कृषि
भारत में प्राकृतिक कृषि
प्रीलिम्स के लिये: प्राकृतिक कृषि, शून्य बजट प्राकृतिक कृषि, भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति, SDG 12 (स्थायी उपभोग और उत्पादन)
मेन्स के लिये: प्राकृतिक/रसायन मुक्त कृषि के सिद्धांत, प्रथाएँ और लाभ, भारत में प्राकृतिक कृषि को मुख्यधारा में लाने में चुनौतियाँ।
चर्चा में क्यों?
हिमाचल प्रदेश में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है क्योंकि हज़ारों किसान रसायन-आधारित कृषि से हटकर प्राकृतिक कृषि की ओर रुख कर रहे हैं। यह बदलाव भारत में संधारणीय और पर्यावरण-अनुकूल कृषि के प्रति व्यापक रुझान को दर्शाता है।
प्राकृतिक कृषि क्या है?
- परिभाषा: नीति आयोग के अनुसार, प्राकृतिक कृषि ‘एक रसायन मुक्त पारंपरिक कृषि पद्धति’ है जो फसलों, वृक्षों, पशुधन और कार्यात्मक जैव विविधता को एकीकृत करने वाले कृषि-पारिस्थितिक सिद्धांतों पर आधारित है।
- यह प्रकृति के साथ मिलकर कार्य करने के सिद्धांत का पालन करता है, जिसमें मानवीय हस्तक्षेप को न्यूनतम रखा जाता है (जिसे प्राय: ‘डू नथिंग फार्मिंग’ कहा जाता है) और कृत्रिम रासायनिक पदार्थों के पूर्ण परिहार पर बल दिया जाता है।
- मुख्य विशेषताएँ और सिद्धांत:
- कोई बाहरी रासायनिक इनपुट नहीं: रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों, शाकनाशियों और विकास नियामकों से पूरी तरह से बचा जाता है।
- ऑन-फार्म इनपुट जनरेशन (खेत पर ही कृषि इनपुट उत्पादन): यह नीमास्त्र, अग्निअस्त्र, जीवामृत और बीजामृत जैसे कृषि इनपुट पर निर्भर करता है, जो स्थानीय रूप से गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन तथा मृदा जैसी सामग्रियों का उपयोग करके खेतों पर तैयार किये जाते हैं।
- पशुधन एकीकरण: देशी गाय की नस्लें इनपुट प्राप्त करने और पोषक चक्र को बनाए रखने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- विविध फसल प्रणाली: अंतर-फसल, मिश्रित फसल, कृषि वानिकी और फसल चक्र को प्रोत्साहित करती है।
- मृदा स्वास्थ्य और जैव विविधता: उपजाऊ और जीवित मृदा के लिये मल्चिंग, आवरण फसल एवं सूक्ष्मजीवी गतिविधि को बनाए रखने पर ज़ोर देती है।
- जल दक्षता: न्यूनतम सिंचाई का उपयोग करती है और प्राकृतिक रूप से मृदा आर्द्रता प्रतिधारण में सुधार करती है।
- वैज्ञानिक और पर्यावरणीय लाभ: मृदा के कार्बनिक कार्बन और मृदा उर्वरता को बढ़ाता है, जिससे सिंथेटिक इनपुट की आवश्यकता कम हो जाती है।
- लाभकारी कीटों, परागणकों और मृदा जीवों सहित जैव विविधता को बढ़ावा देता है।
- यूरिया और अन्य नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों के प्रयोग से बचकर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।
- खेतों की जलवायु सहनशीलता में सुधार करता है, विशेष रूप से अनावृष्टि और अनियमित वर्षा की स्थिति में।
प्राकृतिक कृषि भारत में किसानों और ग्रामीण आजीविका को किस प्रकार लाभ पहुँचा रही है?
