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डेली न्यूज़

  • 01 Mar, 2022
  • 35 min read
भारतीय अर्थव्यवस्था

बाज़ार अवसंरचना संस्थान

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE),बाज़ार अवसंरचना संस्थान (MII)।

मेन्स के लिये:

बाज़ार अवसंरचना संस्थान (MII), कैपिटल मार्केट, मोबिलाइज़ेशन ऑफ रिसोर्सेज़।

चर्चा में क्यों?

 भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार की गई थी।
  • प्रमुख कार्य:
    • प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना।
    • प्रतिभूति बाज़ार को विनियमित करना।

बाज़ार अवसंरचना संस्थान:

  • स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉज़िटरी और समाशोधन निगम को सामूहिक रूप से बाज़ार अवसंरचना संस्थान (Market Infrastructure Institutions) प्रतिभूति के रूप में संदर्भित किया जाता है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में स्थापित (2010 में) एक पैनल के अनुसार, 'मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर' शब्द इस पूंजी बाज़ार की सेवा क्षेत्रक मूलभूत सुविधाओं और प्रणालियों को दर्शाता है।
    • प्रतिभूतियों/पूंजी बाज़ार का प्राथमिक उद्देश्य पूंजी/वित्तीय संसाधनों के आवंटन/पुनर्आवंटन को सक्षम बनाना है।
  • MIIs अर्थव्यवस्था में धन के इष्टतम उपयोग में मदद करने के साथ आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • यह पूंजी आवंटन प्रणाली का केंद्र हैं तथा आर्थिक विकास हेतु अपरिहार्य हैं और किसी भी अन्य बुनियादी ढाँचा संस्थान की तरह समाज पर शुद्ध सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज

  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है।
  • वर्ष 1992 से निगमित ‘नेशनल स्टॉक एक्सचेंज’ एक परिष्कृत, इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ है, जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम के हिसाब से दुनिया में चौथे स्थान पर है।
  • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत में आधुनिक, पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक व्यापार प्रदान करने वाला पहला एक्सचेंज था।
    • नेशनल स्टॉक एक्सचेंज भारत में सबसे बड़ा निजी वाइड-एरिया नेटवर्क है।
  • निफ्टी 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) का प्रमुख सूचकांक है।
  • सूचकांक ब्लू चिप कंपनियों, सबसे बड़ी और सबसे अधिक तरल भारतीय प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो के व्यवहार को ट्रैक करता है। इसमें NSE में सूचीबद्ध लगभग 1600 कंपनियों में से 50 शामिल हैं।

उन्हें महत्त्वपूर्ण क्यों माना जाता है?

  • MIIs भारत में व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण हैं और यह तथ्य सूचीबद्ध कंपनियों के बाज़ार पूंजीकरण, जुटाई गई पूंजी एवं निवेशक खातों की संख्या तथा डिपॉजिटरी के खाते में रखी गई संपत्ति के मूल्य के मामले में इन संस्थानों की अभूतपूर्व वृद्धि से स्पष्ट है।
  • इस तरह एक MII की कोई भी विफलता और भी बड़ी समस्या का कारण बन सकती है जिसके परिणामस्वरूप समग्र आर्थिक गिरावट हो सकती है जो संभावित रूप से प्रतिभूति बाज़ार तथा देश की सीमाओं से आगे बढ़ सकती है।
  • दूरगामी प्रभाव की संभावना को देखते हुए एक MII की विफलता व्यापक बाज़ार और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती है, शासन और निरीक्षण बिल्कुल महत्त्वपूर्ण हैं तथा इनके लिये उच्चतम मानकों की आवश्यकता है।

