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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में प्रस्तावित महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम को लागू करने के महत्त्व एवं संभावित चुनौतियों का परीक्षण कीजिये। देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण हेतु रणनीतियाँ बताइये। (250 शब्द)

    11 Mar, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में प्रस्तावित महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारत में प्रस्तावित महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम को लागू करने के महत्त्व एवं संभावित चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।
    • पूरे देश में महिलाओं के लिये पर्याप्त आर्थिक सशक्तीकरण को साकार करने के लिये प्रमुख रणनीतियों की सिफारिश कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) एक प्रस्तावित विधान है जिसका उद्देश्य शहरी बेरोज़गारी को, विशेष रूप से महिलाओं के लिये, संबोधित करना है। WUEGA महिलाओं को प्रतिवर्ष न्यूनतम कार्यदिवस (उदाहरण के लिये, 150 दिन) की गारंटी देने का प्रस्ताव करता है।

    मुख्य भाग:

    महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) की आवश्यकता :

    • शहरी रोज़गार में लैंगिक असमानताएँ: शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में प्रायः लिंग-आधारित असमानताएँ देखी जाती हैं।
    • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार, वर्ष 2023 की अंतिम तिमाही में केवल 22.9% शहरी महिलाएँ ही कार्यरत थीं।
    • आर्थिक सशक्तीकरण और सतत् विकास लक्ष्य: WUEGA शहरी महिलाओं को गारंटीकृत रोज़गार के अवसर प्रदान कर सशक्त बनाएगा। न्यूनतम कार्यदिवस सुनिश्चित करने से यह महिलाओं को अपने घरों और समुदायों में योगदान कर सकने में सक्षम बनाता है।
    • लैंगिक समानता और आर्थिक सशक्तीकरण सहित सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये महिलाओं के रोज़गार को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है।
    • बच्चों की देखभाल और समर्थनकारी अवसंरचना: WUEGA कार्यस्थलों पर बाल देखभाल सुविधाओं की आवश्यकता पर बल देता है। ये प्रावधान महिलाओं को उनकी देखभाल संबंधी ज़िम्मेदारियों से समझौता किये बिना रोज़गार में भाग ले सकने में सक्षम बनाते हैं।
    • सफल ग्रामीण रोज़गार योजनाओं से सबक लेना: WUEGA मनरेगा (MGNREGA) जैसी सफल ग्रामीण रोज़गार योजनाओं से प्रेरणा ग्रहण करते हुए शहरी संदर्भों के लिये सदृश मॉडल को अपना सकता है।
    • WUEGA मौजूदा ढाँचे और अनुभवों का लाभ उठाकर कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिये सिद्ध रणनीतियों का निर्माण कर सकता है।
    • आर्थिक वृद्धि और विकास की संभावना: महिलाओं की रोज़गार दर में वृद्धि श्रम शक्ति का विस्तार और उत्पादकता को प्रोत्साहित करने के रूप में आर्थिक विकास के लिये उत्प्रेरक का कार्य कर सकती है।
      • WUEGA में शहरी महिलाओं की प्रतिभा एवं सक्षमताओं का उपयोग करते हुए व्यापक आर्थिक विकास लक्ष्यों में योगदान कर सकने की क्षमता है।

    महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) को लागू करने में संभावित चुनौतियाँ:

    • वित्तीय बोझ: गारंटीकृत रोज़गार प्रदान करने से वेतन/मज़दूरी, अवसंरचना विकास (उदाहरण के लिये, कार्यस्थलों पर बाल देखभाल सुविधाएँ) और कार्यक्रम प्रशासन के संबंध में उल्लेखनीय लागत उत्पन्न होती है।
      • उदाहरण के लिये, यदि 500 रुपए दैनिक मज़दूरी के साथ प्रतिवर्ष 150 दिनों के कार्य की कल्पना करें, जिसका वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाना है, तो इस पर सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.5% व्यय करना होगा।
    • स्थानीय क्षेत्र में रोज़गार सृजन: किसी महिला के निवास से उचित दूरी (उदाहरण के लिये, 5 किमी.) के भीतर पर्याप्त विविध कार्य अवसर का सृजन करना, विशेष रूप से सघन आबादी वाले शहरों में, चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: सार्वजनिक स्थानों पर उत्पीड़न या हिंसा का भय महिलाओं को रोज़गार के अवसर तलाशने से हतोत्साहित कर सकता है, जिससे कार्यबल में उनकी भागीदारी सीमित हो सकती है।
      • NCRB की वार्षिक अपराध रिपोर्ट ‘भारत में अपराध 2022’ के आँकड़ों के अनुसार, प्रति एक लाख जनसंख्या पर महिलाओं के विरुद्ध अपराध की दर 66.4 थी, जबकि ऐसे मामलों में आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 75.8 दर्ज की गई थी।
    • कौशल अंतराल: कई शहरी महिलाओं में औपचारिक रोज़गार के अवसरों के लिये आवश्यक कौशल एवं अनुभव की कमी हो सकती है।
      • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक उनकी पहुँच सीमित हो सकती है, जिससे कौशल स्तरों में असमानताएँ उत्पन्न हो सकती हैं तथा महिलाओं की रोज़गार क्षमता (employability) में बाधा आ सकती है।
    • कानूनी और नौकरशाही संबंधी बाधाएँ: ऐसे व्यक्तियों या समूहों द्वारा विरोध की स्थिति बन सकती है जो परिवर्तन के प्रतिरोधी हैं और यथास्थिति बनाए रखने की वकालत करते हैं। यह महिलाओं के रोज़गार अधिकारों को बढ़ाने के उद्देश्य से कानून के पारित होने में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
    • सामाजिक मानदंड और लैंगिक रूढ़िवादिता: गहरी जड़ें जमा चुकी सामाजिक अपेक्षाएँ कार्यबल में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को स्वीकार करने में बाधक बन सकती हैं, विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में जहाँ पारंपरिक लिंग भूमिकाएँ अधिक प्रकट हैं।

