उत्तर प्रदेश Switch to English
दुधवा टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में स्थित दुधवा टाइगर रिज़र्व में 6–7 महीने के एक तेंदुए के शावक की अज्ञात न्यूरोलॉजिकल विकार के कारण उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।
मुख्य बिंदु
- दुधवा टाइगर रिज़र्व के बारे में:
- यह उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित है। इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत वर्ष 1988 में एक टाइगर रिज़र्व के रूप में स्थापित किया गया था।
- संरचनात्मक क्षेत्र:
- इस रिज़र्व में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान, किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य शामिल हैं।
- इसमें साल वनभूमि, दलदली घासभूमि, शुष्क नदी घासभूमि और ऑक्सबो झीलों का मिश्रण पाया जाता है।
- भौगोलिक विशेषताएँ:
- यह रिज़र्व उत्तर में मोहना नदी और दक्षिण में शारदा नदी से घिरा है, जबकि कतर्नियाघाट से गेरवा नदी बहती है।
- जैवविविधता:
- यह एक जैवविविधता हॉटस्पॉट है, जहाँ परस्पर जुड़ी खाद्य शृंखलाएँ और जाल विद्यमान हैं।
- जीव-जंतु:
- इस रिज़र्व में बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, दलदली हिरण, तेंदुआ तथा अनेक पक्षी-प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- अखिल भारतीय बाघ गणना 2022 में दुधवा टाइगर रिज़र्व देश में चौथे स्थान पर रहा, जहाँ लगभग 135 बाघ और 180 तितली प्रजातियाँ पाई गईं।
- इस रिज़र्व में बंगाल टाइगर, भारतीय गैंडा, दलदली हिरण, तेंदुआ तथा अनेक पक्षी-प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- वनस्पति:
- यहाँ साल (Shorea robusta) वनों का प्रभुत्व है, इसके अतिरिक्त आर्द्रभूमि, घासभूमि और नदी तटीय वनस्पतियाँ पाई जाती हैं।]
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
भूटान के प्रधानमंत्री का बोधगया का दौरा
चर्चा में क्यों?
भूटान के प्रधानमंत्री ने बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर का भ्रमण किया और भगवान बुद्ध की प्रतिमा के समक्ष प्रार्थना अर्पित की तथा पवित्र बोधि वृक्ष के नीचे ध्यान लगाया।
महाबोधि मंदिर
महाबोधि महाविहार के बारे में
- परिचय:
- महाबोधि महाविहार वह स्थल है जहाँ गौतम बुद्ध को बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था।
- मंदिर का निर्माण मूलतः सम्राट अशोक द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में कराया गया था, जबकि वर्तमान संरचना 5वीं–6वीं शताब्दी ईस्वी की है।
- वास्तुकला संबंधी विशेषताएँ:
- संपूर्ण परिसर में 50 मीटर ऊँचा मुख्य मंदिर (वज्रासन), पवित्र बोधि वृक्ष तथा बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से संबंधित छह अन्य पवित्र स्थल शामिल हैं, जो प्राचीन स्तूपों से घिरे हुए हैं।
- यह गुप्तकाल के सर्वप्रथम सुरक्षित ईंट-निर्मित मंदिरों में से एक है। सम्राट अशोक ने यहाँ बुद्ध के ध्यान स्थल को चिह्नित करने के लिये वज्रासन (हीरकासन) की स्थापना कराई थी।
- पवित्र स्थल:
- प्रमुख स्थलों में बोधि वृक्ष (मूल वृक्ष का प्रत्यक्ष वंशज), अनिमेष लोचन चैत्य (जहाँ बुद्ध ने ज्ञान-प्राप्ति के बाद ध्यान किया था) तथा अन्य संबंधित स्थल शामिल हैं।
- मान्यता:
- महाबोधि मंदिर को वर्ष 2002 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में सम्मिलित किया गया था