आंतरिक सुरक्षा
नक्सल मुक्त भारत और इस क्षेत्र में प्रगति
- 16 Oct 2025
- 97 min read
प्रीलिम्स के लिये: वामपंथी उग्रवाद, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी, रेड कॉरिडोर, SAMADHAN सिद्धांत
मेन्स के लिये: वामपंथी उग्रवाद से निपटने में भारत की सफलताएँ, भारत में वामपंथी उग्रवाद के बने रहने के पीछे प्रमुख कारक।
चर्चा में क्यों?
भारत में माओवादी विद्रोह धीरे-धीरे अपना प्रभाव खो रहा है, जहाँ प्रमुख नेताओं के आत्मसमर्पण करने और अनेक कैडरों के आंदोलन छोड़ने की घटनाएँ सामने आ रही हैं। यह नक्सलवाद के उन्मूलन तथा प्रभावित क्षेत्रों में कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में भारत की निरंतर प्रगति को दर्शाता है।
भारत में माओवाद या वामपंथी उग्रवाद (LWE) की स्थिति क्या है?
- घटता भौगोलिक विस्तार: वामपंथी उग्रवाद (LWE), जो कभी भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती हुआ करता था, 'रेड कॉरिडोर' के रूप में नेपाल की सीमा से लेकर दक्षिण में आंध्र प्रदेश तक फैला हुआ था, जिसमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल थे।
- वर्तमान में यह (वामपंथी उग्रवाद) मध्य भारत के कुछ छोटे क्षेत्रों तक सीमित रह गया है, मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ में, जबकि झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र में इसकी सीमित उपस्थिति है।
- हिंसा और कैडर संख्या में कमी: वर्ष 2013 में 126 ज़िलों में नक्सली हिंसा की सूचना मिली थी, मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर 18 रह गई, जिनमें से केवल 6 को ही "सबसे अधिक प्रभावित" के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- 2004-14 और 2014-23 के बीच वामपंथी उग्रवाद (LWE) की घटनाओं में 50% से अधिक की गिरावट आई।
- भारत में माओवाद क्षेत्रीय और परिचालन दोनों स्तरों पर पीछे हट रहा है तथा सरकार का लक्ष्य मार्च 2026 तक भारत को पूर्णतः नक्सल-मुक्त बनाना है।
माओवाद क्या है?
- माओवाद: माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन-आंदोलन और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर अधिकार करने का सिद्धांत है, जिसे राज्य संस्थाओं के विरुद्ध दुष्प्रचार और गलत सूचनाओं का सहारा मिलता है।
- माओ ने इस प्रक्रिया को 'दीर्घकालिक जनयुद्ध' कहा, जिसमें सत्ता पर अधिकार करने के लिये ‘मिलिट्री लाइन' पर ज़ोर दिया जाता है ।
- नक्सलवाद, जिसे अक्सर वामपंथी उग्रवाद (LWE) के रूप में संदर्भित किया जाता है, माओवादी विचारधारा से प्रेरित एक सशस्त्र विद्रोह है जो हिंसक विद्रोह के माध्यम से भारत सरकार को सत्ता से हटाने का प्रयास करता है।
- नक्सली शब्द की उत्पत्ति 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी में हुए विद्रोह से हुई है, जिसका नेतृत्व CPI(M) के सदस्यों ने किया था। यह उस समूह को संदर्भित करता है जो राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का समर्थन करते हैं।
- माओवादी विचारधारा: माओवादी विचारधारा का केंद्रीय विषय राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करने के साधन के रूप में हिंसा और सशस्त्र विद्रोह का प्रयोग करना है।
- भारतीय माओवादी: भारत में सबसे बड़ा और सबसे हिंसक माओवादी संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) है जिसका गठन वर्ष 2004 में हुआ था।
- CPI (माओवादी) और उसके अग्रणी संगठनों को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- फ्रंट ऑर्गनाइज़ेशन मूल माओवादी पार्टी की शाखाएँ हैं, जो कानूनी उत्तरदायित्व से बचने के लिये अलग अस्तित्व का दावा करती हैं।
- CPI (माओवादी) और उसके अग्रणी संगठनों को गैर-कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित कर दिया गया है।
वामपंथी उग्रवाद (LWE) को समाप्त करने के लिये भारत की रणनीति क्या है?
