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प्रश्न :
प्रश्न. विश्लेषण कीजिये कि किस प्रकार क्षोभमंडल की विशेषताएँ इसे मौसम संबंधी घटनाओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंडल बनाती हैं। (150 शब्द)
05 May, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- क्षोभमंडल की संक्षिप्त परिभाषा और इसके ऊर्ध्वाधर विस्तार के साथ अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये, इसकी संरचनात्मक और संरचनागत विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- इस बात पर प्रकाश डालिये कि ये विशेषताएँ मेघ निर्माण और वर्षण जैसी मौसमी प्रक्रियाओं को किस प्रकार सुगम बनाती हैं।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
क्षोभमंडल पृथ्वी के वायुमंडल की सबसे निचली परत है, जो पृथ्वी की सतह से लगभग 8 से 18 किलोमीटर की ऊँचाई तक फैली होती है। इसकी ऊँचाई अक्षांश और ऋतु के अनुसार भिन्न होती है— विषुवतीय क्षेत्रों में यह अधिक ऊँचा (लगभग 18 किमी.) तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में कम (लगभग 8 किमी.) होता है। इस मंडल में वायुमंडलीय द्रव्यमान का लगभग 75% और लगभग सभी जल वाष्प शामिल हैं, जो इसे मेघ निर्माण, वर्षण एवं तूफान जैसी मौसम संबंधी घटनाओं के लिये प्राथमिक मंडल/क्षेत्र बनाता है।
मुख्य भाग:
क्षोभमंडल: मौसम की घटनाओं से संबंधित प्रमुख विशेषताएँ
- तापमान प्रवणता और तापमान ह्रास दर: क्षोभमंडल में ऊँचाई के साथ तापमान लगभग 6.5°C प्रति किमी की दर से घटता जाता है। इस कारण गर्म हवा ऊपर उठती है।
- जैसे-जैसे यह ऊपर जाती है, वह ठंडी होती है और संघनित होकर मेघ का निर्माण करती है। यह संघनन ऊष्मा मुक्त करता है, जो और अधिक ऊपर की गति को प्रेरित करता है। यह प्रक्रिया चक्रवात और तूफानों के विकास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिये भारतीय मानसून वायुमण्डलीय दाब प्रवणता और क्षोभमण्डल के भीतर आर्द्रता परिवहन द्वारा संचालित होता है।
- जैसे-जैसे यह ऊपर जाती है, वह ठंडी होती है और संघनित होकर मेघ का निर्माण करती है। यह संघनन ऊष्मा मुक्त करता है, जो और अधिक ऊपर की गति को प्रेरित करता है। यह प्रक्रिया चक्रवात और तूफानों के विकास में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- ग्रह-सीमांत स्तर: क्षोभमंडल का सबसे निचला भाग 'ग्रह-सीमांत स्तर' कहलाता है, जो पृथ्वी की सतह से सीधे प्रभावित होता है। यहाँ वाष्पीकरण, घर्षण और भू-भागीय तापन जैसे कारक सक्रिय रहते हैं।
- इस परत में अस्थिर और अशांत वायुप्रवाह पाया जाता है, जो स्थानीय पवन-प्रणालियों, प्रदूषण के फैलाव और सूक्ष्म-जलवायु विविधताओं को नियंत्रित करता है।
- गैसों की संरचना: क्षोभमंडल में लगभग संपूर्ण जलवाष्प पाया जाता है, जो जल चक्र (वर्षा, हिमवृष्टि, तुफान आदि) को संचालित करता है।
- इसमें नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%) और कार्बन-डाइऑक्साइड व मीथेन जैसे अल्पांश गैसें होती हैं, जो अवरक्त विकिरण को अवशोषित करके ग्रीनहाउस प्रभाव उत्पन्न करती हैं। इससे पृथ्वी का तापमान संतुलित रहता है।
- मेघ और तूफान का निर्माण: पक्षाभ मेघ से लेकर कपासी वर्षा मेघ तक सभी प्रकार के बादल क्षोभमंडल के भीतर बनते हैं। सभी प्रकार के बादल — चाहे सिरस हों या घनघोर क्यूम्यूलोनिंबस — क्षोभमंडल में ही बनते हैं।
- अस्थिरता, नमी और उर्ध्वाधर गति की उपस्थिति के कारण तूफान, बवंडर एवं उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी तीव्र मौसमी घटनाएँ इसी मंडल में उत्पन्न होती हैं।
- एक अवरोधक के रूप में क्षोभसीमा: क्षोभसीमा/ट्रोपोपॉज़ क्षोभमंडल की ऊपरी सीमा को चिह्नित करती है और एक तापीय अवरोधक के रूप में कार्य करती है, जो इसके आगामी ऊर्ध्वाधर मिश्रण को रोकने का कार्य करती है। इससे मौसमी घटनाएँ केवल क्षोभमंडल तक ही सीमित रहती हैं।
- यह नियंत्रण सुनिश्चित करता है कि मौसम क्षोभमंडल तक ही सीमित रहे, जिससे यह एकमात्र ऐसी परत बन जाती है जहाँ ऐसी घटनाएँ प्रभावी रूप से होती हैं।
निष्कर्ष:
क्षोभमंडल की गतिशील और अस्थिर प्रकृति, उच्च आर्द्रता, तापीय प्रवणता एवं सक्रिय पवन-प्रणालियाँ इसे पृथ्वी पर सभी मौसमीय घटनाओं का केंद्र बनाती हैं। इसके व्यवहार को समझना कृषि योजना, आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन के युग में अत्यंत आवश्यक है।
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