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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में बागवानी फसलों से जुड़ी संभावनाएँ और चुनौतियाँ कौन सी हैं? पर्यावरण सुरक्षा में बागवानी फसलें किस प्रकार सहयोग करती हैं?

    11 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा –

    • बागवानी कृषि की भारत में वर्तमान स्थिति का संक्षिप्त में विवरण दें।
    • भारत में बागवानी कृषि की संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में लिखें।
    • पर्यावरण सुरक्षा में बागवानी कृषि के योगदान को लिखें।
    • निष्कर्ष

    भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बागवानी फसलों का बहुत महत्त्व है। 1950 से आज तक बागवानी फसलों का उत्पादन लगभग 10 गुना बढ़ चुका है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये बागवानी फसलें आय का मुख्य स्रोत बन चुकी हैं। बागवानी विकास के लिये सरकार ने अलग-अलग योजनाओं को मिलाकर “समेकित बागवानी विकास मिशन” के रूप में संगठित किया है।  

    भारत में बागवानी से जुड़ी संभावनाएँ और चुनौतियाँ-

    • भारत में लगभग 25-30 प्रतिशत फल और सब्जियाँ कटाई-उपरांत ही बेकार हो जाती हैं, जिसके कारण उन्हें उचित बाज़ार मूल्य भी नहीं मिल पाता। इस नुकसान को रोकने के लिये उचित भंडारण सुविधाओं विशेषतः शीत भंडारण की व्यवस्था करना आवश्यक है।
    • भारत फलों और सब्जियों का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। कटाई के बाद नुकसान और खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं की कमी के चलते भारत को इनका आयात करना पड़ता है। प्रसंस्करण सुविधाओं के विस्तार से प्रसंस्करित फलों और सब्जियों के आयात को कम किया जा सकता है।
    • केवल बागवानी फसलों के प्रसंस्करण की यूनिटों की संख्या इनके उत्पादन की तुलना में बहुत कम है। इनकी संख्या बढ़ाने के लिये भी प्रयास किये जाने चाहिये। 
    • पहाड़ी इलाकों खासकर उत्तराखंड के सुदूर क्षेत्रों में बागवानी फसलों जैसे-काफल, माल्टा, संतरे, बुरांश आदि का उत्पादन होता है, लेकिन सड़क एवं बाज़ार से उचित संपर्क न होने के कारण किसानों को इनका सही मूल्य नहीं मिल पाता है। 
    • पोषणयुक्त बागवानी फसलों का विकास और इनके सेवन का प्रचार हमारे देश को पोषण सुरक्षा की तरफ ले जा सकता है। 
    • बागवानी खेती को अधिक लाभप्रद बनाने के लिये किसानों को परंपरागत खेती की बजाय सघन बागवानी को अपनाना चाहिये। इसके लिये वे वैज्ञानिकों द्वारा विकसित विभिन्न फलों की बौनी किस्मों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे- आम की आम्रपाली, अर्का व अरुणा, नींबू की कागज़ी कला, सेब की रैड चीफ, रैड स्पर आदि। 

    पर्यावरण सुरक्षा में बागवानी फसलों का योगदान-

    • बागवानी फसलों से वातावरण को साफ-सुथरा रखने में मदद मिलती है। इन फसलों के क्षेत्रफल को बढ़ाने से वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाई-ऑक्साइड जैसी गैसों का संतुलन बना रहता है।
    • सजावटी पौधे और फलदार वृक्ष शहर व गाँव के अलावा गैर-कृषि क्षेत्रों में भी लगाए जा सकते हैं। इनके रोपण से अन्य जीव-जंतुओं और पक्षियों को भी सहारा मिलता है और अंततः जैव-विविधता को बढ़ावा मिलता है।
    • देश के कई क्षेत्रों में जल और वायु द्वारा मृदा का क्षरण होता रहता है। इन क्षेत्रों में बागवानी फसलें उगाकर इन्हें मृदाक्षरण से बचाया जा सकता है।
    • फलदार व सजावटी पेड़ों की जड़ें दूर तक फैली रहती हैं, जो मिट्टी को जकड़े रखती हैं। अतः बागवानी फसलें मृदा संरक्षण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 
    • अब कई सब्जियों के उत्पादन में जैविक कृषि का सहारा लिया जा रहा है। रासायनिक खादों और कीटनाशक दवाओं के बिना उगाई गई फसलें मानव और पर्यावरण दोनों के स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं। 

    अगले 5 वर्षों में किसानों की आय को दुगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में बागवानी कृषि एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे। समन्वित प्रयासों से भारत में बागवानी क्षेत्र में भारत का भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है।

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