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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 05 Aug 2025
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गाँठदार त्वचा रोग

चर्चा में क्यों?

राजस्थान के सिरोही ज़िले में गायों में गाँठदार त्वचा रोग (LSD) के नए मामले सामने आए हैं, जबकि तीन वर्ष पूर्व यह रोग इस क्षेत्र में व्यापक स्तर पर तबाही का कारण बना था।

मुख्य बिंदु 

गाँठदार त्वचा रोग के बारे में:

  • कारण: LSD मवेशियों या भैंस के लंपी स्किन डिज़ीज़ वायरस (LSDV) के संक्रमण के कारण होता है।
  • गाँठदार त्वचा रोग’ को पहली बार वर्ष 1929 में जाम्बिया में एक महामारी के रूप में देखा गया था। प्रारंभ में यह या तो ज़हर या कीड़े के काटने का अतिसंवेदनशील परिणाम माना जाता था। 
  • संक्रमण: 
    • गाँठदार त्वचा रोग मुख्य रूप से काटने वाले कीड़ों (वेक्टर) जैसे मच्छरों और मक्खियों के माध्यम से जानवरों में फैलता है।
  • लक्षण: 
    • इस रोग से संक्रमित गायों की त्वचा पर गाँठें दिखाई देती हैं, जिससे दूध उत्पादन में गिरावट आ सकती है और गंभीर स्थिति में पशु की मृत्यु भी हो सकती है।
    • इसमें मुख्य रूप से बुखार, आँखों और नाक से स्राव, मुँह से लार टपकना तथा शरीर पर छाले पड़ना शामिल है। 
  • रोकथाम और उपचार:
    • इन रोगों के विरुद्ध टीकाकरण, भारत सरकार की पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत किया जाता है।
    • गाँठदार त्वचा रोग के उपचार के लिये कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। इसका उपलब्ध एकमात्र उपचार मवेशियों की उचित देखभाल है। 
    • इसमें घावों की देखभाल, स्प्रे का उपयोग करके त्वचा के घावों का उपचार और द्वितीयक त्वचा संक्रमण तथा निमोनिया को रोकने के लिये एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग शामिल हो सकता है। 
    • प्रभावित जानवरों की भूख को बनाए रखने के लिये एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-Inflammatories) दर्द निवारक औषधियों का उपयोग किया जा सकता है।


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