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नीतीश कुमार वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल
चर्चा में क्यों?
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन ने नीतीश कुमार को दस बार शपथ लेने वाले भारत के पहले मुख्यमंत्री बनने पर सम्मानित किया है।
मुख्य बिंदु
- प्रशंसा:
- वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने उनके दीर्घकालिक शासन, सार्वजनिक सेवा तथा दस कार्यकालों तक राज्य का नेतृत्व करने के लोकतांत्रिक महत्त्व की विशेष सराहना की है।
- संगठन ने इसे भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा में एक दुर्लभ और उल्लेखनीय उपलब्धि बताया।
- प्रमा-पत्र:
- वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने घोषणा की है कि इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिये नीतीश कुमार को एक औपचारिक प्रमाण-पत्र प्रदान किया जाएगा।
- कार्यकाल:
- नीतीश कुमार ने पहली बार वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें सात दिनों के भीतर त्याग-पत्र देना पड़ा।
- वर्ष 2005 से वे लगभग निरंतर मुख्यमंत्री रहे हैं, केवल 2014–15 में जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाले संक्षिप्त अंतराल को छोड़कर।
- वर्ष 2025 के चुनाव में NDA को 243 में से 202 सीटें मिलने के बाद उन्होंने दसवीं बार शपथ ली।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स
- संगठन: वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स लिमिटेड (यूके) एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है, जो विश्वभर में असाधारण रिकॉर्डों को प्रमाणिक रूप से सूचीबद्ध और सत्यापित करती है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य वैश्विक स्तर की घटनाओं, उपलब्धियों और कीर्तिमानों को रिकॉर्ड करना, सम्मानित करना, प्रमाणित करना तथा निर्णीत करना है।
- स्थापना: इस संस्था की स्थापना वर्ष 2017 में हुई थी और तब से यह यूरोप, उत्तर तथा दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया तथा ऑस्ट्रेलिया में अपनी उपस्थिति का तेज़ी से विस्तार कर चुकी है।
- टीमवर्क: इसका संचालन स्वयंसेवकों, अधिकारियों और निर्णायकों के परिश्रमी योगदान पर निर्भर करता है।
- भारत शाखा: वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स फाउंडेशन, भारत, एशियाई देशों में व्यक्तियों और संस्थाओं द्वारा स्थापित उपलब्धियों को मान्यता देने का कार्य करता है।
- यह सम्मान प्रमाणित करने, विशिष्ट स्थलों/संस्थाओं को सूचीबद्ध करने तथा WBR यूके के साथ CSR सहयोग जैसे कार्यों का भी निर्वहन करता है।
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EARTH समिट 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल तथा अनेक विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में EARTH समिट 2025 का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- सम्मेलन के बारे में:
- EARTH समिट (तीन-भागीय शृंखला) का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना, ग्रामीण विकास से संबद्ध चार मंत्रालयों के समक्ष उपस्थित चुनौतियों का समाधान करना तथा अगले वर्ष दिल्ली में आयोजित होने वाले अंतिम शिखर सम्मेलन तक एक राष्ट्रीय नीति ढाँचा तैयार करना है।
- यह ग्रामीण नवाचार, सहकारी-संचालित विकास और प्रधानमंत्री मोदी के विकसित भारत के दृष्टिकोण के लिये एक सहयोगी ढाँचा बनाने हेतु 10,000 से अधिक प्रतिनिधियों, 1,200 कॉर्पोरेट्स, 500 विशेषज्ञों, 300 स्टार्टअप्स तथा 250 प्रदर्शकों को एक मंच पर एकत्र करता है।
- आयोजक:
- यह शिखर सम्मेलन राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) तथा इंटरनेट एवं मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (IAMAI) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
- डिजिटल शुभारंभ:
- कार्यक्रम के दौरान, गृह मंत्री ने ‘सहकार सारथी’ के अंतर्गत 13 से अधिक नई सहकारी डिजिटल सेवाओं का शुभारम्भ किया, जिनमें Digi-KCC, सहकारी शासन सूचकांक, ePACS, अनाज भंडारण अनुप्रयोग, शिक्षा सारथी तथा ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों को एकीकृत करने के लिये प्रौद्योगिकी मंच शामिल हैं।
- प्रौद्योगिकी एकीकरण:
- नाबार्ड का ‘सहकार सारथी’ मंच समस्त सहकारी बैंकों को एक तकनीकी छत्र के अंतर्गत लाएगा, जो वैश्विक ऋण प्रणालियों के समकक्ष आधुनिक बैंकिंग उपकरण, वास्तविक समय ट्रैकिंग, KYC, दस्तावेजीकरण तथा e-KCC सेवाएँ उपलब्ध कराएगा।
- मॉडल विस्तार:
- गुजरात के ‘सहकारों के मध्य सहकार’ मॉडल के अंतर्गत सहकारी संस्थाएँ स्वयं सहकारी तंत्र के भीतर बैंकिंग कार्य करती हैं, जिससे कम-लागत वाली जमा राशि में हज़ारों करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। इस मॉडल का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार किया जाएगा।
- जैविक और प्राकृतिक खेती:
- भारत में वर्तमान में 49 लाख प्राकृतिक किसान सक्रिय हैं तथा 40 से अधिक जैविक उत्पाद ऑनलाइन उपलब्ध हैं। अमूल तथा भारत ऑर्गेनिक्स के सहयोग से एक राष्ट्रीय जैविक प्रयोगशाला नेटवर्क का विकास किया जा रहा है, जो निर्यात को प्रोत्साहन देगा। इसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक 20% तथा वर्ष 2035 तक 40% वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी अर्जित करना है।
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हस्तशिल्प पुरस्कार
चर्चा में क्यों?
वस्त्र मंत्रालय राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह समारोह के भाग के रूप में 9 दिसंबर, 2025 को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में वर्ष 2023 और 2024 के लिये प्रतिष्ठित हस्तशिल्प पुरस्कार प्रदान करेगा।
मुख्य बिंदु
- वर्ष 1965 में स्थापित राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार उन असाधारण शिल्पकारों को सम्मानित करते हैं जिन्होंने उत्कृष्ट कलात्मक उत्कृष्टता के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध किया है।
- गणमान्य व्यक्ति: इस समारोह की अध्यक्षता भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू करेंगी तथा इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह करेंगे तथा पबित्रा मार्गेरिटा मुख्य अतिथि होंगे।
- शिल्प गुरु पुरस्कार: वर्ष 2002 में शुरू किये गए शिल्प गुरु पुरस्कार हस्तशिल्प क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान हैं, जो अद्वितीय कौशल और नवाचार को सम्मानित करते हैं।
- राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह: प्रतिवर्ष 8 से 14 दिसंबर तक मनाया जाने वाला यह सप्ताह प्रदर्शनी, कार्यशालाएँ, प्रदर्शन, वार्ताएँ, संपर्क और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करता है, ताकि भारत के शिल्पकारों तथा उनकी शिल्प परंपराओं का उत्सव मनाया जा सके।
- क्षेत्रीय महत्त्व: हस्तशिल्प क्षेत्र सदियों पुरानी परंपराओं को संरक्षित करता है, ग्रामीण और अर्द्ध-शहरी भारत में लाखों लोगों की आजीविका का समर्थन करता है तथा राष्ट्रीय निर्यात आय में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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