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पूर्वोत्तर भारत फ्रंटियर से फ्रंटरनर तक

  • 27 May 2025
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

पूर्वोत्तर क्षेत्र, लिविंग रूट ब्रिज, काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, इनर लाइन परमिट, पीएम-डिवाइन, सिलीगुड़ी कॉरिडोर

मेन्स के लिये:

एक्ट ईस्ट नीति और पूर्वोत्तर भारत की भूमिका, पूर्वोत्तर में सीमा प्रबंधन और राष्ट्रीय सुरक्षा

स्रोत:द हिंदू

चर्चा में क्यों?

प्रधानमंत्री ने "राइजिंग नॉर्थईस्ट: द इन्वेस्टर समिट" में घोषणा की कि भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) अब भारत की विकास यात्रा में एक "सीमांत" (फ्रंटियर) नहीं बल्कि एक "अग्रणी" (फ्रंटरनर) बन गया है। उन्होंने इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्त्व और आर्थिक संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए ज़ोर दिया कि यह क्षेत्र दक्षिणपूर्व एशिया के साथ व्यापार के लिये एक प्रवेशद्वार के रूप में उभर रहा है।

नोट: पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) ने भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की निवेश और व्यापार क्षमता को उजागर करने के लिये राइजिंग नॉर्थईस्ट: द इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया है। 

  • इस पहल का उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र को आसियान और BBAN (बांग्लादेश, भूटान, नेपाल) देशों के साथ रणनीतिक संपर्क के साथ एक गतिशील आर्थिक गलियारे के रूप में पेश करना है।
  • राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 में अभूतपूर्व 4.3 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित हुआ, जिससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के भारत की अगली आर्थिक महाशक्ति बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

पूर्वोत्तर भारत के विकास में अग्रणी बनकर कैसे उभर रहा है?

  • जैव-अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधन: पूर्वोत्तर क्षेत्र, जिसे 'अष्ट लक्ष्मी' कहा जाता है, नवीकरणीय ऊर्जा, कृषि-आधारित उद्योगों, पारिस्थितिकी-पर्यटन एवं रणनीतिक विनिर्माण में क्षेत्र की विशाल क्षमता को दर्शाता है।
  • क्षेत्र की जैवविविधता का उपयोग हरित विकास के लिये किया जा रहा है। असम चाय उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है, जबकि अरुणाचल प्रदेश बाँस आधारित उद्योगों में अग्रणी है।
  • इस क्षेत्र में भारत की पनबिजली क्षमता का 40% (~ 62,000 मेगावाट) मौजूद है, फिर भी केवल 6.9% का ही उपयोग किया जाता है। सौर ऊर्जा क्षमता 57,360 मेगावाट होने का अनुमान है, जबकि स्थापित क्षमता केवल 17% है।
  • पर्यटन और मानव पूंजी की ताकत: उत्तर पूर्व की प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध संस्कृति इसे पर्यावरण अनुकूल और सतत् पर्यटन के लिये एक आदर्श गंतव्य बनाती है।   
    • मुख्य आकर्षणों में मेघालय के लिविंग रूट ब्रिज, सिक्किम का इको-पर्यटन, असम में काज़ीरंगा राष्ट्रीय उद्यान और कामाख्या मंदिर, तथा मणिपुर की लोकटक झील शामिल हैं। ये स्थल स्थानीय आजीविका को बढ़ावा देते हैं और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा को प्रोत्साहित करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र (NER) में उच्च साक्षरता दर (~80%) और अंग्रेज़ी बोलने वाली जनसंख्या के बड़े अनुपात क्षेत्र की कार्यबल तत्परता में योगदान देता है।
    • मणिपुर और मिज़ोरम जैसे राज्य फुटबॉल, मुक्केबाज़ी और भारोत्तोलन जैसे खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर अग्रणी हैं।
  • दक्षिण-पूर्व एशिया का प्रवेश द्वार: उत्तर-पूर्व भारत की 'एक्ट ईस्ट' नीति का केंद्र है, जो इसे आसियान और इंडो-पैसिफिक बाज़ारों के लिये एक सेतु बनाता है।
    • भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग और कालादान बहु-मोडल ट्रांज़िट परिवहन परियोजना जैसी योजनाएँ क्षेत्रीय संपर्क को सुदृढ़ कर रही हैं।
    • म्याँमार में सित्तवे और बांग्लादेश में चटगाँव जैसे बंदरगाहों का विकास उत्तर-पूर्व भारत को प्रमुख हिंद महासागर शिपिंग मार्गों से जोड़ेगा, जिससे भारत-आसियान व्यापार अगले दशक में 125 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 200 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये महत्त्वपूर्ण: उत्तर-पूर्व भारत (NER) पाँच देशों (म्याँमार, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत/चीन) के साथ 5,484 कि.मी. लंबी सीमा साझा करता है और राष्ट्रीय सुरक्षा में अग्रिम भूमिका निभाता है।
    • सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक और आर्थिक रेखा है, जो उत्तर-पूर्व भारत को देश के अन्य भागों से जोड़ता है और भूटान, बांग्लादेश और नेपाल के साथ व्यापार के लिये एक प्रमुख पारगमन केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा: केंद्र सरकार ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र के लिये सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के बजट का 10% हिस्सा आवंटित कर फंडिंग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि की है।
    • वर्ष 2018 में शुरू की गई पूर्वोत्तर विशेष अवसंरचना विकास योजना (NESIDS) के अंतर्गत सड़कों, जल और विद्युत् के लिये 1 अरब अमेरिकी डॉलर का आवंटन किया गया है।
    • अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग जैसी परियोजनाएँ दूरस्थ क्षेत्रों में हर मौसम में कनेक्टिविटी को सुधार रही हैं। असम में प्रस्तावित सेमीकंडक्टर संयंत्र जैसी नई पहलें उच्च प्रौद्योगिकी औद्योगिक निवेश की दिशा में बदलाव का संकेत देती हैं।

