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दिव्या देशमुख महिला विश्व कप चैंपियन बनीं

  • 29 Jul 2025
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने FIDE महिला विश्व कप जीतकर इतिहास रच दिया, उन्होंने अनुभवी कोनेरू हंपी को टाईब्रेकर में हराया तथा बिना किसी मानदंड के टूर्नामेंट शुरू करने के बावजूद ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया।

प्रमुख बिंदु

  • ग्रैंडमास्टर
    • दिव्या अब भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बन गई हैं और यह खिताब हासिल करने वाली चौथी महिला हैं। उनसे पहले हरिका द्रोणावल्ली, वैशाली रमेशबाबू तथा हंपी कोनेरू यह खिताब हासिल कर चुकी हैं।
    • उन्होंने फाइनल में हंपी का सामना करने से पहले चीन की विश्व नंबर 6 खिलाड़ी झू जिनर, भारतीय अनुभवी हरिका द्रोणावल्ली और पूर्व महिला विश्व चैंपियन तान झोंगयी जैसी शीर्ष खिलाड़ियों को हराया।
    • एक अंतर्राष्ट्रीय मास्टर के रूप में शुरुआत करते हुए, उनकी जीत ने उन्हें एक विशेष FIDE विनियमन के तहत पारंपरिक मानदंडों को दरकिनार करते हुए भारत की चौथी महिला ग्रैंडमास्टर बनने के लिये योग्य बना दिया है।
  • पूर्व उपलब्धियाँ: 
    • पिछले वर्ष, उन्हें लड़कियों की श्रेणी में विश्व जूनियर चैंपियन का खिताब मिला।
    • इसके अतिरिक्त, उन्होंने बुडापेस्ट में आयोजित शतरंज ओलंपियाड में भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ उन्होंने व्यक्तिगत स्वर्ण भी अर्जित किया।
  • भविष्य की संभावनाएँ
    • वे आगामी प्रतियोगिताओं में एक प्रभावशाली खिलाड़ी होंगी, जिनमें कैंडिडेट्स टूर्नामेंट शामिल है, जहाँ शीर्ष आठ खिलाड़ी विश्व चैम्पियन को चुनौती देने का अवसर प्राप्त करते हैं।
  • ऐतिहासिक समापन
    • भारत की दोनों फाइनलिस्टों की उपस्थिति महिला शतरंज में देश के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है, जो ओपन वर्ग में गुकेश और प्रज्ञानंदा की सफलता के समानान्तर है तथा चीनी तथा रूसी खिलाड़ियों के दीर्घकालिक प्रभुत्व के साथ-साथ भारत की बढ़ती उपस्थिति को भी दर्शाती है।

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