जैव विविधता और पर्यावरण
नगरीय जैवविविधता का उन्नयन
- 27 May 2025
- 19 min read
प्रिलिम्स के लिये:जैवविधता, अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस, संयुक्त राष्ट्र, जैवविविधता कन्वेंशन (CBD), संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA), संयुक्त राष्ट्र जैवविविधता दशक, नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव, वेटलैंड्स, भारतीय वन सर्वेक्षण (2023), कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैवविविधता फ्रेमवर्क (GBF), सतत् विकास लक्ष्य (SDGs), आरक्षित वन, रामसर साइट, मियावाकी पद्धति। मेन्स के लिये:भारत में शहरी जैवविविधता की आवश्यकता तथा शहरी जैवविविधता के उन्नयन के तरीके। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
नगरीय जैवविविधता हमारी पृथ्वी तथा मानव कल्याण के लिये निर्णायक है, लेकिन जलवायु परिवर्तन तथा अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण इसके समक्ष खतरा बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस (22 मई) पर, “प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत् विकास” थीम के साथ शहरी विकास में पारिस्थितिकी संरक्षण को एकीकृत करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया।
नगरीय जैवविविधता क्या है?
- परिचय: नगरीय जैवविविधता से तात्पर्य नगरीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं (पौधे, जानवर, कवक और सूक्ष्मजीव) की विविधता से है।
- इसमें मानव-प्रधान वातावरण में रहने वाले सभी जैव रूप शामिल हैं जैसे पार्क, बगीचे, हरित छतें, आर्द्रभूमि और निर्मित अवसंरचनाएँ।
- प्रमुख घटक:
- ग्रीन स्पेस: पार्क, उद्यान, हरित पट्टी, लॉन, सड़क किनारे के वृक्ष।
- ब्लू स्पेस: झीलें, नदियाँ, नहरें, तालाब, आर्द्रभूमि।
- निर्मित अवसंरचनाएँ: दीवारें, छतें और आवास संबंधी इमारतें (जिनमें चमगादड़ और पक्षी भी वास करते हैं)।
- वन्यजीव गलियारे: ऐसे रास्ते जो जानवरों को हरे-भरे क्षेत्रों (जैसे, वृक्ष युक्त सड़कें) के बीच घूमने की सुविधा देते हैं।
- प्रमुख उदाहरण:
- शहरों के भीतर आर्द्रभूमियाँ, उदाहरण के लिये दिल्ली में ओखला पक्षी अभयारण्य, बेंगलुरु में वर्थुर झील।
- शहरी वन और जैव विविधता पार्क, उदाहरण के लिये चेन्नई में अरिग्नार अन्ना प्राणी उद्यान।
- शहरों से होकर प्रवाहित होने वाली नदियाँ और झीलें जलीय जैव विविधता को बढ़ावा देती हैं (उदाहरण के लिये पुणे में, मुथा एवं मुला नदियाँ उच्च जैव विविधता प्रदर्शित करती हैं, जिनमें कई मीठे जल की अकशेरुकी प्रजातियाँ पाई जाती हैं)।
भारत के लिये नगरीय जैवविविधता संरक्षण का क्या महत्त्व है?
- जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण को कम करना: शहरी हरित स्थान नगरीय ऊष्मा द्वीप (UHI) प्रभाव को कम करते हैं, उदाहरण के लिये फ्रैंकफर्ट की हरित पट्टियों ने तापमान को 3.5°C तक कम कर दिया।
- वृक्ष कार्बन को सोखते हैं, वायु प्रदूषकों को अलग करते हैं और ध्वनि प्रदूषण को कम करते हैं (10 मीटर चौड़ी वृक्ष की पंक्ति शोर को 5 डेसिबल तक कम करती है)।
- आर्द्रभूमि व शहरी वन बाढ़ नियंत्रण और भूजल पुनर्भरण में मदद करते हैं।
- स्वास्थ्य और कल्याण लाभ: पार्क और हरित स्थान "कंक्रीट के वनों" से एक महत्त्वपूर्ण राहत प्रदान करते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं, तनाव को कम करते हैं एवं मनोरंजन के अवसर प्रदान करते हैं। साथ ही, ये मधुमक्खियों व तितलियों जैसे महत्त्वपूर्ण परागणकर्ताओं का भी समर्थन करते हैं, जो खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने में मदद करते हैं।
- उदाहरण के लिये, ग्रीन वॉल दिल्ली को राजस्थान से पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली गर्म रेगिस्तानी पवनों से बचाती हैं।
- आर्थिक लाभ: बड़े शहरों में शहरी वृक्ष प्रतिवर्ष 8 करोड़ रुपये प्रति वर्ग किलोमीटर मूल्य की पारिस्थितिकी सेवाएंँ प्रदान करते हैं, जिनमें वायु शुद्धिकरण, तापमान नियंत्रण, वर्षा जल प्रबंधन और सौंदर्य संबंधी लाभ शामिल हैं।
- पार्कों और जल निकायों की निकटता से संपत्ति का मूल्य भी बढ़ता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
- वैश्विक प्रतिबद्धताएँ: कुनमिंग मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क (GBF) लक्ष्य 12 शहरी नियोजन में हरे और नीले स्थानों को एकीकृत करने पर ज़ोर देता है।
- संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्य (SDG) लक्ष्य 11 (संवहनीय शहर और समुदाय) शहरों को समावेशी, सुरक्षित, लचीला एवं संवहनीय बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
भारत में नगरीय जैवविविधता को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दे क्या हैं?
- शहरी क्षेत्रों का अनियंत्रित विस्तार: वर्ष 2025 में, वैश्विक जनसंख्या का लगभग 50% हिस्सा शहरी क्षेत्रों में रहता है, अनुमान है कि वर्ष 2050 तक यह 70% तक पहुँच जाएगा, जिससे प्राकृतिक हरित स्थानों पर दबाव बढ़ेगा।
- भारतीय वन सर्वेक्षण (2023) से पता चलता है कि प्रमुख शहरों में औसत वन क्षेत्र सिर्फ 10.26% है, जिसमें मुंबई में सबसे अधिक 25.43% और अहमदाबाद में सबसे कम 3.27% है।
- वर्ष 2021 से 2023 के बीच, चेन्नई और हैदराबाद ने क्रमशः 2.6 और 1.6 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र खोया, जो जैव विविधता की कीमत पर नगरीय विकास को दर्शाता है।
- हीट आइलैंड प्रभाव: दिल्ली जैसे कंक्रीट-प्रधान शहर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में 4–6°C अधिक गर्म होते हैं, जिससे नगरीय वन्यजीवों पर दबाव पड़ता है।
- सतही नगरीय ताप द्वीप प्रभाव पक्षियों को उपनगरीय क्षेत्रों की ओर ले जाता है, जिससे उनके प्रजनन और भोजन खोजने की क्षमता प्रभावित होती है।
- नगरीय आर्द्रभूमियों और जलाशयों का ह्रास: रामसर स्थल ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स पर अतिक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है, जिससे नॉर्दर्न पिंटेल जैसे प्रवासी पक्षियों के लिये आवश्यक आवास संकट में पड़ रहे हैं।
- चिंताजनक रूप से, आज चेन्नई की केवल 15% आर्द्रभूमियाँ ही बची हैं—यह पहले के दशकों में 80% से भारी गिरावट है, जब नगर का नगरीय क्षेत्रफल कहीं छोटा था।