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पूर्वोत्तर भारत को अग्रणी बनाने में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • ऐतिहासिक विद्रोह और सुरक्षा संबंधी मुद्दे: नागा, मिज़ो, ULFA, NDFB जैसे दशकों पुराने विद्रोही आंदोलनों ने अस्थिरता उत्पन्न की, जिससे निवेश और विकास प्रभावित हुए।
    • बांग्लादेश और म्याँमार से सीमा पार घुसपैठ ने लगातार सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं।
      • वर्ष 2023 में मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हुई जातीय हिंसा, गहरे तनाव एवं नाजुक अंतर-सामुदायिक संबंधों को उज़ागर करती है  तथा पहचान की राजनीति एकीकृत विकास के दृष्टिकोण को रोकती है। 
      • "बाहरी लोगों" का भय और इनर लाइन परमिट (ILP) को जारी रखने की मांग प्रवास, निवेश व उद्यमिता के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न करती है।
  • कृषि संकट और रोज़गार अंतराल: यद्यपि कृषि यहाँ का मुख्य आधार है, फिर भी इस क्षेत्र को कम उत्पादकता व आधुनिक तकनीकों की कमी जैसी गंभीर समस्याओं  का सामना करना पड़ रहा है।
  • पूर्वोत्तर में बिचौलियों का बोलबाला है, जिसकी वजह से किसान कर्ज और कम आय के जाल में फँस जाते हैं। यहाँ तक ​​कि सहकारी समितियों को भी इन बिचौलियों से मुकाबला करने में संघर्ष करना पड़ता है।
  • उच्च साक्षरता और अंग्रेज़ी दक्षता के बावजूद, उद्योग-तैयार कौशल की कमी रोज़गार-क्षमता को प्रभावित करती है।
    • कम पर्यटक संख्या: सीमित संपर्क, सुरक्षा चिंताओं और कमज़ोर विपणन के कारण इस क्षेत्र की विशाल पर्यटन क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है।
    • केंद्रीय निधियों पर निर्भरता: कई पूर्वोत्तर राज्य केंद्र सरकार के सहयोग पर बहुत अधिक निर्भर हैं, जो कम राजकोषीय आत्मनिर्भरता को दर्शाता है।
    • सीमित औद्योगिक आधार: औद्योगिक विकास असमान है और उच्च रसद लागत बड़े पैमाने पर निवेश को हतोत्साहित करती है।
    • भौगोलिक बाधाएँ और पर्यावरणीय भेद्यता: कठिन भूभाग, बार-बार आने वाली बाढ़ और भूस्खलन बुनियादी ढाँचे के विकास व कनेक्टिविटी में बाधा डालते हैं।
      • पूर्वोत्तर में अक्सर बाढ़, भूस्खलन और अनियमित वर्षा होती है, जिससे बुनियादी ढाँचे व आजीविका को नुकसान पहुँचता है। 
      • वर्ष 2022 में असम में आई बाढ़, जिसने लाखों लोगों को विस्थापित किया, इस क्षेत्र की पारिस्थितिक भेद्यता को उज़ागर करती है, जबकि जलवायु परिवर्तन कृषि और जल सुरक्षा के लिये खतरा है।
  • मादक पदार्थों की तस्करी: गोल्डन ट्राइंगल से निकटता के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र मादक पदार्थों की तस्करी के प्रति संवेदनशील है, विशेष रूप से मणिपुर और मिज़ोरम में।
  • युवाओं में मादक द्रव्यों की लत बढ़ रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर बोझ बढ़ रहा है और सामाजिक ताना-बाना बिगड़ रहा है।

