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प्रश्न :
प्रश्न. लॉर्ड कर्जन की नीतियों पर चर्चा कीजिये तथा यह भी आकलन कीजिये कि उसने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया। (150 शब्द)
28 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के वायसराय के रूप में लॉर्ड कर्ज़न के कार्यकाल का संक्षिप्त परिचय दीजिये तथा उसकी नीतियों पर प्रकाश डालिये।
- बंगाल विभाजन जैसी प्रमुख नीतियों, उपायों और इन नीतियों ने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलनों के विकास में किस प्रकार योगदान दिया, इस पर चर्चा कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
भारत के ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड कर्ज़न (वर्ष 1899-1905) ने कई नीतियों को लागू किया जिसका उद्देश्य ब्रिटिश शासन और साम्राज्यवादी हितों को सुदृढ़ करना था। हालाँकि, विरोध को दबाने के उद्देश्य से उनके कई उपायों ने अनजाने में राष्ट्रवादी भावना को तीव्र कर दिया और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक अधिक उग्र चरण का मार्ग प्रशस्त किया।
मुख्य भाग:
कर्ज़न की प्रमुख नीतियाँ और राष्ट्रीय आंदोलन में इसका योगदान:
- बंगाल विभाजन (वर्ष 1905): कर्ज़न द्वारा बंगाल का विभाजन, जिसे एक प्रशासनिक उपाय के रूप में उचित ठहराया गया, ने बंगाल के राष्ट्रवाद को कमज़ोर करने तथा हिंदुओं और मुसलमानों में फूट डालने के लिये रणनीतिक रूप से धार्मिक आधार पर प्रांत को विभाजित कर दिया।
- योगदान: इसने व्यापक विरोध को जन्म दिया, विशेष रूप से शिक्षित मध्यम वर्ग और लाल-बाल-पाल जैसे राजनीतिक नेताओं की ओर से।
- इसने वर्ष 1905 में स्वदेशी आंदोलन के गठन को जन्म दिया, जिसने ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान किया और अंततः मुस्लिम लीग (वर्ष 1906) की स्थापना में योगदान दिया।
- इस प्रतिक्रिया ने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया, भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस को सुदृढ़ किया तथा प्रथम प्रमुख अखिल भारतीय उपनिवेश-विरोधी आंदोलन को चिह्नित किया।
- योगदान: इसने व्यापक विरोध को जन्म दिया, विशेष रूप से शिक्षित मध्यम वर्ग और लाल-बाल-पाल जैसे राजनीतिक नेताओं की ओर से।
- शैक्षिक और प्रशासनिक सुधार: कर्ज़न के शैक्षिक सुधार (भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904) का उद्देश्य विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण कड़ा करके और उनकी संख्या कम करके राष्ट्रवादी विचारों पर अंकुश लगाना था।
- योगदान: इसने भारतीय बौद्धिक वर्ग, विशेषकर उभरते मध्यम वर्ग को अलग-थलग कर दिया।
- राष्ट्रीय चेतना को दबाने के प्रयास के रूप में देखे जाने वाले ये उपाय (विशेष रूप से कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों में) विपरीत परिणाम देने वाले साबित हुए, जिससे कट्टरपंथ को बढ़ावा मिला एवं शिक्षित अभिजात वर्ग औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एकजुट हो गया।
- योगदान: इसने भारतीय बौद्धिक वर्ग, विशेषकर उभरते मध्यम वर्ग को अलग-थलग कर दिया।
- सैन्य उपाय: कर्ज़न की सैन्य नीतियों, जिसमें व्यय में वृद्धि और सेना का पुनर्गठन शामिल था, का उद्देश्य ब्रिटिश नियंत्रण को मज़बूत करना था, लेकिन भारतीयों द्वारा इसे अत्यधिक माना गया।
- योगदान: इन नीतियों के कारण भारतीय अभिजात वर्ग में अलगाव की भावना और अधिक बढ़ गई तथा उपनिवेशवाद विरोधी भावना को बढ़ावा मिला।
- भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस ब्रिटिश शासन के विरोध में अधिक मुखर हो गई तथा ऐसे नेताओं का उदय हुआ जो अपने दृष्टिकोण में अधिक टकरावपूर्ण थे।
- योगदान: इन नीतियों के कारण भारतीय अभिजात वर्ग में अलगाव की भावना और अधिक बढ़ गई तथा उपनिवेशवाद विरोधी भावना को बढ़ावा मिला।
- अकाल नीतियाँ और आर्थिक प्रभाव: वर्ष 1900 के बंगाल के अकाल से निपटने के लिये कर्ज़न के तरीके की व्यापक रूप से आलोचना की गई, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोग मारे गए। अकाल के प्रति ब्रिटिश प्रतिक्रिया, जिसे अपर्याप्त माना गया, ने ब्रिटिश प्रशासन के प्रति भारतीयों के आक्रोश को और गहरा कर दिया।
- योगदान: कर्ज़न की नीतियों ने भारत के आर्थिक शोषण में योगदान दिया। धन की निरंतर निकासी, उच्च कर और कृषि संसाधनों के दुरुपयोग के कारण व्यापक गरीबी फैल गई।
- अकाल और ब्रिटिश सरकार की आर्थिक नीतियों ने भारत के शोषण के भौतिक साक्ष्य उपलब्ध कराये।
- इससे ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जनमत जागृत हुआ, जिससे राष्ट्रवादी आंदोलन में भागीदारी बढ़ी।
निष्कर्ष:लॉर्ड कर्ज़न की नीतियों का उद्देश्य ब्रिटिश नियंत्रण को सुदृढ़ करना था, जिससे अनजाने में ही भारत के राष्ट्रीय आंदोलन को गति मिली। राष्ट्रवाद को दमन करने के उसके प्रयासों ने विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया, समूहों को कट्टरपंथी बनाया और भारतीय नेताओं को एकजुट किया, जिससे अंततः स्वतंत्रता संग्राम तीव्र हुआ तथा भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की मांग का मार्ग प्रशस्त हुआ।
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