उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में कृषि सखी
- 03 May 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये महिलाओं को 'कृषि सखी' के रूप में प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है।
मुख्य बिंदु
- कृषि सखी योजना के बारे में:
- यह पहल कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को औपचारिक पहचान देती है तथा उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मज़बूत कदम है।
- चयन प्रक्रिया और भूमिका:
- ‘कृषि सखी’ के रूप में उन्हीं महिलाओं का चयन किया जाएगा जो:
- स्थानीय निवासी हों।
- स्व-सहायता समूहों (SHG) से जुड़ी हों या कृषि कार्य में सक्रिय हों।
- न्यूनतम प्राथमिक शिक्षा प्राप्त हों (साक्षरता अनिवार्य)।
- उनकी भूमिका में निम्नलिखित शामिल हैं:
- किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभों के प्रति जागरूक करना।
- प्रशिक्षण प्राप्त करना और देना, विशेषकर जैविक खाद, कीटनाशक, बीज उपचार आदि से संबंधित।
- कृषि क्लस्टर की निगरानी करना और किसानों की समस्याओं को कृषि विज्ञान केंद्र तक पहुँचाना।
- महिलाओं की टोली बनाकर सामूहिक खेती को बढ़ावा देना।
- ‘कृषि सखी’ के रूप में उन्हीं महिलाओं का चयन किया जाएगा जो:
- प्रशिक्षण और मानदेय:
- इन महिलाओं को KVK (कृषि विज्ञान केंद्र) द्वारा प्राकृतिक खेती, जैविक उत्पाद निर्माण, प्रयोग विधियाँ, रोग नियंत्रण जैसे विषयों पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- प्रशिक्षण के दौरान उन्हें फील्ड डेमोंस्ट्रेशन, विजुअल एड्स, और टूलकिट्स प्रदान की जाएंगी।
- प्रत्येक ज़िले में दो जैव इनपुट अनुसंधान केंद्र (Bio-input Research Centres) की स्थापना की जाएगी।
- ‘कृषि सखियों’ को प्रति माह ₹5,000 का मानदेय प्रदान किया जाएगा, जो ग्रामीण महिलाओं के लिये निश्चित आय का स्रोत बनेगा।
- इसके अतिरिक्त, कुछ क्षेत्रों में प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन राशि (Performance-Based Incentives) भी दी जा सकती है।
प्राकृतिक खेती:
- प्राकृतिक खेती स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों पर आधारित एक रसायन मुक्त कृषि पद्धति है।
- यह पारंपरिक स्वदेशी तरीकों को प्रोत्साहित करती है जो उत्पादकों को बाहरी आदानों पर निर्भर रहने से मुक्त करते हैं।
- प्राकृतिक खेती का प्रमुख ध्यान बायोमास मल्चिंग के साथ ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग, ऑन-फार्म देसी गाय के गोबर एवं मूत्र का उपयोग, विविधता के माध्यम से कीटों का प्रबंधन, ऑन-फार्म वनस्पति मिश्रण एवं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सभी सिंथेटिक रासायनिक आदानों का बहिष्करण है।
- चूँकि प्राकृतिक खेती में किसी भी सिंथेटिक रसायन का उपयोग नहीं होता है जिसकी वजह से यह स्वास्थ्य के लिये कम जोखिमपूर्ण है।
- इन खाद्यान्नों में उच्च पोषण तत्त्व होता है और बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्रदान करते हैं।
- प्राकृतिक खेती का उद्देश्य लागत तथा जोखिम में कमी, समान पैदावार और इंटरक्रॉपिंग से आय के परिणामस्वरूप किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि कर खेती को व्यवहार्य एवं आकांक्षी बनाना है।