राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
मोहनलाल को दादा साहब फाल्के पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
23 सितंबर 2025 को केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा मलयालम अभिनेता मोहनलाल को 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान वर्ष 2023 का प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- मोहनलाल के बारे में:
- 21 मई 1960 को पथानमथिट्टा में जन्मे मोहनलाल ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत थिरानोट्टम (1978) से की तथा मंजिल विरिंजा पुक्कल (1980) में खलनायक के रूप में पदार्पण किया।
- वर्ष 1986 में, राजाविंते मकान में उनकी भूमिका ने उन्हें मलयालम सिनेमा के पहले आधुनिक सुपरस्टार के रूप में स्थापित कर दिया।
- 45 से अधिक वर्षों और 400 से अधिक फिल्मों के साथ, मोहनलाल मॉलीवुड (Mollywood) में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए हैं, जिन्होंने थनमथरा, इरुवर, दृश्यम और लूसिफ़र जैसी उल्लेखनीय फिल्मों में अभिनय किया है।
- उन्हे वर्ष 1991 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिये राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और वर्ष 2001 में पद्म श्री तथा वर्ष 2019 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- दादा साहब फाल्के पुरस्कार:
- यह देश का सर्वोच्च फिल्म सम्मान है जिसकी शुरुआत वर्ष 1969 में हुई थी, जो “भारतीय सिनेमा के विकास और वृद्धि में उत्कृष्ट योगदान” के लिये दिया जाता है।
- यह पुरस्कार पहली बार “भारतीय सिनेमा की प्रथम महिला” देविका रानी को प्रदान किया गया था।
- इस पुरस्कार में एक स्वर्ण कमल, 10 लाख रुपये का नकद पुरस्कार, एक प्रमाण-पत्र, एक रेशम रोल और एक शॉल शामिल है।
- इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
- धुंडीराज गोविंद फाल्के:
- वह एक भारतीय निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे, जिन्होंने भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1913) का निर्देशन किया था।
- उन्हें “भारतीय सिनेमा के जनक” के रूप में जाना जाता है।
- वह एक भारतीय निर्माता, निर्देशक और पटकथा लेखक थे, जिन्होंने भारत की पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चंद्र (1913) का निर्देशन किया था।
छत्तीसगढ़ Switch to English
बाल विवाह उन्मूलन
चर्चा में क्यों?
17 सितंबर, 2025 को छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िला ने अपने 75 ग्राम पंचायतों को "बाल विवाह-मुक्त पंचायत" घोषित कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है।
- यह मान्यता सामाजिक सुधार प्रयासों और "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" पहल के तहत जन जागरूकता अभियानों की एक महत्त्वपूर्ण जीत को दर्शाती है।
मुख्य बिंदु
- बाल विवाह उन्मूलन के बारे में:
- 75 बाल विवाह मुक्त पंचायतों की घोषणा राष्ट्रीय पोषण माह और चल रहे "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" अभियान के शुभारंभ के साथ हुई।
- इन पंचायतों को पिछले दो वर्षों में बाल विवाह की कोई घटना दर्ज न होने के कारण मान्यता दी गई।
- 75 बाल विवाह मुक्त पंचायतों की घोषणा राष्ट्रीय पोषण माह और चल रहे "स्वस्थ महिलाएँ, सशक्त परिवार" अभियान के शुभारंभ के साथ हुई।
- 10 मार्च 2024 को, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने यूनिसेफ के सहयोग से "बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान" का शुभारंभ किया।
- इस पहल का उद्देश्य सक्रिय जागरूकता, निगरानी और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से पूरे राज्य को बाल विवाह मुक्त बनाना है।
- कार्यान्वयन:
- महिला एवं बाल विकास विभाग ने क्षेत्र में नियमित रूप से जागरूकता अभियान चलाया।
- आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ताओं, पंचायत प्रतिनिधियों और स्वैच्छिक संगठनों ने बाल विवाह के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शैक्षिक संवादों में बाल अधिकारों, शिक्षा के महत्त्व तथा लड़कियों के लिये बेहतर स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक परिणाम सुनिश्चित करने के लिये सही समय पर विवाह की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया, जिससे मानसिकता में बदलाव आया और माता-पिता ने अपनी बेटियों की कम उम्र में शादी करने की बजाए उनकी शिक्षा तथा आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया।
बाल विवाह
- यूनिसेफ बाल विवाह को लड़कियों और लड़कों दोनों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव के कारण मानवाधिकार उल्लंघन के रूप में वर्गीकृत करता है।
- सतत् विकास लक्ष्य 5.3 में कहा गया है कि वर्ष 2030 तक लैंगिक समानता और महिलाओं एवं लड़कियों के सशक्तीकरण के लक्ष्य के साथ सतत् विकास लक्ष्य 5 को प्राप्त करने में बाल विवाह उन्मूलन महत्त्वपूर्ण है।
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, वर्ष 2022 में दुनिया भर में 5 में से 1 लड़की (19%) की शादी बचपन में ही कर दी गई।
- वैधानिक ढाँचा: भारत ने वर्ष 2006 में बाल विवाह निषेध अधिनियम लागू किया, जिसमें पुरुषों के लिये विवाह की कानूनी उम्र 21 वर्ष और महिलाओं के लिये 18 वर्ष निर्धारित की गई।
- बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 16 राज्य सरकारों को विशिष्ट क्षेत्रों के लिये 'बाल विवाह निषेध अधिकारी (CMPO) नियुक्त करने की अनुमति देती है।
- CMPO बाल विवाह को रोकने, अभियोजन के लिये साक्ष्य एकत्र करने, ऐसे विवाहों को बढ़ावा देने या सहायता के खिलाफ परामर्श देने, उनके दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समुदायों को संवेदनशील बनाने के लिये ज़िम्मेदार है।
- सरकार ने महिलाओं की शादी की उम्र को पुरुषों के बराबर करने के लिये इसे 21 साल करने के लिये 'बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक, 2021' नाम से एक विधेयक पेश किया है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
भारत का पहला फ्रेट विलेज
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री ने वाराणसी में कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं की आधारशिला रखी, जिनमें एक जहाज मरम्मत सुविधा और भारत का पहला फ्रेट विलेज भी शामिल हैं। ये परियोजनाएँ 'समुद्र से समृद्धि' पहल के तहत विकसित की जा रही हैं, जिसका उद्देश्य जल परिवहन को बढ़ावा देना तथा रोज़गार सृजन करना है।
- उन्होंने 'मेक इन इंडिया' के दृष्टिकोण के अनुरूप अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने और रोज़गार सृजन में जलमार्गों की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।
मुख्य बिंदु
- भारत का पहला फ्रेट विलेज:
- चंदौली ज़िले के मिल्कीपुर में 100 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विकसित यह फ्रेट विलेज एक आधुनिक लॉजिस्टिक्स केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह विभिन्न परिवहन साधनों को जोड़कर सुगम और सुलभ माल परिवहन सुनिश्चित करेगा।
- यह परियोजना हल्दिया, पटना, कोलकाता और काशी को पर्यावरण अनुकूल मालवाहकों से जोड़ेगी, जिससे सड़क तथा रेल परिवहन की तुलना में लागत में लगभग 50% की बचत होगी।
- भारत की पहली ड्राई-डॉक सुविधा:
- वाराणसी के रामनगर में गंगा नदी के किनारे स्थित यह ड्राई-डॉक भारत की पहली ऐसी सुविधा है, जो एक साथ चार जहाजों की मरम्मत करने में सक्षम होगी।
- इससे मरम्मत का समय और खर्च दोनों कम होंगे, क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा तथा पूर्वांचल के युवाओं के लिये स्थायी रोज़गार के अवसर सृजित होंगे।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश राजस्व अधिशेष वाला राज्य बना
चर्चा में क्यों?