भारत में विशिष्ट संस्थान जो MII के रूप में अर्हता रखते हैं

  • स्टॉक एक्सचेंजों में सेबी ने बीएसई, एनएसई, मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया और मेट्रोपॉलिटन स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया सहित सात को सूचीबद्ध किया है।
  • दो डिपॉज़िटरी हैं - प्रतिभूतियों को सुरक्षित रखने और उनके व्यापार तथा हस्तांतरण को सक्षम करने के लिये चार्ज किया जाता है - जिन्हें MII टैग किया जाता है: सेंट्रल डिपॉज़िटरी सर्विसेज़ लिमिटेड और नेशनल सिक्योरिटीज़ डिपॉज़िटरी लिमिटेड।
  • नियामक ‘मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज क्लियरिंग कॉरपोरेशन’ सहित सात समाशोधन गृहों को भी सूचीबद्ध करता है।
    • क्लियरिंग हाउस, अपने हिस्से के लिये प्रतिभूतियों के व्यापार को मान्य और अंतिम रूप देने में मदद करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि खरीदार और विक्रेता दोनों अपने दायित्वों का सम्मान करते हैं।

स्रोत- द हिंदू


शासन व्यवस्था

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

प्रीलिम्स के लिये:

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन, सैंडबॉक्स, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, डिजिटल हेल्थ आईडी।

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएँ, स्वास्थ्य, मानव संसाधन, आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के देशव्यापी कार्यान्वयन को मंज़ूरी दी है, जिसमें पाँच वर्ष के लिये 1,600 करोड़ रुपए का बजट आवंटन किया गया है।

  • इस मिशन के तहत नागरिक अपना आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता संख्या प्राप्त कर सकेंगे, जिससे उनके डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड को जोड़ा जा सकेगा।
  • आयुष्मान भारत देश की एक प्रमुख योजना है, जिसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC) के दृष्टिकोण को प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की सिफारिश के अनुसार शुरू किया गया था।

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

  • इसे सितंबर 2021 में प्रधानमंत्री द्वारा एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
  • इसका उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को अस्पतालों, बीमा फर्मों और नागरिकों को आवश्यकता पड़ने पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्वास्थ्य रिकॉर्ड तक पहुँचने में मदद करने हेतु डिजिटल स्वास्थ्य आईडी प्रदान करना है।
  • मिशन के पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त, 2020 को लाल किले की प्राचीर से की थी।
    • यह पायलट परियोजना छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में चरणबद्ध रूप में लागू की जा रही है
  • इसकी कार्यान्वयन एजेंसी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत स्थापित राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) होगी।

मिशन की विशेषताएँ

  • स्वास्थ्य आईडी:
    • यह प्रत्येक नागरिक को प्रदान किया जाएगा जो उनके स्वास्थ्य खाते के रूप में भी काम करेगा। इस स्वास्थ्य खाते में प्रत्येक परीक्षण, प्रत्येक बीमारी, डॉक्टर से अपॉइंटमेंट, ली गई दवाओं और निदान का विवरण होगा। 
    • स्वास्थ्य आईडी निःशुल्क व स्वैच्छिक है। यह स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण करने में मदद करेगी और स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बेहतर नियोजन, बजट तथा कार्यान्वयन सुनिश्चित करेगा।
  • स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ और पेशेवर रजिस्ट्री:
    • कार्यक्रम के अन्य प्रमुख घटकों- हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (HPR) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज़ रजिस्ट्री (HFR) को निर्मित किया गया है, जिससे मेडिकल प्रोफेशनल्स तथा स्वास्थ्य अवसंरचना तक आसान इलेक्ट्रॉनिक पहुँच की अनुमति मिलती है।
    • HPR चिकित्सा की आधुनिक और पारंपरिक दोनों प्रणालियों में स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाले सभी स्वास्थ्य पेशेवरों का एक व्यापक डिजिटल भंडार होगा। 
    • एचएफआर डेटाबेस में देश की सभी स्वास्थ्य सुविधाओं का रिकॉर्ड होगा।
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन सैंडबॉक्स:
    • मिशन के एक हिस्से के रूप में निर्मित सैंडबॉक्स, प्रौद्योगिकी और उत्पाद परीक्षण हेतु एक रूपरेखा के रूप में कार्य करेगा जो संगठनों की मदद करेगा। इसमें राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा बनने के इच्छुक प्राइवेट प्लेयर्स शामिल होते हैं। स्वास्थ्य सूचना प्रदाता या स्वास्थ्य सूचना उपयोगकर्त्ता आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के बिल्डिंग ब्लॉक्स के साथ कुशलतापूर्वक जुड़ सकते हैं।