- नीतिगत ढाँचा: वामपंथी उग्रवाद की समस्या से समग्र रूप से निपटने के लिये भारत ने वर्ष 2015 में एक राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना को मंज़ूरी दी।
- इसमें सुरक्षा संबंधी उपायों, विकास हस्तक्षेपों, स्थानीय समुदायों के अधिकारों और हकों को सुनिश्चित करने आदि से जुड़ी एक बहुआयामी रणनीति की परिकल्पना की गई है।
- इस नीति को परिचालन रणनीति 'समाधान' द्वारा पूरक बनाया गया है, जिसका उद्देश्य मार्च, 2026 तक नक्सल मुक्त भारत प्राप्त करना और रेड जोन को विकास गलियारों में बदलना है।
- सुरक्षा उपाय:
- बलों की तैनाती और संयुक्त अभियान: केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF), भारत रिज़र्व बटालियन और संयुक्त कार्य बल खुफिया जानकारी के आधार पर अभियान चलाते हैं, जिनमें ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट (ऑपरेशन कगार) जैसे बड़े अभियान शामिल हैं।
- किलेबंद पुलिस स्टेशनों की योजना: परिचालन तत्परता को मज़बूत करने के लिये किलेबंद पुलिस स्टेशनों, सुरक्षा शिविरों और रात्रि लैंडिंग हेलीपैडों का निर्माण।
- सुरक्षा संबंधी व्यय (SRE) योजना: प्रशिक्षण, संचालन, सामुदायिक पुलिस व्यवस्था, अनुग्रह भुगतान और आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों के पुनर्वास में सहायता करती है।
- वित्तीय एवं खुफिया नियंत्रण: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय वित्तीय संसाधनों में कटौती करने के लिये माओवादी वित्तपोषण को निशाना बनाते हैं।
- विकास पहल:
- सड़क संपर्क (RRP-I एवं RCPLWE): सुरक्षा और विकास दोनों उद्देश्यों के लिये पहुँच में सुधार के लिये सड़क नेटवर्क का विस्तार किया जाता है।
- दूरसंचार कनेक्टिविटी: मोबाइल कनेक्टिविटी परियोजनाओं और 4G विस्तार का लक्ष्य दिसंबर 2025 तक सभी वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ना है।
- वित्तीय समावेशन: दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने के लिये बैंक शाखाएँ, एटीएम, डाकघर और बैंकिंग संवाददाता संचालित किये गए।
- कौशल विकास एवं शिक्षा: औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI), कौशल विकास केंद्र और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जनजातीय क्षेत्रों में मानव पूंजी को मज़बूत करते हैं।
- विशेष अवसंरचना योजना (एसआईएस) और विशेष केंद्रीय सहायता (SCA): ज़िला स्तरीय सुविधाओं, पुलिस अवसंरचना और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के लिये निधि।
- धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (2024 लॉन्च): 15,000 से अधिक गाँवों में व्यक्तिगत सुविधाओं, सड़क, मोबाइल और वित्तीय कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना।
- सशक्तीकरण और सार्वजनिक सहभागिता
- नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम (CAP): कल्याणकारी गतिविधियों में संलग्न होने के लिये सीएपीएफ को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिससे सुरक्षा बलों और समुदायों के बीच विश्वास बढ़ता है।
- मीडिया योजना: यह योजना 'पुलिस बलों के आधुनिकीकरण' की अम्ब्रेला योजना के अंतर्गत एक उप-योजना के रूप में क्रियान्वित की जा रही है।
- इसमें जनजातीय युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम, रेडियो जिंगल, वृत्तचित्र, पर्चे और अन्य आउटरीच सामग्री जैसी गतिविधियाँ शामिल हैं, जिनका उद्देश्य जागरूकता अभियानों के माध्यम से माओवादी दुष्प्रचार का मुकाबला करना है।
- कैडरों का पुनर्वास: आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को समाज में पुनः शामिल करने के लिए शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
वामपंथी उग्रवाद (LWE) को नियंत्रित करने में भारत के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?
