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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    हाल ही में बैंकों की हालत सुधारने के संदर्भ में चर्चा में रहा ‘प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन’ अर्थात् पीसीए क्या है? किन बैंकों को इसके दायरे में रखा जाता है तथा इससे बैंक किस तरह प्रभावित होते हैं? स्पष्ट करें।

    21 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा : 

    • प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन क्या है ?
    • किन बैंकों को इसके दायरे में रखा जाता है?
    • इससे बैंकों पर पड़ने वाले प्रभाव क्या-क्या हैं ?
    • क्या आम जनता भी इससे प्रभावित होगी?

    आरबीआई बैंकों को लाइसेंस देता है, नियम बनाता है और उनके कामकाज की निगरानी करता है। बैंक कई बार वित्तीय संकट में फंस जाते हैं। बैंकों को संकट से उबारने के लिये आरबीआई समय-समय पर दिशा-निर्देश तथा फ्रेमवर्क जारी करता है। प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) इसी तरह का एक फ्रेमवर्क है, जो किसी बैंक की वित्तीय सेहत का पैमाना तय करता है। यह सभी व्यावसायिक बैंकों सहित छोटे बैंकों तथा भारत में शाखा खोलने वाले विदेशी बैंकों पर भी लागू है।

    बैंकों को पीसीए के दायरे में तब रखा जाता है जब आरबीआई को यह संदेह होता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिये पर्याप्त पूंजी नहीं है तथा उधार दिये गए धन से आय नहीं हो रही और मुनाफा भी नहीं मिल रहा तो वह उस बैंक को वह पीसीए में डाल देता है ताकि उसकी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिये तत्काल कदम उठाए जा सकें।

    कौन सा बैंक इस स्थिति से गुज़र रहा है, इसका पता सीआरएआर, नेट एनपीए और रिटर्न ऑन एसेट्स के उतार-चढ़ाव से चलता है।

    सीआरएआर:  सीआरएआर से पता चलता है कि किसी बैंक के पास जोखिम का सामना करने के लिये पर्याप्त पूंजी है या नहीं। यह बैंक की तरफ से दिये गए जोखिम भरे कर्ज़ के अनुपात में निकाला जाता है। अगर किसी बैंक का सीआरएआर इससे कम होता है तो उस बैंक की सेहत खराब मानी जाती है।

    नेट एनपीए: एनपीए NPA का घटना-बढ़ना इस बात का संकेत है कि बैंक ने जो राशि उधार दी है उसमें कितना जोखिम है। अगर किसी बैंक का नेट एनपीए उसके द्वारा उधार दी गई राशि का 6 प्रतिशत से अधिक है तो ऐसे बैंक को पीसीए की श्रेणी में डाल दिया जाता है।

    रिटर्न ऑन एसेट्स: किसी बैंक ने जो धनराशि उधार दी है या कहीं निवेश की है उस पर उसे कितना रिटर्न मिल रहा है, इससे संबंधित है । यदि रिटर्न ऑन एसेट लगातार दो वर्षों तक नकारात्मक रहता है तो बैंक को पीसीए में डाल दिया जाता है।

    बैंकों पर पड़ने वाले प्रभाव:

    • आरबीआई इंडिकेटरर्स के आधार पर बैंकों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटता है।
    • जो बैंक कैटेगरी-2 में रखे जाते हैं, वे कोई नई शाखा नहीं खोल पाते और न ही उधार दे पाते हैं।
    • वे ऊँची ब्याज दर पर जमा राशि भी नहीं ले सकते।
    • इनमें नई भर्तियों पर भी रोक लगा दी जाती है।
    • आरबीआई इनका स्पेशल ऑडिट करता है। इन बैंकों के मालिकों तथा प्रमोटरों को और राशि लगानी पड़ती है।

    हालाँकि किसी बैंक के पीसीए में रखे जाने से ग्राहकों पर फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि आरबीआई ने बेसल मानकों के अनुरूप बैंकों की वित्तीय सेहत दुरुस्त रखने के लिये ही पीसीए फ्रेमवर्क बनाया है, ताकि बैंक अपनी पूंजी का सदुपयोग कर सकें तथा जोखिम का सामना करने को तैयार रहें।

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