लाभ और संबंधित चिंताएँ:

  • संभावित लाभ:
    • डॉक्टरों और अस्पतालों तथा स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये व्यवसाय करने में आसानी।
    • उनकी सहमति से नागरिकों के देशांतरीय स्वास्थ्य रिकॉर्ड (Longitudinal Health Records) तक पहुंँच और आदान-प्रदान को सक्षम बनाना।
    • भुगतान प्रणाली में आए क्रांतिकारी बदलाव में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) द्वारा निभाई गई भूमिका के समान डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में एकीकृत करने में सहायक होगी।
    • मिशन गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिये "समान पहुँच" में सुधार करेगा क्योंकि यह टेलीमेडिसिन जैसी तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करेगा और स्वास्थ्य सेवाओं की राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी को सक्षम करेगा।
  • चिंताएँ:
    • डेटा सुरक्षा बिल की कमी के कारण निजी फर्मों और बेड प्लेयर्स द्वारा डेटा का दुरुपयोग हो सकता है।
    • नागरिकों का बहिष्करण और सिस्टम में खराबी के कारण स्वास्थ्य सेवा से वंचित होना भी चिंता का विषय है।

NDHM-Echosystem

आगे की राह: 

  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) अभी भी स्वास्थ्य को न्यायसंगत अधिकार के रूप में मान्यता प्रदान नहीं करता है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2015 के मसौदे में निर्धारित स्वास्थ्य को अधिकार बनाने हेतु एक ड्राफ्ट होना चाहिये।
  • इसके अलावा यूनाइटेड किंगडम में एक समान राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) की विफलता से सीखा जाना चाहिये और मिशन को अखिल भारतीय स्तर पर शुरू करने से पहले तकनीकी और कार्यान्वयन से संबंधित कमियों को सक्रिय रूप से संबोधित किया जाना चाहिये।
  • देश भर में NDHM के मानकीकरण हेतु राज्य-विशिष्ट नियमों को समायोजित करने के तरीके खोजने की आवश्यकता होगी। इसे सरकारी योजनाओं जैसे- आयुष्मान भारत योजना और अन्य आईटी-सक्षम योजनाओं जैसे प्रजनन बाल स्वास्थ्य देखभाल व निक्षय आदि के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द हिंदू 


शासन व्यवस्था

जन औषधि दिवस

प्रीलिम्स के लिये:

जनऔषधि दिवस, प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP) और इसकी विशेषताएँ।

मेन्स के लिये:

भारतीय फार्मा सेक्टर और संबंधित मुद्दे, जेनेरिक दवाएँ और इसकी आवश्यकता, भारत में जेनेरिक दवा को बढ़ावा देने हेतु उठाए गए कदम, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, स्वास्थ्य।

चर्चा में क्यों?

फार्मास्युटिकल्स विभाग के तत्वावधान में ‘फार्मास्युटिकल्स एंड मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया’ (PMBI) चौथा ‘जन औषधि दिवस’ आयोजित करने जा रहा है।

  • इसके तहत सभी गतिविधियाँ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित की जाएंगी और 75 स्थानों पर कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।
  • इससे जेनेरिक दवाओं के उपयोग एवं जन औषधि परियोजना के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
  • इस वर्ष (2022) जन औषधि दिवस का विषय ‘जन औषधि-जन उपयोगी’ है।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (PMBJP)

  • इस परियोजना को फार्मास्युटिकल विभाग द्वारा वर्ष 2008 में ‘जनऔषधि अभियान’ के नाम से शुरू किया गया एक अभियान है।
    • वर्ष 2015-16 में अभियान को PMBJP के रूप में नया रूप दिया गया।
  • ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (BPPI) इसके लिये कार्यान्वयन एजेंसी है।
    • ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (BPPI) रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के तहत काम करता है।
    • BPPI ने जन औषधि सुगम एप्लीकेशन भी विकसित किया है।
  • एक दवा की कीमत शीर्ष तीन महँगी ब्रांडेड दवाओं के औसत मूल्य के अधिकतम 50% के सिद्धांत पर होती है। इस प्रकार जन औषधि दवाओं की कीमतें कम-से-कम 50% और कुछ मामलों में ब्रांडेड दवाओं के बाज़ार मूल्य के 80% से 90% तक सस्ती होती हैं।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि का उद्देश्य

