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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    मार्ले-मिंटो सुधारों का मुख्य उद्देश्य उदारवादियों को दिग्भ्रमित कर राष्ट्रवादियों में फूट डालना तथा सांप्रदायिक निर्वाचन प्रणाली को अपनाकर राष्ट्रीय एकता को विनष्ट करना था। परीक्षण कीजिये।

    09 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    वर्ष 1909 में भारत परिषद अधिनियम, जिसे मार्ले-मिंटो सुधार भी कहा जाता है, लाया गया। इस अधिनियम द्वारा चुनाव प्रणाली के सिद्धांत को भारत में पहली बार मान्यता मिली। गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में पहली बार भारतीयों को प्रतिनिधित्व मिला तथा केंद्रीय एवं विधानपरिषदों के सदस्यों को सीमित अधिकार भी प्रदान किये गए। साथ ही, इस अधिनियम द्वारा मुसलमानों को प्रतिनिधित्व के मामले में विशेष रियायतें दी गई, यथा-मुसलमानों को केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषद में जनसंख्या के अनुपात में अधिक प्रतिनिधि भेजने का अधिकार दिया गया तथा मुस्लिम मतदाताओं के लिये आय की योग्यता को भी हिंदुओं की तुलना में कम रखा गया।

    परंतु, इस अधिनियम के अंतर्गत जो चुनाव पद्धति अपनाई गई वह बहुत ही अस्पष्ट थी। कुछ लोग स्थानीय निकायों का चुनाव करते थे, ये सदस्य चुनाव मंडलों का चुनाव करते थे और ये चुनाव मंडल प्रांतीय परिषदों के सदस्यों का चुनाव करते थे। फिर, यही प्रांतीय परिषदों के सदस्य केंद्रीय परिषद के सदस्यों का चुनाव करते थे। अधिनियम द्वारा संसदीय प्रणाली तो दे दी, लेकिन उत्तरदायित्व नहीं दिया गया। अप्रत्यक्ष चुनाव, सीमित मताधिकार और विधान परिषद की सीमित शक्तियों ने प्रतिनिधि सरकार को मिश्रण-सा बना दिया।

    साथ ही, मार्ले ने स्पष्ट रूप से कहा ‘यदि यह कहा जाए कि सुधारों के इस अध्याय से भारत में सीधे अथवा अवश्यंभावी संसदीय व्यवस्था स्थापित करने अथवा होने में सहायता मिलेगी तो मेरा इससे कोई संबंध नहीं होगा’

    वास्तव में तो सरकार इन सुधारों द्वारा नरमपंथियों एवं मुसलमानों का लालच देकर राष्ट्रवाद के उफान को रोकना चाहती थी।  सरकार ने मुस्लिम लीग और नरमपंथियों के तुष्टिकरण को राष्ट्रवाद के विरूद्ध मजबूत हथियार के तौर पर आजमाना चाहा और वे इसमें कुछ हद तक सफल भी रहे। 1909 के सुधारों से जनता को नाममात्र के सुधार ही प्राप्त हुए। इसमें सबसे बड़ी विडंबना यह थी कि शासन का उत्तरदायित्व एक वर्ग को और शक्ति दूसरे वर्ग को सौंपी गई। ऐसी परिस्थितियाँ बनी कि विधानमंडल और कार्यकारिणी के मध्य कड़वाहट बढ़ गई तथा भारतीयों और सरकार के आपसी संबंध और ज्यादा खराब हो गए। 1909 के सुधारों से जनता ने कुछ और ही चाहा था और उन्हें मिला कुछ और। इन सुधारों के संबंध में महात्मा गांधी ने कहा ‘मार्ले-मिंटो सुधारों ने हमारा सर्वनाश कर दिया’।

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