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अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक 2025
चर्चा में क्यों?
बिहार सरकार ने पटना में अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक (IBSM) 2025 में अपनी कृषि-खाद्य क्षमता पर प्रकाश डाला। यह कार्यक्रम राज्य सरकार, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) और भारतीय व्यापार संवर्द्धन परिषद (TPCI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।
मुख्य बिंदु
- बैठक का महत्त्व:
- अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक 2025 भारत के कृषि-निर्यात में राज्य की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच है, जिसमें साझेदारी को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिये बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकें, तकनीकी सत्र और प्रदर्शनियाँ शामिल हैं।
- इस बैठक में संयुक्त अरब अमीरात, जापान और जर्मनी सहित वैश्विक कंपनियों ने रुचि दिखाई तथा बिहार के चावल, मसालों, मखाना और फलों की बड़े पैमाने पर खरीद की मांग की।
- इस आयोजन का उद्देश्य नए बाज़ार संबंध बनाना, स्थानीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) और किसान उत्पादक संगठनों (FPO) के लिये खरीद बढ़ाना और बिहार की कृषि क्षमता को निर्यात वृद्धि में बदलना है।
- इस आयोजन को ग्रामीण आर्थिक विकास के लिये एक मील का पत्थर माना जाता है और यह सरकार के 'विकसित भारत @2047' के दृष्टिकोण की पुष्टि करता है।
- अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक 2025 भारत के कृषि-निर्यात में राज्य की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच है, जिसमें साझेदारी को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और आर्थिक विकास को गति देने के लिये बिजनेस-टू-बिजनेस बैठकें, तकनीकी सत्र और प्रदर्शनियाँ शामिल हैं।
- PMFME योजना और भविष्य की संभावनाएँ:
- वित्त वर्ष 2024-25 में, पीएम सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME) के तहत 624.42 करोड़ रुपए के 10,270 ऋण स्वीकृत किये गए- जो भारतीय राज्यों में सबसे अधिक है।
- बिहार में स्थापित होने वाला NIFTEM (राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान) संस्थान, खाद्य प्रौद्योगिकी में नवाचार का भावी केंद्र होगा।
- मखाना निर्यात पर ध्यान:
- इस कार्यक्रम में “भारत के मखाना निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीतियाँ” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें बिहार के अपने अद्वितीय जीआई-टैग उत्पाद में नेतृत्व को रेखांकित किया गया।
- वर्ष 2024 तक बिहार में 15 उत्पादों को GI टैग प्राप्त हुआ। इनमें शाही लीची, भागलपुरी जरदालू आम, कतरनी चावल, मगही पान, मखाना (फॉक्स नट), मधुबनी पेंटिंग, सिक्की घास उत्पाद और सुजिनी कढ़ाई आदि शामिल हैं।
- इस कार्यक्रम में “भारत के मखाना निर्यात को बढ़ावा देने की रणनीतियाँ” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की गई, जिसमें बिहार के अपने अद्वितीय जीआई-टैग उत्पाद में नेतृत्व को रेखांकित किया गया।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम औपचारिकीकरण योजना (PMFME)
- परिचय:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत PMFME योजना शुरू की है।
- इस योजना का उद्देश्य खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के असंगठित क्षेत्र में मौजूदा निजी सूक्ष्म उद्यमों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाना और क्षेत्र की औपचारिकता को बढ़ावा देना है।
- यह योजना 10,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ वर्ष 2020-21 से 2024-25 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये लागू है।
- केंद्रित क्षेत्र:
- यह योजना कच्चे माल की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में व्यापकता का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (One District One Product- ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
- अन्य फोकस क्षेत्रों में वेस्ट टू वेल्थ उत्पाद, लघु वन उत्पाद और आकांक्षी ज़िले शामिल हैं।
- यह योजना कच्चे माल की खरीद, सामान्य सेवाओं और उत्पादों के विपणन के संबंध में व्यापकता का लाभ उठाने के लिये एक ज़िला एक उत्पाद (One District One Product- ODOP) दृष्टिकोण अपनाती है।
- मखाना
- मिथिला मखाना या माखन (वानस्पतिक नाम: यूरीले फेरोक्स सालिस्ब.) बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में उगाई जाने वाली जलीय मखाना की एक विशेष किस्म है।
- मखाना, पान और मछली के साथ मिथिला की तीन प्रतिष्ठित सांस्कृतिक पहचानों में से एक है।
- मिथिला मखाना को वर्ष 2022 में भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त हुआ, जिसमें बिहार भारत के कुल उत्पादन में 80% का योगदान देता है।
- मखाना में प्रोटीन और फाइबर के साथ-साथ कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और फास्फोरस जैसे सूक्ष्म पोषक तत्त्व भी होते हैं।
- मई 2023 में, केंद्र सरकार ने मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा को "राष्ट्रीय मखाना अनुसंधान केंद्र, दरभंगा" में अपग्रेड किया और मछली जैसी अन्य जलीय फसलों को शामिल करने के लिये इसके कार्य-क्षेत्र का विस्तार किया।
- केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित, बिहार में प्रस्तावित मखाना बोर्ड का उद्देश्य खेती के तरीकों को सुव्यवस्थित करना, तकनीकी सहायता प्रदान करना, मूल्य स्थिरता सुनिश्चित करना, विपणन बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना एवं निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना है।
- मिथिला मखाना या माखन (वानस्पतिक नाम: यूरीले फेरोक्स सालिस्ब.) बिहार और नेपाल के मिथिला क्षेत्र में उगाई जाने वाली जलीय मखाना की एक विशेष किस्म है।

