ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनती जा रही है। साइबरस्पेस की सुरक्षा में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों और एक सुदृढ़ साइबर सुरक्षा कार्यढाँचे को सुनिश्चित करने के लिये उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    23 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • राष्ट्रीय सुरक्षा में साइबर सुरक्षा के महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
    • भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये तथा साइबर सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिये आवश्यक कदम भी सुझाइये।
    • एक व्यापक दृष्टिकोण के लिये सिफारिश के साथ उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    साइबर सुरक्षा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण घटक है, क्योंकि डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ शासन, रक्षा और वाणिज्य को तेज़ी से प्रभावित कर रही हैं। वर्ष 2026 तक डिजिटल सेवाओं के सकल घरेलू उत्पाद में 20% योगदान देने का अनुमान है, बढ़ते साइबर खतरे डेटा, बुनियादी अवसंरचना और संवहनीयता को खतरे में डालते हैं, जिससे निरंतर विकास एवं सुरक्षा के लिये सुदृढ़ साइबर सुरक्षा आवश्यक हो जाती है।

    मुख्य भाग:

    साइबरस्पेस की सुरक्षा में भारत के समक्ष चुनौतियाँ:

    • साइबर खतरों की प्रकृति: 'साइबर ख़तरों' की प्रकृति ऐसी होती है कि उन्हें पहचानना (detect) और निष्पादन में आसानी के कारण उनके स्रोत का पता लगाना कठिन होता है।
      • वर्ष 2022 में 14.91 लाख साइबर घटनाएँ दर्ज की गईं, जो वर्ष 2021 से 11% अधिक है (CERT-In)।
    • साइबर अपराधियों की विकसित होती तकनीकें: साइबर अपराधी दिन-प्रतिदिन अधिक अद्यतन होते जा रहे हैं, वे रैनसमवेयर को सेवा के रूप में (RaaS) और साइबरक्राइम-ए-सर्विस के रूप में प्रयोग कर रहे हैं, जिससे गैर-विशेषज्ञों के लिये भी हमला करना आसान हो गया है। वे 'रैंसमवेयर एज़ ए सर्विस' (RaaS) और 'साइबरक्राइम एज़ ए सर्विस' जैसी सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। इसका अर्थ यह है कि अब साइबर हमले करना एक तरह की सेवा के रूप में उपलब्ध हो गया है। इसके कारण, गैर-विशेषज्ञों अर्थात् जो लोग तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं, उनके लिये भी साइबर अटैक करना आसान हो गया है।
      • उदाहरण के लिये, LockBit और अकीरा जैसे रैनसमवेयर समूह अपने हमलों को बढ़ाने के लिये इन मॉडलों का फायदा उठाते हैं।
    • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दुरुपयोग: वर्ष 2023 में, ChatGPT की तरह AI का एक दुर्भावनापूर्ण संस्करण WormGPT का उपयोग फिशिंग ईमेल सहित दुर्भावनापूर्ण कंटेंट जेनरेट करने के लिये किया गया, जिससे साइबर सुरक्षा के लिये एक नई चुनौती उत्पन्न हुई।
    • महत्त्वपूर्ण अवसंरचना: भारत की महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना (CII) असुरक्षित बनी हुई है, जैसा कि वर्ष 2022 के AIIMS रैनसमवेयर हमले से उजागर हुआ है, जिसमें संवेदनशील रोगी डेटा से समझौता किया गया था।
      • विभिन्न एजेंसियों में विखंडित साइबर सुरक्षा निगरानी के साथ-साथ बिजली ग्रिड, बैंकिंग और रक्षा क्षेत्रक को होने वाले खतरे के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।
    • साइबर जासूसी और भू-राजनीतिक तनाव: भारत का भू-राजनीतिक परिवेश (विशेषकर शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों के साथ) साइबर जासूसी के जोखिम को बढ़ाता है।
      • अब साइबर हमलों का इस्तेमाल केवल अपराध या धन कमाने के लिये नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के लिये भी किया जा रहा है। अर्थात् देश एक-दूसरे पर साइबर हमलों के माध्यम से दबाव बनाने, रणनीतिक बढ़त हासिल करने या अस्थिरता व्याप्त करने के प्रयास कर रहे हैं।

    साइबर सुरक्षा कार्यढाँचे को मज़बूत करने के लिये कदम:

    • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति: स्पष्ट लक्ष्यों के साथ एक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति विकसित करने के अलावा, साइबर हमलों से होने वाले वित्तीय जोखिमों के प्रबंधन के लिये साइबर बीमा को एक प्रमुख उपाय माना जाना चाहिये, जिसमें राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC) सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में प्रयासों की देखरेख करेगा।
    • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण और राष्ट्रीय साइबर साक्षरता अभियानों के माध्यम से क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिये। साइबर स्वच्छता केंद्र जैसी पहल सार्वजनिक जागरूकता और सुरक्षित डिजिटल प्रथाओं को बढ़ावा देती है।
    • साइबर फोरेंसिक में प्रशिक्षण महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि सत्र 2023-24 में दिल्ली पुलिस द्वारा प्रतिदिन 200 साइबर धोखाधड़ी के मामले दर्ज किये गए।
    • सुदृढ़ कानूनी और नियामक कार्यढाँचा: साइबर अपराधों के लिये भारत के कानूनी कार्यढाँचे को मज़बूत करना, जैसे कि IT अधिनियम, 2000, साइबर अपराधों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये आवश्यक कानूनी समर्थन प्रदान कर सकता है।
    • सहयोगात्मक अंतर्राष्ट्रीय प्रयास: साइबर खतरों की अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति को देखते हुए, भारत को अंतर्राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा सहयोग में अधिक सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिये, जिसमें INTERPOL और संयुक्त राष्ट्र जैसे वैश्विक संगठनों के साथ अपने सहयोग को सुदृढ़ करना शामिल है।

    निष्कर्ष:

    • गुलशन राय समिति (वर्ष 2014) के अनुसार भारत की साइबर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिये कुछ विशेष कदम उठाने चाहिये जिसमें:
    • एक समर्पित भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र का संगठन किया जाना चाहिये जो पूरे देश में साइबर अपराधों पर नज़र रखे, उनका विश्लेषण करे और उनका प्रभावी ढंग से मुकाबला करे।
    • विदेशी सर्वरों पर भारत की निर्भरता कम करनी चाहिये, ताकि भारतीय डेटा विदेशों में न जाए और साइबर सुरक्षा के खतरे कम हों।
    • ऑनलाइन साइबर अपराध शिकायतों के लिये एक अलग एजेंसी होनी चाहिये, ताकि लोग आसानी से इंटरनेट के माध्यम से साइबर अपराधों की रिपोर्ट कर सकें और यह प्रक्रिया पुलिस नेटवर्क CCTNS से जुड़ी होनी चाहिये, ताकि कार्रवाई तेज़ और संगठित हो।

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