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प्रश्न :
प्रश्न. “क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) धुंध से अस्थायी राहत प्रदान करती है, लेकिन दीर्घकालिक उत्सर्जन नियंत्रण का विकल्प नहीं हो सकती।” भारत की वायु प्रदूषण न्यूनीकरण रणनीति में एक उपकरण के रूप में क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
05 Nov, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- क्लाउड सीडिंग को संक्षेप में परिभाषित कीजिये।
- भारत की वायु प्रदूषण न्यूनीकरण रणनीति में एक उपकरण के रूप में क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- भारत में वायु प्रदूषण को कम करने के लिये व्यापक उपाय प्रस्तावित कीजिये।
- एक उपयुक्त मार्ग के साथ निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे की वर्ष 2024 की एक रिपोर्ट, ‘क्लाउड सीडिंग’ को एक ऐसी मौसम-परिवर्तन तकनीक के रूप में परिभाषित करती है जिसमें उपयुक्त बादलों में ‘सीड (Seed)’ कणों को प्रविष्ट कराकर वर्षा में वृद्धि की जाती है।
- कृत्रिम वर्षा को उत्प्रेरित करने के लिये, उपयुक्त बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटेशियम आयोडाइड, या सोडियम क्लोराइड जैसे लवण डाले जाते हैं, जो संबीज' के रूप मेंघनन एवं बूंदों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिये ' कार्य करते हैं।
मुख्य भाग:
क्लाउड सीडिंग की व्यवहार्यता
- क्लाउड सीडिंग की अंतर्राष्ट्रीय सफलता और अनुप्रयोग:
- यह PM2.5/PM10 को नष्ट करने वाली वर्षा को उत्प्रेरित करके अस्थायी रूप से कणिकीय पदार्थों में कमी लाने में सहायता कर सकता है।
- जब अन्य उपाय विफल हो जाते हैं, तो यह गंभीर वायु-गुणवत्ता की घटनाओं में एक आपातकालीन प्रतिक्रिया उपकरण के रूप में काम कर सकता है।
- 1940 के दशक से इसका उपयोग मुख्यतः सूखाग्रस्त या जल-कमी वाले क्षेत्रों (जैसे: अमेरिका, चीन, संयुक्त अरब अमीरात) में वर्षा को उत्प्रेरित करने के लिये किया जाता रहा है।
- यह सूखे के दौरान अल्पकालिक राहत प्रदान कर सकता है, कृषि को सहायता प्रदान कर सकता है और वायु-गुणवत्ता में आपातकालीन हस्तक्षेप के रूप में कार्य कर सकता है।
- पाकिस्तान के लाहौर में 2023 के कृत्रिम वर्षा प्रयोग में न्यूनतम वर्षा हुई, लेकिन इससे AQI को अस्थायी रूप से कम करने में सहायता मिली, लेकिन कुछ दिनों बाद प्रदूषण फिर से बढ़ गया।
- क्लाउड सीडिंग की सीमाएँ:
- उपयुक्त बादलों और पर्याप्त नमी के बिना वर्षा नहीं हो सकती।
- इसके प्रभाव अस्थायी होते हैं और वर्षा कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक रहती है।
- प्राकृतिक वायुमंडलीय परिवर्तनशीलता के कारण क्लाउड सीडिंग की सटीक प्रभावशीलता का आकलन करना मुश्किल है।
- क्लाउड सीडिंग में प्रयुक्त रसायन मृदा और जल प्रदूषण जैसे संभावित पर्यावरणीय जोखिम उत्पन्न करते हैं; इस हेतु दीर्घकालिक प्रभावों की निगरानी आवश्यक है।
- वर्ष 2025 में, दिल्ली सरकार और IIT कानपुर ने कृत्रिम वर्षा कराने के लिये क्लाउड सीडिंग प्रयोग किये, लेकिन कम वायुमंडलीय नमी के कारण इस प्रयास में सीमित सफलता मिली।
भारत में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के व्यापक उपाय
- सभी शहरों में BS-VI मानदंडों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिये।
- वास्तविक ड्राइविंग उत्सर्जन (RDE) परीक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिये और पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) को सुदृढ़ किया जाना चाहिये।
- पुराने और प्रदूषणकारी वाहनों के प्रयोग को बंद करने के लिये एक प्रभावी वाहन-स्क्रैपेज नीति लागू की जानी चाहिये।
- ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर्स, स्मार्ट ग्रिड्स तथा AI-आधारित भार प्रबंधन में निवेश किया जाना चाहिये।
- पूसा डीकंपोज़र, बायोचार और अवशेष-आधारित जैव-ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार किया जाना चाहिये।
- अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिये MSP-संबद्ध प्रोत्साहन और मशीनरी सहायता प्रदान की जानी चाहिये।
- धूल नियंत्रण मानदंडों को (स्मॉग गन, वाटर स्प्रिन्क्लिंग और निर्माण स्थलों का आच्छादन) लागू किया जाना चाहिये।
- पारगम्य फुटपाथ, हरित अवरोध और सड़क किनारे वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) की शक्तियों और संसाधनों में वृद्धि की जानी चाहिये।
निष्कर्ष:
हमारी हर एक साँस इस ग्रह की ओर से एक उपहार है— वायु गुणवत्ता की सुरक्षा स्वयं जीवन की सुरक्षा है। इसलिये, भारत को उत्सर्जन मानदंडों को सुदृढ़ करके, नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देकर, अपशिष्ट का स्थायी प्रबंधन करके तथा समावेशी, विज्ञान-आधारित शासन को बढ़ावा देकर अपने प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों को SDG 3 (उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली), SDG 7 (सस्ती और प्रदूषण मुक्त ऊर्जा), SDG 11 (सतत् शहर एवं संतुलित समुदाय) और SDG 13 (जलवायु परिवर्तन कार्रवाई) के साथ संरेखित करना चाहिये ताकि भावी पीढ़ियों के लिये स्वच्छ वायु, सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय न्याय सुनिश्चित किया जा सके।
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