 की अवधि तक बढ़कर 1.84 करोड़ हो गई है, जो MSP योजना की मापनीयता और ग्रामीण भारत में इसकी व्यापक पहुँच को दर्शाता है।
    • प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना, जो दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद की गारंटी देती है, के वित्तीय समर्थन में वृद्धि हुई है, जो 45,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 60,000 करोड़ रुपये हो गया है, जिससे किसानों की आय को और अधिक समर्थन मिला है।
  • MSP खरीद का विस्तार:र्ष 2014-15 और वर्ष 2024-25 के बीच, MSP के तहत खरीदे गए खाद्यान्न की मात्रा 761 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 1,175 लाख मीट्रिक टन हो गई।
    • भारत का लक्ष्य वर्ष 2027 तक दलहन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना है तथा सरकार वर्ष 2028-29 तक प्रमुख दाल उत्पादन का 100% हिस्सा खरीदने के लिये प्रतिबद्ध है।
  • डिजिटल पारदर्शिता: ई-समृद्धि, ई-संयुक्ति और कपास किसान ऐप जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन पंजीकरण, गुणवत्ता मूल्यांकन और प्रत्यक्ष भुगतान को सक्षम बनाते हैं, जिससे देरी और बिचौलियों में कमी आती है।

भारत में MSP से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं और उनसे निपटने के उपाय सुझाएँ?

चुनौतियाँ (Mnemonic: COSTI)

आगे की राह (Mnemonic: GROWTH)

C - Costly Procurement (महॅंगा क्रय): क्रय, भंडारण और सब्सिडी की ऊँची लागत सरकार पर वित्तीय बोझ डालती है जिससे भारतीय खाद्य निगम (FCI) पर दबाव पड़ता है।

G - Greater Coverage (विस्तृत कवरेज़): एमएसपी (MSP) क्रय को दालों, तिलहनों, मोटे अनाजों (मिलेट्स) और अन्य फसलों तक विस्तारित करना ताकि अधिक किसानों को मूल्य सुरक्षा और समावेशन प्राप्त हो सके।

O - Over-reliance on Wheat & Rice (गेहूँ और चावल पर अत्यधिक निर्भरता): चावल और गेहूँ पर केंद्रित नीति एकरूपी खेती (monocropping) को बढ़ावा देती है, जिससे विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी राज्यों में भूजल का दोहन और मृदा क्षरण होता है।

R - Reform Procurement Systems (क्रय प्रणाली में सुधार): स्थानीय क्रय अवसंरचना को सुदृढ़ करना, भंडारण और आपूर्ति शृंखला की दक्षता बढ़ाना, तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना, ताकि वित्तीय दबाव कम हो सके।

S - Skewed Benefits (असमान लाभ वितरण): एमएसपी का लाभ कुछ ही राज्यों और फसलों तक सीमित है, जिससे अधिकांश किसान इससे वंचित रह जाते हैं।

O - Outreach & Awareness (प्रचार और जागरूकता): किसानों में जागरूकता बढ़ाना और पंजीकरण, निगरानी तथा प्रत्यक्ष नकद अंतरण के लिये डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करना ताकि पारदर्शिता और दक्षता बढ़े।

T - Transparency Issues (पारदर्शिता की समस्याएँ): जागरूकता की कमी, कमज़ोर क्रय अवसंरचना और एमएसपी केंद्रों तक सीमित पहुँच के कारण कई किसान एमएसपी लाभ से वंचित रहते हैं।

W - Wider Crop Diversification (व्यापक फसल विविधीकरण): एमएसपी प्रोत्साहनों को सतत्  फसल प्रणालियों के अनुरूप बनाते हुए मिलेट्स, दालें और तिलहन जैसी फसलों की ओर विविधीकरण को बढ़ावा देना ताकि एकरूपी खेती से पर्यावरणीय प्रभाव कम हो सके।

I - Inefficient Implementation (अप्रभावी कार्यान्वयन): शांता कुमार समिति (2015) की रिपोर्ट के अनुसार केवल 6% किसान ही एमएसपी से लाभान्वित होते हैं, जबकि 94% किसानों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिल पाता।