- कृषि की लागत में कमी: प्राकृतिक कृषि न केवल एक पारिस्थितिक विकल्प है, बल्कि भारतीय किसानों को स्थायी सामाजिक-आर्थिक लाभ भी प्रदान करती है। शून्य बजट प्राकृतिक कृषि (ZBNF) भारत में सबसे लोकप्रिय मॉडल है।
- प्राकृतिक कृषि के अंतर्गत इनपुट की लागत पारंपरिक रासायनिक कृषि की तुलना में 50-60% कम होती है।
- चूँकि जैविक इनपुट स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करके खेत पर ही तैयार किये जाते हैं, इसलिये किसान इनपुट लागत में उल्लेखनीय बचत करते हैं।
- किसानों की आय में सुधार: यद्यपि प्रारंभिक उपज स्थिर या थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन मृदा स्वास्थ्य में सुधार के कारण दीर्घकालिक उत्पादकता बनी रहती है या बढ़ जाती है।
- आय स्थिरता अंतर-फसल, मूल्य-संवर्द्धित उत्पादों और फसल विफलता के जोखिम को कम करके प्राप्त की जाती है।
- रोज़गार सृजन: जैव-इनपुट उत्पादन, सीड बैंक, खाद निर्माण और स्थानीय बाज़ार शृंखलाओं में स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहित करता है। कृषि को अधिक ज्ञान-आधारित और स्थाई बनाकर ग्रामीण युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देता है।
- स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा: प्राकृतिक उत्पाद हानिकारक कीटनाशक अवशेषों से मुक्त होते हैं, जिससे बेहतर पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- यह खाद्य पदार्थों के पोषण घनत्व को बढ़ाता है, जो हिडन हंगर और रासायनिक पदार्थों के कारण स्वास्थ्य संबंधी विकारों की चिंताओं को संबोधित करता है।
- महिला सशक्तीकरण: महिलाओं को जैव-इनपुट, खाद बनाने, किचन गार्डनिंग और किसान उत्पादक समूहों की तैयारी में शामिल किया जाता है।
प्राकृतिक कृषि के लिये भारत की पहल क्या हैं?
- राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF): कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा केंद्र प्रायोजित योजना, जो पारंपरिक ज्ञान पर आधारित रसायन मुक्त, पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देती है।
- NMNF का लक्ष्य 15,000 क्लस्टरों में 7.5 लाख हेक्टेयर भूमि को शामिल करना और 1 करोड़ किसानों को सुविधा प्रदान करना है।
- प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित करने हेतु दो वर्षों तक प्रति एकड़ 4,000 रुपए प्रति वर्ष की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है।
- NMNF, परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के अंतर्गत पूर्ववर्ती भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP) पर आधारित है।
- भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP): मार्च 2025 तक यह 9.4 लाख हेक्टेयर पर प्राकृतिक कृषि करने वाले 28 लाख किसानों को सहायता प्रदान करता है।
राज्य-स्तरीय पहल:
भारत में प्राकृतिक कृषि को मुख्यधारा में लाने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- ज्ञान और कौशल का अंतर: प्राकृतिक कृषि ज्ञान-प्रधान और स्थान-विशिष्ट है, जिसके लिये किसानों को पारिस्थितिक अंतःक्रियाओं को समझने तथा नई पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता होती है।
- कई किसानों, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में व्यावहारिक समझ का अभाव है और उन्हें कृषि सखियों द्वारा निरंतर सहायता की आवश्यकता होती है।
- व्यावहारिक प्रतिरोध: जो किसान उच्च इनपुट और रासायनिक-प्रधान कृषि के आदी हैं, वे प्राय: कम इनपुट तथा श्रम-प्रधान प्राकृतिक कृषि अपनाने में संकोच करते हैं।
