उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ग्रीन टैक्स आरोपित
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार दिसंबर 2025 से अन्य राज्यों से राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों से ग्रीन टैक्स वसूलना शुरू करेगी।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य:
- इस निर्णय का उद्देश्य वाहन प्रदूषण को नियंत्रित करना, संवेदनशील हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा करना और पूरे राज्य में पर्यावरणीय स्वच्छता को बढ़ावा देना है।
- प्रणाली और तकनीक:
- स्वचालित कर संग्रह प्रणाली राज्य के प्रवेश बिंदुओं पर स्थापित स्वचालित नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरों का उपयोग करेगी, ताकि आने वाले वाहनों की पंजीकरण संख्या प्राप्त की जा सके।
- एकत्र डेटा को राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) डेटाबेस में स्थानांतरित किया जाएगा, जहाँ सत्यापन के बाद, लागू कर राशि स्वचालित रूप से वाहन मालिक के भुगतान वॉलेट से कटकर परिवहन विभाग के खाते में जमा कर दी जाएगी।
- छूट:
- उत्तराखंड में पंजीकृत वाहन, सरकारी वाहन, इलेक्ट्रिक और CNG वाहन, एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड ट्रक तथा दो-पहिया वाहन ग्रीन टैक्स से मुक्त रहेंगे, इसके अतिरिक्त 24 घंटे के भीतर पुनः राज्य में प्रवेश करने वाले वाहन से भी पुनः शुल्क नहीं लिया जाएगा।
ग्रीन टैक्स
- "ग्रीन टैक्स" एक वित्तीय कर है, जो सरकार द्वारा उन वाहनों या स्रोतों पर लगाया जाता है, जो पर्यावरण प्रदूषण, विशेष रूप से वाहनों से होने वाले उत्सर्जन से होने वाले वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।
- यह कर अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के उपयोग को रोकने के साथ-साथ पारिस्थितिकीय पहलों के लिये राजस्व स्रोत के रूप में भी कार्य करता है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
पूर्वी तिमोर आसियान का 11वाँ सदस्य बना
चर्चा में क्यों?
पूर्वी तिमोर (तिमोर-लेस्ते) 14 वर्ष की प्रतीक्षा के बाद आधिकारिक रूप से दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) का 11वाँ सदस्य बन गया है।
- औपचारिक रूप से इसका समावेश कुआलालंपुर में एक समारोह में हुआ, जो 1990 के दशक के बाद आसियान का पहला विस्तार है।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- पूर्वी तिमोर ने वर्ष 2011 में आसियान की सदस्यता के लिये आवेदन किया था, उसे वर्ष 2022 में पर्यवेक्षक का दर्जा दिया गया तथा 14 वर्षों के बाद वर्ष 2025 में उसे पूर्ण सदस्यता प्राप्त हुई।
- इससे पहले आसियान में शामिल होने वाला अंतिम देश 1999 में कंबोडिया था।
- प्रभाव:
- सदस्यता से पूर्वी तिमोर को आसियान के मुक्त व्यापार समझौतों में भाग लेने, निवेश के अवसर प्राप्त करने और व्यापक क्षेत्रीय बाज़ार में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
- पूर्वी तिमोर (तिमोर-लेस्ते)
- पूर्वी तिमोर जिसे तिमोर-लेस्ते के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण-पूर्व में तिमोर सागर, उत्तर में वेटार जलडमरूमध्य, उत्तर-पश्चिम में ओम्बाई जलडमरूमध्य और दक्षिण-पश्चिम में पश्चिमी तिमोर (इंडोनेशियाई प्रांत पूर्वी नुसा तेंगारा का हिस्सा) से घिरा है।
- पूर्वी तिमोर में तिमोर द्वीप का पूर्वी आधा हिस्सा शामिल है, जिसका पश्चिमी आधा हिस्सा इंडोनेशिया का है।
- पूर्वी तिमोर, जिसे 18वीं शताब्दी में पुर्तगाल ने उपनिवेश बनाया था, पुर्तगाल के शासन के बाद वर्ष 1975 में इंडोनेशिया द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया, जिसके कारण यहाँ स्वतंत्रता के लिये एक लंबा संघर्ष चला।
- वर्ष 1999 में संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में हुए जनमत संग्रह में, पूर्वी तिमोरियों ने स्वतंत्रता के लिये मतदान किया, जिसके कारण शांति सेना के हस्तक्षेप तक हिंसा जारी रही और वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा देश को आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई।
आसियान
- स्थापना: आसियान घोषणा (बैंकॉक घोषणा) पर हस्ताक्षर द्वारा (1967)
- संस्थापक सदस्य: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड
- सचिवालय: इंडोनेशिया, जकार्ता
- अध्यक्षता: वार्षिक रूप से बदलती रहती है (वर्तमान में मलेशिया)
- आसियान शिखर सम्मेलन बैठक: वर्ष में दो बार आयोजित
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त्रिशूल व्यायाम
चर्चा में क्यों?
