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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के संदर्भ में विशाखा दिशा-निर्देशों को मील का पत्थर माना जाता है| इस कथन के आलोक में विशाखा दिशा-निर्देशों एवं उनके महत्त्व को स्पष्ट कीजिये|

    20 Jul, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    संविधान में पुरुषों एवं महिलाओं को कार्य करने का समान अधिकार दिया गया है, लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरांत विभिन्न सामाजिक, आर्थिक एवं सुरक्षा संबंधी अवरोधों के चलते या तो महिलाओं को कार्य करने की पूर्ण स्वतंत्रता नहीं दी गई, या फिर कार्यस्थल पर सुरक्षा संबंधी चिंताओं के मद्देनज़र परिवारीजनों द्वारा महिलाओं को कार्य करने के लिये प्रोत्साहित नहीं किया गया| हालाँकि, शिक्षा एवं महिला अधिकारों के लिये की गई पहलों के फलस्वरूप इस स्थिति में बदलाव आया और अनौपचारिक एवं औपचारिक कार्य क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी में दिनोंदिन वृद्धि देखी गई| यद्यपि इतना सब होने के बावजूद एक अड़चन महिला कर्मियों को लगातार घर से बाहर काम करने के लिये हतोत्साहित कर रही, और वह थी- कार्यस्थल पर सुरक्षा| विशाखा दिशा-निर्देशों के आने से पूर्व आए दिन कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव सुनने और देखने को मिलते थे| लेकिन वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा “विशाखा बनाम राजस्थान राज्य” मामले में जारी किये गए दिशा-निर्देशों ने कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में युगांतकारी भूमिका निभाई|

    विशाखा दिशा-निर्देश
     ‘विशाखा बनाम राजस्थान राज्य’ मामले में फैसला सुनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि ‘ऐसा कोई भी अप्रिय हाव-भाव, व्यवहार, शब्द या कोई पहल जो यौन प्रकृति की हो, उसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा|

    अपने इस निर्णय में न्यायालय ने एक अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार विधि ‘दि कन्वेंशन ऑन दि एलिमिनेशन ऑफ ऑल फॉर्म्स ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वुमन’ (सीएडीएडब्ल्यू) का संदर्भ लेते हुए कार्यस्थलों पर महिला कर्मियों की सुरक्षा को मद्देनज़र रखते हुए कुछ दिशा-निर्देश जारी किये जिन्हें विशाखा दिशा-निर्देश के नाम से जाना जाता है| ये इस प्रकार हैं: 

    • प्रत्येक रोज़गारप्रदाता का यह दायित्व होगा कि यौन उत्पीड़न से निवारण के लिये वह कंपनी की आचार संहिता में एक नियम शामिल करे|
    • संगठनों को अनिवार्य रूप से एक शिकायत समिति की स्थापना करनी चाहिये, जिसकी प्रमुख कोई महिला होनी चाहिये|
    • नियमों के उल्लंघनकर्ता के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिये और पीड़िता के हितों की रक्षा की जानी चाहिये|
    • महिला कर्मचारियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जाना चाहिये| 

    वस्तुतः इस ऐतिहासिक फैसले में न्यायालय ने माना कि यौन उत्पीड़न की कोई भी घटना संविधान में अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत दिये गए मौलिक अधिकारों तथा अनुच्छेद 19 (1) के तहत व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन है| 

    उल्लेखनीय है कि विशाखा दिशा-निर्देशों के अनुसरण में ही नवंबर 2010 में ‘कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के विरुद्ध महिला सुरक्षा विधेयक अस्तित्व में आया| इस प्रकार, अगर समग्र रूप में देखें तो कार्यस्थलों पर महिलाओं की सुरक्षा के माध्यम से देश में महिला शसक्तीकरण की दिशा में विशाखा दिशा-निर्देशों का उल्लेखनीय महत्त्व है| 

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