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विमर्श

साहित्य, सिनेमा और समाज का अंतर्संबंध

20 Feb, 2024 | डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय

साहित्य, सिनेमा और समाज तीनों को एक ही पंक्ति में रखने का कारण इनके मध्य व्याप्त गहन अन्तर्संबंधितता रही है। साहित्य समाज से और समाज साहित्य से निरंतर वैचारिक आदान-प्रदान...

कानून और समाज

शिक्षा में साहित्य की प्रासंगिकता

20 Jun, 2023 | डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय

साहित्य का शाब्दिक अर्थ सहभाव है। सहभाव शब्द और अर्थ के मध्य विद्यमान होता है। साहित्य की परिभाषा इतनी व्यापकता लिए हुए है कि इसमें संपूर्ण मानव जीवन समाहित किया जा सकता...

व्यक्तित्त्व : जिन्हें हम पसंद करते हैं

अज्ञेय ‘प्रयोगवाद’ के प्रवर्तक

14 Apr, 2023 | डॉ. विवेक कुमार पाण्डेय

‘नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना है/ या कि मेरा प्यार मैला है/ बल्कि केवल यही/ ये उपमान मैले हो गए हैं/ देवता इन प्रतीकों के कर गए हैं कूच/ कभी बासन अधिक घिसने से मुलम्मा...

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