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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 28 Sep 2021
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शैक्षणिक पर्यटन के लिये बिहार के 5 स्थल चयनित

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा छात्रों के लिये शैक्षणिक पर्यटन के उद्देश्य से देश भर में 100 स्थलों को चिह्नित किया गया है, जिसमें 5 स्थलों का संबंध बिहार से है।

प्रमुख बिंदु

  • शैक्षणिक पर्यटन को पर्यटन के एक ऐसे रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें पर्यटन को शैक्षणिक अधिगम के एक महत्त्वपूर्ण उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाता है।
  • शैक्षणिक पर्यटन का उद्देश्य सीखने की प्रक्रिया को अधिक व्यावहारिक एवं अंतर्क्रियात्मक बनाने के साथ-साथ विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराना होता है।
  • उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के भाव को मज़बूत करने के उद्देश्य से गतिविधि शिक्षा के अंतर्गत शैक्षणिक पर्यटन को शामिल किया गया है, जिसके तहत बिहार से 5 स्थलों- सासाराम, राजगीर, बोधगया, नालंदा एवं वैशाली को चिह्नित किया गया है।
  • इन पर्यटक स्थलों का विवरण निम्न प्रकार है-
    • नालंदा: नालंदा 5वीं और 6वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के संरक्षण के अधीन विकसित हुआ एक प्रसिद्ध महाविहार एवं बौद्ध शिक्षा का केंद्र था।
    • बोधगया: बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
    • वैशाली: वैशाली 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक विशाल एवं शक्तिशाली गणराज्य था, जहाँ लिच्छवि शासकों द्वारा बुद्ध के निवास के लिये महावन में कट्टागारशाला का निर्माण करवाया गया था।
    • राजगीर: राजगीर बौद्ध धर्म के अष्ट महास्थलों में से एक महत्त्वपूर्ण स्थल है।
    • सासाराम: रोहतास ज़िले में स्थित सासाराम के निकट चंदन शहीद से प्राप्त लघु शिलालेख से इस क्षेत्र में मौर्य विजय की पुष्टि होती है।

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