T - Timely Enforcement (समय पर प्रवर्तन): MSP दिशा-निर्देशों की सख्त निगरानी सुनिश्चित करना, नियामक ढाँचे को मज़बूत करना और स्थानीय स्तर पर प्रवर्तन में सुधार लाना।

H - Holistic Approach (समग्र दृष्टिकोण): एमएसपी को आय समर्थन योजनाओं और बाज़ार सुधारों के साथ एकीकृत करके दीर्घकालिक किसान कल्याण और कृषि स्थिरता हेतु समग्र समाधान की दिशा में बढ़ना।

निष्कर्ष

नई MSP स्वीकृतियाँ सरकार की किसान कल्याण और मूल्य आश्वासन के प्रति प्रतिबद्धता को और मज़बूत करती हैं। लागत पर 50% से अधिक लाभ सुनिश्चित करके, डिजिटल खरीद प्लेटफार्मों का विस्तार करके और पीएम-आशा ढाँचे को सशक्त बनाकर, भारत दलहनों, तिलहनों तथा पोषक अनाजों में आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ रहा है, साथ ही कृषि विविधीकरण एवं आय सुरक्षा को भी सुनिश्चित कर रहा है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न

प्रश्न: चर्चा कीजिये कि MSP और PM-AASHA कैसे किसानों की आय में सहायता करते हैं और भारत में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

MSP क्या है?
MSP वह सुनिश्चित मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से सीधे फसल की खरीद करती है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का उद्देश्य क्या है?
MSP यह सुनिश्चित करता है कि किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिले, संकटग्रस्त बिक्री (डिस्ट्रेस सेल) रोकी जाए और फसलों का विविधीकरण प्रोत्साहित हो।

कौन-सी फसलें MSP के अंतर्गत आती हैं?
MSP 22 अनिवार्य फसलों के लिये घोषित किया जाता है — 14 खरीफ, 6 रबी और 2 वाणिज्यिक फसलें, इसके अलावा गन्ना का मूल्य निष्पक्ष एवं पारदर्शी मूल्य (FRP) के तहत तय किया जाता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रीलिम्स 

प्रश्न. पर्माकल्चर कृषि पारंपरिक रासायनिक कृषि से कैसे अलग है? ( 2021)

  1. पर्माकल्चर कृषि मोनोकल्चर प्रथाओं को हतोत्साहित करती है लेकिन पारंपरिक रासायनिक खेती में मोनोकल्चर प्रथाएँ प्रमुख हैं। 
  2.   पारंपरिक रासायनिक कृषि से मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है लेकिन पर्माकल्चर कृषि में ऐसी घटना नहीं देखी जाती है। 
  3.   अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में पारंपरिक रासायनिक कृषि आसानी से संभव है लेकिन ऐसे क्षेत्रों में पर्माकल्चर कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है। 
  4.   पर्माकल्चर कृषि में मल्चिंग का अभ्यास बहुत महत्त्वपूर्ण है लेकिन पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसा ज़रूरी नहीं है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 4
(d) केवल 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. समोच्च बाँध
  2. अनुपद सस्यन
  3. शून्य जुताई

वैश्विक जलवायु षरिवर्तन के संदर्भ में, उपर्युक्त में से कौन-सा/से मृदा में कार्बन प्रच्छादन/संग्रहण में सहायक है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 3

(c) 1, 2 और 3

(d) इनमें से कोई नहीं

Ans: (b)


मेन्स 

प्रश्न. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम० एस० पी०) से आप क्या समझते हैं? न्यूनतम समर्थन मूल्य कृषकों का निम्न आय फंदे से किस प्रकार बचाव करेगा? (2018)

प्रश्न. सहायिकियां सस्यन प्रतिरूप, सस्य विविधता और कृषकों की आर्थिक स्थिति को किस प्रकार प्रभावित करती हैं ? लघु और सीमांत कृषकों के लिये, फसल बीमा, न्यूनतम समर्थन मूल्य और खाद्य प्रसंस्करण का क्या महत्त्व है ? (2017)

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