    WUEGA के प्रभावी प्रवर्तन के लिये आगे की राह:

    • लिंग-विभेदीकृत डेटा एकत्रित करना: लिंग-विभेदीकृत डेटा (Gender-disaggregated data) नीति निर्माताओं को शहरी महिलाओं के समक्ष रोज़गार तक पहुँच और कार्यरत बने रहने में विद्यमान विशिष्ट चुनौतियों के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।
      • संग्रहित डेटा में पसंद की जाती नौकरियों के रुझान, वर्ष के वे दिन जब महिलाएँ इन कार्य अवसरों से संलग्न होती हैं, योजना का चयन करने वाली महिलाओं की शिक्षा का स्तर इत्यादि को दर्ज किया जाना चाहिये।
    • लैंगिक दृष्टि से शहरी रोज़गार योजना तैयार करना: महिला शहरी रोज़गार गारंटी अधिनियम (WUEGA) को एक सर्वव्यापी कानून के रूप में प्रारूपित किया जाए, जो लिंग-विभेदीकृत डेटा के आधार पर सरकार और प्राप्तकर्त्ताओं दोनों के अधिकारों, विशेषाधिकारों एवं उत्तरदायित्वों को निरूपित करता हो।
      • विधान में समान कार्य के लिये समान वेतन अनिवार्य किया जाना चाहिये, जहाँ यह सुनिश्चित करना चाहिये कि महिलाओं को समान कार्य भूमिकाओं एवं ज़िम्मेदारियों के लिये अपने पुरुष समकक्षों के समान वेतन प्राप्त हो।
    • संसाधन आवंटन और क्षमता निर्माण: WUEGA के कार्यान्वयन के लिये पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित किया जाए ताकि वेतन, प्रशासनिक व्यय, अवसंरचना विकास और क्षमता निर्माण पहल के लिये पर्याप्त धन उपलब्ध हो।
      • WUEGA के प्रभावी कार्यान्वयन एवं प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिये सरकारी अधिकारियों, कार्यक्रम प्रशासकों और लाभार्थियों के लिये प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम प्रदान किये जाएँ।
    • कार्यान्वयन के लिये चरणबद्ध दृष्टिकोण: WUEGA को लागू करने की व्यवहार्यता का परीक्षण करने के लिये चुनिंदा शहरी क्षेत्रों में पायलट कार्यक्रम शुरू किये जाएँ। विभिन्न शहरी क्षेत्रों की तैयारी का आकलन करने और संभावित चुनौतियों एवं अवसरों की पहचान करने के लिये व्यवहार्यता अध्ययन आयोजित किये जाएँ।
      • WUEGA का कार्यान्वयन चरणबद्ध तरीके से शुरू किया जाए। इसका आरंभ शहरी क्षेत्रों से हो जहाँ अवसंरचना एवं समर्थनकारी प्रणालियाँ अपेक्षाकृत सुविकसित होती हैं और फिर धीरे-धीरे इसे अन्य क्षेत्रों में विस्तारित किया जाए।
    • सुरक्षा संबंधी चिंताओं का समाधान करना: सुरक्षा चिंताओं को कम करने और अधिक कार्यबल भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिये सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने के उपाय लागू किये जाएँ, जिनमें पर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, निगरानी प्रणाली एवं पुलिस गश्त बढ़ाना शामिल है।
    • जागरूकता बढ़ाना और दृष्टिकोण में बदलाव लाना: लैंगिक रूढ़िवादिता को चुनौती देने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और कार्यबल में महिलाओं की भूमिकाओं एवं क्षमताओं के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को बदलने के लिये जागरूकता अभियान तथा संवेदीकरण कार्यक्रम संचालित किये जाएँ।

    निष्कर्ष:

    भारत का संविधान समानता एवं सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का समर्थन करता है, जहाँ रोज़गार में लैंगिक असमानताओं को दूर करने के लिये सकारात्मक कार्रवाई का उपबंध किया गया है। WUEGA को लागू करना लैंगिक समानता और सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के इन संवैधानिक अधिदेशों एवं नैतिक दायित्वों के अनुरूप है।

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