- प्रदूषण: नगरीय प्रदूषण—वायु, जल, मृदा और ध्वनि—पशु स्वास्थ्य, संचार और पारिस्थितिक तंत्रों को बाधित करके जैव विविधता को नुकसान पहुँचाता है, जैसा कि दिल्ली की विषैली वायु और बेंगलुरु की प्रदूषित बेलंदूर झील में देखा गया है।
भारत में नगरीय जैवविविधता को बढ़ाने के लिये क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- हरित अवसंरचना को बढ़ावा देना: पार्कों, नगरीय वनों, आर्द्रभूमियों और हरित छतों जैसी हरित अवसंरचना को बढ़ावा देना नगरीय जैव विविधता और जलवायु प्रतिरोधक क्षमता को मज़बूत करता है।
- UN Habitat के 3-30-300 नियम को अपनाना—दृश्य में 3 पेड़, 30% छत्र आवरण और 300 मीटर के भीतर पार्क—पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बढ़ाता है, नगरों को ठंडा करता है और वन्यजीवों का समर्थन करता है।
- नगरीय जैव विविधता सूचकांक का विकास: नगरीय जैव विविधता सूचकांक, जो वर्तमान में तेलंगाना और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है, स्थानीय प्रजातियों, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं और शासन का आकलन करता है, ताकि नगरों को संरक्षण और संवर्द्धित मानव कल्याण के लिये स्थानीय जैव विविधता रणनीति और कार्य योजना (LBSAP) बनाने में सहायता मिल सके, और इसे चरणबद्ध तरीके से सभी प्रमुख भारतीय नगरों में विस्तारित किया जाना चाहिये।
- अंतर्राष्ट्रीय स्थानीय पर्यावरण पहल परिषद (ICLEI) एशिया ने कोच्चि, गंगटोक और नागपुर जैसे नगरों के लिये 23 संकेतकों का उपयोग करके नगरीय जैव विविधता सूचकांक विकसित किया है।
- नगरीय जलाशयों का संरक्षण और पुनर्स्थापना: नगरीय झीलों में कचरा निपटान को नियंत्रित करने और सीवेज प्रदूषण का उपचार पारंपरिक या प्राकृतिक उपायों से करने की तत्काल आवश्यकता है, साथ ही झीलों और आर्द्रभूमियों के और क्षरण को रोकने के लिये कानूनी सुरक्षा भी सुनिश्चित करनी चाहिये।
- उदाहरण के लिये, गिन्डी में मद्रास रेस क्लब की भूमि को भूजल पुनर्भरण बढ़ाने के लिये झील में परिवर्तित किया जा रहा है, जबकि चेन्नई का पल्लिकारनै दलदल—जो कभी बंजर भूमि और कूड़ेदान था—आंशिक रूप से पुनर्स्थापित किया गया है और इसे संरक्षित वन तथा रामसर स्थल घोषित किया गया है।
- विकेंद्रीकृत हरितीकरण: विकेंद्रीकृत हरितीकरण समुदायों को पॉकेट पार्क, उद्यानों और सड़क के वृक्षों के माध्यम से सशक्त बनाता है, जिससे स्थानीय जैवविविधता में वृद्धि होती है।
- उदाहरण के लिये, चेन्नई के कोयंबेडु बाज़ार परियोजना 2021 ने 141 पौधों की प्रजातियों को पुनर्जीवित किया और प्रमुख पक्षियों और तितलियों की प्रजातियों को आकर्षित किया, जो छोटे शहरी भूमि पर प्राकृतिक तीन-स्तरीय वन की नकल करके मियावाकी पद्धति से बेहतर प्रदर्शन था।
- शहरी नियोजन में जैवविविधता को एकीकृत करना: भारत में शहरी जैवविविधता को बढ़ाने के लिये अनिवार्य प्रभाव आकलन और हरित गलियारों और आवास संपर्क के साथ शहर-स्तरीय कार्य योजनाओं के माध्यम से शहरी नियोजन में जैवविविधता को एकीकृत करना आवश्यक है।
- कठोर दंड और प्रवर्तन की आवश्यकता है ताकि पर्यावरणीय उल्लंघनों को रोका जा सके और सतत् शहरी विकास सुनिश्चित किया जा सके।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हैदराबाद के कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में IT विकास के लिये बड़े पैमाने पर वनोन्मूलन के विरुद्ध कठोर कार्रवाई ने शहरी जैवविविधता संरक्षण हेतु एक महत्त्वपूर्ण मिसाल स्थापित की है।
अंतर्राष्ट्रीय जैवविविधता दिवस
