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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 Mar 2023
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चेंटीखेड़ा, दौरी और बहुती नहर परियोजना को मिली स्वीकृति

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश मंत्री परिषद की बैठक में जल संसाधन विभाग की चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना को मंजूर किया गया। वहीं वृहद् परियोजना नियंत्रण मंडल की 119वीं बैठक में दौरी सागर मध्यम परियोजना और बहुती नहर परियोजना का शेष निर्माण कार्य को मंजूरी प्रदान की गई।

प्रमुख बिंदु

  • जल संसाधन विभाग की चेंटीखेड़ा, दौरी और बहुती नहर परियोजनाओं से प्रदेश में 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता का निर्माण होगा।
  • चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना : श्योपुर ज़िले में चेंटीखेड़ा वृहद् सिंचाई परियोजना की अनुमानित लागत 539 करोड़ रुपए है। योजना के अंतर्गत 67.88 एमसीएम के मिट्टी के बांध निर्माण एवं पाईप नहर का निर्माण किया जाना है। परियोजना से 15 हज़ार 300 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा सकेगी।
  • दौरी सागर मध्यम् परियोजना : सतना में प्रस्तावित दौरी सागर मध्यम् परियोजना की अनुमानित लागत 175 करोड़ रुपए है। परियोजना के अंतर्गत जलाशय निर्माण एवं पाईप नहर प्रणाली का निर्माण किया जाएगा। 36 माह की अवधि में पूरी होने वाली परियोजना से सतना ज़िले के लगभग 7200 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी।
  • बहुती नहर परियोजना : सतना ज़िले में बहुती नहर परियोजना का शेष निर्माण कार्य किया जाना है। बहुती नहर प्रणाली बाणसागर जलाशय से निकली है, जिससे रीवा एवं सतना ज़िले के 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित किया जा सकेगा। परियोजना की अनुमानित लागत 351 करोड़ 48 लाख 80 हज़ार रुपए है।

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मेपकॉस्ट और वन विभाग द्वारा वन बायोमास मैपिंग कार्य शुरू

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मेपकास्ट) के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जीडी बैरागी ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए नवाचार के क्रम में मेपकॉस्ट ने वन विभाग के सहयोग से फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग का कार्य शुरू किया है।

प्रमुख बिंदु

  • खास बात यह है कि मेपकास्ट द्वारा की जाने वाली इस मैपिंग से मिले परिणाम का केलीब्रेशन और वेलीडेशन (मिलान) जनवरी 2024 में लांच होने वाले निसार सेटेलाइट डाटा से किया जाएगा। यह सेटेलाइट, नासा और इसरो के संयुक्त तत्वावधान में शुरू किये गए नासा इसरो सिंथेटिक अर्पचर राडार (निसार) प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
  • वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जीडी बैरागी ने बताया कि सेटेलाइट में मुख्य रूप से दो बैंड एल और एस भेजे जा रहे हैं। एक हेक्टेयर के प्लॉट से प्राप्त किये गए डेटा का मिलान सेटेलाइट के एल बैंड सेंसर के माध्यम से किया जायेगा। यह मध्य प्रदेश के लिये वन वायोमास आकलन के लिये उपयोगी होगा। अब बायोमास की मैपिंग सेटेलाइट के माध्यम से भी जाँच सकेंगे।
  • डॉ. बैरागी ने बताया कि यह काम मेपकास्ट और इसरो की टीम द्वारा किया जा रहा है। फॉरेस्ट बायोमास की मैपिंग के लिये नर्मदापुरम ज़िले को चिन्हित किया गया है। यहाँ एक हेक्टेयर के 10 प्लाट पर स्थायी तौर पर मैपिंग का कार्य किया जाएगा। स्थायी प्लॉट्स पर वर्ष में एक बार भौतिक रूप से बायोमास मैपिंग का कार्य किया जाएगा। इसमें पेड़ की ऊँचाई, मोटाई, शाखाओं की गिनती आदि को नापकर बायोमास निकाला जाएगा।
  • डॉ. बैरागी ने बताया कि इस परियोजना से प्राप्त परिणाम से सेटेलाइट से वन वायोमास की मेपिंग की जा सकेगी, जिसका उपयोग वन और पर्यावरण-संरक्षण में होगा।

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मुख्यमंत्री को कृषि मंत्री ने अवार्ड सौंपा

चर्चा में क्यों?

28 मार्च, 2023 को मध्य प्रदेश के किसान-कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने मध्य प्रदेश को फार्म गेट एप के लिये दिल्ली में मिला अवार्ड मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश को कंप्यूटर सोसायटी ऑफ इंडिया द्वारा राज्य सरकारों की प्रोजेक्ट केटेगरी में फॉर्म गेट एप के लिये 20वाँ सीएसआई-एसआईजी ई-गर्वेनेंस अवार्ड-2022 प्रदान किया गया है।
  • यह एप एंड्रॉयड बेस्ड एप्लीकेशन है। इसे किसान अपने एंड्राइड मोबाइल पर निशुल्क डाउनलोड कर सकता है। इससे किसान अपनी मर्जी अनुसार अपनी उपज को अपने घर, खलिहान, गोदाम से विक्रय में सक्षम हुआ है।
  • किसानों को अपनी उपज को मंडी में लाकर विक्रय करने के साथ-साथ घर बैठे अपनी उपज अपने दाम पर विक्रय की आजादी मिली है। मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला देश में इकलौता राज्य है। उक्त प्रणाली को भारत सरकार द्वारा बहुत सराहा गया है।
  • मध्य प्रदेश की कृषि उपज मंडी समितियों में संचालित एम.पी. फार्म गेट एप प्रदेश की 8 मंडियों भोपाल, हरदा, इंदौर, देवास, गुना, सागर, जबलपुर एवं सतना में 1 अगस्त, 2022 से पायलट के रूप में एंड्राइड एप के माध्यम से प्रारंभ किया गया। साथ ही 27 सितंबर, 2022 से उज्जैन मंडी को पायलट योजना में शामिल किया गया। एम.पी. फार्म गेट एप का मध्य प्रदेश की समस्त 259 कृषि उपज मंडी समितियों में संचालन किया जा रहा है।
  • एमपी फार्म गेट एप का उपयोग कर 12981 कृषकों द्वारा 64 लाख क्विंटल विभिन्न कृषि उपज विक्रय किया गया है। फार्म गेट से किसानों से सीधा क्रय, पूर्व में सौदा पत्रक पोर्टल के माध्यम से अप्रैल 2021 में किया गया था। धीरे-धीरे इस एप का प्रयोग ज्यादातर किसानों द्वारा किया जाने लगा है। अब तक इस एप का उपयोग कर मंडी प्रांगण में 16 प्रतिशत तक की आवक हो चुकी है।


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