पूर्वोत्तर क्षेत्र को भारत के विकास में अग्रणी किस प्रकार बनाया जा सकता है?

  • पर्यटन और सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: स्वदेश दर्शन 2.0 और देखो अपना देश पहल के तहत इको-पर्यटन, आध्यात्मिक पर्यटन एवं नृजातीय ग्राम सर्किट विकसित करना चाहिये।
    • स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा ऋण के तहत प्रशिक्षण एवं सूक्ष्म ऋण के माध्यम से होमस्टे मॉडल के साथ सांस्कृतिक उद्यमिता को प्रोत्साहित करना चाहिये।
    • इस क्षेत्र को सॉफ्ट पाॅवर हब के रूप में स्थापित करने के क्रम में अधिकाधिक अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सवों (जैसे हॉर्नबिल और पैंग ल्हाब्सोल) का आयोजन करना चाहिये।
  • मानव पूंजी का विकास: IIT-गुवाहाटी जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी में बहु-विषयक विश्वविद्यालय एवं कौशल केंद्र स्थापित करने चाहिये। क्षेत्रीय कौशल संस्कृति (जैसे हस्तशिल्प, कृषि-तकनीक, आतिथ्य, आपदा प्रतिक्रिया) के अनुसार कौशल विकास करना चाहिये।
    • जैविक कृषि को बढ़ावा देना: NE-RACE के माध्यम से बेहतर बाज़ार पहुँच के साथ मध्यस्थों के बोझ को कम करना चाहिये।
      • MOVCDNER के अंतर्गत ब्रांडिंग और विपणन सहायता के साथ-साथ जैविक उत्पादों हेतु मूल्य प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये।
    • गहन औद्योगिकीकरण: रियल टाइम मॉनिटरिंग, ​​तीव्र अनुमोदन तथा लक्षित क्षेत्रों (जैसे जैविक खाद्य, हस्तशिल्प, फार्मा और कृषि प्रसंस्करण) के साथ NEIDS का पुनरुद्धार करना चाहिये।
      • औद्योगिक विकास तथा सीमापार व्यापार को बढ़ावा देने के लिए प्लग-एंड-प्ले बुनियादी ढाँचे के साथ विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) के समान नगालैंड, मणिपुर और मिज़ोरम में सीमा आर्थिक क्षेत्र (BEZs) की स्थापना करनी चाहिये।
  • बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: 5G कॉरिडोर, डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम और प्रत्येक राज्य की राजधानी में तकनीकी केंद्रों के माध्यम से भारतनेट के क्रियान्वयन में तीव्रता लानी चाहिये।
    • बेहतर अंतिम-मील हवाई संपर्क के क्रम में UDAN योजना का विस्तार किया जाना चाहिये।
  • उग्रवाद और जातीय संघर्षों का समाधान: समावेशी स्थानीय शासन, अंतर-सामुदायिक कार्यक्रम, रोज़गार सृजन तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के माध्यम से जातीय सामंजस्य को बढ़ावा देना चाहिये। 
    • लोकुर समिति (वर्ष 1965) ने आदिवासियों के भूमि अधिकारों की सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए रोज़गार में सुधार और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों से निपटने के क्रम में कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने की सिफारिश की थी।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत की एक्ट ईस्ट नीति एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विकसित भू-राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में पूर्वोत्तर भारत के सामरिक महत्व पर चर्चा कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

Q. उत्तर-पूर्वी भारत में उपप्लवियों की सीमा के आरपार आवाजाही, सीमा की पुलिसिंग के सामने अनेक सुरक्षा चुनौतियों में से केवल एक है। भारत-म्याँमार सीमा के आरपार वर्तमान में आरंभ होने वाली विभिन्न चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। साथ ही चुनौतियों का प्रतिरोध करने के कदमों पर चर्चा कीजिये। (2019)

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