- स्मरण-सूत्र (Mnemonic): “INSURGENT”
- I – Insufficient State Reach (राज्य की अपर्याप्त पहुँच): दूरस्थ और वनाच्छादित क्षेत्रों में सरकार की सीमित पहुँच के कारण उग्रवादी गतिविधियों की प्रभावी निगरानी और नियंत्रण कठिन हो जाता है।
- N – Neglect / Lack of Development (उपेक्षा / विकास की कमी): प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक उपेक्षा, बुनियादी ढाँचे का अभाव और न्यूनतम आर्थिक अवसर, विद्रोही प्रभाव के लिये उपजाऊ ज़मीन तैयार करते हैं।
- S – Socio-economic Grievances (सामाजिक-आर्थिक शिकायतें): व्यापक गरीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक असमानताएँ वंचित समुदायों को माओवादी विचारधारा की ओर आकर्षित करती हैं, जिससे वे बेहतर संसाधनों और अधिकारों की आशा में उसका समर्थन करते हैं।
- U – Unstable Governance (अस्थिर शासन व्यवस्था): कमज़ोर प्रशासन, स्थानीय भ्रष्टाचार और जवाबदेही का अभाव, वामपंथी उग्रवादी समूहों को दंड से मुक्त होकर काम करने की अनुमति देता है।
- R – Remote / Difficult Terrain (दूरस्थ / कठिन भौगोलिक क्षेत्र): घने जंगल, पहाड़ी इलाके और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियाँ “रेड कॉरिडोर” में निगरानी और सुरक्षा अभियानों को चुनौतीपूर्ण बना देती हैं।
- G – Guerrilla Tactics & Mobilization (गुरिल्ला रणनीति और लामबंदी): अत्यधिक गतिशील माओवादी इकाइयाँ अभियानों को जारी रखने और पकड़े जाने से बचने के लिये गुरिल्ला युद्ध, हमला और गाँवों में घुसपैठ का इस्तेमाल करती हैं।
- E – External Support (बाहरी समर्थन): कुछ माओवादी समूहों को बाहरी स्रोतों से रसद, वित्तीय या वैचारिक समर्थन प्राप्त होता है, जिससे उनकी क्षमताएँ और सुदृढ़ होती हैं।
- N – Narratives / Propaganda (कथाएँ/प्रचार): माओवादी स्थानीय शिकायतों का लाभ उठाकर मीडिया, पैम्फलेट और मौखिक प्रचार के माध्यम से युवाओं की भर्ती करते हैं और वैचारिक प्रभाव बनाए रखते हैं।
- T – Tribal / Community Influence (जनजातीय / सामुदायिक प्रभाव): स्थानीय या जनजातीय समुदायों से मिलने वाला समर्थन — चाहे साझा शिकायतों के कारण हो या दबाववश — माओवादियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाए रखने में मदद करता है।
नक्सल मुक्त भारत के लिये भारत भविष्य के लिये क्या उपाय अपना सकता है?
