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बिहार के सीताकुंड मेले का प्रबंधन
चर्चा में क्यों?
बिहार के मुंगेर में सीताकुंड मेला, जो राज्य के सबसे प्रतिष्ठित धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन आकर्षणों में से एक है, का प्रबंधन अब बिहार राज्य मेला प्राधिकरण अधिनियम, 2008 के तहत बिहार राज्य मेला प्राधिकरण द्वारा किया जाएगा, ताकि मेले के संचालन को सुव्यवस्थित किया जा सके और क्षेत्र में इसका महत्त्व बढ़ाया जा सके।
मुख्य बिंदु
मेले के बारे में:
- ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व:
- सीताकुंड मेला प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा (जनवरी अंत या फरवरी) से लेकर फाल्गुन पूर्णिमा (आमतौर पर मार्च) तक आयोजित होता है, जिसमें मुंगेर और आस-पास के ज़िलों से लाखों लोग आते हैं।
- प्रत्येक वर्ष लगभग 5,000 विदेशी पर्यटक भी पूजा और पर्यटन के उद्देश्य से मंदिर में आते हैं।
- सीताकुंड का धार्मिक महत्त्व:
- गंगा नदी के तट पर स्थित सीताकुंड वह स्थल माना जाता है, जहाँ माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी।
- यहाँ पाँच पवित्र कुंड स्थित हैं, जिनमें से एक कुंड से निरंतर गरम जल बहता है, जो सीता की पवित्रता की अग्नि परीक्षा का प्रतीक है, जबकि अन्य चार कुंडों में ठंडा जल रहता है।
- मेला प्रबंधन और विकास:
- बिहार राज्य मेला प्राधिकरण के अंतर्गत आने के कारण मेले को अब संगठन, आधारभूत संरचना और प्रबंधन बेहतर होगा।
- ये मेला न केवल बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देता है, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिये रोज़गार भी उत्पन्न करता है।
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बिहार में 'राज्य सफाई कर्मचारी आयोग' का गठन
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के गठन की घोषणा की, जिसका उद्देश्य राज्य में सफाई कर्मचारियों के कल्याण, संरक्षण और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना है।
- यह आयोग विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा तथा उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करेगा।
मुख्य बिंदु
- आयोग की संरचना:
- आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पाँच सदस्य होंगे, जिनमें एक महिला और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल होंगे।
- इस समावेशी संरचना का उद्देश्य सफाई कार्यों में लगे समाज के हाशिये पर पड़े वर्गों की चिंताओं का समाधान करना है।
- प्रमुख कार्य और लक्ष्य:
- आयोग सफाई कर्मचारियों के अधिकारों और कल्याण पर सुझाव देगा, नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देगा तथा उनके लाभ के लिये बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं की समीक्षा और कार्यान्वयन करेगा।
- यह सफाई कर्मचारियों को सामाजिक और आर्थिक मुख्य धारा में जोड़ने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- आयोग का अधिकार क्षेत्र:
- बिहार में विभिन्न शहरी स्थानीय निकायों, पंचायतों और अन्य क्षेत्रों में कार्यरत लगभग 4 लाख से अधिक सफाई कर्मचारी आयोग के अधिकार क्षेत्र में आएंगे।
- बिहार में 19 नगर निगमों और 8000 से अधिक पंचायतों सहित 260 से अधिक शहरी स्थानीय निकाय हैं, जहाँ बड़ी संख्या में सफाई कर्मी स्वच्छता अभियानों में कार्यरत हैं।
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बिहार में डेयरी और दूध पाउडर संयंत्र की स्थापना
चर्चा में क्यों?
डेयरी उद्योग को बढ़ावा देने और किसानों की आजीविका में सुधार लाने के लिये, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में तीन नए डेयरी संयंत्रों तथा दो दूध पाउडर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- नए डेयरी संयंत्र और दूध पाउडर इकाइयाँ
- 5 लाख लीटर प्रतिदिन की संयुक्त क्षमता वाले तीन डेयरी संयंत्र दरभंगा, वज़ीरगंज (गया) और गोपालगंज में स्थापित किये जाएंगे।
- प्रतिदिन 30 मीट्रिक टन की क्षमता वाले दो दूध पाउडर विनिर्माण संयंत्र डेहरी-ऑन-सोन (रोहतास) और सीतामढ़ी में स्थापित किये जाएंगे।
- इन संयंत्रों का उद्देश्य दुग्ध उत्पादों की बढ़ती माँग को पूरा करना तथा स्थानीय क्षेत्रों में रोज़गार उपलब्ध कराना है।
- कृषि विकास में डेयरी उद्योग की भूमिका
- राज्य सरकार ने राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में प्रमुख योगदानकर्त्ता के रूप में डेयरी के महत्त्व और दुधारू पशुओं की उन्नत नस्लों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- नई डेयरी इकाइयाँ सहकारी विस्तार में भी मदद करेंगी और दूध की गुणवत्ता में सुधार करेंगी।
- परियोजना का वित्तपोषण
- संयंत्रों का वित्तपोषण भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (SIDBI) और बिहार राज्य दुग्ध सहकारी संघ (COMFED) के माध्यम से किया जाएगा।
बिहार की GDP में क्षेत्रीय योगदान
- नीति आयोग के अनुसार, बिहार की वास्तविक सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) वर्ष 2012-13 और 2021-22 के बीच 5.0% की औसत दर से बढ़ी है, जो इसी अवधि के दौरान राष्ट्रीय औसत विकास दर 5.6% से कम है।
- विगत तीन दशकों में, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में बिहार की हिस्सेदारी 1990-91 में 3.6% से घटकर 2021-22 में 2.8% हो गई है।
- वर्ष 2021-22 में इसकी नाममात्र प्रति व्यक्ति आय, राष्ट्रीय प्रति व्यक्ति आय का केवल 30% थी।
- GSVA में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी सबसे अधिक (57.1%) है, उसके बाद कृषि (24.3%) और उद्योग (17.2%) का स्थान है।
- वित्त वर्ष 2021-22 में कुल GSVA (नाममात्र) में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी 24.9% थी।
- वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच राज्य के सेवा क्षेत्र, उद्योग तथा कृषि में क्रमशः 6.4%, 8.6% एवं 2.6% की वृद्धि हुई।