  • सभी के लिये सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण दवाएँ, उपभोज्य एवं सर्जिकल सामग्री उपलब्ध कराकर उपभोक्ताओं/मरीजों के जेब खर्च को कम करना।
  • जेनेरिक दवाओं को जनता के बीच लोकप्रिय बनाना तथा यह प्रचलित धारणा को दूर करना कि कम कीमत वाली जेनेरिक दवाएँ ख़राब गुणवत्ता या कम प्रभावी होती हैं।
    • जेनेरिक दवाएँ गैर-ब्रांडेड दवाएँ हैं जो समान रूप से सुरक्षित हैं तथा गुणवत्ता एवं प्रभावकारिता  के मामले में ब्रांडेड दवाओं के समतुल्य हैं।
  • भारत भर में सभी महिलाओं को मासिक धर्म स्वास्थ्य सेवाओं (जन औषधि 'सुविधा' सैनिटरी नैपकिन) की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र’ के माध्यम से व्यक्तिगत उद्यमियों को शामिल करके रोज़गार पैदा करना।

जन औषधि केंद्र

  • जन औषधि केंद्रों से सभी को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाएँ उपलब्ध कराई जाती हैं।
  • ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू इन इंडिया (BPPI) प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना के एक हिस्से के रूप में जन औषधि केंद्रों का समर्थन करता है।
  • सरकार ने मार्च 2025 के अंत तक प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों (PMBJKs) की संख्या को बढ़ाकर 10,500 करने का लक्ष्य रखा है।
    • 31 जनवरी, 2022 तक केंद्रों की संख्या बढ़कर 8,675 हो गई है।
  • PMBJP के उत्पाद समूह में 1451 दवाएँ और 240 सर्जिकल उपकरण शामिल हैं।
    • इसके अलावा नई दवाएँ और न्यूट्रास्युटिकल उत्पाद जैसे प्रोटीन पाउडर, माल्ट-आधारित खाद्य पूरक, प्रोटीन बार, इम्युनिटी बार, सैनिटाइज़र, मास्क, ग्लूकोमीटर, ऑक्सीमीटर आदि लॉन्च किये गए हैं।

प्रदर्शन का विश्लेषण:

  • चालू वित्त वर्ष 2021-22 में  PMBJP ने 751.42 करोड़ रुपए की बिक्री की। इसके परिणामस्वरूप देश के नागरिकों को लगभग 4500 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
  • यह योजना स्थायी और नियमित आय के साथ स्वरोज़गार का एक अच्छा स्रोत भी प्रदान कर रही है।
  • एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रति स्टोर प्रति माह औसत बिक्री बढ़कर 1.50 लाख रुपए (ओवर-द-काउंटर और अन्य उत्पादों सहित) हो गई है।
    • ओवर-द-काउंटर एक ऐसी दवा को संदर्भित करता है जिसे बिना प्रिस्क्रिप्शन के खरीदा जा सकता है।

स्रोत-पी.आई.बी


जैव विविधता और पर्यावरण

IPCC की छठी आकलन रिपोर्ट- भाग 2

प्रिलिम्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन (IPCC), जलवायु परिवर्तन, गैर-संचारी रोग, क्योटो प्रोटोकॉल, ग्रीनहाउस गैसों पर अंतर-सरकारी पैनल की छठी आकलन रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन (IPCC) पर अंतर-सरकारी पैनल की छठी आकलन रिपोर्ट, जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन उपाय, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

चर्चा में क्यों?

