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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    फ्रांसीसी क्रान्ति के उद्देश्य और उपलब्धि में कोई सामञ्जस्य नहीं था। स्पष्ट करें।

    10 Apr, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    फ्रांस की क्रांन्ति  कोई पूर्व-नियोजित क्रान्ति नहीं थी बल्कि यह तो एक स्वतः स्फूर्त्त क्रान्ति थी क्योंकि 1789 ई. में न तो फ्रांस के लोग क्रान्ति चाहते थे और न ही क्रान्ति की कोई तैयारी थी। तथापि, क्रान्ति हुई; लेकिन परिस्थिति-विशेष और नेतृत्व-विशेष में क्रान्ति का उद्देश्य, उसका स्वरूप और उसकी उपलब्धियाँ बदलती गई।

    राष्ट्रीय सभा में सदस्यों द्वारा लाये गए ‘मांग-पत्रों’ के आधार पर क्रान्ति के प्रारंभिक चरण के उद्देश्यों का अंदाजा लगाया जा सकता है। उस समय फ्रांस के बहुसंख्यक लोग सामाजिक समानता, अवसर की समानता और कानून की समानता चाहते थे। वे प्रतिभा एवं योग्यता को पद या प्रतिष्ठा का आधार बनाना चाहते थे। जहाँ मध्यम-वर्ग सारे आर्थिक प्रतिबंधों, विशेषकर सामन्ती बंधनों को तोड़ डालना चाहता था, वहीं किसान सामन्ती करों, दायित्वों और अन्य बोझों से मुक्ति चाहता था। संविधान सभा ने लगभग इन सभी उद्देश्यों को पूरा किया। क्रान्ति उपरान्त सामन्तवाद खत्म हुआ। किसानों को सामन्ती शोषण से मुक्ति भी मिली। 

    लेकिन, किसानों को ठोस आर्थिक लाभ/आर्थिक समानता से वंचित रखा गया तथा राजनीतिक अधिकारों से तो वे लगभग बाहर ही रहे क्योंकि संविधान अनुसार करदाता ही मताधिकार का प्रयोग कर सकता था। इस बिंदु पर क्रान्ति के उद्देश्य और उपलब्धि में सामञ्जस्य दिखाई नहीं देता। 

    फिर, राजा की निरंकुशता और उसके शासन के तौर-तरीके के प्रति जन-असंतोष के बावजूद राजतंत्र को समाप्त करना  आरम्भ से ही क्रान्ति का उद्देश्य नहीं था लेकिन कालान्तर में राजतंत्र खत्म हो गया तथा गणतंत्र का मार्ग प्रशस्त हुआ। चर्च की संपत्ति का राष्ट्रीयकरण भी क्रान्ति का घोषित उद्देश्य नहीं था। लेकिन कर्ज की अदायगी के लिये चर्च की संपत्ति जब्त की गई और चर्च पर सरकारी नियन्त्रण स्थापित किया गया। इसी प्रकार, प्रारम्भ में प्रतिक्रियावादी यूरोपीय देशों के विरूद्ध आक्रमक रवैया अपनाने की कोई की योजना फ्रांसीसी क्रान्तिकारियों का उद्देश्य ही नहीं थी लेकिन यूरोपीय देशों द्वारा कान्ति की आलोचना और धमकियों तथा जिरोंदिस्त नेताओं के अन्तर्राष्ट्रीय क्रान्ति की विचारधारा ने फ्रांस और प्रतिक्रियावादी यूरोप के मध्य अप्रैल, 1792 में युद्ध शुरू करवा ही दिया। पुनः आतंकवादी सरकार की स्थापना करना भी क्रान्तिकारियों का उद्देश्य नहीं था। किन्तु, देश की सुरक्षा, गृह-युद्ध समाप्त  कर कानून व व्यवस्था की स्थापना तथा वित्तीय संकट से देश को उबारने के तीन प्रमुख उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु जैकोबिन नेताओं को आतंक राज्य की स्थापना करनी पड़ी। 

    परन्तु, जैसे ही समसामयिक समस्याओं का अंत हुआ, वैसे ही प्रगतिशील और आपातकालीन उपाय वापिस ले लिये गये। यहाँ कुछ समस्या शुरू हुई। मध्यवर्ग फिर हावी हुआ और फ्रांस में नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो गया। इन परिस्थितियों में एक सैनिक नेता ने सत्ता हथिया फ्रांस में तानाशाही शुरू कर दी।

    निष्कर्षतः रूस की क्रान्ति (1917) के विपरीत फ्रांसीसी क्रान्ति में उद्देश्य, नेतृत्व और पूर्व योजना के अभाव में कान्ति के स्वरूप और उद्देश्यों में बदलाव आता रहा। इसीलिये फ्रांसीसी क्रान्ति के उद्देश्य और उपलब्धि के बीच सीधा अन्तर्संबंध ढूंढना उचित नहीं होगा।

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