- राज्य-स्तरीय परिवर्तनशीलता: हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात आदि में सफल मॉडल मौजूद हैं, लेकिन मृदा, जलवायु और सामाजिक परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न हैं, जिससे समान प्रतिकृति बनाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- नीति अभिसरण जटिलता: NMNF को अन्य केंद्रीय/राज्य योजनाओं (पशुधन, ग्रामीण विकास, आयुष, खाद्य प्रसंस्करण) और स्थानीय संस्थानों के साथ समन्वयित करना प्रशासनिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।
- बाज़ार संबंध और प्रीमियम मूल्य निर्धारण: रासायनिक-मुक्त उत्पादों के लिये विश्वसनीय बाज़ार स्थापित करना एक चुनौती बनी हुई है।
- यदि प्रीमियम मूल्य निर्धारण और सुनिश्चित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निरंतर उपलब्ध नहीं होते हैं तो किसान बदलाव करने में संकोच कर सकते हैं।
- इनपुट उपलब्धता और बुनियादी अवसंरचना: सभी क्षेत्रों, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में जैव-इनपुट की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों (BRC) और आपूर्ति शृंखलाओं की आवश्यकता है।
भारत में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- विकेंद्रीकृत किसान समूह: सहपाठी शिक्षण को सक्षम बनाने, इनपुट लागत को कम करने और सामुदायिक स्तर पर विस्तार सहायता को सुगम बनाने के लिये सन्निहित प्राकृतिक कृषि समूह बनाना।
- ज्ञान नेटवर्क को मज़बूत करना: NF तकनीक, जैव-इनपुट तैयारी, कीट प्रबंधन एवं बहु-फसल में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये कृषि सखियों, सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों और KVK को तैनात करना।
- जैव-इनपुट सुगम्यता: स्थानीय जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (BRC) स्थापित करना और बाहरी रासायनिक इनपुट पर निर्भरता कम करने के लिये जैविक इनपुट के कृषि-आधारित उत्पादन को बढ़ावा देना।
- बाज़ार एकीकरण और प्रमाणन: PGS/जैविक प्रमाणन विकसित करना, प्राकृतिक जैविक उत्पादों के लिये एक राष्ट्रीय ब्रांड को बढ़ावा देना और उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिये कृषि उपज बाज़ार समितियों (APMC), किसान उत्पादक संगठनों (FPO) और स्थानीय बाज़ारों के साथ संबंधों को मज़बूत करना।
- कृषि-पारिस्थितिकी आधारित अनुसंधान: विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में अनुकूलन बढ़ाने के लिये क्षेत्र-विशिष्ट प्राकृतिक जैविक फसल प्रणालियों और मृदा-आर्द्रता प्रबंधन प्रथाओं को अनुकूलित करना।
- डिजिटल निगरानी और ज्ञान साझाकरण: जियो-टैग आधारित ट्रैकिंग, ऑनलाइन पोर्टल और मोबाइल परामर्श सेवाओं का उपयोग करके अपनाने की प्रक्रिया, उत्पादन तथा पारिस्थितिक परिणामों की निगरानी करना, साथ ही समय पर मार्गदर्शन प्रदान करना।
निष्कर्ष
प्राकृतिक कृषि पोषक तत्त्वों से भरपूर, रसायन-मुक्त खाद्य को बढ़ावा देती है और साथ ही किसानों की लागत भी कम करती है। यह भारत के व्यापक स्थिरता लक्ष्यों के अनुरूप है, खाद्य सुरक्षा में सुधार करके सतत् विकास लक्ष्य 2 (भूखमरी समाप्त करना) और पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करके सतत् विकास लक्ष्य 12 (सतत उपभोग एवं उत्पादन) का समर्थन करती है।
दृष्टि मेंस प्रश्न: प्रश्न. भारत में संधारणीय कृषि को बढ़ावा देने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने में प्राकृतिक कृषि की भूमिका का परीक्षण कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. प्राकृतिक कृषि क्या है?
प्राकृतिक कृषि एक रसायन मुक्त, पारंपरिक कृषि प्रणाली है जो मृदा स्वास्थ्य और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ाने के लिये फसलों, पशुधन और जैव विविधता को एकीकृत करती है।
2. राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन (NMNF) क्या है?