हाल ही में जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) ने अपनी छठी आकलन रिपोर्ट का दूसरा भाग जारी किया। रिपोर्ट का यह दूसरा भाग जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, ज़ोखिमों और कमज़ोरियों एवं अनुकूलन विकल्पों से संबंधित है।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु:

  • ज़ोखिम में जनसंख्या: वैश्विक आबादी के 45% से अधिक 3.5 बिलियन से अधिक लोग जलवायु परिवर्तन के लिये अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में रह रहे है।
  • भारतीय परिदृश्य: रिपोर्ट में भारत को एक संवेदनशील हॉटस्पॉट के रूप  पहचाना गया है, जिसमें कई क्षेत्रों एवं महत्त्वपूर्ण शहरों में बाढ़, समुद्र के स्तर में वृद्धि तथा हीट वेव्स जैसी जलवायु आपदाओं जैसे ज़ोखिमो का सामना करना पड़ रहा है।
    • उदाहरण के लिये मुंबई में समुद्र के स्तर में वृद्धि के साथ बाढ़ का उच्च ज़ोखिम है, जबकि अहमदाबाद में हीट वेव्स का गंभीर खतरा है।
  • जटिल, मिश्रित और व्यापक जोखिम: नवीनतम रिपोर्ट में यह बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कई  अन्य आपदाएँ अगले दो दशकों में विश्व के विभिन्न हिस्सों में उभरने की संभावना है।
    • कई जलवायु खतरे एक साथ घटित होंगे तथा जलवायु एवं गैर-जलवायु ज़ोखिम परस्पर क्रिया करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप समग्र ज़ोखिम व खतरा सभी क्षेत्रों में बढ़ेंगे।
  • दीर्घकालिक ज़ोखिमों के निकट: भले ही पूर्व-औद्योगिक समय से वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने हेतु पर्याप्त प्रयास किये गए हों।
    • यहाँ तक ​​कि अस्थायी रूप से वैश्विक तापमान में वृद्धि से कुछ अतिरिक्त गंभीर प्रभाव का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें से कुछ अपरिवर्तनीय भी हो सकते है।
    • जलवायु परिवर्तन में वृद्धि तथा इससे जुड़े ज़ोखिम निकट अवधि के शमन तथा अनुकूलन कार्यों पर काफी हद तक निर्भर करते हैं।
    • अनुमानित प्रतिकूल प्रभाव और संबंधित नुकसान वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ बढ़ते हैं।
  • युग्मित प्रणाली: युग्मित प्रणाली जलवायु, पारिस्थितिक तंत्र (उनकी जैव विविधता सहित) और मानव समाज के बीच बातचीत पर एक मज़बूत ध्यान है।

Climate-Change

  • क्षेत्रीय भिन्नता: पारिस्थितिक तंत्र और लोगों की जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता क्षेत्रों के बीच और भीतर काफी भिन्न होती है।
    • ये सामाजिक-आर्थिक विकास, अस्थिर महासागर और भूमि उपयोग, असमानता, हाशिए पर, ऐतिहासिक तथा असमानता के चल रहे पैटर्न जैसे उपनिवेशवाद एवं शासन के प्रतिच्छेदन के पैटर्न से प्रेरित हैं।
  • जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य प्रभाव: यह पाया गया है कि जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से एशिया के उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मलेरिया या डेंगू जैसे वेक्टर जनित और जल जनित रोग बढ़ रहे हैं। 
    • इसमें यह भी कहा है कि तापमान में वृद्धि के साथ संचार, श्वसन, मधुमेह और संक्रामक रोगों के साथ-साथ शिशु मृत्यु दर में वृद्धि होने की संभावना है।
    • हीटवेब्स, बाढ़ और सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और यहाँ तक ​​​​कि वायु प्रदूषण भी कुपोषण, एलर्जी संबंधी बीमारियों और यहाँ तक ​​​​कि मानसिक विकारों को भी उत्पन्न कर रहा था।
  • वर्तमान अनुकूलन और इसके लाभ: अनुकूलन योजना और कार्यान्वयन में प्रगति सभी क्षेत्रों में देखी गई है, जिसके कई लाभ हुए हैं।
    • कई पहलें तत्काल और निकटवर्ती जलवायु जोखिम में कमी को प्राथमिकता देती हैं जो परिवर्तनकारी अनुकूलन के अवसर को कम करती हैं।

