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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के समक्ष आने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ क्या हैं? ऐसे खतरों का मुकाबला करने के लिये नियुक्त केंद्रीय खुफिया और जाँच एजेंसियों की भूमिका बताइये। (250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)

    03 Jan, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये। इन चुनौतियों की विविध प्रकृति का संक्षेप में उल्लेख कीजिये।
    • भारत के समक्ष प्रमुख आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों की व्याख्या करने के साथ इनके समाधान में केंद्रीय खुफिया तथा अन्वेषण एजेंसियों की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • खुफिया और अन्वेषण एजेंसियों के समन्वित प्रयासों के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    एक संप्रभु राष्ट्र का सबसे बड़ा उत्तरदायित्व अपने नागरिकों की बाहरी और आंतरिक चुनौतियों से सुरक्षा करना है। स्वतंत्रता के बाद से भारत ने विद्रोह, उग्रवाद और बाह्य सहायता प्राप्त विद्रोह सहित विभिन्न आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का सामना किया है।

    मुख्य भाग:

    भारत के समक्ष आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ:

    • अलगाववादी गतिविधियाँ: हमारे देश में अलगाववादी भावनाएँ स्वतंत्रता के समय से ही मौज़ूद रही हैं तथा अभी भी कानून और व्यवस्था के लिये एक प्रमुख चुनौती बनी हुई हैं। उदाहरण के लिये, नगालैंड अलगाववाद, कश्मीरी अलगाववाद आदि।
    • सांप्रदायिकता: दो प्रमुख धार्मिक समूहों के बीच विवादों के कारण अक्सर पारस्परिक घृणा और झगड़े उत्पन्न होते हैं। इससे अलगाववादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा मिलता है। समूहों के मध्य बढ़ती घृणा हमारे नागरिकों को अनुचित गतिविधियों के लिये प्रेरित करने का आसान लक्ष्य बनाती है।
    • अवैध प्रवासन: विगत कुछ वर्षों में अवैध प्रवासन ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन और बेरोज़गारी में वृद्धि जैसी कई आंतरिक समस्याओं को जन्म दिया है, जिससे देश के संसाधनों पर दबाव पड़ा है।
    • वामपंथी उग्रवाद: यह मुख्यतः भारत के मध्य और पूर्वी हिस्सों में विद्यमान है तथा इसकी राजनीतिक विचारधारा के रूप में मार्क्सवाद या माओवाद को चिह्नित किया जाता है। सामाजिक-आर्थिक असमानताएँ और भौगोलिक अलगाव इसके उद्भव के लिये ज़िम्मेदार कारक हैं।

    भारत में कार्रवाई करने के विभिन्न अधिदेशों के साथ कार्यरत विभिन्न खुफिया और अन्वेषण एजेंसियाँ मौज़ूद हैं, इनमें प्रमुख हैं:

    • राष्ट्रीय अंवेषण अभिकरण (NIA): यह भारत की प्रमुख आतंकवाद-रोधी कानून प्रवर्तन अभिकरण है, जो भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता को प्रभावित करने वाले अपराधों की जाँच करती है।
    • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB): यह विभिन्न स्वापक औषधियों एवं मादक पदार्थों से संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के मध्य समन्वय करने वाली शीर्ष संस्था है। यह संपूर्ण भारत में मादक पदार्थों की तस्करी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कार्य करती है।
    • राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI): यह प्रतिबंधित सामग्री की तस्करी की खुफिया जानकारी और उससे संबंधित मामलों की जाँच करने वाली संस्था है। इसका उद्देश्य काले धन के प्रसार और धन शोधन को रोकना भी है।
    • इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB): यह देश के भीतर जानकारी एकत्र करने एवं आतंकवाद-रोधी अभियानों को अंजाम देने के लिये ज़िम्मेदार शीर्ष खुफिया निकाय है। यह घरेलू खुफिया और आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों में कार्य करती है।
    • रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW): इसने इंटेलिजेंस ब्यूरो से विदेशी खुफिया सूचनाओं के प्रबंधन का कार्य प्राप्त किया था। वर्तमान में यह विदेशी खुफिया जानकारी एकत्र करती है, आतंकवाद-रोधी अभियान संचालित करती है एवं भारतीय नीति निर्माताओं परामर्श प्रदान करती है।
    • केंद्रीय अंवेषण ब्यूरो (CBI): इसका गठन संथानम समिति की अनुशंसाओं पर किया गया था, यह अंवेषण हेतु एक प्रमुख पुलिस एजेंसी है। यह अंवेषण का कार्य करती है एवं इंटरपोल के लिये समन्वय संस्था के रूप में भी कार्य करती है।

    निष्कर्ष:

    भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिये विभिन्न एजेंसियों के बीच सहयोग एवं समन्वय महत्त्वपूर्ण है। विभिन्न सुरक्षा खतरों के खिलाफ एक मजबूत ढाँचे हेतु प्रौद्योगिकी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सामुदायिक भागीदारी में निवेश आवश्यक है।

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