- स्मरण-सूत्र (Mnemonic): “REINFORCE”
- R – Revitalize Local Governance (स्थानीय शासन को पुनर्जीवित करना): जनजातीय और दूरस्थ क्षेत्रों में पंचायतों को सशक्त बनाकर त्वरित शिकायत निवारण सुनिश्चित करना, जिससे चरमपंथी विचारधाराओं का आकर्षण कम हो।
- E – Employment & Livelihoods (रोज़गार और आजीविका): व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता कार्यक्रमों और सामुदायिक पहल के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सतत् रोज़गार सृजित करना, ताकि जनजातीय युवाओं को औपचारिक अर्थव्यवस्था से जोड़ा जा सके ताकि अवैध गतिविधियों पर निर्भरता कम हो सके।
- I – Infrastructure Development (अवसंरचना विकास): वामपंथी उग्रवाद (LWE) प्रभावित क्षेत्रों में सड़क, बिजली, दूरसंचार और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार कर अलगाव को समाप्त करना तथा दूरस्थ क्षेत्रों को राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जोड़ना।
- N – Nurture Culture (संस्कृति का संवर्द्धन): स्थानीय संस्कृति, कला और भाषाओं के संरक्षण के साथ-साथ लोकतांत्रिक मूल्यों को सशक्त बनाना, ताकि उग्रवादी विचारधारा का प्रभाव कम किया जा सके।
- F – Focus on Social Justice & Land Reforms (सामाजिक न्याय और भूमि सुधार पर ध्यान): वन अधिकार अधिनियम (Forest Rights Act) का कठोरता से कार्यान्वयन करना, भूमि का पुनर्वितरण करना और वंचित समुदायों के अधिकार सुनिश्चित करना, ताकि ऐतिहासिक असमानताओं से उत्पन्न असंतोष को दूर किया जा सके।
- O – Organize Community Policing & Trust-building (सामुदायिक पुलिसिंग और विश्वास निर्माण): स्मार्ट (SMART) पुलिसिंग और नागरिक कार्यवाहियों के माध्यम से सुरक्षा बलों और स्थानीय आबादी के बीच भरोसा बढ़ाना, जिससे उग्रवादियों की घुसपैठ कठिन हो जाए।
- R – Rehabilitate & Counter Extremism (पुनर्वास और उग्रवाद का प्रतिकार): माओवादी प्रचार के विरुद्ध जन-जागरूकता अभियान चलाना और प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास कार्यक्रमों को प्रोत्साहित करना, ताकि समुदायों को शांतिपूर्ण समाधान के मार्ग प्रदान किये जा सकें।
- C – Cooperatives & Economic Empowerment (सहकारिता और आर्थिक सशक्तीकरण): कृषि, हस्तशिल्प और वन उत्पादों के क्षेत्र में ग्रामीण सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, सूक्ष्म ऋण और बाज़ार तक पहुँच प्रदान करना, जिससे आत्मनिर्भर स्थानीय अर्थव्यवस्थाएँ विकसित हो सकें।
- E – Enforcement & Border Security (प्रवर्तन और सीमा सुरक्षा): सीमावर्ती सुरक्षा को मज़बूत करना, हथियारों और धन के प्रवाह पर निगरानी रखना तथा खुफिया एजेंसियों के समन्वय से माओवादी लॉजिस्टिक्स को बाधित करना तथा उनके पुनर्गठन को रोकना।
निष्कर्ष:
सुरक्षा, विकास और अधिकार-आधारित सशक्तीकरण को मिलाकर भारत की बहुआयामी रणनीति ने वामपंथी उग्रवाद को तेज़ी से कमज़ोर किया है, प्रभावित क्षेत्रों को कम किया है तथा शासन व्यवस्था को बहाल किया है। सतत् राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभागीदारी ने देश को नक्सल-मुक्त भारत के और करीब ला दिया है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: वामपंथी उग्रवाद को कम करने में भारत की बहुआयामी रणनीति की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. माओवाद क्या है?
माओ त्से तुंग की एक साम्यवादी विचारधारा जिसका उद्देश्य सशस्त्र विद्रोह और जन-आंदोलन के माध्यम से राज्य सत्ता पर कब्ज़ा करना था।
2. भारत का सबसे बड़ा माओवादी समूह कौन-सा है?
वर्ष 2004 में गठित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)।
3. क्या भारत में माओवादी संगठन वैध हैं?
नहीं, सीपीआई (माओवादी) और उसके प्रमुख संगठन यूएपीए, 1967 के तहत प्रतिबंधित हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न
मेन्स:
प्रश्न. पिछड़े क्षेत्रों में बड़े उद्योगों का विकास करने के सरकार के लगातार अभियानों का परिणाम जनजातीय जनता और किसानों, जिनको अनेक विस्थापनों का सामना करना पड़ता है, का विलगन (अलग करना) है। मल्कानगिरि और नक्सलबाड़ी पर ध्यान केंद्रित करते हुए वामपंथी उग्रवादी विचारधारा से प्रभावित नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक संवृद्धि की मुख्यधारा में फिर से लाने की सुधारक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (2015)
प्रश्न. भारत के पूर्वी हिस्से में वामपंथी उग्रवाद के निर्धारक क्या हैं? प्रभावित क्षेत्रों में खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत सरकार, नागरिक प्रशासन और सुरक्षा बलों को क्या रणनीति अपनानी चाहिये? (2020)