उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में पराली दहन पर अंकुश लगाने हेतु सब्सिडी योजना की शुरुआत
- 25 Oct 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने एक योजना शुरू की है, जिसके तहत पराली दहन (स्टबल बर्निंग) को रोकने में सहायता करने वाले कृषि उपकरणों पर 40-50% सब्सिडी दी जाएगी। यह कदम उत्तर भारत में सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
मुख्य बिंदु
- परिचय: यह सब्सिडी उन उपकरणों पर लागू होती है जैसे मल्चर्स और ट्रेडर्स, जो किसानों को फसल अवशेष को मृदा में मिलाकर इसे जैविक पदार्थ में परिवर्तित करने में सक्षम बनाते हैं, ताकि यह अपशिष्ट के बजाय उपयोगी बन सके।
- उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण-मैत्री अवशेष प्रबंधन प्रथाओं को बढ़ावा देना और फसल दहन से होने वाले वायु प्रदूषण को कम करना है।
- कार्यान्वयन: किसान लाभ के लिये कृषि विभाग के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से या निकटतम विभागीय कार्यालय जाकर आवेदन कर सकते हैं।
- टोकन भुगतान प्रणाली: सरकार ने किसानों के लिये पारदर्शी और सुरक्षित आवेदन प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिये टोकन भुगतान प्रणाली भी शुरू की है।
- ₹10,000 तक के उपकरणों के लिये कोई भुगतान नहीं।
- ₹10,000 से ₹50,000 लागत वाले उपकरणों के लिये ₹2,500।
- लाखों रुपये लागत वाले उपकरणों के लिये ₹5,000।
पराली दहन (स्टबल बर्निंग)
- पराली दहन एक ऐसी विधि है, जिसमें खेत से धान की फसल अवशेषों को हटाकर गेहूँ बोने के लिये तैयार किया जाता है। यह प्रक्रिया सितंबर के अंतिम सप्ताह से नवंबर तक होती है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून निर्वतन के समय घटित होती है।
- पराली दहन वह प्रक्रिया है जिसमें धान, गेहूँ जैसी फसलों की कटाई के बाद बचे हुए भूसे और अवशेषों को आग लगाकर नष्ट किया जाता है। यह आमतौर पर उन क्षेत्रों में आवश्यक होता है जहाँ संयुक्त फसल कटाई (combined harvesting) विधि अपनाई जाती है, जो फसल अवशेष पीछे छोड़ देती है।
- यह प्रथा उत्तर-पश्चिम भारत में अक्तूबर और नवंबर में सामान्य है, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में।