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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 25 Nov 2025
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देव सूर्य मंदिर और उमगा मंदिर परिसर का ऑडिट

चर्चा में क्यों?

पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार को देव सूर्य मंदिर (औरंगाबाद) तथा उमगा मंदिर परिसर (औरंगाबाद) का संरचनात्मक सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश दिया है, ताकि इनके संरक्षण की स्थिति का आकलन किया जा सके तथा भविष्य में होने वाले क्षरण को रोका जा सके।

मुख्य बिंदु

  • देव सूर्य मंदिर के बारे में:
    • यह बिहार के औरंगाबाद ज़िले के देव शहर में स्थित है तथा सूर्य देव को समर्पित भारत के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है।
    • यह मंदिर 8वीं शताब्दी का माना जाता है तथा छठ पूजा के आयोजन के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
    • यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से अद्वितीय है, क्योंकि इसका मुख्य प्रवेश-द्वार पश्चिम (अस्त होते सूर्य) की ओर है, अधिकांश हिंदू मंदिरों का मुख पूर्व (उदय होते सूरज) की ओर होता है।
    • मंदिर में संरचनात्मक दबाव, क्षरण तथा अनियंत्रित आगंतुक भार के संकेत दिखाई देते हैं, जिसके कारण न्यायालय ने आकलन का आदेश दिया है।

  • उमगा मंदिर के बारे में:
    • उमगा मंदिर औरंगाबाद ज़िले की उमगा पहाड़ियों पर स्थित है तथा अपनी नागर वास्तुकला के लिये जाना जाता है, जिसमें विशिष्ट शैली में नक्काशीदार अनेक पत्थर के मंदिर शामिल हैं।
    • इस भव्य मंदिर के निर्माण में चौकोर ग्रेनाइट प्रखंड का उपयोग किया गया है, जिसमें भगवान गणेश, सूर्य देव और भगवान शिव की प्रतिमाएँ स्थापित हैं।
    • मंदिर परिसर की कई संरचनाओं में दरारें, झाड़ी/वनस्पति उगने तथा उपेक्षा के संकेत मिलते हैं, जिससे इनके दीर्घकालिक स्थायित्व को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।


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हायली गुब्बी ज्वालामुखी

चर्चा में क्यों?

इथियोपिया में स्थित हायली गुब्बी ज्वालामुखी में भयंकर विस्फोट हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप हजारों मीटर ऊँचाई तक राख के विशाल गुबार उठे। इन राख कणों का एक भाग भारतीय वायुक्षेत्र में प्रवेश कर गया है, जिसके कारण विमानन-संबंधी चेतावनी जारी की गई है।

मुख्य बिंदु

  • हायली गुब्बी ज्वालामुखी के बारे में: 
  • यह ज्वालामुखी उत्तरी-पूर्वी इथियोपिया के अफार क्षेत्र में स्थित है और दानाकिल डिप्रेशन का हिस्सा है, जो पृथ्वी के सबसे गर्म तथा सबसे निम्न स्थलों में से एक है।
  • यह विस्फोट महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अफार क्षेत्र से प्राप्त भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर ऐसा माना जाता है कि यह ज्वालामुखी लगभग 12,000 वर्षों के बाद सक्रिय हुआ है।
  • यह विस्फोट पूर्वी अफ्रीकी दरार प्रणाली (EARS) की भूवैज्ञानिक अस्थिरता को रेखांकित करता है, जहाँ सक्रिय ज्वालामुखी, दरार-विस्फोट तथा विस्तृत रेखाएँ सामान्य हैं।
  • यह विश्व की अत्यंत विवर्तनिक रूप से सक्रिय दरार प्रणालियों में से एक है, जहाँ अरब, न्युबियन और सोमाली विवर्तनिक प्लेटें अपसरण कर रही हैं।
  • इस क्षेत्र की विशेषता बेसाल्टिक लावा, फिशर प्रणालियाँ और महाद्वीपीय विखंडन प्रक्रिया से संबद्ध लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ हैं।

ज्वालामुखीय राख और विमानन जोखिम

  • ज्वालामुखीय राख अत्यंत सूक्ष्म, घर्षणकारी चट्टानी तथा काँचीय कणों से बनी होती है, जो जेट इंजनों के भीतर प्रवेश कर पिघल सकती है और गंभीर क्षति पहुँचा सकती है।
  • जब राख पिघलकर टरबाइन ब्लेड पर पुनः जम जाती है तो जेट इंजन बंद हो सकते हैं।


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