अनुकूलन जोखिम  और रणनीतियाँ

Adaption-Risk

  • अनुकूलन में अंतराल: रिपोर्ट में किये जा रहे अनुकूलन कार्यों और आवश्यक प्रयासों में बड़े अंतराल पर भी प्रकाश डाला गया है। यह बताती  है कि ये अंतराल "धन की कमी, राजनीतिक प्रतिबद्धता, विश्वसनीय जानकारी और तात्कालिकता की भावना" का परिणाम है।
    • नुकसान को कम करने के लिये अनुकूलन आवश्यक है, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में महत्वाकांक्षी कटौती की जानी चहिये क्योंकि बढ़ती गर्मी के साथ कई अनुकूलन विकल्पों की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
  • समग्र परिवर्तनों की आवश्यकता: अब यह स्पष्ट है कि मामूली, सीमांत, प्रतिक्रियाशील या वृद्धिशील परिवर्तन पर्याप्त नहीं होंगे।
    • तकनीकी और आर्थिक परिवर्तनों के अलावा अनुकूलन की सीमाओं को पार करने, लचीला बनाने, जलवायु जोखिम को सहनीय स्तरों तक कम करने, समावेशी, न्यायसंगत और न्यायपूर्ण विकास की गारंटी देने और किसी को पीछे छोड़े बिना सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये समाज के अधिकांश पहलूओं में बदलाव की आवश्यकता है।

जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल

  • यह जलवायु परिवर्तन से संबंधित विज्ञान का आकलन करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था है।
  • IPCC की स्थापना संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organisation- WMO) द्वारा वर्ष 1988 में की गई थी। यह जलवायु परिवर्तन पर नियमित वैज्ञानिक आकलन, इसके निहितार्थ और भविष्य के संभावित जोखिमों के साथ-साथ अनुकूलन तथा शमन के विकल्प भी उपलब्ध कराता है।
  • IPCC आकलन जलवायु संबंधी नीतियों को विकसित करने हेतु सभी स्तरों पर सरकारों के लिये एक वैज्ञानिक आधार प्रदान करते हैं और वे संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन- जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क (United Nations Framework Convention on Climate Change- UNFCCC) में इस पर परिचर्चा करते हैं।

IPCC आकलन रिपोर्ट

  • आकलन रिपोर्ट, जो कि पहली बार रिपोर्ट वर्ष 1990 में सामने आई थी, पृथ्वी की जलवायु की स्थिति का सबसे व्यापक मूल्यांकन है।
    • प्रत्येक सात वर्षों में IPCC मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करता है।
  • बदलती जलवायु को लेकर एक सामान्य समझ विकसित करने हेतु सैकड़ों विशेषज्ञ प्रासंगिक, प्रकाशित वैज्ञानिक जानकारी के हर उपलब्ध स्रोत का अध्ययन करते हैं।
  • अन्य चार मूल्यांकन रिपोर्टें वर्ष 1995, वर्ष 2001, वर्ष 2007 और वर्ष 2015 में प्रकाशित हुईं।
    • ये रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया का आधार हैं।
  • प्रत्येक मूल्यांकन रिपोर्ट में पिछली रिपोर्ट के काम पर अधिक सबूत, सूचना और डेटा एकत्रित किया जाता है।
    • ताकि जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के विषय में अधिक स्पष्टता, निश्चितता और नए साक्ष्य मौजूद हों।
  • इन्हीं वार्ताओं ने पेरिस समझौते और क्योटो प्रोटोकॉल को जन्म दिया था।
    • पाँचवीं आकलन रिपोर्ट के आधार पर पेरिस समझौते पर वार्ता हुई थी।
  • आकलन रिपोर्ट- वैज्ञानिकों के तीन कार्य समूहों द्वारा
    • कार्यकारी समूह- I: जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक आधार से संबंधित है। 
    • कार्यकारी समूह- II : संभावित प्रभावों, कमज़ोरियों और अनुकूलन मुद्दों को देखता है।
    • कार्यकारी समूह-III: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये की जा सकने वाली कार्रवाइयों से संबंधित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


आंतरिक सुरक्षा

आईएनएस विशाखापत्तनम

प्रिलिम्स के लिये:

INS विशाखापत्तनम, P-15B, मेक इन इंडिया पहल, MILAN 2022

मेन्स के लिये:

रक्षा प्रौद्योगिकी, सुरक्षा, भारत की समुद्री सुरक्षा के मुद्दे और उसके समाधान के लिये आवश्यक उपाय

