इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    अशक्तता वाले जीवन वर्ष (डी.ए.एल.वाई.) की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? इस की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान समय में इसके प्रमुख कारकों पर विचार करें। क्या स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय को बढ़ाकर डी.ए.एल.वाई.. को कम किया जा सकता है? चर्चा करें।

    02 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    • डी.ए.एल.वाई. को परिभाषित करें।
    • इसके बदलते रुझान को स्पष्ट करते हुए वर्तमान समयमें इसके प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालें।
    • बताएँ कि स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय बढ़ाने से इस पर क्या प्रभाव परिलक्षित होंगे।

    अशक्तता वाले जीवन वर्ष (डी.ए.एल.वाई.)  का तात्पर्य किसी विशेष कारण से असामयिक मृत्यु तथा अशक्तता से है। यह दो घटकों: जीवन वर्ष हानि(YLL) और अशक्तता के साथ यापित जीवन वर्ष(YLD) से मिलकर बना है।  जीवन वर्ष हानि में ऐसे व्यक्तियों का आकलन किया जाता है जो अपने आदर्श जीवन प्रत्याशा से पूर्व ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। वही अशक्तता के साथ यापित जीवन वर्ष व्यक्ति के जीवन के ऐसे वर्षों का आकलन करता है जिसमें व्यक्ति पूर्ण स्वास्थ्य वंचित रहता है इन दोनों के योग से अशक्तता वाले जीवन वर्षो को प्राप्त किया जा सकता है। यह किसी व्यक्ति के जीवन में कुल स्वास्थ्य क्षति के मापन को दर्शाता है।

    भारत द्वारा स्वास्थ्य पर ध्यान देने के कारण 1990 की तुलना में 2016 में डी.ए.एल.वाई. में 36 प्रतिशत की कमी आई है। इससे जीवन प्रत्याशा में वृद्धि हुई है किंतु इस अवधि में अशक्तता वाले जीवन वर्ष के लिये निर्धारित बीमारियों की प्रकृति में परिवर्तन को देखा जा सकता है। 1990 में कुल बीमारियों के बोझ की 61% बीमारियाँ संक्रामक, मातृ संबंधी, नवजात शिशु संबंधी, और पोषण संबंधी बीमारियों के कारण थीं जो 2016 में घटकर 33% रह गई है। वहीं गैर-संक्रामक बीमारियों का योगदान जो 1990 में 30% था 2016 में बढ़कर 55% हो गया है। यह दर्शाता है कि वर्तमान समय में गैर संक्रामक बीमारियों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।

    अशक्तता वाले जीवन वर्ष के लिये उत्तरदायी कारकों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है

    • कुपोषण
    • वायु प्रदूषण
    • खाद्य संबंधी असुरक्षा
    • उच्च रक्तचाप
    • उच्च रक्त मधुमेह
    • तंबाकू का प्रयोग
    • स्वच्छता तथा पेयजल संबंधी समस्याएँ

    सामान्य रूप में स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय  को बढ़ाकर  डी.ए.एल.वाई. को कम किया जा सकता है। आँकड़े बताते हैं कि स्वास्थ्य पर अधिक व्यय करने वाले राज्यों की तुलना में स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति अधिक व्यय करने वाले राज्यों में डी.ए.एल.वाई. का मान अधिक है।किंतु यह डी.ए.एल.वाई. में सुधार की अनिवार्य शर्त नहीं है। उदाहरण के लिये असम, उत्तराखंड, दिल्ली और जम्मू एवं कश्मीर में उच्च स्वास्थ्य व्यय के बाद भी डी.ए.एल.वाई. का मान उच्च है।

    स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यय को बढ़ाने के साथ सही दिशा में तथा जमीनी स्तर पर योजनाओं का क्रियान्वयन  सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। एकीकृत बाल विकास सेवा, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना, राष्ट्रीय पोषण मिशन, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना तथा स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन से डी.ए.एल.वाई. को कम किया जा सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2