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राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 22 Apr 2024
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भिवाड़ी से दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI) ने राजस्थान सरकार से उभरते औद्योगिक और आवासीय केंद्र भिवाड़ी को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से जोड़ने की सुविधा देने का आग्रह किया है।

मुख्य बिंदु:

  • CREDAI NCR भिवाड़ी नीमराना ने न केवल आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने, बल्कि वस्तुओं और लोगों की सुचारु आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिये अनुरोध किया, जिससे क्षेत्रीय विकास तथा समृद्धि को बढ़ावा मिले।
    • यह CREDAI NCR के चैप्टरों में से एक है जो भिवाड़ी, धारूहेड़ा और नीमराना के डेवलपर्स का प्रतिनिधित्व करता है।
  • उन्होंने दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर इंटरचेंज के साथ डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) के साथ एक सड़क विकसित करने की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया।

कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CREDAI)

  • CREDAI 23 राज्यों और 170 शहर चैप्टरों में फैले 11,940 से अधिक रियल एस्टेट डेवलपर्स का प्रतिनिधित्व करने वाला शीर्ष संगठन है।
  • वर्ष 1999 में अपनी स्थापना के बाद से, CREDAI ने रियल एस्टेट क्षेत्र में निष्पक्षता, पारदर्शिता और नैतिक व्यवहार के मानकों में सुधार के लिये निरंतर कार्य किया है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC)

  • यह उच्च गति और उच्च क्षमता वाला विश्व स्तरीय तकनीक के अनुसार बनाया गया एक रेल मार्ग होता है, जिसे विशेष तौर पर माल एवं वस्तुओं के परिवहन हेतु बनाया जाता है।
  • डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) में बेहतर बुनियादी ढाँचे और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का एकीकरण शामिल होता है।
  • DFC में दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर हैं:
    • ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC):
      • यह डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पंजाब में साहनेवाल (लुधियाना) से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दनकुनी में समाप्त होता है।
      • ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (EDFC) के मार्ग में कोयला खदानें, थर्मल पावर प्लांट और औद्योगिक शहर मौजूद हैं।
      • इसके मार्ग में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल आदि राज्य शामिल हैं।
      • इस परियोजना का अधिकांश हिस्सा विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित है।
      • 351 किमी. लंबा ‘न्यू भूपुर-न्यू खुर्जा खंड’ ’मौजूदा कानपुर-दिल्ली लाइन पर भीड़ को कम करेगा और साथ ही यह मालगाड़ियों की गति को 25 किमी. प्रति घंटा से 75 किमी. प्रति घंटा कर देगा।
    • वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC):
      • 1504 किलोमीटर लंबा वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (महाराष्ट्र) से दादरी (उत्तर प्रदेश) तक है और यह देश के प्रमुख बंदरगाहों से होकर गुज़रता है।
      •  इसमें हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।
      • यह जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (JICA) द्वारा वित्तपोषित है।

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राजस्थान में कारीगरों को प्रोत्साहन

चर्चा में क्यों?

राजस्थान सरकार एक 'एकीकृत क्लस्टर विकास योजना' लागू करने की योजना बना रही है, जो हस्तशिल्प, हथकरघा और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्षेत्रों की उत्पादकता तथा गुणवत्ता को बढ़ावा देने में मदद करेगी।

  • इसके लिये एक प्रारूप पहले ही तैयार किया जा चुका था और हितधारकों से सुझाव मांगे जा रहे थे।

मुख्य बिंदु:

  • MSME को समर्थन देने के लिये केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे MSME, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना एवं प्रौद्योगिकी और वाणिज्य एवं उद्योग द्वारा क्लस्टर विकास योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
  • प्रारूप नीति के अनुसार, योजना के चार मुख्य घटक हैं:
    • मुख्य घटक में क्षमता निर्माण के लिये मध्यम हस्तक्षेप, संसाधनों की आसान उपलब्धता के लिये कच्चे माल बैंक के संचालन के साथ ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों के माध्यम से बाज़ार विकास हेतु कारीगरों, शिल्पकारों व बुनकरों को समर्थन शामिल है।
    • दूसरा, 5 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं के लिये राज्य सरकार की सहायता से सामान्य सुविधा केंद्र (Common Facility Centres- CFC) स्थापित करने हेतु MSME समूहों को समर्थन देना है।
    • एक अन्य घटक के तहत गैर-राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास और निवेश निगम (Rajasthan State Industrial Development and Investment Corporation- RIICO) औद्योगिक क्षेत्रों में मौजूदा समूहों तथा गैर-RIICO औद्योगिक क्षेत्रों में ग्रीनफील्ड समूहों के लिये बुनियादी ढाँचे के विकास पर ध्यान दिया जाता है।
  • प्रारूप नीति में कहा गया है कि कारीगरों, शिल्पकारों और बुनकरों से संबंधित क्लस्टर विकास परियोजना के कार्यान्वयन के लिये एक साझेदारी फर्म और/या एक ट्रस्ट या सोसायटी या सहकारी समिति या कंपनी या निर्माता कंपनी आदि जिसमें कम-से-कम दस कारीगर, शिल्पकार और/या बुनकर हों, जिनके पास पंजीकृत कारीगर आईडी कार्ड हो, के रूप में एक विशेष प्रयोजन वाहन (Special Purpose Vehicle- SPV) का गठन किया जाएगा। राजस्थान में अपना व्यापार करने वाले कारीगर, शिल्पकार और बुनकर SPV का हिस्सा बनने के पात्र होंगे।

राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (RIICO)

  • यह राजस्थान सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है जिसने राजस्थान के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसका गठन वर्ष 1980 में किया गया था।
  • 28 मार्च 1969 को कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत राजस्थान राज्य औद्योगिक और खनिज विकास निगम (RSIMDC) के रूप में स्थापित एक सरकारी उद्यम को 1 जनवरी 1980 को दो संस्थाओं में विभाजित किया गया था:
    • राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम लिमिटेड  (Rajasthan State Industrial Development & Investment Corporation Limited- RIICO
    • राजस्थान राज्य खनिज विकास निगम (Rajasthan State Mineral Development Corporation- RSMDC

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मानित वन स्थिति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य से "वन भूमि के रूप में ओरान, दी-वान, रूंध और अन्य उपवनों की पहचान वन सर्वेक्षण के लिये उठाए जा रहे कदमों" को उज़ागर करने के लिये कहा। इसके प्रत्युत्तर में राजस्थान सरकार ने अंततः अपने पवित्र उपवनों, जिन्हें ओरांस के नाम से जाना जाता है, को "मानित वन" के रूप में अधिसूचित किया।

मुख्य बिंदु:

  • राजस्थान के सामुदायिक वनों में ओरान सामुदायिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं जो कभी-कभी सदियों पुराने होते हैं, जिन्हें पारंपरिक रूप से पवित्र माना जाता है, ग्रामीण समुदायों द्वारा संरक्षित एवं प्रबंधित किया जाता है, स्थानीय कानूनों व नियमों के साथ उनके उपयोग को नियंत्रित किया जाता है।
    • पशुचारक अपने पशुओं को चराने के लिये ओरान में ले जाते हैं।
    • ये समुदायों के सामाजिक कार्यक्रमों और त्योहारों के लिये एकत्रित होने के स्थान के रूप में भी काम करते हैं।
    • ये गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के लिये प्राकृतिक आवास भी हैं।
  • वन संरक्षण अधिनियम (FCA), 1980 में कुछ प्रतिबंधात्मक प्रावधान थे, जिसमें वन की स्थिति को गैर-वन भूमि में बदलने के लिये केंद्र की मंज़ूरी की आवश्यकता थी। लेकिन संशोधित FCA में मानित, अवर्गीकृत और निजी वनों की मंज़ूरी राज्य सरकार स्वयं कर सकती है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के एक मामले में जहाँ इन संशोधनों की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है, न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि गोदावर्मन मामले, 1996 के अनुसार वनों को संरक्षित किया जाना चाहिये।

ओरान (Orans)

  • ये समुदाय-संरक्षित हरित स्थान हैं जिनमें खेजड़ी (Prosopis cineraria) और रोहिडा (Tecomella undulata) जैसे स्थानीय पेड़ शामिल हैं तथा आमतौर पर स्थानीय देवताओं को समर्पित हैं।
  • ये विनाश के कगार पर थे क्योंकि राजस्व रिकॉर्ड में इन्हें सरकारी भूमि की कृषि योग्य बंजर भूमि के रूप में चिह्नित किया गया था जिसे खेती के तहत लाया जा सकता था। इससे ओरान को गैर-वन गतिविधियों के लिये आवंटित करना आसान हो गया।

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