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत निर्मित स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक INS विशाखापत्तनम को औपचारिक रूप से विशाखापत्तनम बंदरगाह से संबद्ध किया गया था।

  • यह चार 'विशाखापत्तनम' श्रेणी के विध्वंसकों में से पहले के औपचारिक रूप से शामिल होने का प्रतीक है।
    • P-15B (विशाखापत्तनम क्लास) के तहत कुल चार युद्धपोतों (विशाखापत्तनम, मार्मगाओ, इंफाल, सूरत) को शामिल करने की योजना बनाई गई थी।
    • यह स्वदेशी रूप से भारतीय नौसेना के ‘इन-हाउस डायरेक्टरेट ऑफ नवल डिज़ाइन’ द्वारा डिज़ाइन किया गया है और इसका निर्माण मझगाँव डॉक शिपबिल्डर्स, मुंबई द्वारा किया गया है।

आईएनएस विशाखापत्तनम:

INS

  • INS विशाखापत्तनम निर्देशित मिसाइल स्टील्थ विध्वंसक के P15B वर्ग का प्रमुख जहाज़ है और इसे 21 नवंबर 2021 को नौसेना को सौंप दिया गया।
  • यह जहाज़ भारत की परिपक्व जहाज़ निर्माण क्षमता और 'आत्मनिर्भर भारत' को प्राप्त करने की दिशा में ‘मेक इन इंडिया’ पहल की खोज का प्रतीक है।
  • जहाज़ का चालक दल उसके आदर्श वाक्य 'यशो लाभवा' का पालन करता है, यह एक संस्कृत वाक्यांश जिसका अर्थ है 'महिमा प्राप्त करें'।
    • यह हर प्रयास में सफलता और गौरव प्राप्त करने हेतु इस शक्तिशाली जहाज़ की अदम्य भावना और क्षमता का प्रतीक है।
  • विशाखापत्तनम श्रेणी के जहाज़ पिछले दशक में कमीशन किये गए कोलकाता श्रेणी के विध्वंसक (पी-15ए) के फॉलो-ऑन हैं।
  • प्रेसिडेंट फ्लीट रिव्यू (PFR) और मिलन 2022 में भाग लेने हेतु जहाज़ बंदरगाह की अपनी पहली यात्रा पर है।
    • ‘फ्लीट रिव्यू’ एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा है, जिसका पालन दुनिया भर की नौसेनाएँ करती हैं और यह संप्रभु एवं राज्य के प्रति वफादारी और निष्ठा प्रदर्शित करने के उद्देश्य से पूर्व-निर्धारित स्थान पर जहाज़ों की एक सभा है।

P15B जहाज़ों की विशेषताएँ

  • ये जहाज़ अत्याधुनिक हथियार/सेंसर पैकेज, उन्नत स्टील्थ सुविधाओं और उच्च स्तर के स्वचालन के साथ दुनिया के सबसे तकनीकी रूप से उन्नत निर्देशित मिसाइल विध्वंसक हैं।
  • ये जहाज़ ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों एवं लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) से लैस हैं।
  • जहाज़ में मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM), स्वदेशी टारपीडो ट्यूब लॉन्चर, पनडुब्बी रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट जैसी कई स्वदेशी हथियार प्रणालियाँ हैं।

भारत की सुरक्षा में P-15B की क्या भूमिका

  • वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में 2.01 मिलियन वर्ग किलोमीटर ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) के साथ 7516 किलोमीटर लंबी तटरेखा और लगभग 1100 अपतटीय द्वीपों की सुरक्षा के लिये भारतीय नौसेना काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
  • ‘P-15B’ श्रेणी जैसे विध्वंसक जहाज़ हिंद-प्रशांत के बड़े महासागरों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, जिससे भारतीय नौसेना को एक महत्त्वपूर्ण शक्ति बनने में मदद मिलेगी।
  • इसमें हवा, सतह या जल के नीचे मौजूद किसी भी प्रकार के खतरे से नौसेना के बेड़े की रक्षा के लिये गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स की भी तैनाती की गई है।

स्रोत: पी.आई.बी


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