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मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश परिसीमन आयोग

  • 11 Sep 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने प्रशासनिक सीमाओं की पुनः जाँच करने तथा सेवाओं तक जनता की पहुँच में सुधार लाने हेतु परिसीमन आयोग का गठन किया है।

मुख्य बिंदु

  • परिसीमन आयोग का गठन:
    • इसका उद्देश्य सेवाओं तक जनता की पहुँच में सुधार लाना तथा मौजूदा विसंगतियों को दूर करना है।
      • सागर, उज्जैन , इंदौर और धार जैसे ज़िलों को अपने आकार के कारण प्रशासनिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • परिसीमन: 
    • इस प्रक्रिया में प्रत्येक दशकीय जनगणना के बाद के आँकड़ों के आधार पर अनुसूचित जातियों (SC) और अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिये सीटों के आरक्षण सहित सीटों की संख्या तथा  प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएँ तय करना शामिल है
    • भारतीय संविधान में प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अनिवार्य किया गया है
      • अनुच्छेद 82 लोकसभा के लिये सीटों के पुनर्समायोजन को अनिवार्य बनाता है, जबकि अनुच्छेद 170 राज्य स्तर पर इसी अभ्यास का प्रावधान करता है। यह प्रक्रिया केंद्रीय स्तर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त परिसीमन आयोग नामक एक शक्तिशाली निकाय द्वारा की जाती है।
    • राज्य सरकारें प्रशासनिक दक्षता में सुधार के लिये ज़िलों और संभागों की सीमाओं को समायोजित करने हेतु परिसीमन आयोग की नियुक्ति करती हैं 
      • उच्चस्तरीय आयोग का नेतृत्व राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक अधिकारी करता है। इसके आदेशों में कानून की ताकत होती है और भारत के किसी भी न्यायालय में इस पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता ।
    • 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के तहत परिसीमन आयोग चार बार स्थापित किये गए हैं - वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में। 
      • पहला परिसीमन राष्ट्रपति द्वारा (निर्वाचन आयोग की सहायता से) वर्ष 1950-51 में किया गया था।
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