NMNF एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसे वर्ष 2024 में रसायन मुक्त, पारिस्थितिकी तंत्र आधारित प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये शुरू किया गया है, जिसमें 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को शामिल किया गया है और 1 करोड़ किसानों को समर्थन दिया गया है।
3. प्राकृतिक कृषि में आमतौर पर कौन से जैव-इनपुट का उपयोग किया जाता है?
स्थानीय स्तर पर तैयार सामग्री जैसे बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र और अग्निअस्त्र का उपयोग किया जाता है, जो गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी से बनाए जाते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रीलिम्स
प्रश्न. पर्माकल्चर कृषि पारंपरिक रासायनिक कृषि से कैसे अलग है? ( 2021)
- पर्माकल्चर कृषि मोनोकल्चर प्रथाओं को हतोत्साहित करती है लेकिन पारंपरिक रासायनिक खेती में मोनोकल्चर प्रथाएँ प्रमुख हैं।
- पारंपरिक रासायनिक कृषि से मृदा की लवणता में वृद्धि हो सकती है लेकिन पर्माकल्चर कृषि में ऐसी घटना नहीं देखी जाती है।
- अर्द्ध-शुष्क क्षेत्रों में पारंपरिक रासायनिक कृषि आसानी से संभव है लेकिन ऐसे क्षेत्रों में पर्माकल्चर कृषि इतनी आसानी से संभव नहीं है।
- पर्माकल्चर कृषि में मल्चिंग का अभ्यास बहुत महत्त्वपूर्ण है लेकिन पारंपरिक रासायनिक कृषि में ऐसा ज़रूरी नहीं है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।
(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 1, 2 और 4
(c) केवल 4
(d) केवल 2 और 3
उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)
- कंटूर बंडलिंग
- रिले फसल
- शून्य जुताई
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उपर्युक्त में से कौन मिट्टी में कार्बन को अलग करने/भंडारण में मदद करता है?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) 1, 2 और 3
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)


मुख्य परीक्षा
भारत में सुरक्षित और विश्वसनीय AI के अनुकूल परिवेश
चर्चा में क्यों?
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY) ने अपने इंडियाAI मिशन के तहत, सुरक्षित और विश्वसनीय AI स्तंभ के तहत पांच अग्रणी परियोजनाओं का चयन किया है, जो डीपफेक का पता लगाने, पूर्वाग्रह को कम करने और सुरक्षा मूल्यांकन को लक्षित करते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत एक स्वतंत्र व्यावसायिक प्रभाग, इंडियाAI, इंडियाAI मिशन की कार्यान्वयन एजेंसी है। इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में AI के लाभों का लोकतंत्रीकरण करना और AI के नैतिक और ज़िम्मेदाराना उपयोग को सुनिश्चित करना है।
इंडियाAI के सुरक्षित और विश्वसनीय AI स्तंभ के अंतर्गत प्रमुख परियोजनाएँ क्या हैं?
- डीपफेक का पता लगाना:
- साक्ष्य (IIT जोधपुर और IIT मद्रास): डीपफेक का पता लगाने और नियंत्रित करने के लिये रिट्रीवल-ऑगमेंटेड जेनरेशन (RAG) का उपयोग करते हुए रियल-टाइम मल्टी-एजेंट फ्रेमवर्क, गलत सूचना और डिजिटल धोखाधड़ी से सुरक्षा प्रदान करता है।
- AI विश्लेशक (IIT मंडी): प्रतिकूल मज़बूती और व्याख्यात्मकता के साथ उन्नत ऑडियो-विजुअल डीपफेक और हस्तलिखित हस्ताक्षर जालसाजी का पता लगाना, फोरेंसिक सटीकता में सहायता करना।
- रियल-टाइम वॉयस डीपफेक डिटेक्शन (IIT खड़गपुर): सिंथेटिक वॉयस हेरफेर का पता लगाने, संचार चैनलों को सुरक्षित करने और पहचान धोखाधड़ी को रोकने के लिये उपकरण।
- पूर्वाग्रह शमन:
- कृषि क्षेत्र में प्रयुक्त एलएलएम (Large Language Models) (डिजिटल फ्यूचर्स लैब और कार्या): कृषि के लिये AI मॉडल में मौजूद लैंगिक पूर्वाग्रहों का मूल्यांकन और उन्हें कम करना। इसका उद्देश्य ऐसे निष्पक्ष और समावेशी AI अनुप्रयोगों को प्रोत्साहित करना है जो महिला किसानों और ग्रामीण समुदायों की जरूरतों को समान रूप से संबोधित करें और उन्हें सशक्त बनाएं।
- प्रवेश परीक्षण और मूल्यांकन:
- एनविल (IIT धारवाड़): एलएलएम और जनरेटिव AI के लिये एक प्रवेश परीक्षण और मूल्यांकन उपकरण, जो प्रतिकूल हमलों के खिलाफ AI सिस्टम सुरक्षा और लचीलापन बढ़ाता है।
इंडियाAI मिशन भारत में एक ज़िम्मेदार AI पारिस्थितिकी तंत्र को किस प्रकार बढ़ावा दे रहा है?