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा राज्यों की वित्तीय स्थिति पर किये गए दशकीय अध्ययन के अनुसार 16 राज्य राजस्व अधिशेष की स्थिति में हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश सबसे अग्रणी है।
मुख्य बिंदु
- राजस्व अधिशेष वाले राज्य:
- CAG रिपोर्ट के अनुसार 16 राज्यों में वित्तीय वर्ष 2022-23 में राजस्व अधिशेष दर्ज किया गया, जो आर्थिक रूप से कमज़ोर माने जाने वाले राज्यों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बदलाव है।
- उत्तर प्रदेश इस मामले में अग्रणी है, जिसके पास 37,000 करोड़ रुपये का अधिशेष है, जो पहले बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था।
- बीमारू (BIMARU) शब्द बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का संक्षिप्त रूप है, जो उन राज्यों का समूह है, जो ऐतिहासिक रूप से आर्थिक और सामाजिक संकेतकों में पिछड़े रहे हैं।
- राजस्व घाटे वाले राज्य:
- इसके विपरीत वित्तीय वर्ष 2022-23 में कम-से-कम 12 राज्य राजस्व घाटे में पाए गए, जो गंभीर राजकोषीय संकट को दर्शाता है।
- आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्यों में सबसे अधिक घाटा दर्ज किया गया, जो केंद्रीय अनुदान पर बढ़ती निर्भरता की ओर संकेत करता है।
- केंद्रीय अनुदान पर निर्भर राज्य:
- कुछ राज्य केंद्रीय वित्तीय सहायता पर अत्यधिक निर्भर हैं, जिसमें पश्चिम बंगाल को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 16% का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त हुआ।
- ये अनुदान उनकी राजस्व प्राप्तियों और व्यय के बीच के अंतर को पाटने में मदद करते हैं।
- स्वयं के स्रोतों से राजस्व:
- कुछ राज्यों ने कर और गैर-कर दोनों तरीकों से अपने राजस्व सृजन को सफलतापूर्वक बढ़ाया है।
- इसमें हरियाणा सबसे आगे है, जिसकी 80% से अधिक आय उसके स्वयं के स्रोतों से आती है, इसके बाद तेलंगाना और महाराष्ट्र का स्थान है, जिनकी आय क्रमशः 70% तथा 60% से अधिक है।
- राज्यों का अपना कर राजस्व (SOTR):
- CAG रिपोर्ट में कुछ राज्यों की SOTR पर निर्भरता पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें छह राज्य- हरियाणा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, गुजरात और तमिलनाडु अपने राजस्व का 60% से अधिक SOTR से प्राप्त करते हैं।
- दूसरी ओर, कुछ पूर्वोत्तर राज्य और छोटे क्षेत्र जैसे अरुणाचल, मणिपुर, नागालैंड तथा सिक्किम बहुत कम SOTR की रिपोर्ट करते हैं, जहाँ उनके स्वयं के कर राजस्व का योगदान 20% से भी कम है।
झारखंड Switch to English
झारखंड में पोषण माह अभियान
चर्चा में क्यों?
झारखंड में 8वें पोषण माह 2025 का शुभारंभ किया गया, जिसमें तेल और चीनी के सेवन कम करने तथा मातृ एवं शिशु पोषण में सुधार के लिये "पाँच सूत्र-स्वर्णिम 1000 दिन" पहल को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया।
मुख्य बिंदु
- अभियान के बारे में:
- यह पहल पूरे राज्य में मातृ एवं शिशु पोषण सुधार के लिये चलाए जा रहे पोषण अभियान का हिस्सा है।
- कुपोषण से निपटने के उद्देश्य से इस अभियान का उद्देश्य अस्वास्थ्यकर तेल और चीनी के अत्यधिक सेवन को भी कम करना है।
- तेल और चीनी के सेवन में कमी:
- शुभारंभ के अवसर पर पोस्टर सामग्री का अनावरण किया गया, जिसमें दैनिक आहार में तेल और चीनी के कम सेवन करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
- ये पोस्टर राज्य के आंगनवाड़ी केंद्रों (AWCs) में वितरित किये जाएंगे, ताकि प्रभावी प्रसार सुनिश्चित हो सके।
- शुभारंभ के अवसर पर पोस्टर सामग्री का अनावरण किया गया, जिसमें दैनिक आहार में तेल और चीनी के कम सेवन करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया।
- पाँच सूत्र- स्वर्णिम 1000 दिन पहल:
- यह पहल बच्चे के जीवन के महत्त्वपूर्ण 1000 दिनों (गर्भावस्था से दूसरे जन्मदिन तक) में स्वस्थ आहार को बढ़ावा देकर मातृ एवं बाल पोषण सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- इस पहल में जिन पाँच प्रमुख पोषण प्रक्रियाओं पर ज़ोर दिया गया है, वे समुदायों को अपनी आहार संबंधी आदतों में सुधार के लिये मार्गदर्शन करेंगी, जिससे बच्चों का इष्टतम विकास सुनिश्चित हो सके।
पोषण अभियान
- परिचय:
- पोषण अभियान की शुरुआत प्रधानमंत्री द्वारा 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझुनू ज़िला में की गई थी।
- इस अभियान के तहत किशोरियों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों की पोषण स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
- उद्देश्य:
- बच्चों (0-6 वर्ष) में बौनेपन को रोकना और कम करना
- बच्चों (0-6 वर्ष) में कुपोषण (कम वज़न की व्यापकता) को रोकना और कम करना
- छोटे बच्चों (6-59 महीने) में एनीमिया की व्यापकता को कम करना
- 15-49 वर्ष आयु वर्ग की महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की व्यापकता को कम करना
- कम जन्म वज़न (LBW) को कम करना।