राजस्थान Switch to English
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व में फिशिंग कैट
चर्चा में क्यों?
रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व (RVTR) में फिशिंग कैट का पहली बार देखा जाना, इसके छोटी बिल्ली प्रजातियों के समूह में एक महत्त्वपूर्ण वृद्धि का संकेत है और रिज़र्व के जैविक महत्त्व व आर्द्रभूमि आवासों की स्वास्थ्य स्थिति को रेखांकित करता है।
मुख्य बिंदु
- फिशिंग कैट के बारे में:
- बूंदी के रामगढ़ रेंज में RVTR के जीवविज्ञानी और दलेलपुरा ट्रैकिंग टीम द्वारा बाघ की नियमित निगरानी के दौरान पहली बार फिशिंग कैट को देखा गया, जिससे इसकी उपस्थिति की पुष्टि हुई।
- विद्यमान प्रजातियाँ:
- इस खोज से पहले, RVTR में चार छोटी बिल्ली प्रजातियाँ पाई जाती थीं:
- जंगल बिल्ली (Felis chaus)
- रस्टी-स्पॉटेड कैट (Prionailurus rubiginosus)
- एशियाटिक वाइल्ड कैट (Felis lybica ornata)
- काराकल (Caracal caracal)
- फिशिंग कैट के शामिल होने से इसकी संख्या पाँच हो गई, जिससे रिज़र्व की जैवविविधता और समृद्ध हो गई है।
- इस खोज से पहले, RVTR में चार छोटी बिल्ली प्रजातियाँ पाई जाती थीं:
- आवास:
- आमतौर पर यह प्रजाति आर्द्रभूमि और नदी किनारे के पर्यावरण में पाई जाती है। RVTR में इसकी उपस्थिति रिज़र्व के जल पारिस्थितिकी तंत्र की स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाती है, जो इस प्रजाति के जीवन के लिये अत्यावश्यक है।
- आहार:
- फिशिंग कैट मुख्यतः मछली और जलीय अकशेरुकी जीवों का शिकार करती है, इसलिये आर्द्रभूमियों का संरक्षण इसके अस्तित्व के लिये महत्वपूर्ण है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: संवेदनशील (Vulnerable)
- CITES: परिशिष्ट II
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- महत्त्व:
- इस खोज से RVTR को राजस्थान में जैवविविधता हॉटस्पॉट के रूप में मान्यता मिलने में योगदान मिलेगा।
- यहाँ शीर्ष शिकारी जैसे बाघ और तेंदुए तथा छोटे मांसाहारी जीव पाए जाते हैं, जो परिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2025
चर्चा में क्यों?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान तथा प्रशिक्षण केंद्र (ISLRTC) ने 23 सितंबर, 2025 को “सांकेतिक भाषा दिवस” मनाया।
- साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान (CIET) और NCERT के सहयोग से 15 से 19 सितंबर, 2025 तक भारतीय सांकेतिक भाषा पर विशेष पाँच-दिवसीय लाइव कार्यक्रम भी आयोजित किया।
मुख्य बिंदु
- दिवस के बारे में:
- संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बधिर लोगों के मानवाधिकारों को साकार करने में सांकेतिक भाषा के महत्त्व को रेखांकित करने के लिये 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस के रूप में घोषित किया।
- यह तिथि वर्ष 1951 में विश्व बधिर महासंघ (WFD) की स्थापना का प्रतीक है, जो विश्व स्तर पर बधिर व्यक्तियों के अधिकारों और उनकी मान्यता के लिये कार्य करता है।
- दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर अभिसमय, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2006 में अपनाया था, सांकेतिक भाषाओं को बोली जाने वाली भाषाओं के बराबर मान्यता देता है तथा सदस्य देशों को बधिर समुदाय की भाषायी पहचान को बढ़ावा देने के लिये बाध्य करता है।
- भारत वर्ष 2007 में इस अभिसमय का अनुसमर्थन करने वाले प्रथम देशों में से एक था।
- थीम 2025: इस वर्ष की थीम “सांकेतिक भाषा के अधिकारों के बिना मानवाधिकार नहीं” है, जो बधिर व्यक्तियों के लिये गरिमा और सम्मान सुनिश्चित करने के साधन के रूप में सांकेतिक भाषा की मान्यता बढ़ाने का आह्वान करती है।
- 8वीं राष्ट्रीय भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता: आयोजन के अंतर्गत आठवीं राष्ट्रीय भारतीय सांकेतिक भाषा प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित किया गया। इसमें देश के विद्यालयों से 13 श्रेणियों में प्रतिभागियों ने भाग लिया और बधिर समुदाय की रचनात्मकता तथा प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।