मध्य प्रदेश Switch to English
विक्रमादित्य वैदिक घड़ी
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 1 सितंबर, 2025 को मुख्यमंत्री निवास पर विक्रमादित्य वैदिक घड़ी का अनावरण किया तथा इसके मोबाइल ऐप का शुभारम्भ भी किया।
मुख्य बिंदु
- विक्रमादित्य वैदिक घड़ी के बारे में:
- यह पारंपरिक भारतीय कालगणना पद्धति पर आधारित पहली घड़ी है, जिसे फरवरी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उज्जैन में पुनर्जीवित किया गया था।
- इसमें दिन को मानक 24 घंटे के प्रारूप के बजाए 30 मुहूर्तों (प्रत्येक लगभग 48 मिनट) में विभाजित किया गया है।
- उद्देश्य:
- यह भारत की पारंपरिक समय-निर्धारण पद्धतियों को आधुनिक तकनीकी प्रगति के साथ जोड़ती है, जिसका उद्देश्य समय गणना की प्राचीन प्रणालियों को पुनर्जीवित करना है।
- मोबाइल ऐप की विशेषताएँ:
- यह ऐप 3179 ईसा पूर्व (भगवान कृष्ण-जन्म) से लेकर वर्तमान तक के 7,000 वर्षों के इतिहास को समेटे हुए है, जिसमें महाभारत युग का विवरण भी शामिल है।
- पंचांग, तिथि, नक्षत्र, योग, करण, वार, मास, व्रत और त्योहारों की जानकारी प्रदान करती है।
- धार्मिक गतिविधियों, उपवासों और ध्यान के लिये अलर्ट तथा अनुस्मारक उपलब्ध कराती है।
- 30 घंटे के मुहूर्तों में वैदिक समय, मुहूर्त, सूर्योदय/सूर्यास्त का समय तथा मौसम अपडेट (तापमान, हवा की गति, आर्द्रता) प्रदान करती है।
- यह ऐप 189 से अधिक वैश्विक भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे इसकी विश्वव्यापी पहुँच सुनिश्चित होती है।
- महत्त्व:
- एकीकरण: यह घड़ी भारतीय कैलेंडर प्रणाली को एकीकृत करती है और योग, तिथि, नक्षत्र तथा हिंदू त्योहारों के समय जैसे विविध समय-संबंधित पहलुओं की जानकारी देती है।
- सांस्कृतिक विरासत: यह भारत की वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है, जो पारंपरिक ज्ञान तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी के संयोजन का प्रतीक है।
- यह एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में कार्य करती है, जो वैश्विक मंच पर भारत की समय-निर्धारण प्रणालियों के पुनरुत्थान में योगदान देती है।