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आपणी बस-राजस्थान रोडवेज पहल
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 5 अक्तूबर, 2025 को ‘आपणी बस–राजस्थान रोडवेज’ पहल का उद्घाटन किया, जो राजस्थान में ग्रामीण परिवहन संपर्क और यात्री सुविधाओं में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- यह पहल राज्य बजट की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत परिवहन अवसंरचना को विशेष रूप से ग्रामीण एवं अर्द्ध-शहरी क्षेत्रों में मज़बूत बनाया जा रहा है।
- इससे पहले, इन मार्गों को ‘सार्वजनिक परिवहन सेवा’ के तहत संचालित किया जाता था, जिसे अब अधिक दृश्यता और एकीकरण के लिये ‘आपणी बस–राजस्थान रोडवेज’ के रूप में पुनः ब्रांड किया गया है।
- इन बसों का संचालन राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (RSRTC) की देखरेख में निजी संचालकों द्वारा किया जाएगा, जिससे व्यावसायिक सेवा-प्रदाय एवं रखरखाव मानकों का पालन सुनिश्चित हो सके।
- विस्तार:
- यह सेवा ग्रामीण और छोटे शहरों के लिये शुलभ, सुरक्षित तथा विश्वसनीय परिवहन सुनिश्चित करते हुए सशक्त ग्रामीण कनेक्टिविटी को मज़बूत करने के लिये 169 ग्राम पंचायतों में संचालित होगी।
- परिचालन ढाँचा:
- यह मॉडल राजस्व-साझेदारी व्यवस्था पर आधारित है, जिसके अंतर्गत निजी संचालक राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC ) को 5–7 रुपये प्रति किमी का भुगतान करते हैं, जबकि यात्रियों से 1.5 रुपये प्रति किमी का निश्चित किराया लिया जाता है।
- महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों और सरकारी प्रायोजित लाभार्थियों के लिये मुफ्त यात्रा रियायतें पूर्ववत जारी रहेंगी।
- सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित बनाए रखने के लिये सभी बसों में GPS, पैनिक बटन तथा रीयल-टाइम ट्रैकिंग सिस्टम जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराई गईं हैं।
- महत्त्व:
- यह पहल ग्रामीण संपर्क को सुदृढ़ बनाते हुए स्वास्थ्य, शिक्षा और बाज़ारों तक पहुँच में सुधार करती है, स्थानीय रोज़गार सृजन को बढ़ावा देती है, डिजिटल सुशासन को स्मार्ट ट्रैकिंग प्रणाली के माध्यम से जोड़ती है तथा बेहतर सुरक्षा एवं खानपान-सुविधाओं के माध्यम से यात्रियों के विश्वास व सुविधा स्तर को बढ़ाती है।
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राजस्थान का पहला नमो जैवविविधता पार्क
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रताप बाँध, अलवर में राजस्थान के पहले ‘नमो जैवविविधता पार्क’, जिसे ‘नमो वन’ के नाम से भी जाना जाता है, का उद्घाटन किया।
मुख्य बिंदु
- नमो वन के बारे में:
- नमो वन एक नई पर्यावरण-अनुकूल पार्क पहल है, जिसे प्रमुख भारतीय शहरों में शुरू किया गया है, जो हरित क्षेत्रों में वृद्धि और शहरी स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्रव्यापी प्रयासों का हिस्सा है।
- हरित अवसंरचना:
- इस पार्क को अलवर के लिये एक हरित फेफड़ा के रूप में देखा जा रहा है, जो स्थानीय हरियाली को बढ़ाएगा और वायु गुणवत्ता में सुधार करेगा।
- जन जागरूकता:
- इसका उद्देश्य पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देना और नागरिकों को पर्यावरण अनुकूल जीवन शैली अपनाने के लिये प्रोत्साहित करना है।
- सामुदायिक भागीदारी:
- यह पहल संरक्षण में सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये विकसित की गई है, जो भारत की जलवायु कार्रवाई और जैवविविधता लक्ष्यों के अनुरूप है।
- सतत् विकास पर केंद्रित:
- यह पहल राजस्थान के हरित विकास में एक महत्त्वपूर्ण प्रसास है और पर्यावरणीय सतत् विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का समर्थन करती है।
- महत्त्व:
- यह पार्क शहरी पारिस्थितिकी नियोजन को सार्वजनिक भागीदारी के साथ एकीकृत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जो राष्ट्रीय जैवविविधता कार्य योजना और मिशन LiFE (लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) पहल के तहत भारत के व्यापक प्रयासों को दर्शाता है।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
श्यामजी कृष्ण वर्मा की जयंती
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके समर्पण को रेखांकित करते हुए युवाओं से उनकी निडर साहस और न्याय के प्रति प्रतिबद्धता का अनुकरण करने का आग्रह किया।
मुख्य बिंदु
- वे एक भारतीय क्रांतिकारी, देशभक्त, वकील और पत्रकार थे, जिनका जन्म 4 अक्टूबर 1857 को मांडवी, गुजरात में हुआ था।
- लंदन में उन्होंने वर्ष 1905 में इंडियन होम रूल सोसाइटी की स्थापना की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
- उन्होंने लंदन में भारतीय छात्रों के लिये छात्रावास और बैठक-स्थल के रूप में ‘इंडिया हाउस’ की स्थापना की।
- उन्होंने ‘द इंडियन सोशियोलॉजिस्ट’ नामक पत्रिका भी शुरू की, जिसका उद्देश्य युवा भारतीयों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिये प्रेरित करना था।
- वह बॉम्बे आर्य समाज के पहले अध्यक्ष थे और वीर सावरकर से प्रभावित थे।
- ब्रिटिश आलोचना के प्रत्युत्तर में वे इंग्लैंड से पेरिस चले गए और तत्पश्चात प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जिनेवा में स्थायी रूप से बस गए, जहाँ 30 मार्च, 1930 को उनका निधन को गया।
- उन्होंने इच्छा व्यक्त की थी कि उनकी अस्थियाँ स्वतंत्र भारत में लाई जाएँ, यह इच्छा अगस्त 2003 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पूरी की गई।
- उनकी स्मृति में ‘क्रांति तीर्थ’ नामक स्मारक का निर्माण मांडवी के निकट किया गया, जिसका उद्घाटन वर्ष 2010 में किया गया।
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