भारत ने पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा पर बड़े स्तर पर तीनों सेनाओं का संयुक्त अभ्यास 'त्रिशूल' प्रारंभ किया है।
- यह अभ्यास सर क्रीक क्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच किसी भी उकसावे या विरोध का सामना करने तथा रक्षा तैयारियों को सुदृढ़ करने में भारत की तत्परता को रेखांकित करता है।
मुख्य बिंदु
- अभ्यास के बारे में:
- यह अभ्यास 30 अक्तूबर से 10 नवंबर 2025 तक निर्धारित है, जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना की बड़े पैमाने पर भागीदारी शामिल है।
- इसका उद्देश्य परिचालन तत्परता, संयुक्त समन्वय और बहु-क्षेत्र युद्ध कौशल को बढ़ाना है।
- इस अभ्यास का कोड नाम "त्रिशूल" है, जबकि आंतरिक रूप से इसे "महागुर्जर" कहा जाता है।
- यह अभ्यास जैसलमेर (राजस्थान) से सर क्रीक (गुजरात) तक फैले थार रेगिस्तान को कवर करेगा।
- यह अभ्यास 30 अक्तूबर से 10 नवंबर 2025 तक निर्धारित है, जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना की बड़े पैमाने पर भागीदारी शामिल है।
- उद्देश्य:
- मुख्य लक्ष्य सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्त संचालन का परीक्षण और सुधार करना है, जिसमें भूमि, समुद्र, वायु और साइबर क्षेत्र शामिल हैं।
- अभ्यास में एकीकृत संचालन, डीप-स्ट्राइक मिशन, अम्फीबियस युद्ध और बहु-क्षेत्र युद्ध तैयारियों पर विशेष जोर दिया जाएगा।
- यह अभ्यास विभिन्न कमांडों के बीच समन्वय बढ़ाने और नवीनतम स्वदेशी हथियार प्रणालियों को वास्तविक युद्ध परिस्थितियों में परखने का भी लक्ष्य रखता है।
- भागीदारी:
- सेना ने 20,000 से अधिक सैनिक तैनात किये हैं, जिन्हें T-90S और अर्जुन टैंक, हॉवित्ज़र, सशस्त्र हेलीकॉप्टर और मिसाइल प्रणाली का समर्थन प्राप्त है।
- वायुसेना (IAF) उच्च-गति वाले “महागुर्जर” संचालन कर रही है, जिसमें राफेल और सुखोई-30MKI फाइटर जेट, परिवहन और ईंधन भरण विमान (IL-78), AEW&C प्रणाली तथा UAVs तैनात हैं।
- नौसेना ने सौराष्ट्र और गुजरात तटों पर फ्रिगेट और विध्वंसक पोत तैनात किये हैं, ताकि अम्फीबियस और समुद्री युद्ध अभ्यास किया जा सके।
- एयरमैन को नोटिस (NOTAM) :
- भारतीय वायु सेना (IAF) ने अभ्यास के दौरान राजस्थान और गुजरात के बड़े हिस्सों में नागरिक उड़ानों को प्रतिबंधित करने के लिये एयरमैन को नोटिस (NOTAM) जारी किया है, जबकि पाकिस्तान ने 28–29 अक्तूबर 2025 के आसपास अपने केंद्रीय और दक्षिणी वायु क्षेत्र में समान रूप से हवाई मार्गों पर प्रतिबंध लगाया है, सम्भवत: अपने सैन्य अभ्यास या हथियार परीक्षण के कारण।
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