इंडियाAI मिशन के सात स्तंभों का उद्देश्य भारत में ज़िम्मेदार और सुरक्षित AI तैनाती सुनिश्चित करना है।
- इंडियाAI कंप्यूट स्तंभ: यह स्तंभ सस्ती कीमत पर उच्च-स्तरीय JPU प्रदान करता है।
- ये GPU मात्र ₹65 प्रति घंटे की रियायती दर पर उपलब्ध हैं।
- इंडियाAI अनुप्रयोग विकास पहल: यह स्तंभ भारत-विशिष्ट चुनौतियों के लिये AI अनुप्रयोगों का विकास करता है।
- इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा, कृषि, जलवायु परिवर्तन, शासन और सहायक शिक्षण प्रौद्योगिकियाँ शामिल हैं।
- AIKosh (डेटासेट प्लेटफॉर्म): AIKosh, AI मॉडलों के प्रशिक्षण के लिये बड़े डेटासेट विकसित करता है। यह सरकारी और गैर-सरकारी स्रोतों से डेटा को एकीकृत करता है।
- इंडियाAI फाउंडेशन मॉडल: यह स्तंभ भारतीय डेटा और भाषाओं का उपयोग करके भारत के अपने बड़े मल्टीमॉडल मॉडल विकसित करता है।
- यह जनरेटिव AI में संप्रभु क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करता है।
- इंडियाAI फ्यूचरस्किल्स: यह स्तंभ AI-कुशल पेशेवरों का निर्माण करता है।
- इंडियाAI स्टार्टअप फाइनेंसिंग: यह स्तंभ AI स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- इंडियाAI स्टार्टअप्स ग्लोबल कार्यक्रम मार्च, 2025 में लॉन्च किया जाएगा।
- सुरक्षित और विश्वसनीय AI: यह स्तंभ मजबूत शासन के साथ ज़िम्मेदार AI अपनाने को सुनिश्चित करता है।
- फोकस क्षेत्र: मशीन अनलर्निंग, पूर्वाग्रह शमन, गोपनीयता-संरक्षण एमएल, व्याख्या, ऑडिटिंग, शासन परीक्षण।
भारत में AI पारिस्थितिकी तंत्र
- प्रौद्योगिकी क्षेत्र में वृद्धि: वर्ष 2025 में वार्षिक राजस्व 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार करने का अनुमान है।
- रोज़गार: तकनीक और AI पारिस्थितिकी तंत्र में 6 मिलियन से अधिक पेशेवर कार्यरत हैं।
- वैश्विक क्षमता केंद्र (GCCs): भारत में 1,800 से अधिक GCCs हैं, जिनमें से 500 से भी अधिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर केंद्रित हैं।
- स्टार्टअप परिदृश्य: भारत में लगभग 1.8 लाख स्टार्टअप हैं, पिछले वर्ष 89% नए स्टार्टअप ने उत्पादों/सेवाओं में AI को शामिल किया।
- AI को अपनाना: नैसकॉम AI अपनाने के सूचकांक में भारत का स्कोर 2.45/4 है, जिसमें 87% उद्यम सक्रिय रूप से AI समाधानों का उपयोग कर रहे हैं।
- अग्रणी क्षेत्र: प्रमुख अपनाने वालों में औद्योगिक और ऑटोमोटिव, उपभोक्ता वस्तुएँ और खुदरा, BFSI और स्वास्थ्य सेवा शामिल हैं, जो AI के कुल मूल्य का लगभग 60% योगदान करते हैं।
- AI परिपक्वता: लगभग 26% भारतीय कंपनियों ने बड़े पैमाने (BCG सर्वेक्षण) पर AI परिपक्वता हासिल कर ली है।
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: भारत की AI क्रांति
दृष्टि मेंस प्रश्न: भारत के AI पारिस्थितिकी तंत्र में ज़िम्मेदार AI परिनियोजन सुनिश्चित करने, पूर्वाग्रहों को कम करने और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा करने में इंडियाAI की भूमिका पर चर्चा कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न 1. इंडियाAI के सुरक्षित और विश्वसनीय AI मिशन का उद्देश्य क्या है?
