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उत्तर प्रदेश में कृषि सखी
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये महिलाओं को 'कृषि सखी' के रूप में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- कृषि सखी योजना के बारे में:
- यह पहल कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को औपचारिक पहचान देती है तथा उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- चयन प्रक्रिया और भूमिका:
- ‘कृषि सखी’ के रूप में उन्हीं महिलाओं का चयन किया जाएगा जो:
- स्थानीय निवासी हों।
- स्व-सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी हों या कृषि कार्य में सक्रिय हों।
- न्यूनतम प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हों (साक्षरता अनिवार्य)।
- उनकी भूमिका में निम्नलिखित शामिल हैं:
- किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों के प्रति जागरूक करना।
- प्रशिक्षण प्राप्त करना और देना, विशेषकर जैविक खाद, कीटनाशक, बीज उपचार आदि से संबंधित।
- कृषि क्लस्टर की निगरानी करना और किसानों की समस्याओं को कृषि विज्ञान केंद्र तक पहुँचाना।
- महिलाओं की टोली बनाकर सामूहिक खेती को बढ़ावा देना।
- ‘कृषि सखी’ के रूप में उन्हीं महिलाओं का चयन किया जाएगा जो:
- प्रशिक्षण और मानदेय:
- इन महिलाओं को KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) द्वारा प्राकृतिक खेती, जैविक उत्पाद निर्माण, प्रयोग विधियाँ, रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण के दौरान उन्हें फील्ड डेमोंस्ट्रेशन, विजुअल एड्स, और टूलकिट्स प्रदान की जाएंगी।
- प्रत्येक ज़िले में दो जैव इनपुट अनुसंधान केंद्र (Bio-input Research Centres) की स्थापना की जाएगी।
- ‘कृषि सखियों’ को प्रति माह ₹5,000 का मानदेय प्रदान किया जाएगा, जो ग्रामीण महिलाओं के लिये निश्चित आय का स्रोत बनेगा।
- इसके अतिरिक्त, कुछ क्षेत्रों में प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन राशि (Performance-Based Incentives) भी दी जा सकती है।
प्राकृतिक खेती:
- प्राकृतिक खेती स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों पर आधारित एक रसायन मुक्त कृषि पद्धति है।
- यह पारंपरिक स्वदेशी तरीकों को प्रोत्साहित करती है जो उत्पादकों को बाहरी आदानों पर निर्भर रहने से मुक्त करते हैं।
- प्राकृतिक खेती का प्रमुख ध्यान बायोमास मल्चिंग के साथ ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग, ऑन-फार्म देसी गाय के गोबर एवं मूत्र का उपयोग, विविधता के माध्यम से कीटों का प्रबंधन, ऑन-फार्म वनस्पति मिश्रण एवं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी सिंथेटिक रासायनिक आदानों का बहिष्करण है।
- चूँकि प्राकृतिक खेती में किसी भी सिंथेटिक रसायन का उपयोग नहीं होता है जिसकी वजह से यह स्वास्थ्य के लिये कम जोखिमपूर्ण है।
- इन खाद्यान्नों में उच्च पोषण तत्त्व होता है और बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
- प्राकृतिक खेती का उद्देश्य लागत तथा जोखिम में कमी, समान पैदावार और इंटरक्रॉपिंग से आय के परिणामस्वरूप किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि कर खेती को व्यवहार्य एवं आकांक्षी बनाना है।


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आनंदीबेन पटेल पर आधारित पुस्तक
चर्चा में क्यों?
लखनऊ स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की आत्मकथात्मक पुस्तक ‘चुनौतियाँ मुझे पसंद हैं’ का विमोचन किया गया।
मुख्य बिंदु
- पुस्तक के बारे में:
- यह पुस्तक राजनीति, प्रशासन और सामाजिक जीवन में उनके संघर्षों और उपलब्धियों को दर्शाती है।
- पुस्तक में एक साधारण कार्यकर्त्ता से लेकर गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल बनने तक के सफर का उल्लेख है।
- यह पुस्तक महिलाओं के नेतृत्व, संघर्ष और सशक्तीकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
- आनंदीबेन पटेल
- आनंदीबेन पटेल वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं और भारतीय राजनीति की एक प्रभावशाली महिला नेतृत्वकर्त्ता के रूप में जानी जाती हैं।
- उनका जन्म 21 नवंबर 1941 को गुजरात के मेहसाणा ज़िले के खरोद गाँव में एक पाटीदार परिवार में हुआ था।
- उन्होंने ई-जमीन कार्यक्रम शुरू किया, जिससे भूमि रिकॉर्ड का कंप्यूटरीकरण हुआ और किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों को डिजिटल रूप दिया गया।
राज्यपाल
- परिचय
- इसके अलावा, जब राज्यपाल की नियुक्ति हो तब राष्ट्रपति के लिये आवश्यक है कि वह राज्य के मामले में मुख्यमंत्री से परामर्श करे ताकि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।
- राज्यपाल, राज्य का कार्यकारी प्रमुख होता है। परंपरा के अनुसार, वह उस राज्य से संबंधित न हो जहाँ उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रह सके।
- राज्यपाल न तो जनता द्वारा सीधे चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह संवैधानिक प्रक्रिया के तहत उसका निर्वाचन होता है।
- उसकी नियुक्त राष्ट्रपति के मुहर लगे आज्ञापत्र के माध्यम से होती है।
- वह राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है और राष्ट्रपति द्वारा किसी भी समय हटाया जा सकता है।
- राज्यपाल कार्यालय की शर्तें:
- बिना किराए के उसे राजभवन (आधिकारिक निगम) उपलब्ध होगा।
- वह संसद द्वारा निर्धारित सभी प्रकार की उपलब्धियों, विशेषाधिकारों और भत्तों के लिये अधिकृत होगा।
- यदि वह व्यक्ति दो या अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त होता है, तो ये उपलब्धियाँ और भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानकों के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करेंगे।
- उसके कार्यकाल के दौरान उसकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता।
- विशेषाधिकार:
- अनुच्छेद 361 के तहत, उसे अपने शासकीय कृत्यों के लिये विधिक दायित्व से निजी उन्मुक्ति प्राप्त होती हैं।
- अपने कार्यकाल के दौरान, उसे आपराधिक कार्यवाही (चाहे वह व्यक्तिगत क्रियाकलाप हो) की सुनवाई से उन्मुक्ति प्राप्त है।
- उसे गिरफ्तार कर कारावास में नहीं डाला जा सकता है।
- यद्यपि दो महीने के नोटिस देने पर व्यक्तिगत क्रियाकलापों पर उनके विरुद्ध नागरिक कानून संबंधी कार्यवाही प्रारंभ की जा सकती है।