- जैवविविधता परिचय: संयुक्त राष्ट्र ने 22 मई को जैवविविधता के अंतर्राष्ट्रीय दिवस (IDB) के रूप में घोषित किया ताकि जैवविविधता के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके।
- मूल रूप से यह दिवस 29 दिसंबर को मनाया जाता था, जो जैवविविधता पर कन्वेंशन (CBD) के लागू होने का प्रतीक था।
- हालाँकि, वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने 1992 में इसी दिन CBD के टेक्स्ट को अपनाने के सम्मान में तिथि को 22 मई कर दिया।
- जैवविविधता: जैवविविधता एक अवधारणा है, जिसे पहली बार 1985 में वाल्टर जी. रोसेन द्वारा गढ़ा गया था और इसमें पौधों, पशुओं और सूक्ष्मजीवों की व्यापक विविधता शामिल है, साथ ही प्रजातियों के भीतर आनुवंशिक अंतर (जैसे विभिन्न फसल किस्में और पशुधन नस्लें ) और पारिस्थितिक तंत्र की विविधता (झीलें, वन, रेगिस्तान, कृषि परिदृश्य) जहाँ कई जीवित प्राणी परस्पर क्रिया करते हैं।
- ये संसाधन मानव सभ्यता की नींव हैं जैसे,
- मछलियाँ लगभग 3 अरब लोगों के लिये 20% पशु प्रोटीन उपलब्ध कराती हैं।
- पौधे मानव आहार का 80% से अधिक हिस्सा बनाते हैं और
- विकासशील देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80% लोग बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल के लिये पारंपरिक पौधों पर आधारित दवाओं पर निर्भर हैं।
- संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने वर्ष 2011-2020 को जैवविविधता पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में नामित किया है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता के लिये एक रणनीतिक योजना के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाना है।
- ये संसाधन मानव सभ्यता की नींव हैं जैसे,
निष्कर्ष
नगरीय जैवविविधता जलवायु सहिष्णुता, स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि के लिये महत्त्वपूर्ण है। बढ़ते शहरीकरण के साथ, 3-30-300 नियम, सिटी बायोडायवर्सिटी इंडेक्स और समुदाय-संचालित संरक्षण जैसी नीतियों के माध्यम से हरे-नीले स्थानों को एकीकृत करना महत्त्वपूर्ण है। कानूनी संरक्षण, विकेंद्रीकृत हरितीकरण और आर्द्रभूमि पुनर्स्थापन भविष्य की पीढ़ियों के लिये पारिस्थितिक सद्भाव के साथ विकास को संतुलित करते हुए सतत् शहरों को सुनिश्चित कर सकती है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: "प्रकृति के साथ सामंजस्य और सतत् विकास" शहरी जैवविविधता के संरक्षण के लिये महत्त्वपूर्ण है। तेज़ी से शहरीकरण हो रहे शहरों में जैवविविधता को बढ़ावा देने के लिये चुनौतियों और रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. बेहतर नगरीय भविष्य की दिशा में कार्यरत संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम में संयुक्त राष्ट्र पर्यावास (UN-Habitat) की भूमिका के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) 1, 2 और 3 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) मेन्सप्रश्न 1. कई वर्षों से उच्च तीव्रता की वर्षा के कारण शहरों में बाढ़ की बारम्बारता बढ़ रही है। शहरी क्षेत्रें में बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए इस प्रकार की घटनाओं के दौरान जोखिम कम करने की तैयारियों की क्रियाविधि पर प्रकाश डालिये। (2016) प्रश्न 2. क्या कमज़ोर और पिछड़े समुदायों के लिये आवश्यक सामाजिक संसाधनों को सुरक्षित करने के द्वारा, उनकी उन्नति के लिये सरकारी योजनाएँ, शहरी अर्थव्यवस्थाओं में व्यवसायों की स्थापना करने में उनको बहिष्कृत कर देती हैं? (2014) |