इंडियाAI का लक्ष्य सुरक्षित, विश्वसनीय और नैतिक AI को मज़बूत करना, पूरे भारत में ज़िम्मेदार तैनाती, समावेशी शासन तथा तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
प्रश्न 2. इंडियाAI के सुरक्षित और विश्वसनीय AI स्तंभ के तहत किन प्रमुख परियोजनाओं का चयन किया गया है?
पाँच परियोजनाओं में साक्षात्, AI विश्लेषक, रियल-टाइम वॉयस डीपफेक डिटेक्शन, कृषि LLM में लैंगिक पूर्वाग्रह का मूल्यांकन और एनविल शामिल हैं।
प्रश्न 3. भारत में AI अपनाने और पारिस्थितिकी तंत्र की वर्तमान स्थिति क्या है?
भारत में 280 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रौद्योगिकी क्षेत्र है, जिसमें 6 मिलियन से अधिक पेशेवर कार्यरत हैं, 1,800 से अधिक GCC हैं, तथा 87% उद्यम सक्रिय रूप से AI का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें से 26% ने बड़े पैमाने पर AI परिपक्वता प्राप्त कर ली है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा के पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रीलिम्स:
प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
- औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना
- सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
- रोगों का निदान
- टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन
- विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर: (b)
मेन्स:
प्रश्न. कृत्रिम बुद्धि (ए.आई.) की अवधारणा का परिचय दीजिये। ए.आई. क्लिनिकल निदान में कैसे मदद करता है? क्या आप स्वास्थ्य सेवा में ए.आई. के उपयोग में व्यक्ति की निजता को कोई खतरा महसूस करते हैं? (2023)


मुख्य परीक्षा
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (NMP) के 4 वर्ष पूरे होने के अवसर पर सरकार ने अपने पीएम गतिशक्ति पोर्टल को निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया है, जिसका उद्देश्य अंतिम-मील वितरण सेवाओं और बुनियादी ढाॅंचे के विकास को बढ़ाना है।
- पीएम गतिशक्ति पोर्टल भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) द्वारा विकसित किया गया है।
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान क्या है?
परिचय:
- अक्तूबर 2021 में शुरू की गई यह योजना अगले पाँच वर्षों में बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये 100 लाख करोड़ रुपये की निवेश पहल है।
- यह सात आर्थिक चालकों - रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और लॉजिस्टिक्स में एकीकृत विकास को बढ़ावा देता है, जिसे ऊर्जा, IT, जल और सामाजिक बुनियादी ढाँचे द्वारा समर्थन मिलता है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य एकीकृत अवसंरचना नियोजन के माध्यम से रसद लागत में कटौती करना है।
- एक डिजिटल आधार के रूप में, यह मैक्रो-स्तरीय योजना और माइक्रो-स्तरीय क्रियान्वयन के बीच सेतु का कार्य करता है, मौजूदा योजनाओं (भारतमाला, सागरमाला, उड़ान) को जोड़ता है तथा आर्थिक क्षेत्रों को आपस में जोड़कर व्यवसाय की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है।
आधारभूत स्तंभ:
- उपग्रह इमेजरी का उपयोग करता है।
लक्ष्य:
- विमानन अवसंरचना: योजना में विमानन को बढ़ावा देने के लिये 200 नए हवाई अड्डे, हेलीपोर्ट और जल हवाई अड्डे शामिल हैं।
- नवीकरणीय ऊर्जा: वित्त वर्ष 2024-2025 तक नवीकरणीय क्षमता को 225 गीगावाट तक बढ़ाना और 17,000 किलोमीटर गैस पाइपलाइनों का निर्माण पूरा करना।
- पावर ग्रिड विस्तार: 454,200 सर्किट किलोमीटर लाइनों के साथ पावर ग्रिड का विस्तार करना।
- राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क: राष्ट्रीय राजमार्गों का 200,000 किलोमीटर तक विस्तार करने का लक्ष्य।
- रेल कार्गो क्षमता: वित्त वर्ष 2024-2025 तक रेल कार्गो क्षमता को 1,600 टन तक बढ़ाने का लक्ष्य।
प्रमुख उपलब्धियाँ:
- एकीकृत सरकारी प्लेटफॉर्म: समेकित योजना के लिये 1,600 से अधिक डेटा लेयर के साथ 44 केंद्रीय मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को एक ही प्लेटफॉर्म पर एकीकृत करता है।
- परियोजना मूल्यांकन: नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (NPG) ने पीएम गतिशक्ति के मल्टीमॉडल एकीकरण और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी के सिद्धांतों के आधार पर 200 से अधिक बड़ी परियोजनाओं का मूल्यांकन किया है।
- सामाजिक क्षेत्र विकास: इस प्लेटफॉर्म का विस्तार सामाजिक बुनियादी अवसंरचना की योजना बनाने के लिये किया जा रहा है, विशेषकर दूरदराज के इलाकों में कमियों की पहचान करना और स्कूलों, अस्पतालों तथा आँगनवाड़ियों की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- व्यापार और लॉजिस्टिक्स को बढ़ावा: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022 के अनुरूप, इसने विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत की रैंकिंग को वर्ष 2023 में 38वें स्थान पर लाने में सहायता की है, जो वर्ष 2018 के 44वें स्थान से उल्लेखनीय वृद्धि है।
पीएम गतिशक्ति के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं तथा उनके समाधान के उपाय भी सुझाएँ?
चुनौतियाँ (स्मरण सूत्र: BLOCK) |
आगे की राह (स्मरण सूत्र: SCALE) |
B - Bureaucratic Silos (नौकरशाही अवरोध): गहनता से विकसित विभागीय सीमाएँ और नौकरशाही प्रतिरोध, गति शक्ति के तहत आवश्यक निर्बाध डेटा साझाकरण और मंत्रालयों के बीच समन्वय को बाधित करती हैं। |
S - Standardize Data Systems (डेटा प्रणालियों का मानकीकरण): मानकीकृत डेटा प्रोटोकॉल लागू करना, स्पष्ट डेटा स्वामित्व और जवाबदेही स्थापित करना तथा सटीकता एवं समय पर अद्यतन के लिये नियमित ऑडिट अनिवार्य करना। |
L - Land & Legal Hurdles (भूमि एवं कानूनी बाधाएँ): एकीकृत योजना के बावजूद, भूमि अधिग्रहण और अनेक वैधानिक अनुमोदन प्राप्त करना परियोजना में देरी का प्रमुख स्रोत बना हुआ है। |
C - Create Collaborative Incentives (सहयोगात्मक प्रोत्साहन बनाना): ऐसे प्रदर्शन मीट्रिक बनाना जो अंतर-विभागीय सहयोग और सफल एकीकृत परियोजना परिणामों को पुरस्कृत करें। |
O - Operational Data Gaps (परिचालन डेटा अंतराल): विभिन्न मंत्रालयों/राज्यों के डेटा मानक, प्रारूप और अद्यतन आवृत्तियाँ अलग-अलग हो सकती हैं, जिसके कारण अविश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। |
A - Advance Technical Training (उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण): सभी स्तरों के अधिकारियों के लिये राष्ट्रव्यापी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना। प्रभावी प्लेटफॉर्म उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सरलीकृत उपयोगकर्त्ता इंटरफेस विकसित करना और समर्पित तकनीकी सहायता प्रकोष्ठ स्थापित करना। |
C - Capacity & Skill Shortage (क्षमता और कौशल की कमी): कई राज्य एवं स्थानीय एजेंसियों के पास उन्नत GIS और एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म का प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिये तकनीकी बुनियादी ढाँचे तथा कुशल कर्मियों की कमी है। |
L - Link Approval Processes (लिंक अनुमोदन प्रक्रियाएँ): योजना स्तर पर भूमि संबंधी समस्याओं की पहचान के लिये गतिशक्ति का उपयोग करना। अनुमोदनों की तीव्र और समानांतर प्रक्रिया के लिये इसे अन्य सरकारी पोर्टलों (जैसे, परिवेश) के साथ एकीकृत करना। |
K - (Kinetic Action Delay): गतिज क्रिया विलंब: यह सुनिश्चित करना एक चुनौती है कि प्लेटफॉर्म से प्राप्त वास्तविक समय के डेटा से रुकी हुई परियोजनाओं पर समय पर हस्तक्षेप और सुधारात्मक कार्रवाई हो सके। |
E - (Enforce Monitoring Mechanisms) ई - निगरानी तंत्र लागू करना: निगरानी और समस्या निवारण को शामिल करने के लिये नेटवर्क योजना समूह (NPG) के अधिदेश को मज़बूत बनाना। अनसुलझे अवरोधों के लिये एक एस्केलेशन मैट्रिक्स लागू करना। |
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: लास्ट माइल कनेक्टिविटी में सुधार और रसद लागत को कम करने में पीएम गतिशक्ति के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान क्या है?
अक्तूबर, 2021 में शुरू की गई, यह 100 लाख करोड़ रुपये की पहल है जो समन्वित बुनियादी ढाँचा नियोजन और बेहतर रसद दक्षता के लिये 16 मंत्रालयों को एकीकृत करती है।
2. पीएम गतिशक्ति के तहत विकास के प्रमुख इंजन क्या हैं?
रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, जन परिवहन और रसद अवसंरचना, ऊर्जा, आईटी, थोक जल और सामाजिक अवसंरचना द्वारा समर्थित।
3. पीएम गतिशक्ति की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
44 मंत्रालयों और 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों का एकीकरण, 200 से अधिक परियोजनाओं का मूल्यांकन, सामाजिक अवसंरचना नियोजन में सुधार तथा वर्ष 2023 में विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग में सुधार होकर 38वें स्थान तक पहुँचना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रश्न: 'राष्ट्रीय निवेश और बुनियादी ढाँचा कोष' के संदर्भ में निम्नलिखितव् कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
- यह नीति आयोग का अंग है।
- वर्तमान में इसके पास `4,00,000 करोड़ रुपए का कोष है।
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: (d)
प्रश्न भारत में "सार्वजनिक कुंजी अवसंरचना" शब्द का प्रयोग किसके संदर्भ में किया जाता है? (2020)
(a) डिजिटल सुरक्षा अवसंरचना
(b) खाद्य सुरक्षा अवसंरचना
(c) स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा का बुनियादी ढाँचा
(d) दूरसंचार और परिवहन अवसंरचना
उत्तर: A
मेन्स:
प्रश्न. “अधिक तीव्र और समावेशी आर्थिक विकास के लिये बुनियादी ढाँचे में निवेश आवश्यक है।” भारत के अनुभव के आलोक में चर्चा कीजिये। (2021)

